वैरिकाज नसें या वेन
प्राकृतिक उपचार
• वैरिकोज़ नसें बढ़ जाती हैं, सूज जाती हैं और यातना देने वाली (मुड़ने वाली) नसें आम तौर पर नीले या गहरे बैंगनी रंग की होती हैं।
वैरिकोज़ नसों के तथ्य
"राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा अनुमानित" 33% महिलाएं और 17% पुरुष वैरिकाज़ नसों से प्रभावित हैं।
• हालांकि वैरिकोज़ नसें मानव शरीर में कहीं भी हो सकती हैं, वे आमतौर पर पैरों और पैरों में पाए जाते हैं, खासकर बछड़े की मांसपेशियों में।
• यदि वैरिकोज़ नसों का समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो कई प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं जैसे कि थकान, दर्द और सूजन के लक्षण, पुरानी सूजन, अल्सर जो दर्दनाक है और ठीक करना मुश्किल है।
वैरिकोज़ वेन्स क्या है.?
बढ़े हुए, सूजी हुई और मुड़ी हुई नसों को वैरिकोज़ वेन्स कहा जाता है।
नसें शरीर के अंगों से हृदय तक अशुद्ध रक्त पहुंचाती हैं।
नसों में वाल्व रक्त के पिछड़े प्रवाह को रोकते हैं।
• जब हृदय में वाल्व ऐसा करने में विफल हो जाते हैं, तो रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे नसें सूज जाती हैं और असामान्य रूप से मुड़ जाती हैं।
वे अक्सर पैरों, टखनों और पैरों पर दिखाई देते हैं क्योंकि वे हृदय से सबसे दूर होते हैं, जिनका कार्य रक्त को शुद्ध करना है।
वैरिकोज़ नसों के कारण
● रक्त प्रवाह में रुकावट
● अधिक वजन के कारण नसों में वाल्व प्रणाली का टूटना।
● व्यायाम की कमी के कारण नसों की नसों में कमजोरी।
● लंबे समय तक एक ही मुद्रा बनाए रखना
● भारी वजन उठाना गर्भावस्था।
● पुरानी कब्ज
● मूत्र प्रतिधारण
● सर्जरी के कारण रक्त प्रवाह में रुकावट।
वैरिकोज़ नसों के लक्षण
● पैरों में भारीपन।
● मांसपेशियों की ऐंठन
● सूजन और जलन।
● लंबे समय तक दर्द का अनुभव होना।
● नसों के आसपास खुजली होना।
● त्वचा के ऊपर स्याह छाले,
● मुड़ी हुई और उभरी हुई त्वचा।
प्राकृतिक उपचार
● हल्दी के रस का उपयोग करें
• विरोधी भड़काऊ जड़ी बूटी
• रक्त प्लेटलेट संचय रोकता है
• रक्तस्राव या संक्रमण का इलाज करता है।
● अदरक का रस अदरक का जूस
• नसों से दबाव कम करता है
• रक्त परिसंचरण में सुधार
• शक्तिशाली रक्त पतला करने वाला
• कोलेस्ट्रॉल और बीपी कम करता है।
● लहसुन का रस ●
• फाइब्रिन भंग
• रक्त के थक्के बनने से रोकता है
• रक्त में हानिकारक विषाक्त पदार्थों को तोड़ता है
• प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
● नींबू का रस
• विटामिन सी और फ्लेवोनोइड्स से भरपूर
• रक्त वाहिकाओं को फिर से जीवंत करें
• रक्त को डिटॉक्सीफाई करता है
• अतिरिक्त द्रव संग्रह को हटाता है
●●● हनी ●●●
• खुजली और सूखापन का इलाज करता है
• ओस्स स्ट्रॉन्ग ऑस्मोटिक गुण
• माईल्स को मारता है
• WBC काउंट बढ़ाएँ।
● ऐप्पल साइडर विनेगर ●
• नैचुरल बॉडी क्लींजिंग ड्रिंक
• रक्त परिसंचरण बढ़ाने वाला
• वैरिकोज़ नसों के आकार और वृद्धि को कम करने में मदद करता है।
बैठे बैठे पैर नहीँ हिलाना चाहिए
हमारे दैनिक जीवनचर्या का असर हमारे स्वास्थय और स्थिति पर पड़ता है | हमारे प्रत्येक कार्य और आदतों का सम्बन्ध हमारे स्वास्थय और सुख-समृद्धि से होता है ।यही कारण है की कुछ कार्यों को हमारी संस्कृति और धर्म में प्रोत्साहित किया जाता है और कुछ के लिए मना किया जाता है |
अक्सर घर के वृद्धजनों द्वारा मना किया जाता है कि बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए । वैसे तो यह सामान्य सी बात है, लेकिन इसके पीछे धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण भी हैँ । स्वभाव और आदतों का प्रभाव हमारे भाग्य और स्वास्थ्य दोनोँ पर पड़ता है ।
शास्त्रों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पूजन कर्म या अन्य किसी धार्मिक कार्य में बैठा है तो उसे पैर नहीं हिलाना चाहिए । ऐसा करने पर पूजन कर्म का पूरा पुण्य नहीं मिल पाता है । अधिकांश लोगों की आदत होती है कि वे जब कहीं बैठे होते हैं तो पैर हिलाते रहते हैं ।यह दिमाग की चंचलता और अनियंत्रित शारीरिक क्रिया का द्योतक है |
इस संबंध में शास्त्रों के जानकारोँ के अनुसार, पैर हिलाने से धन का नाश होता है । धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है । शास्त्रों में इसे अशुभ कर्म माना गया है । यदि हम शाम के समय बैठे-बैठे पैर हिलाते हैं, तो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है । धन संबंधी कार्यों में विलंब होता है एवं पैसों की तंगी बढ़ती है । वेद-पुराण के अनुसार, शाम के समय धन की देवी महालक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर रहती हैं, ऐसे में यदि कोई व्यक्ति बैठे-बैठे पैर हिलाता है तो देवी उससे नाराज हो जाती हैं ।
लक्ष्मी की नाराजगी के बाद धन से जुड़ी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं ।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह आदत हानिकारक है । बैठे-बैठे पैर हिलाने से जोड़ों के दर्द की समस्या हो सकती है । पैरों की नसों पर विपरित प्रभाव पड़ता है । पैरों में दर्द हो सकता है । इसका बुरा प्रभाव हृदय पर भी पड़ सकता है । इन कारणों के चलते इस आदत का त्याग करना चाहिए ।
शोधकर्ताओं का यह स्पष्ट कहना है कि लगातार पैर हिलाने जैसी बीमारी से दिल का दौरा पड़ने की संभावना तो तेज होती ही है, लेकिन साथ ही हृदय संबंधित अन्य बीमारियां भी व्यक्ति को घेर लेती हैं । मेडिकल साइंस में 'रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम' RLS के नाम से कुख्यात इस बीमारी का कारण नींद ना आना है । जब व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होता है तो कुछ समय बाद वह 'रेस्टलेस लेग सिंड्रोम' की चपेट में चला जाता है ।
इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को 'कार्डियोवैस्कुलर' संबंधित बीमारियां अपना शिकार बना लेती हैं और लगातार पैर हिलाते रहने से ब्लड प्रेशर के साथ-साथ दिल की धड़कनों की गति भी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से आगे चलकर जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है । अब आप ही सोचिए कि हमारे बड़े बुजुर्ग जो कहते हैँ, क्या वो गलत है ?? जो बातेँ हमारे वेदोँ और धर्मग्रंथोँ मेँ कही गयी है, वही बातेँ आज के वैज्ञानिक प्रमाणित कर रहे है