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मंगलवार, 18 अगस्त 2020

What is depression, #डिप्रेशन (#अवसाद) क्या है, क्या होता है #DEPRESSION

                    * डिप्रेशन(अवसाद) क्या है * 

नमस्कार दोस्तों मैं हूं डॉक्टर मनीष शर्मा और मैं आज आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आया हूं अतः इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और अधिक से अधिक शेयर करें।
                    * डिप्रेशन (अवसाद) के प्रकार *


*1.मेजर डिप्रेशन -*

प्रमुख अवसाद (major depression) में व्यक्ति गहरे निराशा और आशाहीन्ता में चला जाता है। इस अवसाद के लक्षण व्यक्ति के काम करने, अध्ययन करने, सोने, खाने और आनन्ददायक गतिविधियों का आनंद लेने की क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं। मेजर अवसाद केवल एक बार हो सकता है लेकिन अकसर यह जीवन भर में कई बार होता है।

*2.डायस्टिमिया या क्रोनिक अवसाद -*

डायस्टिमिया को लम्बे समय से चल रहें अवसाद के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह अवसाद का गंभीर रूप नहीं है, लेकिन इस अवसाद के लक्षण लंबे समय तक कई वर्षों तक रह सकते हैं। जो लोग डायस्टियमिया से पीड़ित होते हैं, वे आमतौर पर सामान्य रूप से कार्य करने में सक्षम होते हैं पर हमेशा नाखुश लगते हैं। 



*3.सीजनल इफेक्टिव या मौसम प्रभावित डिप्रेशन -*

मौसम प्रभावित डिप्रेशनहर हर साल एक ही समय में आता है। आम तौर पर यह स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और वसंत या गर्मियों की शुरुआत में समाप्त होता है। मौसम प्रभावित डिप्रेशन का एक दुर्लभ रूप समर डिप्रेशन (गर्मी के अवसाद) के रूप में जाना जाता है। यह वसंत या गर्मियों की शुरुआत में शुरू होता है और स्प्रिंग में समाप्त होता है।
जो लोग सीजनल इफेक्टिव डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनमें प्रमुख अवसाद के लक्षण होते हैं जैसे उदासी, चिड़चिड़ापन सामान्य गतिविधियों में रूचि ना होता, सामाजिक गतिविधियों से भागना और ध्यान केंद्रित करने में कमी आदि।



*4.सायकोटिक डिप्रेशन -*

लोग जो मानसिक अवसाद के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं इनमें लगभग 25% लोग सायकोटिक डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं। अवसाद के लक्षणों के अतिरिक्त सायकोटिक डिप्रेशन वाले लोगों में मतिभ्रम - उन चीजों को देखना या सुनना जो वास्तव में नहीं हैं या भ्रम - तर्कहीन विचार और भय के लक्षण भी दीखते हैं।



*5.बाइपोलर डिप्रेशन -*

इस डिप्रेशन में मन लगातार कई हफ़्तो तक या महिनों तक बहुत उदास या फिर बहुत अत्यधिक खुश रहता है। उदासी में नकारात्मक विचार तथा मैनिक डिप्रेशन में ऊँचे ऊँचे विचार आते हैं। इसमें पीड़ित व्यक्ति का मन बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाता रहता है। इस बीमारी में इंसान के व्यवहार में अचानक बदलाव देखने को मिलता है। कभी मरीज बहुत खुश तो कभी बहुत उदास रहता है।



 *डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण -*

▪उदासी, दुख, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, हताशा।
▪आनंददायक या मजेदार गतिविधियों में भाग ना लेना।
▪बहुत अधिक नींद या बहुत कम नींद आना।
▪एनर्जी में कमी, अस्वस्थ भोजन की लालसा करना।
▪दुसरो से अलग रहना,बेचैनी, चिंतित रहना।
▪स्पष्ट रूप से सोचने या निर्णय लेने में परेशानी, काम या स्कूल में खराब प्रदर्शन।
▪अपराधबोध होना,मन में आत्मघाती विचार लाना।
▪सिर या मांसपेशियों में दर्द रहना।
▪दवा या शराब का दुरुपयोग करना।

 *डिप्रेशन (अवसाद) के कारण*

▪ *डिप्रेशन का कारण हो सकता है आनुवंशिकी -*
अवसाद वंशानुगत से हो सकता। यदि आपके परिवार में पहले किसी सदस्य को कभी अवसाद हुआ हो तो आप भी अवसाद का अनुभव कर सकते हैं। अभी तक यह पता नहीं चला है की अवसाद में कौन सा जीन शामिल है।

▪ *अवसाद का कारण हैं दिमाग में परिवर्तन -*
मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters), विशेष रूप से सेरोटोनिन ( serotonin), डोपामाइन (dopamine) या नोरेपेनेफ्रिन (norepinephrine) खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं और अवसाद की स्तिथि में ये असंतुलित हो सकते हैं। अभी तक इसके कारण का सही पता नहीं चला है। एन्टीडिप्रेंटेंट्स न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित करने का काम करता है। यह मुख्यतः सेरोटोनिन को संतुलित करता है। न्यूरोट्रांसमीटर संतुलन से बाहर क्यों निकल जाते हैं और यह अवसादग्रस्त में क्या भूमिका है इसका अभी तक पता नहीं चला है।

▪ *डिप्रेशन का कारण है हार्मोन परिवर्तन -*
हार्मोन उत्पादन या हार्मोन के कामकाज में परिवर्तन से भी अवसाद की शुरुआत हो सकती है। हार्मोन में भी बदलाव जैसे रजोनिवृत्ति, प्रसव, थायरॉयड समस्या या अन्य विकार के दौरान बदलाव भी अवसाद का कारण बन सकते हैं।

▪ *मौसम में परिवर्तन है डिप्रेशन का कारण -*

जैसे-जैसे सर्दियों के दिन आते हैं और दिन छोटे हो जाते हैं, बहुत से लोग सुस्ती, थकान और रोज़मर्रा के कार्यों में रूचि ना रख पाना अनुभव करते हैं। इस समस्या को मौसम प्रभावित विकार (SAD) कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर सर्दियां ख़त्म होने पर समाप्त हो जाती है जब दिन लम्बे हो जाते हैं।


*जीवन में बड़ा परिवर्तन है डिप्रेशन का कारण -*

कोई ट्रॉमा, जीवन में बड़ा परिवर्तन या संघर्ष अवसाद जैसी समस्या को बढ़ा सकता है। किसी प्रियजन को खो देना, नौकरी से निकाल दिया जाना, धन से सम्बंधित परेशानियों का सामना करना या कोई और गंभीर बदलाव लोगों में अवसाद की समस्या को जन्म देते हैं।

               *डिप्रेशन (अवसाद) से बचाव -*

▪ *1. डिप्रेशन से बचने के लिए आहार -*
यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ है कि कुछ खाद्य पदार्थ हमें खुश महसूस कराते हैं।


                   *डिप्रेशन में क्या खाएं -*

मनोदशा (mood) को बढ़ाने वाले ऐसे भोजन का सेवन करें जो ट्रिप्टोफैन, ओमेगा -3 फैटी एसिड और फोलिक एसिड से समृद्ध हो जैसे शतावरी, अंडे, हल्दी, कद्दू बीज आदि। ये घटक सेरोटिन (serotin) के स्तर में वृद्धि करने में मदद करते हैं जो आपके मूड में सुधार लाते हैं। बादाम और काजू के सेवन के साथ साथ सुबह में हरी चाय पीने से भी तनाव जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है।

*अवसाद से बचने के लिए क्या नहीं खाएं -*
कैफीन, निकोटीन और शराब आपकी स्थिति के लिए खराब हैं। सभी प्रकार के फास्ट फूड, हाइड्रोजनीकृत तेल, ट्रांस फैट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और आर्टिफीशियल स्वीटनर्स का सेवन नहीं करें।

▪ *2. अवसाद से निकलने का उपाय है व्यायाम -*
व्यायाम या योगासन जैसे हलासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, शवासन आदि अवसाद के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

▪ *3. डिप्रेशन को दूर करने के उपाय हैं पवित्र शास्त्र -*
मानसिक आध्यात्मिकता (mental spirituality) से संबंधित अच्छी किताबें या उपन्यास पढ़ें। भजन सुनें और पवित्र शास्त्र पढ़ें। यह आपको आंतरिक शांति प्रदान करते हैं और आपके मन में सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करते हैं।

▪ *4. अवसाद से बचाव में सुनें मधुर संगीत -*
अपने चारों ओर ख़ुशी का माहौल बनाने के लिए संगीत की मदद लें। लेकिन उदास या दिल टूटने वाले गीतों को न सुनें। मधुर और अच्छे गाने सुनें।

▪ *5. डिप्रेशन की दवा है जल्दी उठना, जल्दी सोना -*
सूर्योदय के साथ जागें, देर रात तक ना जागते रहें। 10 बजे के बाद जागते रहना और 6 बजे के बाद सोते रहना भावनात्मक तनाव पैदा करता है और आपकी मनोदशा को सुस्त और उदास बनाता है।

* 'डिप्रेशन' क्या है,  और इस बीमारी का इलाज  यानी नैराश्य, यानी मन और मानस का असहयोग, यानी प्रकृति से तादात्म्य न हो पाना या जीवन से आस्था उठ जाना। डिप्रेशन यानी जीने का नकारात्मक रवैया, स्वयं से अनुकूलन में असमर्थता आदि। जब ऐसा हो जाए तो उस व्यक्ति विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि का ही आभास होता है।

यदि ऐसा क्षणिक हो तो उसे स्वाभाविक या व्यावहारिक मानना होगा, किंतु यह मनःस्थिति और मानसिकता अगर सतत बनी रहे तो परिणाम निश्चित तौर पर घातक होंगे। यह प्रतिकूलता व्याधि और विकृति को जन्म देगी। जीवन तक को नकार सकता है ऐसा व्यक्ति। पहले समाज, फिर परिवार और अंत में स्वयं से कटने लगता है वह।

'डिप्रेशन' का कारण वातावरण परिस्थिति, स्वास्थ्य, सामर्थ्य, संबंध या किसी घटनाक्रम से जुड़ा हो सकता है। शुरुआत में व्यक्ति को खुद नहीं मालूम होता, किंतु उसके व्यवहार और स्वभाव में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगता है। कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है।

ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला न छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषणकतई न करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएं और कारण जानने का प्रयत्न करें।

मैत्रीपूर्ण वातावरण में प्रभावोत्पादक तरीके से जीवन की सच्चाई उसके सामने रखें और आत्मीयता से उसे 'प्राणायाम' के लिए राजी करें। सर्वप्रथम पद्मासन करवाएं। फिर प्राणायाम के छोटे-छोटे आवर्तन करवाएं। बीच में गहरी श्वास लेने दें। आप देखेंगे 'डिप्रेशन' घटता जा रहा है। चित्त शांत हो रहा है। नाड़ीशोधन प्राणायाम के पश्चात ग्रीष्मकाल में 'शीतली' और शीतकाल में सावधानी से 'मस्त्रिका' प्राणायाम करवाएं।

प्राणायाम के दो आवर्तनों के पश्चात 'ॐ' नाद करवा दें। प्रथम स्तर पर 'ओ' दीर्घ करवाएं, जिससे ग्रीवा के अंदरूनी स्नायु कंपन, लय और बल पाकर सहज हों। तत्पश्चात 'ओ' लघु से दीर्घनाद करवाएँ। इसके कंपन मस्तिष्क, अधर-ओष्ठ और तालू को प्रभावित करेंगे। अनुभूत आनंद से चेहरे के खिंचाव और तनाव की स्थिति स्वतः जाती रहेगी। यदि ऐसा होने लगे तो समझिए आप कामयाब हो रहे हैं अपने 'मिशन' में। इसके बाद थोड़ा विश्राम। फिर श्वासन। अनिद्रा जनित 'डिप्रेशन' का रोगी ऐसे में सोना चाहता है। उसे भरपूर नींद ले लेने दें।

ये प्रक्रियागत परिणाम तुरंत प्राप्त होते हैं। इनके दीर्घकालीन स्थायित्व के लिए प्रयत्न में निरंतरता रखी जानी अनिवार्य है। सदैव अनुभवसिद्ध योग विशेषज्ञ ही से संपर्क किया जाना चाहिए।
 क्या होता है DEPRESSION❓

🔘 DEPRESSION डिप्रेशन की स्थिति तब होती है जब हम जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक (NEGATIVE ATTITUDE ) रूप से सोचने लगते हैं।

🔘 जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो इंसान को अपनी ज़िंदगी बेकार लगने लगने लगती है और धीरे धीरे इंसान डिप्रेशन की स्थिति मे पहुँच जाता है।

🔘 चिंता और तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोन (HORMONES) का LEVEL  बढ़ता जाता है,जिनमें एड्रीनलीन (ADRENALINE) और कार्टिसोल (CORTISOL) प्रमुख हैं। लगातार तनाव(STRESS) और चिंता(TENSION) की स्थिति अवसाद यानि की DEPRESSION में बदल जाती है।


🖥️ मनोविज्ञानिक लक्षण
 (PSYCHOLOGICAL SYMPTOMS)

१ -  निरन्तर चिंता करना
२ -  स्वस्थ के विषय में चिंता करना
३ -  नकारात्मक विचार आना
४ - भ्रामक विचार
५ - काम में मन ना लगना
६ - स्वभाव चिड़चिड़ा होना
७ - छोटो छोटी बातो पर गुस्सा आना
८ -  भ्रम करना
९ -  मनःस्थिति में बदलाव
१० - पागलो जैसा बर्ताव करना
११ - अकेला रहना
१२ -  बुरे सपने आना
१३ -  खुश न रहना
१४ -  स्ट्रेस लेना
१५ - कम बोलना
१६ - डर लगन

🙎🏻‍♂️ शारीरिक लक्षण
 (PHYSICAL SYMPTOMS)

१ - सर दर्द होना
२ - दिल का काँपना
३ - खाना निगलने में मुश्किल
४ - उल्टी आने को होना
५ -  बार बार बाथरूम जाना
६ - पीला पड़ना
७ - श्वास छोटा होना
८ - चक्कर आना
९ - मासपेशियों में दर्द
१० - दिल की धड़कन तेज होना
११ - शरीर का काँपना
१२ - पसीना आना
१३ - ब्लड प्रेशर कम ज्यादा होना
१४ - थकावट होना

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📚 डिप्रेशन होने का मुख्य कारण 📚

🙇🏻‍♂️ कोई प्रॉब्लम बड़ी नही होती है    

🔘 बल्कि हम उस प्रॉब्लम को सोच सोच कर बड़ी कर देते है

🔘 संसार दुःखों का घर है। अनेक कारणों से दुःख पैदा होते है। परंतु दुःख का मूल कारण है, दो शब्द :-

🙎🏻‍♂️ सहमती और दूसरा असहमती

🔘 जब हम किसी बात या घटना के साथ सहमत होते है तो दुःख नहीं होता। जब घटना से असहमत होते है तो दुःख होता है।

🔘 अचानक अधिक बरसात, गर्मी या सर्दी पड़ गई। अगर हम सहमत होते है कि यह तो प्रभु कि इच्छा व ड्रामा है तो हम दुःखी नहीं होगे। अगर हम असहमत होते है कि इतनी बरसात, गर्मी व सर्दी नहीं पड़नी चाहिये थी तो हमे दुःख होगा।

🔘 माँ बाप बच्चों को भगवान की सौगात समझ, सहमत होते है तो दुःख नहीं होगा अगर दूसरों के बच्चों से तुलना करते है तो यह असहमती है, इस से दुःख पैदा होगा।

🔘 बच्ची की शादी हमारी सहमती से होती है तो हम खुश होते है। अगर वह भाग कर शादी करा ले तो हमारी सहमती नहीं होती , इसलिये हमे दुःख होता है।

🔘 हम व्यक्तियों को कंट्रोल नहीं कर सकते। उनके व्यवहार, गाली, बुरे शब्दों से सहमत हो जाये, ये नादान है तो हमे दुःख नहीं होगा, जब हम असहमत होंगे तो दुःख होगा।

🔘 इसलिये जिंदगी में कोशिश करो, जो घटनाएँ, बातें, व्यवहार होते है उनके साथ सहमती बनायी जाये, इससे हम दुःख से बचे रहेंगे।

🔘 किसी दूसरे की टाँग टूट जाये तो हम मानते है की यह ड्रामा है यह तो होना ही था इसलिये हमे दुःख नहीं होता।

🔘 अगर हमारी टाँग टूट जाये तो हम दुःखी हो जाते है क्योंकि हम मानते है की ड्रामा में यह नहीं होना चाहिये था।

🔘 माँ बाप को हम चुन नहीं सकते ये तो हमारे हम ने पिछले जनम मे जैस करम किए है उस पर आधारित होता  है कि वह हमे कैसे माँ बाप मिलते है, इसलिये हम खुश रहे चाहे वह कैसे भी है।

🔘 ऐसे ही हम अपना बॉस और निमित्त टीचर नहीं चुन सकते। आप सहमत हो कर खुशी मनाएँ।

🔘 हम नदी की धारा बदल नहीं सकते। धारा के साथ चले ना की विरूद्ध तभी जीवन में सुख बना रहेगा।


🙇🏻‍♂️ डिप्रेशन की मानसिक समस्या से छुटकारा पाने की अनमोल शिक्षाएं

🙎🏻‍♂️ खुद को सदा व्यस्त रखे

🔘 खुद को हलके फुल्के कार्यो में बिजी कर दे जिससे आपका मनोरंजन हो और आपको ख़ुशी मिले।

🔘 जैसे की कोई स्पोर्ट गेम ,अपनी रूचि के अनुसार धार्मिक ,सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले।

🎯 अपना लक्ष्य निर्धारित करे।

🔘 डिप्रेशन का एक कारण सही वक्त पर लक्ष्य पुरे न होना भी होता है। इससे बचने के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित करे, बड़े बड़े कार्यो को छोटे छोटे हिस्से में बांटे , कुछ काम की प्राथमिकता निर्धारित करे और ऐसा काम करे जिसकी आपमे पूरी क्षमता हो।

👤 सामाजिक रूप से सक्रिय हो।

🔘 आपके करीबी लोगो के साथ समय बिताये। किसी भरोसेमंद दोस्त या रिश्तेदार को अपनी गुप्त बातें बताये।

🔘 अपने आप को सबसे अलग करने की कोशिश न करे और दुसरो को अपनी हेल्प करने दे।

🔘 राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करने से सकारात्मक विचारों को बल मिलता है। पॉवर फूल मेडिटेशन से मन शांत रहता है और मेन्टल स्टेट मेन्टेन रहती है।

🔘 हो सके तो थोड़ी देर खुली हवा में टहले । प्रकृति का प्रभाव हमारे मन और तन दोनों पर पड़ता हैं।

🔘 ऎसे समय में घर वालो को पूरा सहयोग देना चाहिए। सपोर्ट ,लव और केअर करे।

🧘🏻‍♂️ सकाश के द्वारा ,पॉजिटिव विचार

🔘 हम पॉवरफुल मेडिटेशन और स्ट्रांग विल पॉवर से इस समस्या का समाधान कर सकते है।

🔘 डिप्रेशन हमारी खुद की क्रिएशन जिस दिन हम ये ध्यान देने लगेंगे की मुझे इसे खुद से दूर करना है

🔘 मुझे बहुत एक्टिव बनना है , मुझमे कोई कमी नहीं है,मैं बहुत परफेक्ट हूँ, मेरे अंदर ऐसी कोई कमी नहीं है। में हर जगह स्टैंड कर सकता हूँ।

🔘 तब इस तरह की पॉजिटिव थॉट से हम अपने डिप्रेशन को ख़त्म कर सकते हैं। क्यों , क्योंकि ये नेगेटिव चीज़े जो व्यक्ति सोच रहा होता है हालांकि होता ऐसा कुछ भी नहीं है ऐसी ऐसी बातों को सोच रहा होता है जिसका दूर दूर तक कोई कनेक्शन नहीं होता ।

🔘 हमें ऐसा लगता है की जैसा हम सोच रहे होते हैं वैसा होने वाला है तो बिलकुल वैसा होता है। क्योंकि जब बहुत बुरा सोचते हैं तो हमारे साथ बुरा होता है क्योंकि जो हम सोचते वही वापिस होता हैं ।

🔘 व्यक्ति पहले से ही अनुमान कर लेता है की ऐसा होने वाला है और होंगे भी तो कैसे किस मार्ग में तो वो हमेशा नेगेटिव में ही लेता है। वो अगर सोचता भी है पहले से किसी चीज़ को सोचता भी तो नेगेटिव ही सोचता है। और फिर वो REALITY में कन्वर्ट होती हैं तो वो डिप्रेशन में चला जाता है और कहता मुझे पता था ये चीज़े ऐसे ही होने वाली थी।

🔘 सबसे पहले तो उसे खुद से प्यार करना होगा। खुद पर विश्वास करना होगा की उसके अंदर ऐसी एनर्जी है ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा वो हर तरह की परेशानी से मुक्त हो सकता है!

🔘  घर में भी अगर इस तरह का नेगेटिव वातावरण है तब जो डिप्रेशन से जुड़ा व्यक्ति है डिप्रेशन से कभी मुक्त नहीं हो सकता।

🔘 क्योंकि लोग कहते है जो इंसान परेशान होता है वो इंसान कोई ऐसे हैप्पीएस्ट पर्सन से मिले जो बहुत ज्यादा खुशमिजाज़ हो, बहुत ज्यादा जॉय नेचर का हो, बहुत ज्यादा खुशदिल हो, जिसको हँसने की हमेशा आदत हो, हमेशा मुस्कुराता हो। तो हो सकता है की व्यक्ति अगर 5 मिनिट भी उस व्यक्ति के संपर्क में आए तो 24 घंटे में 5 मिनिट वो उस व्यक्ति के साथ हँसेगा ज़रूर।

🔘 क्यों क्योंकि डिप्रेशन वाला व्यक्ति ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आता है जो बहुत पॉजिटिव है ,उसको उसकी वाइब्रेशन मिलती है 5 मिनिट खुश होता है और उसको अच्छा फील होता है। क्योंकि पॉजिटिव एनर्जी की यही ख़ास बात है।

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🙇🏻‍♂️ समस्या :-  डिप्रेशन के वो पेशेंट जो अपने लिए स्वयं कुछ नही कर सकते । ऐसी सिचुएशन में उनके परिवार वाले ऐसे कौन से अभ्यास या योग का प्रयोग करके उन्हें इस बीमारी से छुटकारा दिला सकते है❔

◼️ "DEPRESSION IS A COMMON MENTAL  DISORDER. "

◼️ डिप्रेशन व्यक्ति के विचार, व्यवहार, फिलिंग और सेंस ऑफ़ वेल बिइंग को प्रभावित करता है  एक डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति दुःखीपन, खालीपन, होपलेस, हेल्पलेस, चिड़चिड़ापन, कही किसी कार्य में मन नहीं लगता, जीवन में खुशी कम हो जाती या नहीं रहती, सुसाइड के कमिट एटेम्पट करता है!

◼️  डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जो खुद के द्वारा क्रिएट की हुई होती है । डिप्रेशन में होता क्या है, जब हम बहुत ज्यादा नेगेटिव में जाते हैं बहुत ज्यादा नेगेटिव सोचने लगते हैं । नेगेटिव सोचते भी है तो किसके लिए सोचते हैं जब हम सामने वाले के लिए नेगेटिव सोचते हैं तो वह डिप्रेशन नहीं होता है!

◼️ जब हम अपने लिए नेगेटिव सोचने लगते हैं खुद के प्रति हीन भावना हमारे में पैदा होने लगती है खुद को सफलता ना मिलते हुए देखते हैं खुद की चीजों को पूरा ना होते हुए देखते हैं या खुद के बारे में  नेगेटिव  देते जाते हैं देते जाते हैं तब हम एक समय के बाद डिप्रेशन में चले जाते हैं ।

◼️ यह खुद के द्वारा क्रिएट की गई होती है खुद के प्रति ही खुद से रिलेटेड नेगेटिव एनर्जी होती है जिसको हम डिप्रेशन कहते हैं ।

◼️ डिप्रेशन में अगर कोई व्यक्ति है तो उसके अंदर ऐसी छोटी छोटी बातों में चिड़चिड़ापन होगा , हर चीज उसको बुरी लगेगी कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा । ऐसे में व्यक्ति जो डिप्रेशन में है उसे प्यार की ज़रूरत होती है।

◼️ जो डिप्रेशन में है जो व्यक्ति वो खुद इस तरह की परिस्थितियों को झेल रहा है उसी का काम है खुद को इन चीजों से दूर रखना हम अगर डिप्रेशन के शिकार तब होते हैं जब हम खुद से प्यार करना बंद कर देते हैं, खुद से सामने वाले को COMPARISON करते हैं, सामने वाले को बहुत उठता हुआ देखते हैं तब हमें बहुत टेंशन होता है , डिप्रेशन होता है बहुत ।

◼️ बहुत समय की चिन्ता डिप्रेशन का रूप बन जाता है।डिप्रेशन अकेलेपन से,गम से,चिन्ता से,होता है। डिप्रेशन  मन की या मानसिक बीमारी है तन की नहीं। जब हम कोई नेगेटिव बात को बार-बार सोचते हैं तो उससे क्रिएट होने वाली एनर्जी ज्यादा होने लगती हैं।

◼️ जब हमारे अंदर कोई एनर्जी ज्यादा हो जाती हैं तो वो धीरे-धीरे डिप्रेशन का रूप ले  लेती हैं।इससे हमारा ब्रेन प्रभावित होता हैं। और उसकी कार्य क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। डिप्रेशन हमारी नेगेटिव सोच का कारण है।

◼️ जब कोई व्यक्ति मन में ऐसी धारणा बना लेता है यह कोई विकट समस्या है जिसका समाधान नहीं हो सकता । जैसे शादी का टूट जाना, बिज़नस में पार्टनर से धोखा मिलना, बहुत भारी पैसों का नुकसान होना, काफी समय से जॉब ना लगना, जीवन में बार बार असफलता मिलना।

◼️ ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और यह एक रोग के रूप में पनपने लगता है वास्तव में यह कोई रोग नहीं बल्कि एक मानसिक धारणा है जो आदमी अपने मन और दिमाग में धर लेता है ।

◼️ ख़ुशी और गम ज़िन्दगी का हिस्सा होते है ,लेकिन डिप्रैशन एक ऐसी मानसिक अवस्था है जो आपको खुश होने से रोकती है।


🙇🏻‍♂️ डिप्रेशन के पेशेंट शुरू में राजयोग का अभ्यास नहीं कर सकते ऐसे समय में उनके परिवार वाले उनकी क्या सहायता कर सकते हैं जिससे इस बिमारी से छुटने में उनको मदद मिल सके ❔

🙎🏻‍♂️ डिप्रेशन पेशेंट शुरू में राजयोग का अभ्यास नहीं कर सकते ना ही उनको राजयोग प्रैक्टिस करना चाहिए। इसमें विपरीत परिस्थिति हो सकता है।

◼️ जो व्यक्ति स्वयं ये अभ्यास नही कर सकता। उसके लिए परिवार वालों को मदद करनी चाहिए परिवार के सदस्य सबसे ज्यादा मदद कर सकते है । या प्रिय मित्र जो परिवार के सदस्य जैसा हो।

◼️ १  डिप्रेशन के पेशेंट को स्नेह चाहिए होता है। इसलिए परिवार के सदस्य एहम भूमिका निभा सकते।

◼️ २ परिवार वालो को चाहिए की वो ऐसी बातें पेशेंट से करे की उसका उमंग उत्साह बड़े । उसको घुमाएं फिराएं ,कोशिश करें उसको खुश रखने की।

◼️ ३ डिप्रेशन में क्या होता है की व्यक्ति एक ही बात को बार बार सोचता है। लेकिन जब वो कोई एक्टिविटी में इनवॉल्व हो जाएगा तो ऑटोमेटिकली उसका मन डाइवर्ट हो जाता है। थोड़ा समय लग सकता मगर वो धीरे धीरे ठीक हो जाएगा।

◼️ ४ रोज उस आत्मा को बाबा से योग की शक्तियां लेकर उस आत्मा को दे।

◼️ ५ अच्छे सकारात्मक संकल्पों के द्वारा उसका आत्मविश्वास बढाये।

◼️ ६ उसे हर तरह से खुश रखें। घर का माहौल भी हल्का हो।

◼️ ७ संगठित रूप में उसके लिए योग करने से इसका असर बहुत जल्द पडता है ।

◼️ ८ डिप्रेशन पेशेंट को हमेशा यह अहसास देना है की हम सब उसके साथ है । उसे ऐसा कुछ नही हुआ है यह तो बहुतो को होता है । थोडा सा अटेंशन देने से वह इस प्रॉब्लम से मुक्त हो सकता है। इसलिए फॅमिली मेंबर्स को बहुत ही आतंरिक होना चाहिए।

◼️ ९ उस समय चाहिए की घर परिवार के सदस्य पेशेंट को समझे। शांति बनाए रखे।  

◼️ १० उसने जो पास्ट में अगर गलती की तो वो स्वीकार कर, उसे बार बार बोलकर प्रताडीत नही करना है की तुमने ऐसा किया वैसा किया,पास्ट याद नहीं दिलाना है ।

◼️ ११ परिवार के सदस्य का फ़र्ज़ है उसे हील करना, प्रोटेक्ट करना,प्यार से चलना, एहसास दिलाना हम तुम्हारे साथ हैं।

◼️ १२ उनको कोई कार्य में भी बिजी रख सकते है जिसे उसकी अन्दर नेगेटिव थॉट्स के लिए टाइम नहीं मिले ।

◼️ १३ ऐसा कोई भी बात नहीं बोलना है ताकि उनके मन में और स्वयं के लिए घृणा और भय पैदा हो।

◼️ सुबह अमृतवेला के टाइम बहुत ही पावरफुल और महत्वपूर्ण है। उस टाइम SUBCONSCIOUS MIND बहुत ही पावरफुल होता हैं । इसलिए उस टाइम अगर संगठित रूप में पेशेंट के लिए पॉज़िटिव वाइब्रेशन भेजा जाये तो subconscious mind जल्दी ही ग्रहण कर लेता है इससे पेशेंट जल्दी ही बीमारी से मुक्त हो सकता है।

◼️ इसके बाद धीरे धीरे उसको राजयोग की नॉलेज देकर उससे ही प्रैक्टिस कराया जाए तो और भी SPEEDY RECOVER कर सकते हैं।


🧘🏻‍♂️ डिप्रेशन के पेशेंट कैसे राजयोग का प्रयोग करके स्वयं को इस बीमारी से मुक्त कर सकते हैं❔

◼️ राजयोग से उपचार प्रक्रिया में रोगी को सर्वप्रथम शांति प्राप्त होती है!

◼️ इससे उसका द्दष्टिकोण सकारात्मक होता है जिससे उनकी मानसिक स्थिरता में वृद्धि होती है उसके बाद उसे मनोरोग से मुक्ति मिलने में वह बहुत सहायक सिध्द होती है।

🧘🏻‍♂️ राजयोग के अभ्यास द्वारा रोगी सर्वप्रथम अपने आंतरिक स्वरूप  ( आत्मा ) से जुड़ता है।

◼️ फिर उसका शक्तियों, गुणों के स्त्रोत परमात्मा के साथ मन से मिलन अर्थात सम्पर्क होता है। इस से रोगी धीरे-धीरे अपने खालीपन व चिंताओं से मुक्ति पाता जाता है।

◼️ उसकी अशांति एवं भावनात्मक असंतुलन की स्थिती समाप्त होने लगती है और उसकी आंतरिक शक्तियों का विकास होने लगता है। जिससे उनके दोष व कमजोरियाँ धीरे धीरे समाप्त होने लगती हैं ।

🙇🏻‍♂️ डिप्रेशन से मुक्त होने के कुछ राजयोग के अभ्यास दे रहे उसे जरुर करें

◼️ राजयोग के द्वारा हम कोई भी बीमारी को ठीक कर सकते हैं। लेकिन डिप्रेशन वाले व्यक्ति को पहले कुछ इन सरल योग के अभ्यास करने चाहिए।

🙎🏻‍♂️ पहले अपने विचारों पर ध्यान दे। संकल्पों को POSITIVE सकारात्मक बनाये।

◼️ उसके आस पास का वातावरण भी POSITIVE हो जो उसे योग का अभ्यास में बहुत सहायता करेगा।

🎼  योग में बैठे तो कुछ शिवबाबा के मनोबल बढ़ाने वाले गीत सुने। पर ज्यादा दिमाग पर जोर न डाले।

◼️ ऐसे केस में पहले योग के बजाये कुछ दिन स्वमान का अभ्यास करना चाहिए जिससे वो नेगेटिव ऐनर्जी धीरे धीरे समाप्त होने लगती हैं। और हमारा BRAIN ACTIVE होने लगता हैं। जिससे BRAIN शक्तिशाली बन जाता हैं।

🔘 शुरूआत में कुछ दिन इस तरह स्वमान का अभ्यास करना चाहिए।

✍🏻📚 रोज दिन में दो टाईम 108 बार, 7 दिन तक लिखें :-

1️⃣ 🙎🏻‍♂️ मैं एक महान आत्मा हूँ।

✍🏻📚 फिर अगले 7 दिन तक 108 बार लिखे :-

2️⃣ 🙎🏻‍♂️ मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ।

💥  उसके बाद शरीर में विराजमान खुद को अर्थात आत्मा को देखने का अभ्यास करें।

👤 15 दिन ऐसा करे। ऐसा करने से फिर धीरे धीरे योग लगने लगता हैं। और मनोबल बढ़ने लगता है

🧘🏻‍♂️ उनके बाद राजयोग का यह अभ्यास करे

💥  इस देह के अंदर भृकुटि के मध्य मैं आत्मा विराजमान हूँ .... मैं आत्मा शरीर से निकल वतन की ओर जा रही हूँ ..... वतन में पहुँच कर बाबा के सामने बैठ जाती हूँ ..... अनुभव करे बाबा के मस्तक से सूर्य समान रंग बिरंगी सर्व शक्तियों की किरणे निकल मुझ आत्मा में समा रही है  ....और मैं  आत्मा सर्व शक्तियों से सम्पन्न होती जा रही हूँ । इस से रोगी के अन्दर आत्मविश्वास और आत्मबल बढ़ेगा

💗  डिप्रेशन वाले ऐसे रोगी को प्रेम की अति आवश्कता होती है । प्रेम आत्मा का मूल गुण है उसे ही इमर्ज करना है ।

👁️ राजयोग के अभ्यास में बुध्दि रूपी तिसरे नेत्र से देखे मैं आत्मा शिवबाबा के सामने बैठी हूँ , बाबा प्रेम के सागर है, उनकी प्रेम की किरणें मुझ आत्मा में समा रही है और मैं प्रेम से भरपूर हो रही हूँ।

◼️ परमात्म प्रेम जब आत्मा को प्राप्त होता है तो उसकी आंतरिक शक्ति अपने आप कार्य करने लगती है और उससे रोगी को शीघ्र लाभ होने लगता है।

◼️ यदि रोगी स्वयं अभ्यास नहीं कर पाता है तो उसके परिवार वालो को रोगी की देखरेख इस तरह करनी होगी जैसे किसी शिशु की जाती है। अन्यथा किसी भी प्रकार का प्रयास विफल हो जायेगा।

◼️ घर वाले या मित्र संबंधी सर्वप्रथम रोगी को अपने सामने ईमर्ज करें अब स्वयं को देखे मैं आत्मा भृकुटि के मध्य विराजमान हूँ , ज्ञानसूर्य शिवबाबा ठीक मेरे ऊपर हैं उनकी दिव्य किरणे मुझ पर पड़ रही हैं और मुझसे विभिन्न रंगों की शक्तियों की किरणे प्रवाहित होकर मेरे सामने बैठी आत्मा में समाती जा रही है और उसकी व्याधियां बीमारियां ठीक होती जा रही है।

◼️ आज संसार में आत्माएं कलियुग में समस्याएं ,विघ्नों से बहुत दुःखी हो चुकी है। सच्चे प्यार की प्यासी बन गयी है। उनका जीवन अकेलेपन, डर से भर गया है ।

◼️ ऐसे स्थिति में व्यक्ति को परमात्मा के सामने ले जाने से, या परमात्मा का प्यार पाने की विधी सिखाने से बहुत लाभदायक हो जाता है , यही परमात्मा का प्यार दवाई का काम करेगा। भगवान के प्यार में सब बीमारी ठीक करने की शक्ति होती है। रोज ईश्वरीय जीवन के शैली को अपनाने से कुछ ही दिनों में डिप्रेशन जैसी खतरनाक समस्या से भी हमेशा के समाधान प्राप्त हो जाता है ।
What is depression,   #डिप्रेशन (#अवसाद) क्या है, क्या होता है #DEPRESSION

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Depression - symptoms, cause & treatment in Hindi, Urdu. डिप्रेशन के लक्षण, कारण और इलाज.

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