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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

#बवासीर का इलाज, Treatment of #hemorrhoids, #piles #pilessymptoms #bawasir बवासीर के लक्षण क्या है - Piles symptoms

 *बवासीर का इलाज* 

 
*बवासीर के रोगी इसे पूरा पढे*

मूल कारण :
आंतों के अंतिम हिस्से या मलाशय की धमनी शिराओंके फ़ैलने को बवासीर कहा जाता है ।
बवासीर तीन प्रकर की हो सकती है
•    बाह्य पाइल्स: फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार से बाहर आना
•    आन्तरिक पाइल्स : फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार के अन्दर रहना
•    मिक्सड पाइल्स: भीतरी और बाहरी मस्से
कारण :
•    बहुत दिनों तक कब्ज की शिकायत रहना
•    सिरोसिस आफ़ लिवर
•    ह्र्दय की कुछ बीमारियाँ
•    मध, मांस, अण्डा, प्याज , लहसुन, मिर्चा, गरम मसाले से बनी सब्जियाँ, रात्रि जागरण , वंशागत रोग ।
•    मल त्याग के समय या मूत्र नली की बीमारी मे पेशाब करते समय काँखना
•    गर्भावस्था मे भ्रूण का दबाब पडना
•    डिस्पेपसिया और किसी जुलाब की गोली क अधिक दिनॊ तक सेवन करना ।
लक्षण
•    मलद्वार के आसपास खुजली होना
•    मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
•    मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन
•    मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
•    मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि न महसूस करना
बवासीर से बचाव के उपाय
कब्ज के निवारण पर अधिक ध्यान दें । इसके लिये :
•    अधिक मात्रा मे पानी पियें
•    रेशेदार खाध पदार्थ जैसे फ़ल , सब्जियाँ और अनाज लें | आटे मे से चोकर न हटायें ।
•    मलत्याग के समय जोर न लगायें
•    व्यायाम करें और शारिरिक गतिशीलता को बनाये रखें ।
अगर बवासीर के मस्सों मे अधिक सूजन और दर्द हो तो :
गुनगुने पानी की सिकाई करें या ’सिट्स बाथ’ लें । एक टब मे गुनगुना पानी इतनी मात्रा मे लें कि उसमे नितंब डूब जायें  । इसमे २०-३० मि. बैठें ।
होम्योपैथिक उपचार :
किसी भी औषधि की सफ़लता रोगी की जीवन पद्दति पर निर्भर करती है । पेट के अधिकाशं रोगों मे रोगॊ अपने चिकित्सक पर सिर्फ़ दवा के सहारे तो निर्भर रहना चाहता है लेकिन  परहेज से दूर भागता है । अक्सर देखा गया है कि काफ़ी लम्बे समय तक मर्ज के दबे रहने के बाद मर्ज दोबारा उभर कर आ जाता है अत: बवासीर के इलाज मे धैर्य और संयम की आवशयकता अधिक पडती है ।
नीचे दी गई  औषधियाँ सिर्फ़ एक संकेत मात्र हैं , दवा पर हाथ आजमाने की कोशिश न करें , दवा कि पोटेंसी, डोज आदि के उचित चुनाव के लिये एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक पर ही भरोसा करें  ।

१. बवासीर के मस्सों मे तकलीफ़ और अधिक प्रदाह : aconite, ignatia,acid mur, aloes, chamomilla, bell,acid mur, paeonia
२. खुजलाहट : arsenic, carbo, ignatia, sulphur
३. स्ट्रैंगुलैशन : belladona,ignatia, nux
४.रक्तस्त्राव में : aconite, millifolium,haemmalis, cyanodon
५. मस्से कडॆ : sepia
६. बवासीर के मस्सों का बाहर निकलना पर आसानी से अन्दर चले जाना : ignatia
७. भीतर न जाना : arsenic, atropine, silicea, sulphur
८. कब्ज के साथ : alumina, collinsonia, lyco, nux, sulphur
९.अतिसार के साथ : aloes,podo,capsicum
१०. बच्चों मे बवासीर  : ammonium carb, borax, collinsoniia, merc
११. गर्भावस्था मे बवासीर : lyco,nux, collinsonia , lachesis, nux
१२.शराबियों मे बवासीर : lachesis, nux
१३. वृद्धों मे बवासीर : ammonium carb , anacardium

➡गुदा मार्ग में होने वाले इस कष्टदायक रोग ने आज हर व्यक्ति को परेशान किया हुआ है। आज की भागदौड़ की जिंदगी,अनियमित खानपान,कब्ज का मुख्य कारण है,लम्बी बीमारी,दवाइयों का साइड इफेक्ट,चिंता,भय,नींद का कम आना इत्यादि अनेको कारणों से बवासीर जैसी भयानक बीमारी का जन्म होता है।
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➡बवासीर बहुत ही पीड़ादायी रोग है, इस बीमारी में व्‍यक्ति को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। बवासीर अनियमित जीवनशैली, पोषण रहित खानपान की वजह से होते हैं। कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। अतः अनुवांशिकता इस रोग का एक कारण हो सकता है। जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।
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➡कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है, कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता मलत्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त तक पखाने में उकडू बैठे रहना पड़ता है, जिससे रक्त वाहनियों पर जोर पड़ता है और वह फूलकर लटक जाती हैं। बवासीर गुदा के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है। इस रोग से मुक्ति पाने के लिए आज हम आपको कुछ योगासन के बारे में बता रहे हैं, जिससे इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता 
➡बवासीर खुनी और बादी दो तरह का होता है, जिसे आधुनिक विज्ञान में पाइल्स नाम से जाना जाता है, जबकि आयुर्वेद में इसे अर्श नाम दिया है।

आयुर्वेद के अनुसार पाइल्स तज,पित्तज,कफज,द्वंदज,सनिपट्ज,इत्यादि भेद से जाना जाता है।

                                            *परहेज*
तली हुई चटपटी, गरिष्ठ,कब्ज कारक भोजन का त्याग करें।
 
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