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शनिवार, 21 नवंबर 2020

#माँ का #दूध बढ़ाने के #आयुर्वेदिकउपाय #Ayurvedic remedy to increase #mother'smilk


 🌹माँ का दूध बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय🌹

नई मां दूध बढ़ाने के लिए क्या करे ?

 

 माँ के दूध से बेहतर बच्चे के लिए कुछ भी नहीं। आयुर्वेद में भी स्तनपान को माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बताया गया है। माँ का दूध बच्चों में अस्थमा, एलर्जी, सांस की बीमारियों, कान के संक्रमण, दस्त, आदि जैसे रोगों के जोखिम को कम करता है । स्तनपान बच्चों के लिए पोषण का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। इससे बच्चों को एंटीबॉडी, विटामिन, प्रोटीन और वसा मिलती है।
स्तनपान बच्चे के स्वास्थ्य के साथ-साथ माँ के स्वास्थ्य के लिए भी अहम है। स्तनपान कराने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यह गर्भावस्था के दौरान बढे वजन को नियंत्रित करता है, अतिरिक्त कैलोरी को कम करता है और हार्मोन ऑक्सीटोसिन को रिलीज करता है। इससे गर्भाशय को गर्भावस्था से पूर्व के स्वरूप में आने में मदद मिलती है। इसके अलावा स्तनपान स्तन और अंडाशयी (डिम्बग्रंथि) के कैंसर के खतरे को कम करता है।
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लेकिन कई बार स्तनपान से संबंधित कई समस्याओं का सामना माँ को करना पड़ता है। इन समस्याओं में प्रमुख है दूध का कम आना, जलन, स्तन में दर्द आदि। लेकिन सबसे बड़ी समस्या होती है दूध का कम आना। इसके लिए आयुर्वेद में कई उपाय सुझाए गए हैं। आयुर्वेद के इन आसान उपायों पर यदि अमल किया जाए तो आसानी से इस समस्या का समाधान हो सकता है। इसके लिए आहार संबंधी कुछ सुझाव इस तरह से है!

आयुर्वेद में माँ का दूध बढ़ाने के लिए भोजन

आयुर्वेद में माँ के दूध को बढ़ाने के कई उपाय बताए गए हैं. ये उपाय बेहद आसान है और बेहद सुगमता से उपलब्ध भी हो जाती है.

सौंफ और मेथी के बीज -
सौंफ और मेथी स्तनपान कराने वाली माँ के लिए बेहद उपयोगी है। इससे दूध बढ़ता है। यह दोनों शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाते हैं। यह एक हार्मोन है जो दूध के उत्पादन में मदद करता है। सौंफ के बीज को गर्म पानी में उबालकर चाय की तरह पी जा सकती है। स्वाद के लिए इसमें शहद मिलाया जा सकता है। इस चाय को दिन में कई बार लिया जा सकता है या फिर एक -एक चम्मच कर दिन में सीधे भी खाया जा सकता है। मेथी के बीज को पानी में भिंगोकर दिन में दो से तीन बार लिया जा सकता है।

शतावरी -
यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी माताओं में दूध की कमी को दूर करने में बेहद प्रभावी है क्योंकि यह शरीर में हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित और संतुलित बनाये रखता है। इसे पानी में मिलाकर लिया जा सकता है।

दालचीनी -
रसोईघरों में आमतौर पर दालचीनी पाया जाता है। दूध बढ़ाने में यह बेहद प्रभावी है। एक - दो महीने के सेवन में ही अंतर साफ-साफ देखा जा सकता है। इसके चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर आसानी से लिया जा सकता है।

जीरा -
दूध कम होने की समस्या में जीरा भी बेहद कारगर है। यह भी सभी रसोईघर में अमूमन पाया ही जाता है। दूध कम बनने की समस्या से जूझ रही माताएं सोने के पहले गर्म दूध के साथ जीरा मिलाकर पी सकती हैं। चाहे तो थोड़ी चीनी भी मिला सकती है।

लहसुन और अदरक -
दैनिक आहार में अदरक और लहसुन को शामिल करने से भी काफी फायदा होता है और यह समस्या उत्पन्न ही नहीं होती।

मोटी सौंफ
शहद और पानी के साथ मोटी सौंफ को भिंगोना चाहिए और इस पानी को दिनभर में दो-तीन कप लिया जा सकता है। इसमें न केवल एस्ट्रोजन गुण होते हैं बल्कि प्रवाह को बढ़ाने के लिए अवरुद्ध दूध नलिकाएं भी साफ होती हैं।

सहजन
एक महीने तक रोजाना आधा गिलास दूध के साथ सहजन के रस का सेवन भी एक प्रभावी इलाज है।

तुलसी -
तुलसी के 5-6 पत्तों को 2 मिनट तक उबालें और लगभग 5 मिनट तक यूँ ही छोड़ दे। फिर इस पानी में शहद मिलाकर पीएं। इसे कुछ महीनों तक दिन में दो बार लिया जा सकता है। इससे फायदा होगा।

मसूरदाल -
एक चुटकी नमक और एक चम्मच घी के साथ मसूर दाल का नियमित सेवन भी उपयोगी सिद्ध होता है।

गाजर और बीट्स -
स्तनपान कराने वाली माँ के आहार में गाजर और बीट सलाद का समावेश काफी मददगार सिद्ध होता है।

बादाम -
प्रतिदिन 5 से 6 बादाम के सेवन से भी काफी फायदा होता है। इसके लिए बादाम को रात में ही पानी में फूलने के लिए डाल देना चाहिए और सुबह पानी से छानकर खा लेना चाहिए। यह एक सरल और बेहतरीन आयुर्वेदिक उपाय है।
आयुर्वेद के इन आहार को अपने डायट चार्ट में शामिल करने के साथ-साथ सक्रिय जीवनशैली को अपनाना भी बेहद आवश्यक है, तभी ज्यादा अच्छे परिणाम निकलते हैं। पर इसके लिए जरुरी नहीं है कि बहुत भारी-भरकम कसरत की जाए। हालाँकि इसका कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इसे आदर्श नहीं माना जाता। भारी कसरत की बजाए योग, पिलेट्स और एरोबिक्स जैसे व्यायाम करना ज्यादा सही है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है, अपने-आप को हाइड्रेट रखना। इसके लिए खूब पानी और तरल पदार्थ का सेवन करते रहना चाहिए.

 


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