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शुक्रवार, 28 मई 2021

Alert : चूहे से फैलने वाली बीमारी #Leptospirosis से ..., कैसे पहचानें और क्या करें


अलर्ट : चूहे से फैलने वाली बीमारी 

लेप्टोस्पायरोसिस

मुंबई: बीते दिनों मुंबई में लगातार बारिश के बाद लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी के कारण 4 लोगों की मौत हो चुकी है। चूहों से इंसान तक फैलने वाली यह बीमारी का कारण एक लेप्टोस्पिरा बैक्टीरिया है। खास बात है कि यह बीमारी इंसानों के साथ जानवरों को भी अपना शिकार बना रही है। पद्मश्री और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट डॉ. केके अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इससे कैसे बचा जा सकता है-

05 प्वाइंट‌्स में जानें किन बातों का रखें ध्यान...

1- कैसे पहचानें बैक्टीरिया के संक्रमण को
तेज बुखार आना, सिरदर्द, ठंड के साथ मांसपेशियों में दर्द होना इसके कॉमन लक्षण हैं। इसके अलावा उल्टी, पीलिया और आंखें लाल हो जाना, पेट दर्द, दस्त जैसी प्रॉब्लम्स होने लगती हैं। इसके ज्यादातर लक्षण डेंगू से मिलते जुलते हैं।

2- ऐसे फैलती है बीमारी
अधिक बारिश होने और चूहों की संख्या बढ़ने के चलते जीवाणुओं का फैलना आसान हो जाता है। संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं। यह बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं। खतरनाक जीवाणु आंख, नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। स्किन में कहीं कट लगा हो या घाव हो तो उसके जरिए यह भी यह शरीर में चले जाते हैं।

3- कैसे बचें
- गंदे पानी में घूमने से बचें।
- कहीं चोट लगी हो तो उसे ठीक से ढंक कर रखें।
- बंद जूते और मोजे पहन कर रखें।
- पैरों को अच्छी तरह से साफ करें और तौलिए से सुखाएं, क्योंकि गीले पैरों में फंगल इंफेक्शन हो सकता है।
- पालतू जानवरों को टीका लगवाएं, क्योंकि जानवरों के जरिए यह संक्रमण आप तक आ सकता है।
- कोशिश करें कि बोतलबंद पानी ही पीएं।
- पूल, तालाबों, नदियां के पास जाने से बचें।
- वॉटरप्रूफ ड्रेसिंग के साथ त्वचा के घावों को कवर करें।
- बीमार या मृत जानवरों को छूने से बचें।
- घावों को धोएं और इनकी नियमित रूप से सफाई करें।

4- बारिश में रहें अलर्ट
बारिश का पानी और चूहों से दूर रहना ही बेहतर विकल्प है। मानसून के समय जल भराव और बहते पानी के कारण यह संक्रमण पानी में मिलकर उसे दूषित कर देता है और इसी वजह से मानसून में लेप्टोस्पायरोसिस होने की आशंका दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है। भारत में पिछले कुछ सालों में लेप्टोस्पायरोसिस गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और अंडमान द्वीप जैसे तटीय हिस्सों में सबसे ज्यादा देखने को मिला है। भारत में लेप्टोस्पायरोसिस के करीबन पांच हजार मामले प्रति वर्ष आते हैं, जिनमें मरने वालों का आंकड़ा 10-15 प्रतिशत है।

5- ऐसे होता इलाज
इलाज के तौर पर सबसे पहले पानी और चूहे से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इलाज के तौर पर डायलिसिस और एंटीबायोटिक दी जाती है। किडनी, लिवर या हार्ट में संक्रमण होने पर खास देखभाल करना जरूरी है। पोटैशियम का स्तर अधिक होने पर विशेष उपाय अपनाना जरूरी है।

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