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गुरुवार, 6 सितंबर 2018

प्रोस्टेट --पुरुष ग्रन्थि बढ़ना , Prostate - Male Growth Growth

Sex
 * प्रोस्टेट --पुरुष ग्रन्थि बढ़ना * 
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 *रोगी ध्यान दे* 
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✍लगभग तीस फीसदी पुरुष 40 की उम्र में और पचास फीसदी से भी ज्यादा पुरुष 60 की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या से परेशान होते हैं। प्रोस्टेट ग्लैंड को पुरुषों का दूसरा दिल भी माना जाता है। पौरूष ग्रंथि शरीर में कुछ बेहद ही जरूरी क्रिया करती हैं। जैसे यूरीन के बहाव को कंट्रोल करना और प्रजनन के लिए सीमेन बनाना। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती हैं, यह ग्रंथि बढ़ने लगती हैं। इस ग्रंथि का अपने आप में बढ़ना ही हानिकारक होता हैं और इसे *बीपीएच* ( *बीनीग्न प्रोस्टेट* *हाइपरप्लेसिया* ) कहते हैं❗

✍प्रोस्टेट ग्लैंड ज्यादा बढ़ जाने पर कई लक्षण सामने आने लगते हैं जैसे यूरीन रूक-रूक कर आना, पेशाब करते समय दर्द या जलन और यूरीन ट्रेक्ट इन्फेक्शन बार-बार होना। प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाने से मरीज बार-बार पेशाब करने जाता हैं मगर वह यूरीन पास नहीं कर पाता। अगर बार-बार यह परेशानी होती है तो पौरूष ग्रंथि बढ़ने की संभावना हो सकती है। ऐसी अवस्था मरीज के लिए कष्टदायक होती है। उसे समझ नहीं आता कि क्या किया जाना चाहिए❗
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*प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण–*
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पेशाब करने में कठिनाई मेहसूस होना❗

 थोड़ी थोड़ी देर में पेशाब की हाजत होना। रात को कई बार पेशाब के लिये उठना❗

पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना❗

 मूत्राषय पूरी तरह खाली नहीं होता है। मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राषय में शेष रह जाती है। इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं❗

 मालूम तो ये होता है कि पेशाब की जोरदार हाजत हो रही है लेकिन बाथरूम में जाने पर बूंद-बूंद या रुक-रुक कर पेशाब होता है❗

 पेशाब में जलन मालूम पडती है❗

 पेशाब कर चुकने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती रहती हैं, याने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता❗

 अंडकोषों में दर्द उठता रहता है❗

संभोग में दर्द के साथ वीर्य छूटता है❗

*ऐसी अवस्था मरीज के लिए* *कष्टदायक होती है।* *उसे समझ नहीं आता कि* *क्या किया जाना चाहिए।*
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✍ *दूसरे रोग की तरह* *प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने पर भी* *इसका उपचार संभव है। ऐसी* *बहुत सी दवाइयां* *हैं,कांचनार* *गुगुल,वर्धिवधिका वटी* *इत्यादि औषधियां जिससे* *मरीज को काफी आराम* *महसूस होता है और वह* *सामान्य दिनचर्या जी सकता* *है❗* 

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✅ *पथ्य और परहेज :–*
✍ उचित समय पर पचने वाला हल्का भोजन करें| सब्जियों में लौकी, तरोई, टिण्डा, परवल, गाजर, टमाटर, पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई, कुलफा आदि का सेवन करें| दालों में मूंग व चने की दाल खाएं|
फलों में सेब, पपीता, केला, नारंगी, संतरा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, चीकू आदि का प्रयोग करें❗

✍अरहर, मलका, मसूर, मोठ, लोबिया, काबुली चने आदि का सेवन न करें|
गुड़, लाल मिर्च, मिठाई, तेल, खटाई, अचार, मसाले, मैथुन तथा अधिक व्यायाम से परहेज करें❗
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