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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

#उत्तानमंडूकासन #मंडूकासन- पीठ दर्द से मुक्ति, #Uttanmandukasana - Relieving #BackPain


 ☘️  :उत्तानमंडूकासन : योग क़ी इस उन्नत श्रेणी के जानिये फायदे और योग विधि #Utanmandukaasana (#उत्तानमंडूकासन)



संस्कृत में ‘उत्तान’ का अर्थ तना हुआ और ‘मंडूक’ का अर्थ मेढक होता है। उत्तानमंडूकासन की अंतिम मुद्रा में शरीर सीधे तने हुए मेढक के समान लगती है, इसलिए यह नाम दिया गया है। इस आसन में सिर को कोहनियों से थामा जाता है ताकि सिर पीछे की ओर न जाए।  अगर इसको सही तरीके से किया जाए तो इसके बहुत सारे स्वस्थ लाभ है।

 उत्तानमंडूकासन के लाभ
 
उत्तानमंडूकासन डायाफ्राम की गति को सुधारने में सहायक होता है।

उत्तानमंडूकासन के नियमित  अभ्यास से आप पीठ दर्द से मुक्ति  पा सकते हैं।

इस आसन के लगातार अभ्यास से आप कंधे के दर्द को रोक सकते हैं।

उत्तानमंडूकासन आसन आपके कोहनी को भी सबल बनाता है।

इसके अभ्यास से धीरे धीरे आपके घुटने मजबूत होने लगता है।

उत्तानमंडूकासन को अगर बहुत देर तक मेन्टेन किया जाए तो इससे पेट के बगल के चर्बी को कम किया जा सकता है।

यह योगाभ्यास गले के दर्द में लाभकारी है।

उत्तानमंडूकासन अडाशय और टेस्टिस के लिए भी लाभकारी है।

इसके नित्य अभ्यास से आप अपने श्वसन सम्बन्धी परेशानियों को भी सुधार सकते हैं।

उत्तानमंडूकासन योग क़ी विधि
 
सबसे पहले एक साफ समतल और शांत स्थान पर आसन बिछाकर उस पर आप वज्रासन में बैठ जाएं।

दोनों घुटनों को आगे से चौड़ा करें

अब आप दाईं बांह उठाएं, मोड़ें और दाएं कंधे के ऊपर से सिर के पीछे ले जाकर हथेली को बाएं कंधे के नीचे रख दें।

उसी तरह से अब आप  बाईं बांह को मोड़ें तथा सिर के ऊपर से ले जाकर हथेली को दाएं कंधे के नीचे रख दें।

अपने आपको ऊपर की ओर खीचें।शरीर को जितना हो सके रीढ़ क़ी हड्डी को सीधा रखे

कुछ समय इसी मुद्रा में रहें

पुनः मूल अवस्था में वापस आते समय धीरे-धीरे बार्इं बांह और फिर दाईं बांह हटाएं।

घुटनों को आरंभिक अवस्था मे ले आएं।

यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

 क्षमतानुसार धीरे धीरे इसकी अवधि को बढ़ाएं।

उत्तानमंडूकासन:में सावधानी

कमर में अत्यधिक दर्द होने पर उत्तानमंडूकासन का अभ्यास ना करें

अगर आपके घुटने में परेशानी हो तो इस आसन का अभ्यास न करें।

कंधे में बहुत दर्द य़ा कोहनी में दर्द होने पर भी इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।

मंडूकासन (Mandukasana) करने का तरीका और फायदे | Swami Ramdev  

 

मंडूकासन दो शब्द से मिलकर बना है। मंडूक जिसका अर्थ होता है मेंढक एवं आसन का मतलब होता है योगाभ्यास। इस आसन के करते समय शरीर मेंढक के जैसा प्रतीत होता है इसलिय इसको मंडूकासन के नाम से पुकारा जाता है। यह Frog Pose के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन उदर से संबंधित विभिन्य रोगों के समाधान के लिए अहम भूमिका निभाता है।

मंडूकासन के लाभ

1 आपको अपना तोंद कम करना हो तो मंडूकासन करनी चाहिए। यह पेट में अच्छा खास दबाब डालता है और इस आसन को ज़्यदा समय तक बनाये रखने से पेट की चर्बी गलने में मदद मिलती है।

2 मंडूकासन का सही अभ्यास करने से पैंक्रियास से इन्सुलिन का स्राव में मदद मिलती है जिससे डायबिटीज या मधुमेह को बहुत हद तक रोक जा सकता है।

3 मंडूकासन से एंजाइम एवं हॉर्मोन का ठीक तरह से स्राव होने लगता है जो भोजन को पचाने में मदद करता जिससे कब्ज एवं अपच से छुटकारा मिलता है
मंडूकासन पेट से संबंधित रोगों के लिए यह अति उत्तम योगाभयास है।

4 मंडूकासन से पेट से टॉक्सिन्स एवं जहरीली गैसें को आसानी से निकाल सकते हैं।
 
मंडूकासन योग विधि

सबसे पहले आप स्वच्छ आसन बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।

अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।

मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।

सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।

आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।

सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।

धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।

फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।

यह एक चक्र हुआ।

आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।

मंडूकासन योग में सावधानिया
 
पीठ दर्द में इस आसन को  करने से बचे ।

पेट में अगर कोई विकार या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें।

हाईपेरिसिडिटी वालों को यह आसन नहीं करनी चाहिए।

मंडूकासन दो शब्द से मिलकर बना है। मंडूक जिसका अर्थ होता है मेंढक एवं आसन का मतलब होता है योगाभ्यास। इस आसन के करते समय शरीर मेंढक के जैसा प्रतीत होता है इसलिय इसको मंडूकासन के नाम से पुकारा जाता है। यह Frog Pose के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन उदर से संबंधित विभिन्य रोगों के समाधान के लिए अहम भूमिका निभाता है।

मंडूकासन के लाभ

1 आपको अपना तोंद कम करना हो तो मंडूकासन करनी चाहिए। यह पेट में अच्छा खास दबाब डालता है और इस आसन को ज़्यदा समय तक बनाये रखने से पेट की चर्बी गलने में मदद मिलती है।

2 मंडूकासन का सही अभ्यास करने से पैंक्रियास से इन्सुलिन का स्राव में मदद मिलती है जिससे डायबिटीज या मधुमेह को बहुत हद तक रोक जा सकता है।

3 मंडूकासन से एंजाइम एवं हॉर्मोन का ठीक तरह से स्राव होने लगता है जो भोजन को पचाने में मदद करता जिससे कब्ज एवं अपच से छुटकारा मिलता है
मंडूकासन पेट से संबंधित रोगों के लिए यह अति उत्तम योगाभयास है।

4 मंडूकासन से पेट से टॉक्सिन्स एवं जहरीली गैसें को आसानी से निकाल सकते हैं।
 
मंडूकासन योग विधि

सबसे पहले आप स्वच्छ आसन बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।

अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।

मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।

सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।

आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।

सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।

धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।

फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।

यह एक चक्र हुआ।

आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।

मंडूकासन योग में सावधानिया
 
पीठ दर्द में इस आसन को  करने से बचे ।

पेट में अगर कोई विकार या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें।

हाईपेरिसिडिटी वालों को यह आसन नहीं करनी चाहिए।

नाभि की समस्या होने पर भी इस को न करें।
नाभि की समस्या होने पर भी इस को न करें।

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