सिर्फ 10 दिन पके पपीते खाने से जड़ से खत्म हो जाते है ये 3 रोग :-
आपने
पपीते का सेवन कभी ना कभी तो जरुर ही किया होगा| पपीता को आप सब्जी और फल
दोनों बोल सकते है| पपीता जब कच्चा होता है तो इसे लोग सब्जी बनाकर खाते
है| वहीँ जब पपीता पाक जाता है तब इसे फल के रूप में खाया जाता है| आपको
शायद पता ना हो तो मई आपको बता दू की पके पपीता में सभी फलो से ज्यादा गुण
पाए जाते है| इसलिए अगर आप नियमित रूप से पपीते का सेवन करते है तो आपका
शरीर कई बीमारियों से दूर ही रहता है|
पपीता
बालों और त्वचा के लिए भी अच्छा होता है. पपीते का उपयोग उपयोग सलाद के
रूप में भी किया जाता है। तो आइए पपीता के क्या-क्या फायदे हैं और इसका
उपयोग किस-किस तरह से किया जा सकता है। पपीता केवल फल नहीं है यह एक दवाई
भी है क्योंकि यह पेट से दिल तक स्वस्थ्य लाभ पहुंचता है। पपीता एक ऐसा फल
है, जो कच्चा और पका हुआ दोनों ही रूप में खाया जाता है। सबसे अच्छी बात यह
है पपीते में कई तरह के विटामिन मिलते हैं, नियमित रूप से खाने से शरीर
में कभी विटामिन्स की कमी नहीं होती। बीमार व्यक्ति के लिए भी यह बहुत
फायदेमंद होता है। यह आसानी से अवशोषित होकर शारीर को काफी फायदा पहुचता
है। पपीते में पपेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो मांसाहार गलाने के काम आता
है। भोजन पचाने में भी यह अत्यंत सहायक होता है।
पपीता
आसानी से हजम होने वाला फल है। पपीता भूख व शक्ति को बढ़ाता है। यह प्लीहा
(तिल्ली), यकृत (लीवर), पांडु (पीलिया) आदि रोग को समाप्त करता है। पेट के
रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के
सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न
आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस
सेवन करने से अम्लपित्त (खट्टी डकारें) बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग,
हृदय रोग , आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की
सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है। पपीते के पत्तों के उपयोग से
उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है।
पके पपीते खाने के फायदे :
माता-बहनो के लिए : पीरियड के दौरान महिलाओं को पपीते का सेवन जरुर करना चाहिए| पपीते में पाए जाने वाला गुण मासिक चक्र को बनाए रखता है साथ ही उस दौरान होने वाले पेट दर्द को कम करने में मदद करता है|
आँखों की रौशनी : पके पपीते में विटामिन ए और सी भरपूर मात्रा में मौजदू होती है| जिसका सेवन रोजाना 10 दिनों तक करने से आँखों की रौशनी बढती है साथ ही बढती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से भी बचाए रखता है|
मोटापा : अगर आपका वजन काफी ज्यादा है और आप अपने वजन को घटाना चाहते है| तो अपने डाईट में पके पपीते को जरुर शामिल करे| सिर्फ 10 दिनो तक लगातार पके पपीते खाने से आपको अपने शरीर में फर्क दिखना शुरू हो जाएगा|
दिल
की बीमारी- पपीते में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए, सी और इ पाया जाता है।
इस ऑक्सीडेंट से शारीर में कोलेस्ट्रॉल नहीं जम पाता, जिससे वजह से दिल की
बीमारी नहीं होती। इसके अलावा इसमें फाइबर होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को खून
में कंट्रोल कर के रखते हैं।
पाचन
तंत्र के लिये- पपीते के रस में ‘पॅपेइन’ नामक एक तत्त्व पाया जाता है, जो
आहार को पचाने में अत्यंत मददगार साबित होता है। इसमें दस्त और पेशाब साफ
करने का गुण होता है। जिन लोगों को कब्ज की शिकायत हमेशा होती रहती है उनको
पपीते का नियमित सेवन करना चाहिए।
एजिंग रोके-
समय से पहले बूढा होना भला कौन चाहेगा। पपीता इसी को रोकता है। इस फल को
खाने से हमारा शरीर भोजन से सारे पोषण आराम से ग्रहण कर लेता है, जिससे
उसकी जरुरत पूरी हो जाती है। अब अगर शरीर में सारे जरुरी पोषण जाएंगे तो वह
सालों साल जवान दिखता रहेगा।
कील
मुंहासे- सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। पके हुए
पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से मुहांसे और झांई से बचाव किया जाता है।
इससे त्वचा का रूखापन दूर किया जाता है और झुर्रियों को रोका जा सकता है।
इसलिए चेहरे के दाग धब्बों को मिटाने के लिये इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक
है।
कैंसर- पपीते
में एंटी कैंसर के गुंण पाए जाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी, बीटा
कैरोटीन और विटामिन इ शरीर में कैंसर सेल बनने से रोकते हैं। इसलिये आपको
रोज अपनी डाइट में पपीता खाना चाहिये।
आंखों
के लिये- पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है, क्योंकि इसमें विटामिन
‘ए’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से रतौंधी नामक (रात को न
दिखाई देना) रोग का निवारण होता है और आँखों में ज्योंति बढ़ती है। पपीता
से रक्तशुद्धि, पीलिया रोग का निवारण, अनियमित मासिक धर्म में हितकारी तथा
सौंदर्य वृद्धि में सहायक होता है।
दाद : पपीते का दूध निकालकर कुछ दिनों तक दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है।
प्लीहा रोग : प्लीहा रोग से पीड़ित रोगी को पपीता का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे प्लीहा रोग ठीक होता है।
यकृत
(जिगर) रोग : यदि छोटे बच्चों के यकृत (जिगर) खराब रहता हो तो उसे
प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए। पपीता यकृत (जिगर) को ताकत देता है। यह पेट
के सभी रोगों को भी समाप्त करता है। पपीता और सेब खाने से बच्चों के जिगर
की खराबी दूर होती है।
कब्ज़ : कच्चा
पपीता या पका पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। कब्ज से पीड़ित
रोगी को प्रतिदिन सुबह पपीते का दूध पीना चाहिए। इससे कब्ज दूर होकर पेट
साफ होता है। खाना खाने के बाद पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
पपीते के दूध व अदरक के रस में 50 ग्राम अजवाइन मिलाकर छाया में सूखा लें।
सूख जाने पर यह आधा चम्मच की मात्रा में भोजन के तुंरत बाद पानी से लें।
इससे कब्ज दूर होती है। यह गैस बनना, गले व छाती की जलन, भूख का न लगना,
गुदा की खुजली आदि को भी ठीक करता है।
पेट के कीड़े : पपीते के 10 बीजों को पानी में पीसकर चौथाई कप पानी में मिलाकर लगभग 7 दिनों तक लगातार पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
बच्चों के शारीरिक शक्ति व लम्बाई के लिए : जिन बच्चों की शारीरिक लम्बाई कम होती है या शरीर कमजोर होता है, उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए।
बच्चों के शारीरिक शक्ति व लम्बाई के लिए : जिन बच्चों की शारीरिक लम्बाई कम होती है या शरीर कमजोर होता है, उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए।
अपच : आधे चम्मच कच्चे पपीते का दूध चीनी के साथ प्रतिदिन लेने से अपच (भोजन का न पचना) दूर होता है।
पुरानी खाज-खुजली : पपीते का दूध और सुहागा को उबलते पानी में डालकर खाज-खुजली पर लगाने से दाद-खुजली दूर होती है।
नारू रोग : पपीते के पत्तों का रस अफीम में मिलाकर लेप करने से नारू शीघ्र ही बाहर निकल जाता है।
नारू रोग : पपीते के पत्तों का रस अफीम में मिलाकर लेप करने से नारू शीघ्र ही बाहर निकल जाता है।
हृदय
का रोग : पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन पीने से हृदय का रोग ठीक
होता है। इसके सेवन से घबराहट दूर होती है। बुखार में हृदय की कमजोर व
नाड़ी का अधिक तेज चलने के रोग में पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना
चाहिए। पपीते के पत्ते को पानी में उबालकर उसके पानी को छानकर पीने से
हृदय रोग में लाभदायक है।
सौन्दर्य
बढ़ाने के लिए : पके पपीते को छीलकर पीस लें और इसे चेहरे पर लगाएं। इसे
लगाने के 15-20 मिनट के बाद जब यह सूख जाए तो चेहरे को पानी से धो लें और
मोटे तौलिए से चेहरे को अच्छी तरह साफ करें। इसके बाद चेहरे पर तिल या
नारियल का तेल लगाएं। इस तरह इसका उपयोग करने से 1 से 2 सप्ताह में ही
चेहरे के दाग, धब्बे व मुंहासे ठीक हो जाते हैं और चेहरा सुन्दर बनता है।
इससे चेहरे की झुर्रियां व काला घेरा आदि भी दूर होता है।
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आप के अपनों के लिए..!
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पपीते के पत्तो की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म,
पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।
अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।
ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी है जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।
आपके लिए नित नवीन जानकारी कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।
विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।
University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधो से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।
Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता है, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती है, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती है जिनमे मुख्य है।
breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला है, अगर पपीता की पत्तिया कैंसर को खत्म नहीं कर सकती है लेकिन कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती है।।
तो आइये जाने पपीता की पत्तिया कैंसर को कैसे खत्म करती है?
1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।
2. पपीता की पत्तियों में papain नमक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सोर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।
सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।
कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जाने लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।
1. 5 से 7 पपीता के पत्तो को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा ले फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर का दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। और ध्यान रहे के इसको दोबारा गर्म मत करें।
2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अभी इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।
पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।
कब तक करें ये प्रयोग वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी।
यह संदेश सभी को भेजने की नम्र विनंती है!
सिर्फ 10 दिन पके पपीते खाने से जड़ से खत्म हो जाते है ये 3 रोग :-
आपने
पपीते का सेवन कभी ना कभी तो जरुर ही किया होगा| पपीता को आप सब्जी और फल
दोनों बोल सकते है| पपीता जब कच्चा होता है तो इसे लोग सब्जी बनाकर खाते
है| वहीँ जब पपीता पाक जाता है तब इसे फल के रूप में खाया जाता है| आपको
शायद पता ना हो तो मई आपको बता दू की पके पपीता में सभी फलो से ज्यादा गुण
पाए जाते है| इसलिए अगर आप नियमित रूप से पपीते का सेवन करते है तो आपका
शरीर कई बीमारियों से दूर ही रहता है|
पपीता
बालों और त्वचा के लिए भी अच्छा होता है. पपीते का उपयोग उपयोग सलाद के
रूप में भी किया जाता है। तो आइए पपीता के क्या-क्या फायदे हैं और इसका
उपयोग किस-किस तरह से किया जा सकता है। पपीता केवल फल नहीं है यह एक दवाई
भी है क्योंकि यह पेट से दिल तक स्वस्थ्य लाभ पहुंचता है। पपीता एक ऐसा फल
है, जो कच्चा और पका हुआ दोनों ही रूप में खाया जाता है। सबसे अच्छी बात यह
है पपीते में कई तरह के विटामिन मिलते हैं, नियमित रूप से खाने से शरीर
में कभी विटामिन्स की कमी नहीं होती। बीमार व्यक्ति के लिए भी यह बहुत
फायदेमंद होता है। यह आसानी से अवशोषित होकर शारीर को काफी फायदा पहुचता
है। पपीते में पपेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो मांसाहार गलाने के काम आता
है। भोजन पचाने में भी यह अत्यंत सहायक होता है।
पपीता
आसानी से हजम होने वाला फल है। पपीता भूख व शक्ति को बढ़ाता है। यह प्लीहा
(तिल्ली), यकृत (लीवर), पांडु (पीलिया) आदि रोग को समाप्त करता है। पेट के
रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के
सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न
आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस
सेवन करने से अम्लपित्त (खट्टी डकारें) बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग,
हृदय रोग , आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की
सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है। पपीते के पत्तों के उपयोग से
उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है।
पके पपीते खाने के फायदे :
माता-बहनो के लिए : पीरियड के दौरान महिलाओं को पपीते का सेवन जरुर करना चाहिए| पपीते में पाए जाने वाला गुण मासिक चक्र को बनाए रखता है साथ ही उस दौरान होने वाले पेट दर्द को कम करने में मदद करता है|
आँखों की रौशनी : पके पपीते में विटामिन ए और सी भरपूर मात्रा में मौजदू होती है| जिसका सेवन रोजाना 10 दिनों तक करने से आँखों की रौशनी बढती है साथ ही बढती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से भी बचाए रखता है|
मोटापा : अगर आपका वजन काफी ज्यादा है और आप अपने वजन को घटाना चाहते है| तो अपने डाईट में पके पपीते को जरुर शामिल करे| सिर्फ 10 दिनो तक लगातार पके पपीते खाने से आपको अपने शरीर में फर्क दिखना शुरू हो जाएगा|
दिल
की बीमारी- पपीते में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए, सी और इ पाया जाता है।
इस ऑक्सीडेंट से शारीर में कोलेस्ट्रॉल नहीं जम पाता, जिससे वजह से दिल की
बीमारी नहीं होती। इसके अलावा इसमें फाइबर होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को खून
में कंट्रोल कर के रखते हैं।
पाचन
तंत्र के लिये- पपीते के रस में ‘पॅपेइन’ नामक एक तत्त्व पाया जाता है, जो
आहार को पचाने में अत्यंत मददगार साबित होता है। इसमें दस्त और पेशाब साफ
करने का गुण होता है। जिन लोगों को कब्ज की शिकायत हमेशा होती रहती है उनको
पपीते का नियमित सेवन करना चाहिए।
एजिंग
रोके- समय से पहले बूढा होना भला कौन चाहेगा। पपीता इसी को रोकता है। इस
फल को खाने से हमारा शरीर भोजन से सारे पोषण आराम से ग्रहण कर लेता है,
जिससे उसकी जरुरत पूरी हो जाती है। अब अगर शरीर में सारे जरुरी पोषण जाएंगे
तो वह सालों साल जवान दिखता रहेगा।
कील
मुंहासे- सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। पके हुए
पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से मुहांसे और झांई से बचाव किया जाता है।
इससे त्वचा का रूखापन दूर किया जाता है और झुर्रियों को रोका जा सकता है।
इसलिए चेहरे के दाग धब्बों को मिटाने के लिये इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक
है।
कैंसर-
पपीते में एंटी कैंसर के गुंण पाए जाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी, बीटा
कैरोटीन और विटामिन इ शरीर में कैंसर सेल बनने से रोकते हैं। इसलिये आपको
रोज अपनी डाइट में पपीता खाना चाहिये।
आंखों
के लिये- पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है, क्योंकि इसमें विटामिन
‘ए’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से रतौंधी नामक (रात को न
दिखाई देना) रोग का निवारण होता है और आँखों में ज्योंति बढ़ती है। पपीता
से रक्तशुद्धि, पीलिया रोग का निवारण, अनियमित मासिक धर्म में हितकारी तथा
सौंदर्य वृद्धि में सहायक होता है।
दाद : पपीते का दूध निकालकर कुछ दिनों तक दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है।
प्लीहा रोग : प्लीहा रोग से पीड़ित रोगी को पपीता का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे प्लीहा रोग ठीक होता है।
प्लीहा रोग : प्लीहा रोग से पीड़ित रोगी को पपीता का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे प्लीहा रोग ठीक होता है।
यकृत
(जिगर) रोग : यदि छोटे बच्चों के यकृत (जिगर) खराब रहता हो तो उसे
प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए। पपीता यकृत (जिगर) को ताकत देता है। यह पेट
के सभी रोगों को भी समाप्त करता है। पपीता और सेब खाने से बच्चों के जिगर
की खराबी दूर होती है।
कब्ज़
: कच्चा पपीता या पका पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। कब्ज से
पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह पपीते का दूध पीना चाहिए। इससे कब्ज दूर होकर
पेट साफ होता है। खाना खाने के बाद पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती
है। पपीते के दूध व अदरक के रस में 50 ग्राम अजवाइन मिलाकर छाया में सूखा
लें। सूख जाने पर यह आधा चम्मच की मात्रा में भोजन के तुंरत बाद पानी से
लें। इससे कब्ज दूर होती है। यह गैस बनना, गले व छाती की जलन, भूख का न
लगना, गुदा की खुजली आदि को भी ठीक करता है।
पेट
के कीड़े : पपीते के 10 बीजों को पानी में पीसकर चौथाई कप पानी में मिलाकर
लगभग 7 दिनों तक लगातार पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
बच्चों के शारीरिक शक्ति व लम्बाई के लिए : जिन बच्चों की शारीरिक लम्बाई कम होती है या शरीर कमजोर होता है, उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए।
अपच : आधे चम्मच कच्चे पपीते का दूध चीनी के साथ प्रतिदिन लेने से अपच (भोजन का न पचना) दूर होता है।
बच्चों के शारीरिक शक्ति व लम्बाई के लिए : जिन बच्चों की शारीरिक लम्बाई कम होती है या शरीर कमजोर होता है, उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए।
अपच : आधे चम्मच कच्चे पपीते का दूध चीनी के साथ प्रतिदिन लेने से अपच (भोजन का न पचना) दूर होता है।
पुरानी खाज-खुजली : पपीते का दूध और सुहागा को उबलते पानी में डालकर खाज-खुजली पर लगाने से दाद-खुजली दूर होती है।
नारू रोग : पपीते के पत्तों का रस अफीम में मिलाकर लेप करने से नारू शीघ्र ही बाहर निकल जाता है।
नारू रोग : पपीते के पत्तों का रस अफीम में मिलाकर लेप करने से नारू शीघ्र ही बाहर निकल जाता है।
हृदय
का रोग : पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन पीने से हृदय का रोग ठीक
होता है। इसके सेवन से घबराहट दूर होती है। बुखार में हृदय की कमजोर व
नाड़ी का अधिक तेज चलने के रोग में पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना
चाहिए। पपीते के पत्ते को पानी में उबालकर उसके पानी को छानकर पीने से
हृदय रोग में लाभदायक है।
सौन्दर्य
बढ़ाने के लिए : पके पपीते को छीलकर पीस लें और इसे चेहरे पर लगाएं। इसे
लगाने के 15-20 मिनट के बाद जब यह सूख जाए तो चेहरे को पानी से धो लें और
मोटे तौलिए से चेहरे को अच्छी तरह साफ करें। इसके बाद चेहरे पर तिल या
नारियल का तेल लगाएं। इस तरह इसका उपयोग करने से 1 से 2 सप्ताह में ही
चेहरे के दाग, धब्बे व मुंहासे ठीक हो जाते हैं और चेहरा सुन्दर बनता है।
इससे चेहरे की झुर्रियां व काला घेरा आदि भी दूर होता है।
अगर आप को ये जानकारी पसंद आयी तो, इसे शेयर जरूर करे!
आप के अपनों के लिए..!
और हमे कमेंट कर के जरूर बताये.!
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मुक्तांगन द्वारा पपीते के औषधीय गुणों की जानकारी....
पपीता एक ऐसा मधुर फल है जो सस्ता एवं सर्वत्र सुलभ है। यह फल प्राय: बारहों मास पाया जाता है। किन्तु फरवरी से मार्च तथा मई से अक्तूबर के बीच का समय पपीते की ऋतु मानी जाती है।
कच्चे पपीते में विटामिन ‘ए’ तथा पके पपीते में विटामिन ‘सी’ की मात्रा भरपूर पायी जाती है।
आयुर्वेद में पपीता (पपाया) को अनेक असाध्य रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।
संग्रहणी, आमाजीर्ण, मन्दाग्नि, पाण्डुरोग (पीलिया), प्लीहा वृध्दि, बन्ध्यत्व को दूर करने वाला, हृदय के लिए उपयोगी, रक्त के जमाव में उपयोगी होने के कारण पपीते का महत्व हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक हो जाता है।
पपीते के सेवन से चेहरे पर झुर्रियां पड़ना,
बालों का झड़ना,
कब्ज,
पेट के कीड़े,
वीर्यक्षय,
स्कर्वी रोग,
बवासीर,
चर्मरोग,
उच्च रक्तचाप,
अनियमित मासिक धर्म आदि अनेक बीमारियां दूर हो जाती है।
पपीते में कैल्शियम,
फास्फोरस,
लौह तत्व,
विटामिन- ए, बी, सी, डी प्रोटीन,
कार्बोज,
खनिज आदि अनेक तत्व एक साथ हो जाते हैं।
पपीते का बीमारी के अनुसार प्रयोग निम्नानुसार किया जा सकता है।
१) पपीते में ‘कारपेन या कार्पेइन’ नामक एक क्षारीय तत्व होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करता है।
इसी कारण उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोगी को एक पपीता (कच्चा) नियमित रूप से खाते रहना चाहिए।
२) बवासीर एक अत्यंत ही कष्टदायक रोग है चाहे वह खूनी बवासीर हो या बादी (सूखा) बवासीर। बवासीर के रोगियों को प्रतिदिन एक पका पपीता खाते रहना चाहिए। बवासीर के मस्सों पर कच्चे पपीते के दूध को लगाते रहने से काफी फायदा होता है।
३) पपीता यकृत तथा लिवर को पुष्ट करके उसे बल प्रदान करता है।
पीलिया रोग में जबकि यकृत अत्यन्त कमजोर हो जाता है, पपीते का सेवन बहुत लाभदायक होता है।
पीलिया के रोगी को प्रतिदिन एक पका पपीता अवश्य खाना चाहिए। इससे तिल्ली को भी लाभ पहुंचाया है तथा पाचन शक्ति भी सुधरती है।
४) महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म से पीड़ित महिलाओं को ढाई सौ ग्राम पका पपीता प्रतिदिन कम से कम एक माह तक अवश्य ही सेवन करना चाहिए। इससे मासिक धर्म से संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
५) जिन प्रसूता को दूध कम बनता हो, उन्हें प्रतिदिन कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए। सब्जी के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है।
६) सौंदर्य वृध्दि के लिए भी पपीते का इस्तेमाल किया जाता है। पपीते को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर व्याप्त कील मुंहासे, कालिमा व मैल दूर हो जाते हैं तथा एक नया निखार आ जाता है।
इसके लगाने से त्वचा कोमल व लावण्ययुक्त हो जाती है। इसके लिए हमेशा पके पपीते का ही प्रयोग करना चाहिए।
७) कब्ज सौ रोगों की जड़ है। अधिकांश लोगों को कब्ज होने की शिकायत होती है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे रात्रि भोजन के बाद पपीते का सेवन नियमित रूप से करते रहें।
इससे सुबह दस्त साफ होता है तथा कब्ज दूर हो जाता है।
८) समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है।
अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें। आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें।
ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें।
९) नए जूते-चप्पल पहनने पर उसकी रगड़ लगने से पैरों में छाले हो जाते हैं। यदि इन पर कच्चे पपीते का रस लगाया जाए तो वे शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
१०) पपीता का नियमित प्रयोग पुरूषों के लिए भी लाभकारी है !
११) हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक होता है। अगर वे पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से एक कप की मात्रा में रोज पीते हैं तो अतिशय लाभ होता है।
पपीता एक ऐसा मधुर फल है जो सस्ता एवं सर्वत्र सुलभ है। यह फल प्राय: बारहों मास पाया जाता है। किन्तु फरवरी से मार्च तथा मई से अक्तूबर के बीच का समय पपीते की ऋतु मानी जाती है।
कच्चे पपीते में विटामिन ‘ए’ तथा पके पपीते में विटामिन ‘सी’ की मात्रा भरपूर पायी जाती है।
आयुर्वेद में पपीता (पपाया) को अनेक असाध्य रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।
संग्रहणी, आमाजीर्ण, मन्दाग्नि, पाण्डुरोग (पीलिया), प्लीहा वृध्दि, बन्ध्यत्व को दूर करने वाला, हृदय के लिए उपयोगी, रक्त के जमाव में उपयोगी होने के कारण पपीते का महत्व हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक हो जाता है।
पपीते के सेवन से चेहरे पर झुर्रियां पड़ना,
बालों का झड़ना,
कब्ज,
पेट के कीड़े,
वीर्यक्षय,
स्कर्वी रोग,
बवासीर,
चर्मरोग,
उच्च रक्तचाप,
अनियमित मासिक धर्म आदि अनेक बीमारियां दूर हो जाती है।
पपीते में कैल्शियम,
फास्फोरस,
लौह तत्व,
विटामिन- ए, बी, सी, डी प्रोटीन,
कार्बोज,
खनिज आदि अनेक तत्व एक साथ हो जाते हैं।
पपीते का बीमारी के अनुसार प्रयोग निम्नानुसार किया जा सकता है।
१) पपीते में ‘कारपेन या कार्पेइन’ नामक एक क्षारीय तत्व होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करता है।
इसी कारण उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोगी को एक पपीता (कच्चा) नियमित रूप से खाते रहना चाहिए।
२) बवासीर एक अत्यंत ही कष्टदायक रोग है चाहे वह खूनी बवासीर हो या बादी (सूखा) बवासीर। बवासीर के रोगियों को प्रतिदिन एक पका पपीता खाते रहना चाहिए। बवासीर के मस्सों पर कच्चे पपीते के दूध को लगाते रहने से काफी फायदा होता है।
३) पपीता यकृत तथा लिवर को पुष्ट करके उसे बल प्रदान करता है।
पीलिया रोग में जबकि यकृत अत्यन्त कमजोर हो जाता है, पपीते का सेवन बहुत लाभदायक होता है।
पीलिया के रोगी को प्रतिदिन एक पका पपीता अवश्य खाना चाहिए। इससे तिल्ली को भी लाभ पहुंचाया है तथा पाचन शक्ति भी सुधरती है।
४) महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म से पीड़ित महिलाओं को ढाई सौ ग्राम पका पपीता प्रतिदिन कम से कम एक माह तक अवश्य ही सेवन करना चाहिए। इससे मासिक धर्म से संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
५) जिन प्रसूता को दूध कम बनता हो, उन्हें प्रतिदिन कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए। सब्जी के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है।
६) सौंदर्य वृध्दि के लिए भी पपीते का इस्तेमाल किया जाता है। पपीते को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर व्याप्त कील मुंहासे, कालिमा व मैल दूर हो जाते हैं तथा एक नया निखार आ जाता है।
इसके लगाने से त्वचा कोमल व लावण्ययुक्त हो जाती है। इसके लिए हमेशा पके पपीते का ही प्रयोग करना चाहिए।
७) कब्ज सौ रोगों की जड़ है। अधिकांश लोगों को कब्ज होने की शिकायत होती है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे रात्रि भोजन के बाद पपीते का सेवन नियमित रूप से करते रहें।
इससे सुबह दस्त साफ होता है तथा कब्ज दूर हो जाता है।
८) समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है।
अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें। आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें।
ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें।
९) नए जूते-चप्पल पहनने पर उसकी रगड़ लगने से पैरों में छाले हो जाते हैं। यदि इन पर कच्चे पपीते का रस लगाया जाए तो वे शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
१०) पपीता का नियमित प्रयोग पुरूषों के लिए भी लाभकारी है !
११) हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक होता है। अगर वे पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से एक कप की मात्रा में रोज पीते हैं तो अतिशय लाभ होता है।
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