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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

आइये खोजे रसोई में स्वास्थ्य अम्लपित्त (Acidity),एसिड रिफ्लेक्स

आइये खोजे रसोई में स्वास्थ्य

  1= नमक केवल सेन्धा प्रयोग करें। थायराइड, बी पी, पेट ठीक होगा।

2=कुकर स्टील का ही काम में लें। एल्युमिनियम में मिले lead से होने वाले नुकसानों से बचेंगे

3=तेल कोई भी रिफाइंड न खाकर, केवल तिल्, सरसों, मूंगफली, नारियल प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।

4=सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।

5= रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।

6= काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।

7= देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।

8=ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।

9=ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।

10=भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा।
भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।

11=नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन, फाइबर मिलेंगें।

12=सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।

13=चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।

14=चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।

15= छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।

16= चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे

 डस्ट बिन एक रसोई में एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।

綾 रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।

凌 करेले, मैथी, मूली याने कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।

A. पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।

B.प्लास्टिक, एल्युमिनियम रसोई से हटाये, केन्सर कारक हैं।

C.माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग केन्सर कारक है।

D.खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।

E.बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।

F. तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।

凌 मैदा, बेसन, छौले, राजमां, उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।

勒 अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।

燎 बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।

* पानी का फिल्टर R O वाला नहीं, हानिकारक है।
U V वाला ही प्रयोग करें, सस्ता भी और बढ़िया भी।

*  रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।

रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छान कर जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।

.सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।

रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।

एक्यू प्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारी शरीर से निकल जायेगी।

चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।

* रसोई के मसालों से बना चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।

* सर्दियों में नाखून बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।

 सर्दी में बाहर जाते समय, 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा

  रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रखकर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा

 कभी कभी नमक में, हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।

* बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।

* सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय के ताजा दही जरूर शामिल करें, प्रोबायोटिक का काम करेगा

हृदय की बीमारी

आयुर्वेदिक इलाज !!

हमारे देश भारत मे 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे

उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!

उन्होने एक पुस्तक लिखी थी

जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!!

(Astang  hrudayam)

और इस पुस्तक मे उन्होने ने
बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे !

यह उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है !

मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है !

तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अम्लता ) बढ़ी हुई है !

अम्लता आप समझते है !

जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अम्लता दो तरह की होती है !

एक होती है पेट कि अम्लता !

और एक होती है रक्त (blood) की अम्लता !!

आपके पेट मे अम्लता जब बढ़ती है !

तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !!

खट्टी खट्टी डकार आ रही है !

मुंह से पानी निकाल रहा है !

और अगर ये अम्लता (acidity)और बढ़ जाये !

तो hyperacidity होगी !

और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अम्लता  (blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रक्त  (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता !

और नलिया मे blockage कर देता है !

तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !!

और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं !

क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??

वागबट जी लिखते है कि जब रक्त (blood) मे अम्लता (acidity) बढ़ गई है !

तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो क्षारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अम्लीय और क्षारीय !!

acidic and alkaline

अब अम्ल और क्षार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????

acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral

होता है सब जानते है !!

तो वागबट जी लिखते है !

कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है तो क्षारीय(alkaline) चीजे खाओ !

तो रक्त की अम्लता (acidity) neutral हो जाएगी !!!

और रक्त मे अम्लता neutral हो गई !

तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !!

ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो क्षारीय है और हम खाये ?????

आपके रसोई घर मे ऐसी बहुत सी चीजे है जो क्षारीय है !

जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए !

और अगर आ गया है !

तो दुबारा न आए !!

सबसे ज्यादा आपके घर मे क्षारीय चीज है वह है लौकी !!

जिसे दुधी भी कहते है !!

English मे इसे कहते है bottle gourd !!!

जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है !

इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है !

तो आप रोज लौकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !!

या कच्ची लौकी खायो !!
वागवतट जी कहते है रक्त  की अम्लता कम करने की सबसे  ज्यादा ताकत लौकी मे ही है !

तो आप लौकी के रस का सेवन करे !!

कितना सेवन करे ?????????

रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!

या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!

इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय बना सकते है !

इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो

तुलसी बहुत क्षारीय है !!

इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है !

पुदीना बहुत क्षारीय है !

इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले !

ये भी बहुत क्षारीय है !!

लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले !

वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !!

ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रों आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करे !!

2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !!

21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!

कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !!

घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !!

और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे !

डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !!

हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा !!

अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की प्रेरणा से ......

: हल्दी का पानी

 कृपया इस पोस्ट को दूसरे ग्रुप में भेजें
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पानी में हल्दी मिलाकर पीने से होते है यह 7 फायदें.....
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1. गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है. सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है.

2. रोज यदि आप हल्दी का पानी पीते हैं तो इससे खून में होने वाली गंदगी साफ होती है और खून जमता भी नहीं है. यह खून साफ करता है और दिल को बीमारियों से भी बचाता है.
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3. लीवर की समस्या से परेशान लोगों के लिए हल्दी का पानी किसी औषधि से कम नही है. हल्दी के पानी में टाॅक्सिस लीवर के सेल्स को फिर से ठीक करता है. हल्दी और पानी के मिले हुए गुण लीवर को संक्रमण से भी बचाते हैं.
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4. हार्ट की समस्या से परेशान लोगों को हल्दी वाला पानी पीना चाहिए. हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है. जिससे हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है.
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5. जब हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिलाया जाता है तब यह शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों को निकाल देता है जिसे पीने से शरीर पर बढ़ती हुई उम्र का असर नहीं पड़ता है. हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं जो सेहत और सौंदर्य को बढ़ाते हैं.
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6. शरीर में किसी भी तरह की सजून हो और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें. हल्दी में करक्यूमिन तत्व होता है जो सूजन और जोड़ों में होने वाले असाहय दर्द को ठीक कर देता है. सूजन की अचूक दवा है हल्दी का पानी.
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7. कैंसर खत्म करती है हल्दी. हल्दी कैंसर से लड़ती है और उसे बढ़ने से भी रोक देती है. हल्दी एंटी.कैंसर युक्त होती है. यदि आप सप्ताह में तीन दिन हल्दी वाला पानी पीएगें तो आपको भविष्य में कैंसर से हमेशा बचे रहेगें.
हमारे वेदों के अनुसार स्वस्थ रहने के १५ नियम

१- खाना खाने के १.३० घंटे बाद पानी पीना है

२- पानी घूँट घूँट करके पीना है जिस से अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके , पेट में acid बनता है और मुँह में छार ,दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा

३- पानी कभी भी ठंडा ( फ़्रीज़ का  )नहीं पीना  है।

४- सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए २ ग्लास पानी पीना है ,रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही  चाहिए ।

५- खाना ,जितने आपके मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना  है ।

६ -खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा या उखड़ूँ बैठकर ही भोजन करे ।

७ -खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करे जैसे दूध के साथ दही , प्याज़ के साथ दूध , दही के साथ उड़द दल

८ -समुद्री नमक की जगह सेंध्या नमक या काला नमक खाना चाहिए

९-रीफ़ाइन तेल , डालडा ज़हर है इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों , तिल , मूँगफली , नारियल का तेल उपयोग में लाए । सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना ले इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते है , आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते है ।

१०- दोपहर के भोजन के बाद कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद ५०० क़दम पैदल चलना चाहिए

११- घर में चीनी (शुगर )का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में १७ तरह के ज़हर ( केमिकल )मिलाने पड़ते है इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आजकल गुड बनाने में कॉस्टिक सोडा ( ज़हर ) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है इसलिए सफ़ेद गुड ना खाए । प्राकृतिक गुड ही खाये । और प्राकृतिक गुड चोकलेट कलर का होता है। ।

१२ - सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए  ।   

१३- घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन , कुकर नहीं होना चाहिए । हमारे बर्तन मिट्टी , पीतल लोहा , काँसा के होने चाहिए

१४ -दोपहर का भोजन ११ बजे तक अवम शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए  

१५ सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंध्या नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर  ) पीना चाहिए ।     यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए तो आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और देश के ८ लाख करोड़ की बचत होगी । यदि आप बीमार है तो ये नियमों का पालन करने से आपके शरीर के सभी रोग ( BP , शुगर ) अगले ३ माह से लेकर १२ माह में ख़त्म हो जाएँगे  ।

|"सर्दियों में उठायें मेथीदानों से भरपूर लाभ"||*
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➡ मेथीदाना उष्ण, वात व कफनाशक, पित्तवर्धक, पाचनशक्ति व बल वर्धक एवं ह्रदय के लिए हितकर है | यह पुष्टिकारक, शक्ति - स्फूर्तिदायक टॉनिक की तरह कार्य करता है | सुबह – शाम इसे पानी के साथ निगलने से पेट को निरोग बनाता है, कब्ज व गैस को दूर करता है | इसकी मूँग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं | यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी हैं |
➡ अपनी आयु के जितने वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, उतनी संख्या में मेथीदाने रोज धीरे – धीरे चबाना या चूसने से वृद्धावस्था में पैदा होनेवाली व्याधियों, जैसे – घुटनों व जोड़ों का दर्द, भूख न लगना, हाथों का सुन्न पड़ जाना, सायटिका, मांसपेशियों का खिंचाव, बार – बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि में लाभ होता है | गर्भवती व स्तनपान करानेवाली महिलाओं को भुने मेथीदानों का चूर्ण आटे के साथ मिला के लड्डू बना के खाना लाभकारी है |
 शक्तिवर्धक पेय 
दो चम्मच मेथीदाने एक गिलास पानी में ४ – ५ घंटे भिगोकर रखें फिर इतना उबालें कि पानी चौथाई रह जाय | इसे छानकर २ चम्मच शहद मिला के पियें |
 औषधीय प्रयोग 
 कब्ज : २० ग्राम मेथीदाने को २०० ग्राम ताजे पानी में भिगो दें | ५ – ६ घंटे बाद मसल के पीने से मल साफ़ आने लगता है | भूख अच्छी लगने लगती है और पाचन भी ठीक होने लगता है |
‍♀ जोड़ों का दर्द : १०० ग्राम मेथीदाने अधकच्चे भून के दरदरा कूट लें | इसमें २५ ग्राम काला नमक मिलाकर रख लें | २ चम्मच यह मिश्रण सुबह – शाम गुनगुने पानी से फाँकने से जोड़ों, कमर व घुटनों का दर्द, आमवात ( गठिया ) का दर्द आदि में लाभ होता है | इससे पेट में गैस भी नहीं बनेगी |
 पेट के रोगों में : १ से ३ ग्राम मेथीदानों का चूर्ण सुबह, दोपहर व शाम को पानी के साथ लेने से अपच, दस्त, भूख न लगना, अफरा, दर्द आदि तकलीफों में बहुत लाभ होता है |
 दुर्बलता : १ चम्मच मेथीदानों को घी में भून के सुबह – शाम लेने से रोगजन्य शारीरिक एवं तंत्रिका दुर्बलता दूर होती है |
 अंगों की जकड़न : भुनी मेथी के आटे में गुड़ की चाशनी मिला के लड्डू बना लें | १ – १ लड्डू रोज सुबह खाने से वायु के कारण जकड़े हुए अंग १ सप्ताह में ठीक हो जाते हैं तथा हाथ – पैरों में होनेवाला दर्द भी दूर होता है |
 विशेष : सर्दियों में मेथीपाक, मेथी के लड्डू, मेथीदानों व मूँग – दाल की सब्जी आदि के रूप में इसका सेवन खूब लाभदायी हैं |

IMPORTANT

HEART ATTACK &
गर्म पानी पीना

यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं HEART ATTACK
के बारे में भी एक अच्छा लेख है। चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं, ठंडा पानी नहीं। अब हमें भी उनकी यह आदत अपना लेनी चाहिए। जो लोग भोजन के बाद ठंडा पानी पीना पसन्द करते हैं यह लेख उनके लिए ही है।

भोजन के साथ कोई ठंडा पेय या पानी पीना बहुत हानिकारक है क्योंकि ठंडा पानी आपके भोजन के तैलीय पदार्थों को जो आपने अभी अभी खाये हैं ठोस रूप में बदल देता है। इससे पाचन बहुत धीमा हो जाता है। जब यह अम्ल के साथ क्रिया करता है तो यह टूट जाता है और जल्दी ही यह ठोस भोजन से भी अधिक तेज़ी से आँतों द्वारा सोख लिया जाता है। यह आँतों में एकत्र हो जाता है। फिर जल्दी ही यह चरबी में बदल जाता है और कैंसर के पैदा होने का कारण बनता है।

इसलिए सबसे अच्छा यह है कि भोजन के बाद गर्म सूप या गुनगुना पानी पिया जाये। एक गिलास गुनगुना पानी सोने से ठीक पहले अभी पीना चाहिए। इससे खून के थक्के नहीं बनेंगे और आप हृदयाघात से बचे रहेंगे।
एक हृदय रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यदि इस संदेश को पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसे १० लोगों को भेज दे, तो वह कम से कम एक जान बचा सकता ह

 अम्लपित्त (Acidity),एसिड रिफ्लेक्स

१) भोजन करने के बाद दोनों समय एक-एक लौंग प्रातः-सायं चूसने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है और अम्लपित्त से होने वाले सभी रोगों में लाभ होता है।
विशेष-लौंग पाचन क्रिया के ऊपर सीधा हितकारी प्रभाव डालता है। इससे भूख बढ़ती है। आमाशय की रस-क्रिया को बल मिलता है। खाने की रुचि पैदा होती है और मन में प्रसन्नता होती है।
(२) अम्लपित्त के रोगी को धीरे-धीरे चाय छोड़ देना हितकर है।
(३) लौंग बलगम हटाती है, श्वास की शिकायत मिटती है तथा रक्त के श्वेत कणों की वृद्धि में सहायक है। कफ, पित्त, वातनाशक है।
(४) अम्लपित्त में पथ्य-गाय का दूध,अनार का रस, मौसमी, अंगूर, सौंफ, मुनक्का, आँवला, अंजीर, पुराना चावल,खीर, सभी रस युक्त पदार्थ, पेठा, सत्तू का घोल आदि। अपथ्य-उष्ण, अम्ल और कटु रस युक्त पदार्थ, मांस, मदिरा, तेल, उड़द की दाल व सभी पित्त प्रकोपक खाद्य पदार्थ।

विकल्प-
(१) रोजाना दोनों समय खाना खाने के बाद छोपलगेगी। पेट की हवा साफ होगी।

विशेष—
(१) भोजन में प्रथम नमक एवं अदरक का सेवन अग्नि दीपक,रुचिकारक व जीभ तथा कंठ का शोधक है। पेटदर्द, अफारा, बदहजमी, पेचिश और कब्ज का नाशक है।
(२) अदरक और सैंधा नमक के मिश्रण पर यदि कुछ बूंदें नींबू का रस भी निचोड़ कर मिला लें और भोजन के पहले खायें तो अफारा, गुल्म और उदर-शूल नष्ट होता है। अजीर्ण नष्ट होकर अग्नि प्रदीप्त होती है औरभोजन में रुचि पैदा होती है। वायु, कफ, कब्ज एवं आमवात का नाश होता है।

अपने पैरों के तलवों में तेल लगाने से क्या फायदा होता है?

 1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान...