☘️ शून्य योग मुद्रा :श्रवण रोगो से मुक्ति का माध्यम जानिये योग मुद्रा की विधि और लाभों को
पिछले अंक में हमने हस्त मुद्राओं के विभिन्न प्रकार बताकर जल (वरुण ) मुद्रा ज्ञान मुद्रा और वायु मुद्रा प्राण मुद्रा के बारे में विस्तार से बताया। इन योग मुद्राओं को करने का तरीका महत्व और लाभों को भी बताया। इसी कड़ी में हम आज जानेंगे शून्य मुद्रा के बारे में ..
जैसा कि आप जानते ही है कि शरीर में पांच तत्व मौजूद होते हैं और इन तत्वों (elements) के असंतुलित होने पर व्यक्ति व्याधियों से जकड़ जाता है। इन पांच तत्वों की विशेषता हमारे हाथों की उंगलियों में समाहित होती है। हाथ की पांच उंगलियों में वायु तर्जनी उंगली पर, जल छोटी उंगली पर, अग्नि अंगूठे पर, पृथ्वी अनामिका उंगली पर और आकाश (space) मध्यमा उंगली पर स्थित होता है।
आज जानेंगे शून्य मुद्रा को
शून्य मुद्रा
अंगेजी में इसे Mudra of Emptiness कहते है ।
इस मुद्रा को स्वर्ग की मुद्रा (heaven mudra) भी कहा जाता है । शून्य का मतलब होता है आकाश। हमारी मध्यमा उंगली आकाश से संबंध रखती है। इस योग मुद्रा को करने से हमारे शरीर के तत्वों में संतुलन बना रहता है। शून्य मुद्रा हमारी सुनने की क्षमता को बढ़ाती है। इस मुद्रा को करने से मन को बेहद शांति और सुकून मिलता है। शून्य मुद्रा का अभ्यास करने से कानों से न सुनाई देने या कम सुनाई देने की समस्या काफी हद तक ठीक हो जाती है। इसके अलावा कान के दर्द को दूर करने में भी यह मुद्रा फायदेमंद है।
शून्य मुद्रा के लाभ
यह मुद्रा सुनने से जुड़ी समस्याओं का इलाज करती है।
शून्य योग मुद्रा टिनिटस को ठीक करने के लिए बहुत ही बेहतरीन मुद्रा है।
इस मुद्रा को रोजाना करने से यात्रा में होने वाली परेशानी से छुटकारा मिलती है।
यह मुद्रा थायराइड से निजात दिलाने में मदद करती है।
यह मुद्रा शरीर में कही भी सूजन से आराम दिलाती है।
हृदय रोगों को दूर करने, गले की समस्या, आंखों में पानी (watery eye) आने की समस्या को दूर करने और हड्डियों को मजबूत रखने में यह मुद्रा लाभदायक है।
शून्य मुद्रा करने की विधि
समतल फर्श पर स्वच्छ आसन बिछाकर उस पर सुखासन में आराम से बैठ जाएं।
इसके बाद अपनी मध्यमा उंगली (middle finger) को झुकाकर बीच की हड्डी के पास से मोड़ें
इस उंगली के नाखून के ऊपर अपने अंगूठे के पोर को रखें।
हाथ की बाकी तीन उंगलियां अर्थात् तर्जनी,अनामिका और छोटी उंगली को एकदम सीधे और एक दूसरे से अलग रखें।
अब हाथ को घुटने के ऊपर हल्का (slightly) सा जमीन को ओर लटका कर रखें।
हाथ और कंधों को आराम की मुद्रा में रखें और आंखें बंद करके कुछ देर तक शांत बैठे रहें।
यह क्रिया शून्य मुद्रा है इसे आप जब तक चाहे अपना सकते है
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