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गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

नींद न आना- (#अनिद्रा रोग) #Insomnia , #घबराहट और #बेचैनी (insomnia #disease)

                                   *अनिद्रा*

*अनिद्रा मानसिक अशांति के कारण,अत्यधिक थकान, गलत खान पान,कब्जियत ,किसी रोग के ग्रस्त,अत्यधिक धूम्रपान मदिरा पान इस रोग के मुख्य कारण है*

*अच्छी और गहरी नींद के लिए*

*आयुर्वेद के अनुसार जिन व्यक्तियों को रात में गहरी नींद आती है तथा वह सुबह के समय 4 बजे अपना बिस्तर छोड़ देते हैं तो इससे उनके शरीर की सभी धातुएं साम्यावस्था में रहती हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का आलस्य नहीं होता है तथा उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है। इससे उनके शरीर की सुन्दरता बढ़ती है, उत्साह बढ़ता है तथा उनकी जठराग्नि प्रदीप्त होती है और उन्हें भूख खुलकर लगती है।*

*यदि हम केवल कार्य ही करते रहें और नींद न लें तो एक समय ऐसा आएगा कि हम शारीरिक और मानसिक रूप से किसी भी कार्य को करने के अयोग्य हो जाएंगे। ऐसी दशा में या तो हम पागल हो जाएंगे अथवा मर जाएंगे। महिलाएं अपने बच्चों के सो जाने पर जगाकर दूध और भोजन इसलिए कराती हैं कि उनके बच्चे भूखे सो गये हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम होता है कि उनके भूख और भोजन से भी अधिक लाभकारी निद्रा होती है। इसी प्रकार छात्र-छात्राएं विभिन्न तरीकों से अपनी नींद को त्यागकर रात भर अध्ययन करते रहते हैं। ऐसा करने से उन विद्यार्थियों की आंखें दुर्बल हो जाती हैं और उनका मस्तिष्क भी कुंठित हो जाता है। इससे उनका प्राकृतिक स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है। नींद के सम्बन्ध में एक कहावत प्रसिद्ध है कि वे व्यक्ति बहुत कुछ कर सकते हैं जो खूब अच्छी प्रकार से सोना जानते हैं।*
               *गहरी नींद लाने के सरल उपाय :*

*1• नियमित रूप से व्यायाम करने से भी हमें गहरी नींद आती है जो कि हमारे शरीर के लिए अधिक उपयोगी होती है।*

*2• जो व्यक्ति अधिक परिश्रम करते हैं उन्हें हमेशा गहरी नींद आती है जबकि आलसी और निठल्ले व्यक्तियों को नींद नहीं आती है और वे रातभर करवटे बदलते रहते हैं।*

*3• हमें प्रतिदिन प्रसन्न और शांत मन से सोना चाहिए। इससे हमें गहरी नींद आती है।*

*4• हमें सूर्यास्त होने से पहले ही रात्रि का भोजन कर लेना चाहिए ताकि सोने से पहले हमारा भोजन पूर्णरूप से पच चुका हो। इस प्रकार का नियम रखने से हमें गहरी नींद आती है। बिलकुल खाली पेट और अधिक पेट भरा होने पर अच्छी नींद नहीं आती है। सोने से पहले दूध पीने से भी अच्छी नींद आती है।*

*5• गहरी नींद के लिए प्रतिदिन हमें शौच के बाद ठंडे पानी से अपने गुप्तांगों, हाथ-पैरों और मुंह को धोकर सोना चाहिए।*

*6• हमारे सोने की जगह शांत-स्वच्छ और हवादार होनी चाहिए तथा बिस्तर भी साफ-सुथरा होना चाहिए। शांत और अंधेरे स्थान में सोने से भी गहरी नींद आती है।*

*7• सोते समय मनुष्य की स्थिति का उसके स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है वैसे तो जिस व्यक्ति को जिस करवट सोना अच्छा लगता है उसे उसी करवट ही सोना चाहिए। किंतु प्रायः चित्त होकर सोने से नींद में स्वप्न अधिक आते हैं। छाती पर हाथों को रखकर उत्तान सोना तो बिल्कुल ही खराब है। बाईं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इससे श्वासनली सीधी रहती है और शरीर में प्राणवायु का संचार बिना किसी रोक-टोक के होता रहता है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि शरीर के बाईं ओर की नाड़ी को इड़ा तथा दाहिनी ओर की नाड़ी को पिंगला कहते हैं। इड़ा नाड़ी में चन्द्रमा की तथा पिंगला नाड़ी से सूर्य की शक्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार चन्द्रमा की ठंडक के साथ सूर्य की गर्मी मिलने से मनुष्य प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहता है। यही कारण है कि बाईं करवट सोने वाले व्यक्ति काफी लम्बी उम्र वाले होते हैं। फिर भी जिन्हें हृदय सम्बंधी रोग हो तो उन्हें बाईं ओर की करवट न सोकर दाहिनी ओर की करवट लेकर सोना ही अधिक लाभकारी होता है।*

*8• क्रोध, घृणा, प्रेम, चिंता, अधिक भोजन, अधिक परिश्रम, रोग, भय, चाय, जर्दा, काफी, शोरगुल तथा सोने के कमरे में तेज रोशनी होने से नींद कम आती है। जहां तक हो सके हमें इससे बचना चाहिए।*

*9• बिस्तर पर लेटने के बाद कंघी से बालों को धीरे-धीरे संवारने से जल्द और गहरी नींद आती है।*

*10• हमें प्रतिदिन अपने मन को एकाग्रचित रखने के बाद ही सोना चाहिए। ऐसा करने हमें बहुत अच्छी नींद आती है। सोने से पहले हमें कुछ देर तक अवश्य टहलना चाहिए। इस दौरान हमें मस्तिष्क पर बिल्कुल भी जोर नहीं देना चाहिए।*

*11• नींद लेने के लिए हमें भूलकर भी नींद की गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि नींद की गोलियों का हमारे शरीर पर घातक प्रभाव होता है।*

*12• सोने से पहले मंत्र “सोऽहम्´´ का जाप करने से भी अच्छी नींद आती है। इससे 10 मिनट के अन्दर ही नींद आ जाती है। इस मंत्र के उच्चारण के लिए सांस लेते समय “सो´´ और सांस को बाहर निकालते समय “हम“ कहना चाहिए*।

*13• बूढ़े व्यक्तियों को 24 घंटों में केवल एक बार भोजन करने से उन्हें अच्छी नींद आती है।*

*14• सोते समय सिर को ऊंचा और बाकी धड़ को नीचा रखना चाहिए। इससे गहरी और अच्छी नींद आती है। सिर को ऊंचा रखने के लिए सिर के नीचे तकिया रखना चाहिए।*

*15• सोने से पहले अपने दोनों पैरों को 5-10 मिनट तक हल्के गर्म पानी में रखते हैं। इससे मस्तिष्क में एकत्रित रक्त पैरों की तरफ उतर आएगा क्योंकि मस्तिष्क में अधिक रक्त होने के कारण गहरी नींद नहीं आती है। ऐसा करने से हमारा मस्तिष्क ठंडा हो जाता है जिससे अच्छी नींद आती है।*

*16• ठंडे पानी से स्नान करने के बाद गर्म कपडे़ पहनकर सोने से भी अच्छी नींद आती है।सोते समय हमें हल्के कपड़े पहनने चाहिए।*

*17• सोते समय दक्षिण या पूर्व की ओर सिर करके ही सोना चाहिए*

*18. केले की चाय के सेवन से*

*19. दालचीनी या हल्दी या घी डालकर गर्म दूध के सेवन से*

*20. मेथी के दाने को हाथ के दोनों अगूंठे के नाखून के पास चिपकाने से*

*21. पँचगगव्य नासिकाधृत या देशी गाय का घी नाक में डालने से*

*22 सरसो तेल या आँवला तेल में कपूर मिलाकर सर की मालिश करने से*

*23 रात्रि को सोने से पहले गर्म पानी से पैर धोने व तलवो की सिकाई कर तलवो पर सरसो तेल की मालिस करने से*

*24 2 चम्मच शहद में एक चम्मच प्याज का रस मिलाकर चाटने से*

*25 रात्रि भोजन के बाद पत्ता गोभी का सलाद चबा चबा कर खाने या सेब का मुरब्बा खाने से*

*26  पपीता की सब्जी या पका पपीता खाने से*

*27  आँवले के रस में जायफ़ल चूर्ण मिलाकर पीने से*

*28 जायफ़ल को पानी में घिस कर चाटने से*

*29 जायफ़ल के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से*

*30 जायफ़ल को पानी में घिस कर पलको पर लगाने से*

*31  मेहंदी के पत्तो को पीस कर तलवो पर लगाने से*

*32  दोपहर में दही या छाछ में काला नमक सौफ कालीमिर्च मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से*

*33 5 ग्राम पीपरामूल को मिश्री के साथ खाने से*

*34 रात्रि को भोजन के बाद घूमे भोजन जल्दी व हल्का करें दिन में शारीरिक मेहनत करें*

*नींद लेने का निर्धारित समय :*

*आमतौर पर प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को 7-8 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए। जिस प्रकार प्रत्येक प्राणी के लिए भोजन की मात्रा निर्धारित करना आसान नहीं होता है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के लिए नींद का निश्चित समय निर्धारित करना मुश्किल नहीं होता है। आमतौर पर देखा जाता है कि कुछ व्यक्तियों की नींद बहुत जल्द ही पूरी हो जाती है तो कुछ व्यक्ति पूरी रात सोते हैं परन्तु इसके बावजूद भी उनकी नींद पूरी नहीं होती है। नवजात शिशु प्राकृतिक रूप से अधिक सोता है। इसका कारण यह होता है कि उसे अपने शरीर की वृद्धि और विकास के लिए अधिक नींद की आवश्यकता होती है। नवजात शिशु कम से कम 15-16 घंटे प्रतिदिन सोता है। वृद्धों, रोगियों, प्रसूता महिलाओं और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को सामान्य लोगों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता होती है। महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा अधिक नींद की आवश्यकता होती है तथा गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक नींद लाभदायक होती है।*

*अधिक नींद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक:*

*आवश्यकता से अधिक नींद लेना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अधिक सोने से उम्र घटती है। इसी प्रकार नींद पूरी किये बिना ही उठ जाना रोगों का कारण होता है। अधिक नींद लेने से हमारे शरीर में भारीपन आता है और शरीर में मोटापा बढ़ता है और आलस्य और सुस्ती भी आती है। हमें सोने के लिए अधिक समय पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि गहरी नींद के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि 4 घंटे की गहरी नींद 8 घंटे की स्वप्नयुक्त नींद से अच्छी होती है।*
*नींद न आने की बीमारी से हमेसा के लिए छुटकारा देगा यह 5 मिनट का चमत्कारिक प्रयोग*
*परिचय-*
*रात में नींद न आना अथवा रात को देर तक जगे रहने को अनिद्रा (Anidra)कहते हैं।*

* अनिद्रा का कारण *

*★ अनिद्रा रोग का खास कारण चिंता को माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति अति उत्तेजित है, अवसाद जैसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है, कैफीन जैसे उत्तेजक पदार्थ लेता है, गंदे वातावतण में रहता है, ज्यादा मेहनत करता है, बासी और गरिष्ठ भोजन का सेवन करता है, धूम्रपान करता है, नींद की गोलियां लेता है, नशा ज्यादा करता है, तो उसे अनिद्रा का रोग हो सकता है। अनिद्रा रोग का एक कारण स्नायु-संस्थान की गड़बड़ी होना भी हो सकता है।*

*लक्षण-*
*★ आंखों का लाल होना, आंखों में नींद भरी होना, किसी भी काम में मन न लगना आदि अनिद्रा रोग के लक्षण होते हैं।*

*उपचार-*
*1 ★ अनिद्रा रोग को दूर करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपनी नींद को पूरा करना चाहिए। रोगी को रात को जल्दी एक्यूप्रेशर चिकित्सा से उपचार करने के लिए हाथ की कलाई के पास तथा कंधे से छाती के पास के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देसो जाना चाहिए, सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करना चाहिए, हरी घास पर नंगे पांव चलना चाहिए, हल्के गुनगुने पानी से नहाना चाहिए, मन-मस्तिष्क को शांत रखना चाहिए। रोगी के स्नायु-संस्थान और पाचनतंत्र से सम्बन्धित केन्द्र बिन्दुओं पर प्रेशर देना चाहिए। अगर अनिद्रा रोग का कारण मनोवैज्ञानिक हो तो किसी अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।*

*2 ★ एक्यूप्रेशर चिकित्सा से उपचार करने के लिए हाथ की कलाई के पास तथा कंधे से छाती के पास के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से तथा पैरों पर टखने से ऊपर और टखने के पास के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से रोगी का अनिद्रा रोग धीरे-धीरे कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। प्रेशर रोगी की सहनशक्ति के अनुसार प्रतिदिन कुछ सेकेण्ड के लिए देना चाहिए।*

*3 ★ अनिद्रा रोग को ठीक करने के लिए एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा मस्तिष्क, पाचनतंत्र तथा स्नायुसंस्थान से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर कुछ दिनों तक प्रतिदिन कुछ मिनट के लिए 3 बार प्रेशर देने से अनिद्रा रोग ठीक हो जाता है। इसके अलावा चित्र में दिए गए प्रतिबिम्ब बिन्दुओं (जो कि पीठ की रीढ़ के हड्डी के दोनों तरफ हैं), पर नियमित रूप से रोजाना प्रेशर देने पर कुछ ही दिनों में अनिद्रा रोग ठीक हो जाता है। इस प्रकार प्रेशर देने से स्नायु-संस्थान के कार्य में सुधार हो जाता है जिसके फलस्वरूप अनिद्रा रोग दूर हो जाता है।*
*4★ अनिद्रा रोग का खास कारण चिंता को माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति अति उत्तेजित है, अवसाद जैसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त है, रात को सोने से पहले हाथ-पैरों के अंगूठे तथा अंगुलियों पर प्रेशर देने से नींद अच्छी आती है। इसके अलावा दाएं हाथ की अंगुलियों और बाएं हाथ की अंगुलियों को आपस में जोड़कर (जैसा कि चित्र में दिया गया है ठीक उसी प्रकार करके) प्रेशर देने से अनिद्रा रोग दूर हो जाता है। इस प्रकार चिकित्सा करने से तनाव दूर होता है जिसके फलस्वरूप नींद अच्छी आती है।*

*5 ★ दोनों हाथों की कलाई के पास अनिद्रा को दूर करने के लिए जो प्रतिबिम्ब बिन्दु होता है उस पर प्रेशर देने से अनिद्रा रोग दूर हो जाता है।*
*अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी के सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें*
*मेरी दिल की तम्मना है हर इंसान का स्वस्थ स्वास्थ्य के हेतु समृद्धि का नाश न हो इसलिये इन ज्ञान को अपनाकर अपना व औरो का स्वस्थ व समृद्धि बचाये। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और जो भाई बहन इन सामाजिक मीडिया से दूर हैं उन्हें आप व्यक्तिगत रूप से ज्ञान दें।*
             नींद न आना- (अनिद्रा रोग) Insomnia
परिचय-
यह रोग कई बार तो किसी दूसरे रोग का लक्षण होता है इसलिए इस रोग को ठीक करने के लिए ऐसी औषधियों को उपयोग करना चाहिए जो किसी ऐसे रोग को ठीक करता हो जिसमें नींद न आने के लक्षण उत्पन्न होता है। ऐसे औषधि जहां इस रोग को ठीक करेगी, वही वह नींद भी लाने में मदद करेगी। हाम्योपैथी में सिर्फ नींद लाने के लिए कोई विशेष औषधि नहीं है और प्रत्येक औषधि का नींद पर प्रभाव पड़ता है इसलिए मुख्य-रोग के लिए चुनाव ही ऐसी औषधि का होना चाहिए जिस में मुख्य रोग के लक्षणों के साथ नींद के लक्षण भी हों।
नींद लाने के लिए बार-बार कॉफिया औषधि का सेवन करना होम्योपैथी चिकित्सा नहीं है, हां यदि नींद न आना ही एकमात्र लक्षण हो दूसरा कोई लक्षण न हो तब इस प्रकार की औषधियां लाभकारी है जिनका नींद लाने पर विशेष-प्रभाव होता है- कैल्केरिया कार्ब, सल्फर, फॉसफोरस, कॉफिया या ऐकानाइट आदि।

कारण :-
सिर में रक्त की अधिकता, सिर का अधिक ठंडा होना, अधिक खाना, उपवास, बहुत ज्यादा चाय या कॉफी का सेवन करना, मानसिक उत्तेजना होना, कब्ज की समस्या होना या अधिक चिंता होना आदि कारणों से यह रोग होता है। कई प्रकार के रोग होने के कारण से भी नींद न आने की शिकायत हो सकती है।

विभिन्न औषधियों से चिकित्सा-

1. लाइकोडियम- दोपहर के समय में भोजन करने के बाद नींद तेज आ रही हो और नींद खुलने के बाद बहुत अधिक सुस्ती महसूस हो तो इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए लाइकोडियम औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।

2. चायना- रक्त-स्राव या दस्त होने के कारण से या शरीर में अधिक कमजोरी आ जाने की वजह से नींद न आना या फिर चाय पीने के कारण से अनिद्रा रोग हो गया हो तो उपचार करने के लिए चायना औषधि 6 या 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक है।

3. कैल्केरिया कार्ब - इस औषधि की 30 शक्ति का उपयोग दिन में तीन-तीन घंटे के अंतराल सेवन करने से रात के समय में नींद अच्छी आने लगती है। यह नींद किसी प्रकार के नशा करने के समान नहीं होती बल्कि स्वास्थ नींद होती है।

4. कॉफिया - खुशी के कारण नींद न आना, लॉटरी या कोई इनाम लग जाने या फिर किसी ऐसे समाचार सुनने से मन उत्तेजित हो उठे और नींद न आए, मस्तिष्क इतना उत्तेजित हो जाए कि आंख ही बंद न हो, मन में एक के बाद दूसरा विचार आता चला जाए, मन में विचारों की भीड़ सी लग जाए, मानसिक उत्तेजना अधिक होने लगे, 3 बजे रात के बाद भी रोगी सो न पाए, सोए भी तो ऊंघता रहें, चौंक कर उठ बैठे, नींद आए भी ता स्वप्न देखें। इस प्रकार के लक्षण रोगी में हो तो उसके इस रोग का उपचार करने के लिए कॉफिया औषधि की 200 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। यह नींद लाने के लिए बहुत ही उपयोगी औषधि है। यदि गुदाद्वार में खुजली होने के कारण से नींद न आ रही हो तो ऐसी अवस्था में भी इसका उपयोग लाभदायक होता है। रोगी के अनिद्रा रोग को ठीक करने के लिए कॉफिया औषधि की 6 या 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।

5. जेल्सीमियम - यदि उद्वेगात्मक-उत्तेजना (इमोशनल एक्साइटमेंट) के कारण से नींद न आती हो तो जेल्सीमियम औषधि के सेवन से मन शांत हो जाता है और नींद आ जाती है। किसी भय, आतंक या बुरे समाचार के कारण से नींद न आ रही हो तो जेल्सीमियम औषधि से उपचार करने पर नींद आने लगती है। बुरे समाचार से मन के विचलित हो जाने पर उसे शांत कर नींद ले आते हैं। अधिक काम करने वाले रोगी के अनिंद्रा रोग को ठीक करने के लिए जेल्सीमियम औषधि का उपयोग करना चाहिए। ऐसे रोगी जिनकों अपने व्यापार के कारण से रात में अधिक बेचैनी हो और नींद न आए, सुबह के समय में उठते ही और कारोबार की चिंता में डूब जाते हो तो ऐसे रोगियों के इस रोग को ठीक करने के लिए जेल्सीमियम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

6. ऐकोनाइट - बूढ़े-व्यक्तियों को नींद न आ रही हो तथा इसके साथ ही उन्हें घबराहट हो रही हो, गर्मी महसूस हो रही हो, चैन से न लेट पाए, करवट बदलते रहें। ऐसे बूढ़े रोगियों के इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए ऐकोनाइट औषधि की 30 का उपयोग करना लाभकारी है। यह औषधि स्नायु-मंडल को शांत करके नींद ले आती है। किसी प्रकार की बेचैनी होने के कारण से नींद न आ रही हो तो रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइट औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

7. कैम्फर - नींद न आने पर कैम्फर औषधि के मूल-अर्क की गोलियां बनाकर, घंटे आधे घंटे पर इसका सेवन करने से नींद आ जाती है।

8. इग्नेशिया - किसी दु:ख के कारण से नींद न आना, कोई सगे सम्बंधी की मृत्यु हो जाने से मन में दु:ख अधिक हो और इसके कारण से नींद न आना। इस प्रकार के लक्षण से पीड़ित रोगी को इग्नेशिया औषधि की 200 शक्ति का सेवन करना चाहिए। यदि किसी रोगी में भावात्मक या भावुक होने के कारण से नींद न आ रही हो तो उसके इस रोग का उपचार इग्नेशिया औषधि से करना लाभदायक होता है। हिस्टीरिया रोग के कारण से नींद न आ रही हो तो रोग का उपचार करने के लिए इग्नेशिया औषधि की 200 शक्ति का उपयोग करना फायदेमंद होता है। यदि रोगी को नींद आ भी जाती है तो उसे सपने के साथ नींद आती है, देर रात तक सपना देखता रहता है और रोगी अधिक परेशान रहता है। नींद में जाते ही अंग फड़कते हैं नींद बहुत हल्की आती है, नींद में सब-कुछ सुनाई देता है और उबासियां लेता रहता है लेकिन नींद नहीं आती है। ऐसे रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए इग्नेशिया औषधि का उपयोग करना उचित होता है। मन में दु:ख हो तथा मानसिक कारणों से नींद न आए और लगातार नींद में चौक उठने की वजह से नींद में गड़बड़ी होती हो तो उपचार करने के लिए इग्नेशिया औषधि की 3 या 30 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी है।

9. बेलाडोना - मस्तिष्क में रक्त-संचय होने के कारण से नींद न आने पर बेलाडोना औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। रोगी के मस्तिष्क में रक्त-संचय (हाइपरमिया) के कारण से रोगी ऊंघता रहता है लेकिन मस्तिष्क में थाकवट होने के कारण से वह सो नहीं पाता। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए के लिए भी बेलाडोना औषधि उपयोगी है। रोगी को गहरी नींद आती है और नींद में खर्राटें भरता है, रोगी सोया तो रहता है लेकिन उसकी नींद गहरी नहीं होती। रोगी नींद से अचानक चिल्लाकर या चीखकर उठता है, उसकी मांस-पेशियां फुदकती रहती हैं, मुंह भी लगतार चलता रहता है, ऐसा लगता है मानो वह कुछ चबा रहा हो, दांत किटकिटाते रहते हैं। इस प्रकार के लक्षण होने के साथ ही रोगी का मस्तिष्क शांत नहीं रहता। जब रोगी को सोते समय से उठाया जाता है तो वह उत्तेजित हो जाता है, अपने चारों तरफ प्रचंड आंखों (आंखों को फाड़-फाड़कर देखना) से देखता है, ऐसा लगता है कि मानो वह किसी पर हाथ उठा देगा या रोगी घबराकर, डरा हुआ उठता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए बेलाडोना औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी है। अनिद्रा रोग को ठीक करने के लिए कैमोमिला औषधि का उपयोग करने पर लाभ न मिले तो बेलाडोना औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करें।

10. काक्युलस- यदि रात के समय में अधिक जागने के कारण से नींद नहीं आ रही हो तो ऐसे रोगी के इस लक्षण को दूर करने के लिए काक्युलस औषधि की 3 से 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। जिन लोगों का रात के समय में जागने का कार्य करना होता है जैसे-चौकीदार, नर्स आदि, उन्हें यदि नींद न आने की बीमारी हो तो उनके के लिए कौक्युलस औषधि का उपयोग करना फायदेमंद है। यदि नींद आने पर कुछ परेशानी हो और इसके कारण से चक्कर आने लगें तो रोग को ठीक करने के लिए कौक्युलस औषधि का उपयोग करना उचित होता है।

11. सल्फर - रोगी की नींद बार-बार टूटती है, जारा सी भी आवाजें आते ही नींद टूट जाती है, जब नींद टूटती है तो रोगी उंघाई में नहीं रहता, एकदम जाग जाता है, रोगी की नींद कुत्ते की नींद के समान होती है। रोगी के शरीर में कहीं न कहीं जलन होती है, अधिकतर पैरों में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए सल्फर औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

12. नक्स वोमिका - रोगी का मस्तिष्क इतना कार्य में व्यस्त रहता है कि वह रात भर जागा रहता है, व्यस्त मस्तिष्क के कारण नींद न आ रही हो, मन में विचारों की भीड़ सी लगी हो, आधी रात से पहले तो नींद आती ही नहीं यादि नींद आती भी है तो लगभग तीन से चार बजे नींद टूट जाती है। इसके घंटे बाद जब वह फिर से सोता है तो उठने पर उसे थकावट महसूस होती है, ऐसा लगता है कि मानो नींद लेने पर कुछ भी आराम न मिला हो। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए नक्स वोमिका औषधि का उपयोग कर सकते हैं।

किसी रोगी को आधी रात से पहले नींद नहीं आती हो, शाम के समय में नींद नहीं आती हो और तीन या चार बजे नींद खुल जाती हो, इस समय वह स्वस्थ अनुभव करता है लेकिन नींद खुलने के कुछ देर बाद उसे फिर नींद आ घेरती है और तब नींद खुलने पर वह अस्वस्थ अनुभव करता है, इस नींद के बाद तबीयत ठीक नहीं रहती। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए नक्स वोमिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।

कब्ज बनना, पेट में कीड़ें होना, अधिक पढ़ना या अधिक नशा करने के कारण से नींद न आए तो इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए नक्स वोमिका औषधि की 6 या 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

13.पल्स - रोगी शाम के समय में बिल्कुल जागे हुए अवस्था में होता है, दिमाग विचारों से भरा हो, आधी रात तक नींद नहीं आती, बेचैनी से नींद बार-बार टूटती है, परेशान भरे सपने रात में दिखाई देते हैं, गर्मी महसूस होती है, उठने के बाद रोगी सुस्त तथा अनमाना स्वभाव का हो जाता है। आधी रात के बाद नींद न आना और शाम के समय में नींद के झोकें आना, रोगी का मस्तिष्क व्यस्त हो अन्यथा साधारण तौर पर तो शाम होते ही नींद आती है और 3-4 बजे नींद टूट जाती है, इस समय रोगी रात को उठकर स्वस्थ अनुभव करता है, यह इसका मुख्य लक्षण है-शराब, चाय, काफी से नींद न आए। ऐसी अवस्था में रोगी को पल्स औषधि का सेवन कराना चाहिए।
14. सेलेनियम - रोगी की नींद हर रोज बिल्कुल ठीक एक ही समय पर टूटती है और नींद टूटने के बाद रोग के लक्षणों में वृद्धि होने लगती है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी का उपचार करने के लिए सेलेनियम औषधि का उपयोग कर सकते हैं।

15. ऐम्ब्राग्रीशिया - रोगी अधिक चिंता में पड़ा रहता है और इस कारण से वह सो नहीं पाता है, वह जागे रहने पर मजबूर हो जाता है। व्यापार या कोई मानसिक कार्य की चिंताए होने से नींद आने में बाधा पड़ती है। सोने के समय में तो ऐसा लगता है कि नींद आ रही है लेकिन जैसे ही सिर को तकिए पर रखता है बिल्कुल भी नींद नहीं आती है। इस प्रकार की अवस्था उत्पन्न होने पर रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्राग्रीशिया औषधि की 2 या 3 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है। इस औषधि का उपयोग कई बार करना पड़ सकता है।

16. फॉसफोरस - रोगी को दिन के समय में नींद आती रहती है, खाने के बाद नींद नहीं आती लेकिन रात के समय में नींद बिल्कुल भी नहीं आती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए फॉसफोरस औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
वृद्ध-व्यक्तियों को नींद न आ रही हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए सल्फर औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
आग लगने या संभोग करने के सपने आते हों और नींद देर से आती हो तथा सोकर उठने के बाद कमजोरी महसूस होता हो तो इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए फॉसफोरस औषधि का उपयोग किया जा सकता है।
रोगी को धीरे-धीरे नींद आती है और रात में कई बार जाग पड़ता है, थोड़ी नींद आने पर रोगी को बड़ा आराम मिलता है, रोगी के रीढ़ की हड्डी में जलन होती है और रोग का अक्रमण अचानक होता है। ऐसे रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए फॉसफोरस औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना अधिक लाभकारी है।


17. टैबेकम- यदि स्नायविक-अवसाद (नर्वस ब्रेकडाउन) के कारण से अंनिद्रा रोग हुआ हो या हृदय के फैलाव के कारण नींद न आने के साथ शरीर ठंडा पड़ गया हो, त्वचा चिपचिपी हो, घबराहट हो रही हो, जी मिचलाना और चक्कर आना आदि लक्षण हो तो रोग को ठीक करने के लिए टैबेकम औषधि की 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

18. ऐवैना सैटाइवा - स्नायु-मंडल पर ऐवैना सैटाइवा औषधि का लाभदायक प्रभाव होता है। ऐवैना सैटाइवा जई का अंग्रेजी नाम है। जई घोड़ों को ताकत के लिए खिलाई जाती है जबकि यह मस्तिष्क को ताकत देकर अच्छी नींद लाती है। कई प्रकार की बीमारियां शरीर की स्नायु-मंडल की शक्ति को कमजोर कर देती है जिसके कारण रोगी को नींद नहीं आती है। ऐसी स्थिति में ऐवैना सैटाइवा औषधि के मूल-अर्क के 5 से 10 बूंद हल्का गर्म पानी के साथ लेने से स्नायुमंडल की शक्ति में वृद्धि होती है जिसके परिणाम स्वरूप नींद भी अच्छी आने लगती है। अफीम खाने की आदत को छूड़ाने के लिए भी ऐवैना सैटाइवा औषधि का उपयोग किया जा सकता है।

19. स्कुटेलेरिया - यदि किसी रोगी को अंनिद्रा रोग हो गया हो तथा सिर में दर्द भी रहता हो, दिमाग थका-थका सा लग रहा हो, अपनी शक्ति से अधिक काम करने के कारण उसका स्नायु-मंडल ठंडा पड़ गया हो तो ऐसे रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए स्कुटेलेरिया औषधि का प्रयोग आधे-आधे घंटे के बाद इसके दस-दस बूंद हल्का गर्म पानी के साथ देते रहना चाहिए, इससे अधिक लाभ मिलेगा।

20. सिप्रिपीडियम - अधिक खुशी का सामाचार सुनकर जब मस्तिष्क में विचारों की भीड़ सी लग जाए और इसके कारण से नींद न आए या जब छोटे बच्चे रात के समय में उठकर एकदम से खेलने लगते हैं और हंसते रहते हैं और उन्हें नींद नहीं आती है। ऐसे रोगियों के अनिद्रा रोग को ठीक करने के लिए सिप्रिपीडियम औषधि के मूल-अर्क के 30 से 60 बूंद दिन में कई बार हल्का गर्म पानी के साथ सेवन कराना चाहिए। रात में अधिक खांसी होने के कारण से नींद न आ रही हो तो सिप्रिपीडियम औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप खांसी से आराम मिलता है और नींद आने लगती है।

21. कैमोमिला - दांत निकलने के समय में बच्चों को नींद न आए और जंहाई आती हो और बच्चा औंघता रहता हो लेकिन फिर भी उसे नींद नहीं आती हो, उसे हर वक्त अनिद्रा और बेचैनी बनी रहती है। ऐसे रोगियों के इस रोग को ठीक करने के लिए कैमोमिला औषधि की 12 शक्ति का सेवन कराने से अधिक लाभ मिलता है।

22. बेल्लिस पेरेन्नि स- यदि किसी रोगी को सुबह के तीन बजे के बाद नींद न आए तो बेल्लिस पेरेन्निस औषधि के मूल-अर्क या 3 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी है।

23. कैनेबिस इंडिका- अनिद्रा रोग (ओब्सीनेट इंसोम्निया) अधिक गंभीर हो और आंखों में नींद भरी हुई हो लेकिन नींद न आए। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए कैनेबिस इंडिका औषधि के मूल-अर्क या 3 शक्ति का उपयोग करना फायदेमंद है। इस प्रकार के लक्षण होने पर थूजा औषधि से भी उपचार कर सकते हैं।

24. पल्सेटिला- रात के समय में लगभग 11 से 12 बजे नींद न आना। इस लक्षण से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए पल्सेटिला औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।

25. सिमिसि- यदि स्त्रियों के वस्ति-गन्हर की गड़बड़ी के कारण से उन्हें अनिद्रा रोग हो तो उनके इस रोग का उपचार करने के लिए सिमिसि औषधि की 3 शक्ति का उपयोग किया जाना चाहिए।

26. साइना- पेट में कीड़ें होने के कारण से नींद न आने पर उपचार करने के लिए साइना औषधि की 2x मात्रा या 200 शक्ति का उपयोग करना लाभदाक है।

27. पैसिफ्लोरा इंकारनेट- नींद न आने की परेशानी को दूर करने के लिए यह औषधि अधिक उपयोगी होती है। उपचार करने के लिए इस औषधि के मल-अर्क का एक बूंद से 30 बूंद तक उपयोग में लेना चाहिए।

नींद लाने के लिए कुछ अन्य उपाय :-


*सोने से पहले मुंह, गर्दन का पिछला भाग, कान और दोनों पैर ठंडे पानी से धोए।
सोने से पहले हल्का गर्म पानी में एक कपड़े को डालकर उसे अच्छी तरह से निचोड़ ले और फिर इसके बाद इससे पुरे शरीर से को पोछे और थोड़ी देर बाद घूमने के लिए जाना चाहिए तथा इसके बाद सोना चाहिए इससे अच्छी नींद आती है।
रोगी को भारी पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
ऊंची तकिए पर सिर रखकर सोना चाहिए*
 
नंगे पैर घास पर चलने से सेहत को है लाभ जानिये ये भी आप ...
 
डॉ राव पी सिंह

गर्मी शुरू हो गयी है तो आप सवेरे जल्दी भी उठ सकते है सुबह यदि भ्रमण घास में हो तो ये फायदे भी मिलेंगे आपको ..
 
1सबसे पहला फायदा तो यह है, कि दिनभर आप अपने पैर जूते या चप्पलों से पैक रखते हैं, ऐसे में नंगे पैर खुली हवा में रहने से, पैरों को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है, रक्त संचार बेहतर होता है, जि‍ससे उनकी थकान या दर्द खत्म हो जाता है।

2नंगे पैर पैदल चलने से वे सारी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है, जिनका उपयोग जूते-चप्पल पहनने के दौरान नहीं होता। मतलब आपके पैरों के अलावा, उससे जुड़े सभी शारीरिक भाग सक्रिय हो जाते हैं।

3 नंगे पैर पैदल चलते वक्त, आपके पंजों का निचला भाग सीधे धरती के संपर्क में आता है, जिससे एक्युप्रेशर के जरिए सभी भागों की एक्सरसाईज होती है, और कई तरह की बीमारियों से निजात मिलती है।

4 प्राकृतिक तौर पर धरती की उर्जा पैरों के जरिए आपके पूरे शरीर में संचारित होती है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे आपको भूमि तत्व से संबंधित रोग नहीं होते।

5 दिनभर जूते-चप्पल पहनकर आप चलने में जरूर संतुलन बनाए रखते हैं, परंतु नंगे पैर चलना आपके शरीर की सभी इंद्रियों के संतुलन की प्राकृतिक चेतना को बरकरार रखने में मदद करता है।

6 नंगे पैर चलने से शरीर में प्राकृतिक रूप से उर्जा बनी रहती है, और इससे शरीर के अंग अधिक सक्रिय, सुडौल व उपयोगी बनते हैं। इसके साथ ही आपका रक्तसंचार भी बेहतर होता है।

7 नंगे पैर चलना एक तरह से प्रकृति के साथ, खुद के और करीब आने जैसा है। इसके जरिए आप खुद के प्रति अधिक जागरूक होते हैं और पहले से अधिक संवेदनशील होते हैं।
8 इस प्रयोग से उर्जा का स्तर बढ़ने के साथ ही, तनाव, हाईपरटेंशन, जोड़ों में दर्द, नींद न आना, हृदय संबंधी समस्या, ऑथ्राईटिस, अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्याएं भी समाप्त होती है, और रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है 
 
घबराहट और बेचैनी
आज हर एक व्यक्ति घबराहट या बेचैनी की समस्या से ग्रसित है| आज की बदली हुई लाइफस्टाइल के कारण युवा पीढ़ी में समस्या देखी जा सकती है| किसी भी बात पर दिल घबराना, धड़कने तेज़ हो जाना, ब्लड प्रेशर लो हो जाना आदि घबराहट के प्रमुख लक्षण है|

घबराहट के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है| आइये जानते है कि घबराहट की परेशानी कैसे हम घरेलू नुस्खों को अपनाकर दूर कर सकते है|

1 ग्रीन टी पीयें - ग्रीन टी में कुछ ऐसी विशेषताएं पाई जाती है घबराहट पैदा करने वाले तत्वों को रोक देते है| ग्रीन टी पीने से आपका ब्लड प्रेशर नॉर्मल रहेगा| आप नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन करेंगे तो थोड़े हो समय में घबराहट की समस्या दूर हो जाएगी|

2 नीबू की चाय का सेवन करें - नीबू की चाय के सेवन से घबराहट की समस्या दूर हो जाती है| नीबू से शरीर की थकान कम हो जाती है| यदि आप घबराहट की समस्या से परेशान है तो आप दूध की चाय पीना छोड़ दें व नीबू की चाय का सेवन शुरू कर दें|

3 साबुत अनाज का करें सेवन - घबराहट को दूर करने के लिए आप साबुत अनाज को प्रयोग में लाएं| इससे आपको घबराहट की समस्या से राहत मिलेगी|

4 बादाम खाएं - बादाम में आयरन और जिंक भरपूर मात्रा में मौजूद होते है जो मस्तिष्क की बीमारियों को ठीक रखते है| यदि आप रोज़ाना बादाम का सेवन करते है तो आपको घबराहट की बीमारी नहीं हो सकती|

5 सेहत के लिए बेहद गुणकारी हैं नारियल पानी, हर रोज पिये!

6: चॉकलेट खाएं - चॉकलेट तनाव को कम करती है| चॉकलेट खाने से दिमाग में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होता है जिससे घबराहट नहीं होती|

सबसे प्रभावी उपाय:
अगर आप धार्मिक व्यक्ति है तो सांसो पर ध्यान लगाते हुए, आंखों को बंद कर
ॐ का जाप करे। कैसी भी घबराहट या बेचैनी  में शांत हो जाएगी। नियमित अभ्यास कीजिए। इससे घबराहट बेचैनी डिप्रेशन जैसी अनेक मानसिक शारीरिक विकार में फायदा होता है।

सावधानियां
कृपया मधुमेह, उच्चरक्तचाप, हृदयरोगी और गर्भवती स्त्रियां इन उपायों को करने के पूर्व पूर्ण आश्वस्त हो जाये तभी उपयोग करे।

 नींद न आना- (#अनिद्रा रोग) #Insomnia , Not to be sleepy (insomnia #disease) Insomnia
 
 

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