* संगीत द्वारा इलाज*
- *कैंसर का इलाज*
- कैंसर और कुछ नहीँ जब हम लंबे समय तक किसी एक नकारात्मक विचार को सोचते रहते है तो उसके प्रभाव से कोशिकाएं कमजोर हो जाती है और जो स्थान सब से ज्यादा कमजोर हो जाता है वहां फोड़ा हो जाता है जो जल्दी से ठीक नहीँ होता ।
-अगर हम भगवान को याद करते है तो उनकी तरंगो से प्रत्येक कोशिका का उपचार हो जाता है ।
-अगर भगवान को याद करते हुये संगीत सुनते है तो बहुत तीव्रता से ठीक होना शुरू हो जाते हैं ।
-संगीत भी कोशिकाओं को प्रभावित करता हैं । इसलिए इस रोग से पीड़ित लोग अगर 24 घंटे संगीत सुने जो कि बहुत सहज है । योग में तो मेहनत है । संगीत में कोई मेहनत नहीँ है ।
-आप बस भगवान या इष्ट के फोटो को मन में या सामने रख लो और देखते रहो और संगीत सुनते रहो । आप का कैसा भी रोग हो ठीक हो जाएगा ।
-संगीत मानव शरीर के अंदर मेटाबोलिक गतिविधियों को बढ़ाता है ।
-संगीत आंतरिक स्राव को प्रभावित करता है और मांसपेशियों की गतिविधियों में सुधार करता है ।
- प्रत्येक संगीत एक न्यूरोलॉजिकल आवेग में बदल जाता है ।
-संगीत मस्तिष्क के क्षेत्रों को सक्रिय करता है 1
-संगीत चिकित्सा स्मृति दोष , भाषा दोष, व्यवहार, गठिया, उच्च रक्तचाप आदि को भी ठीक करता है ॥
- संगीत का सीधा संबंध मन से है ये मन पर कितना असर डालता है ये शोध का विषय है |
- किशोर और युवा आयु के लोगो को म्यूजिक थेरेपी दी जाये तो वे कैंसर के रोग का बेहतर सामना कर सकते है |
-संगीत के माध्यम से जानलेवा कैंसर का इलाज किया जा सकता है।
-कैंसर की जड़ें शरीर की कोशिकाओं को केंकड़े की तरह जकड़ लेती हैं।
- संगीत की तरंगे और भगवान क़ी याद शरीर की कोशिकाओं को
आराम पहुंचाती है, जिससे कैंसर से ग्रसित कोशिकाओं के लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है।
- धीरे धीरे संगीत के माध्यम से ये कोशिकाएं समर्थ हो जाती हैं और कैंसर खत्म होना शुरू हो जाता है।
- कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने के लिए संगीत हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।
-कई देशो में संगीत के प्रयोग से कैंसर रोगी फायदा उठा रहे हैं।
-अस्पतालों में रोगियों के लिए तानपुरा की ध्वनि जिनमें हर समय बजती है, ऐसे उपकरण लगाए गए हैं।
-वहां कैंसर ही नहीं, बल्कि ऐसे मरीज जो कॉमा में गए हैं, उनको भी इस म्यूजिक के सुनने से लाभ मिल रहा है।
-तीन वाद्य तंत्र सितार, वीणा और गिटार से निकलने वाली ध्वनियां हमारे तंतुओं को राहत पहुंचाती हैं।
-इन वाद्य तंत्रों से निकलने वाली तरंगे शरीर की निष्क्रिय कोशिकाओं में ऊर्जा भर देती हैं, जिससे मन, मस्तिष्क बड़ी सूझ बूझ के साथ कार्य करता है।
-इन वाद्य यंत्रों की ध्वनियां डिप्रेशन से भी उबारने का काम करती हैं। जहां तनाव से मुक्ति मिली, आधी बीमारियां तो स्वतः ही भाग जाती हैं।
- कैंसर के पीड़ित मरीज को सुबह के समय भैरव, भैरवी, तोड़ी और शाम के समय माल कोंस, दरबारी, कल्याण मारवा और पूर्वी आदि राग सुनने चाहिए।
- ये राग हमारे शरीर में होम्योपैथी की दवा की तरह धीमे-धीमे कार्य करते हैं।