🍎सेब के गुण / औषधीय गुण :
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☛ 🍎सेब पित्त-वायु को शान्त करते हैं। तृषा मिटाते हैं और आँतों को मजबूत करते हैं ।
☛ 🍎आमयुक्त पेचिश मिटाने का गुण भी इनमें है
☛ 🍎सेब का ऊपर वाला छिलका निकालकर सेब खाने से मीठे लगते हैं। सेब को छील कर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसके छिलके में कई महत्वपूर्ण क्षार होते हैं ।
☛ 🍎सेब के टुकड़ों को शक्कर में रखने के बाद खाने से वे बहुत मीठे लगते हैं। प्रातः समय खाली पेट खाने पर सेब अधिक लाभप्रद सिद्ध होता है।
☛🍎 रक्तचाप को कम करने में यह उत्तम माना जाता है। यह शरीर में स्थित विषाक्त तत्व को दूर करता है ।
☛ 🍎सेब के सेवन से दाँत के मसूढ़े मजबूत बनते हैं।
☛ 🍎जठर की खटाई को दूर करने में तो सेब अमृत के समान गुणकारी है।
☛ 🍎सोते समय रात्रि को सेब खाने से मस्तिष्क शान्त होता है और अच्छी नींद आती है ।
☛ 🍎थोड़ी-सी ठण्डी या गर्मी लगने से अथवा थोड़ा-सा श्रम करने से यदि बुखार आ जाता हो या बार-बार पलटी मारकर थोड़े-थोड़े दिनों में बुखार आ जाता हो, तो रक्तादि धातुओं में अवस्थित ज्वर के विष को जलाने के लिए अन्न का त्याग कर दें और सेबकल्प शुरू करें अर्थात केवल सेब का ही सेवन करें ऐसा करने पर थोड़ी ही दिनों में सदैव के लिए बुखार से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और शरीर भी बलवान बनता है।
☛ 🍎जिस रोगी को बुखार के साथ सूजन हो, अग्निमांद्य हो, पतले दस्त होते हों, दस्त के साथ कच्चा आम निकलता हो, पेट भारी लगता हो, पेट को दबाने से दर्द महसूस हो तो ऐसे रोगियों को यदि सिर्फ सेब-सेवन पर रखा जाए तो धीरे-धीरे उपरोक्त कष्ट समूल नष्ट हो जाते हैं।
☛ 🍎जीर्णरोग जो दीर्घकाल से त्रासदायक हो गया हो, आमातिसार पुराना हो और प्रतिदिन 5-7 दस्त लगें, पाचनक्रिया खराब हो जाए, बार-बार थोडे-थोड़े दस्त हों अथवा मलावरोध हो, पेट भारी लगता हो, शरीर में आलस्य रहता हो और दुर्बलता अधिक आ गई हो तो ऐसी दशा में अन्न सेवन का त्याग करके यदि सेब का सेवन किया जाए तो कुछ ही दिनों में समस्त प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं और पाचनक्रिया बलवान बनती है, स्फूर्ति आती है तथा मुखमण्डल तेजस्वी बनता है।
☛ 🍎जिन रोगियों के पेशाब में यूरिक एसिड अधिक निकलता हो, जोड़ों में दर्द हो, पाचनक्रिया दूषित हो, उन्हें भी सिर्फ सेब पर रखने से थोड़े ही दिनों में उनकी यकृत क्रिया सुधरती है और मूत्राम्ल की मात्रा कम होती है।
☛ 🍎मेदवृद्धि के कारण यदि थोड़ा-सा भी परिश्रम असहनीय हो जाए, भूख-प्यास का वेग शान्त न हो, प्यास लगने पर तुरन्त पानी पीना पड़े अन्यथा घबराहट हो, थोड़ा-सा चलने पर भी साँस फूल जाए तो ऐसे मेद वाले लोगों को अन्न का पूर्णतया त्याग करके केवल सेब खाने से बहुत लाभ होता है।
☛ 🍎सेब के गर्भ की अपेक्षा उसके छिलके में विटामिन ‘सी’ अधिक मात्रा में होता है।
☛ 🍎अन्य फलों की तुलना में सेब में फॉस्फोरस की मात्रा सबसे अधिक होती है। सेब शरीर को बल और गर्मी अच्छी मात्रा में प्रदान करता है। सेब में लौह का अंश भी अधिक होता है। सेब के टुकड़े करके खाते समय वायु में अवस्थित आक्सीजन मिलने से उसका लौह तत्व खूब बढ़ जाता है । सेब के अन्दर नाशपाती के फल की अपेक्षा फास्फोरस दुगुना और आयरन डेढ़ गुना है। अतः यह रक्त और मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलता वाले लोगो के लिए परमहितकारी फल है।
☛ 🍎इसमें अवस्थित लौह और फास्फोरस मानसिक अशान्ति की उत्तम दवा है । ज्ञानतन्तु और मस्तिष्क की दुर्बलता के लिए यह उत्तम पुष्टिकारक फल माना जाता है।
☛ 🍎सेब वायु और पित्तनाशक, कफकारक, पुष्टिप्रदायक, भारी, रस तथा पाक में मधुर, ठण्डा, रुचिकारक, और वीर्यवर्धक है।
☛ 🍎यह कामोत्तेजक, हृदय के लिए हितकर और ग्राही है । सेब अतिसार में पथ्य है ।
☛ 🍎यह पाचनशक्ति बढ़ाने वाला और रक्त सुधारक है।
☛ 🍎आयुर्वेद के शास्त्रीय प्रयोगों में सेब का उपयोग नहीं होता परन्तु अनेकों रोगों में पथ्य के रूप में इसका उपयोग होता है। अर्श, अतिसार, मलावरोध, प्रवाहिका, पित्त ज्वर, मोतीझारा, अरुचि, जीर्णज्वर, प्लीहावृद्धि, अजीर्ण, शारीरिक दुर्बलता, सिरदर्द, वृद्धि, मेदवृद्धि, पथरी, रक्तविकार, सूखी खाँसी, शुष्क श्वास, और वातविकारों में सेव का सेवन हितकारी है।
☛🍎 रक्तविकार के कारण बार-बार फोड़े-फुन्सियाँ हों, जीर्ण त्वचा रोग के कारण चमड़ी शुष्क हो गई हो, रात्रि के समय खुजलाहट अधिक सताती हो, अँगुलियों और नितम्बों पर खुजली की पीली-पीली फुन्सियाँ परेशान करती हों और इस कष्ट के कारण नींद न आती हो तो ऐसी दशा में भी अन्न का पूर्णतः त्याग करके केवल सेब का सेवन करने से लाभ होता है।