चिरायता - Chirata (Swertia Chirata)
🌿 चिरायता एक बहुत ही प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ीबूटी है जिसका उपयोग मुख्य रूप से संक्रामक और सूजन की स्थिति जैसे बुखार, त्वचा रोगों के उपचार में किया जाता है।
🌿 चिरायता अपने ड्राइ, तीखे, गर्म और कड़वी प्रकृति के कारण त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के संतुलन को बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट, ग्लाइकोसाइड्स और एलिकॉइड होते हैं।
चिरायता के फायदे :
1. चिरायता पाउडर बढ़ाएँ प्रतिरक्षा (Immunity)
2. रक्त को शुद्ध करें
3. त्वचा रोगों में प्रभावी
4. चिरायता का उपयोग बुखार के लिए
5. रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखें
लिवर में उपयोगी
6. वजन को कम करने में मदद
7. जोड़ो के लिए
8. चिरायता के औषधीय गुण करें 9. कैंसर से रक्षा
10. कब्ज का इलाज
11. आंत में कीड़ों से छुटकारा
चिरायता-उपयोग सावधानियाँ
चिरायता एक आयुर्वेदिक औषधि है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका उपयोग करना हानिकारक हो सकता है।
कुछ लोग इसकी कड़वाहट को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं जिससे उन्हें उल्टी सकती है।
यह बच्चों और स्तनपान कराने वाली मां को देने के लिए सुरक्षित है। लेकिन खुराक की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए।
गर्भावस्था में इसके उपयोग के लिए चिकित्सा सलाह मांगना सबसे अच्छा है।
यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। कई बार चिरायता के अधिक इस्तेमाल से रक्त में शर्करा की मात्रा जरूरत से ज्यादा कम हो जाती है, जो गंभीर हो सकती है। इसलिए मधुमेह रोगियों को इसके उपयोग के समय एहतियात की आवश्यकता होती है।
#भोजन के प्रकार
4 प्रकार से भोजन करने के लिए बताया जाता था।*
👉🏿1) #पहला भोजन- जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो, वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होती है।
👉🏿2) #दूसरा भोजन- जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई ,पाव लग गया, वह भोजन की थाली भिष्टा के समान होता है।
👉🏿3) #तीसरे प्रकार का भोजन -जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, केश पड़ा हो, वह दरिद्रता के समान होता है।
👉🏿4)#चौथे नंबर का भोजन -अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह चारों धाम के प्रसाद के तुल्य भोजन हो जाता है।
सुबह के स्नान को चार उपनाम दिए है।
1 मुनि स्नान।
जो सुबह 4 से 5 के बीच किया जाता है।
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2 देव स्नान।
जो सुबह 5 से 6 के बीच किया जाता है।
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3 मानव स्नान।
जो सुबह 6 से 8 के बीच किया जाता है।
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4 राक्षसी स्नान।
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है।
▶️मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
▶️देव स्नान उत्तम है।
▶️मानव स्नान सामान्य है।
▶️राक्षसी स्नान निषेध माना जाता है ।
किसी भी मानव को 8 बजे के पहले स्नान करना चाहिए।
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मुनि स्नान .......
👉🏻 सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
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देव स्नान ......
👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
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मानव स्नान.....
👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगलमय प्रदान करता है।
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राक्षसी स्नान.....
👉🏻 दरिद्रता, हानि, कलेश, धन हानि, परेशानी प्रदान करता है । गंदगी फैला सकता है
पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।
खास कर जो घर की स्त्री होती थी। चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो, पत्नी के रूप में हो, बहन के रूप में हो।
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घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते। सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।
ऐसा करने से आप के घर में सदैव प्रसन्नता वास करती है।
उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था, और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता।
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उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है।
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प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता, उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है।
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इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये और उन का पालन भी करे।
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आप का भला हो, आपके अपनों का भला हो।
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मनुष्य अवतार बार बार नही मिलता।
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☝🏼 याद रखियेगा ! 👇🏽
संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।
सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।
पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगे।
अपनी अँगुलियों के नाम और उनसे जुड़े पंच तत्वों के बारे में बताओ ।
जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1) जल - कनिष्का
(2) पृथ्वी - अनामिका
(3) आकाश - मध्यमा
(4) वायू - तर्जनी
(5) अग्नि - अँगुष्ठ
5 नीचे जगह हँसना पाप समान है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शोक में
4. मन्दिर में
5. कथा में
अकेले हो? मित्र को याद करो ।
परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।
उदास हो?
कथाए पढो ।
टेन्शन मे हो?
भगवत गीता या रूचीपुर्न विज्ञान पढो ।
फ्री हो?
व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है
आरती---के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।
'' विज्ञान मे बताया गया है कि...
खाने से आधा घंटे पहले 'पानी' पीना
अमृत"है..
खाने के बीच मे 'पानी/छाछ, सूप, तरल पेय' पीना शरीर की
''पूजा'' है...
खाने के बाद 'पानी' पीना"
बीमारीयो का घर है...
बेहतर है खाना खत्म होने के दो से ढाई घंटे बाद 'पानी 'पीये...
ये बात उनको भी बतायें जो आपको प्यारे है...
मन्दिर जाओ,
तनाव से मुक्ति ।
रोज कथा सुनो या सुना दो,
मन को शान्ति मिलेगी ।।
"चेहरे के लिए ताजा पानी"।
"मन के लिए गीता की बाते"।
"सेहत के लिए योग-व्यायाम"।
खुश रहने के लिए
अच्छी बाते फैलाना यही पुण्य है।
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