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मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

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मोबाइल फोन बिगाड़ता है सेहत, जानिए 10 नुकसान

क्या आप मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल करते हैं... ? या आप मोबाइल फोन को अपने साथ रखकर सोते हैं...? क्या आप जानते हैं मोबाइल फोन से होने पैदा होने वाले खतरे को...? अगर आपका जवाब है नहीं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। अगर आपको मोबाइल फोन का उपयोग करने के आदत है, तो जान लें आपकी सेहत को इससे खतरा है।
 
मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इतना ही नहीं यह आपको कई तरह की बीमारियों को शि‍कार बना सकता है। जानिए इसके अधि‍क प्रयोग से होती है कौन से नुकसान -
 
1- मोबाइल फोन के रेडिएशन से उत्पन्न खतरों में सबसे बड़ा खतरा है कैंसर। अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में या शरीर से चिकाकर रखते हैं तो संबंधि‍त स्थान पर ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है और आप आसानी से कैंसर के शि‍कार हो सकते हैं।

2-रात के समय मोबाइल फोन को शरीर से सटाकर या सीने पर रखकर सोने की आदत है तो यह आदत आपके लिए बेहद खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी हो सकती है। इसके अलावा इसके रेडिएशन का प्रभाव आपके मस्तिष्क पर भी नकारात्मक पड़ता है।

3- ज्यादातर पुरुषों में आदत होती है कि वे अपना मोबाइल फोन बेल्ट के पास बने पॉकेट में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इस तरह से रखना आपके लिए बेहद हानिकारक है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मि‍नरल लिक्विड समाप्त हो सकता है।
 
4- पुरुषों में कमर के पास मोबाइल फोन को रखना और भी खतरनाक हो सकता है। दरअसल मोबाइल के रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव शुक्राणुओं में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है।
 
5- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक शोध के अनुसार मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है।
 
6-मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों से आपका डीएनए तक क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अलावा इसका अधि‍क इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है।
 
7- तनाव और डि‍प्रेशन के कारणों में एक प्रमुख कारण मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव भी हैं। यह आपके दिमाग की कोशि‍काओं को संकुचित करती हैं, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती।
 
8-गर्भवती महलाओं द्वारा मोबाइल फोन का अधि‍क इस्तेमाल, गर्भस्थ शि‍शु को प्रभावित कर सकता है। इससे शि‍शु के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जिससे उसका विकास प्रभावित होता है।
 
9-मोबाइल फोन के हानिकारक विकिरण न केवल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि यह डाइबिटीज और हृदय रोगों की संभावनाओं को भी कई गुना बढ़ा देती हैं।
 
10-मोबाइल फोन का जरूरी और सीमि‍त इस्तेमाल ही इलेक्ट्रोमेगनेटि‍क विकिरणों के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा इसे अपने शरीर से सटाकर न रखते हुए, पर्स में या फिर अन्य स्थान पर रखना ज्यादा सही होगा।

कही आप मोबाइल पर ज्यादा देर बात तो नही करते?

शोध के अनुसार मोबाइल रेडिएशन से लंबे समय के बाद प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और मिस-कैरेज की आशंका भी हो सकती है। हमारे शरीर और दिमाग में मौजूद पानी धीरे-धीरे बॉडी रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है और सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल से कैंसर हो सकता है।

हेल्थ टिप्स

देर तक मोबाइल पर बात करने से कैंसर का खतरा

मोबाइल फोन पर ज्यादा देर तक बात करने के नुकसान

क्या आप जानते हैं मोबाइल फोन पर अधिक देर तक बात करने से क्या नुकसान होता है? आजकल मोबाइल फोन हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। रोटी कपड़ा और मकान के अलावा संचार के लिए मोबाइल फोन भी एक बुनियादी जरूरत है। लेकिन माना जाता है कि किसी भी चीज का आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, फोन भी उनमें से एक है। मोबाइल का इस्तेमाल लोग गाने सुनने, मैसेज भेजने और इंटरनेट चलाने के लिए तो करते ही हैं लेकिन एक सर्वे के अनुसार फोन पर अधिक देर तक बातें करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है जिसके कारण हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
     आमतौर पर हम सभी जानते हैं कि फोन एक ऐसा डिवाइस है जो तरंगों से संचालित होता है। इसलिए मोबाइल फोन पर ज्यादा बात करने से हमें किस तरह का नुकसान होता है, इस लेख में हम इसी बारे में बताने जा रहे हैं।

मोबाइल पर देर तक बात करने से अनिद्रा की समस्या होती है –

देर तक मोबाइल पर बात करने से कैंसर का खतरा –

मोबाइल फोन पर ज्यादा बात करना स्ट्रेस का कारण –

फोन पर अधिक बात करने से मस्तिष्क की क्रियाएं गड़बड़ हो जाती हैं –

मोबाइल से अधिक बात करने के नुकसान से बैक्टिरिया पनपते हैं –

मोबाइल फोन पर ज्यादा बात करने के नुकसान, अटेंशन खराब होता है –

फोन पर ज्यादा बात करने वाले समाज से कट जाते हैं –

मोबाइल फोन पर अधिक देर तक बात करने से बहरापन हो सकता है –

मोबाइल पर देर तक बात करने से अनिद्रा की समस्या होती है –

2013 में हुए एक सर्वे के अनुसार 18 से 29 साल के 63 प्रतिशत युवा स्मार्टफोन का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते हैं। मोबाइल पर अधिक देर तक बात करने के कारण युवाओं में तेजी से अनिद्रा की समस्या बढ़ रही है। नींद गड़बड़ होने की वजह से चिड़चिड़ापन और गुस्से की प्रवृत्ति भी विकसित हो रही है। वास्तव में देर तक मोबाइल फोन पर बात करने से मस्तिष्क में बनने वाले कुछ रसायन निष्क्रिय हो जाते हैं जिसके कारण नींद नहीं आती है। इसलिए यदि आप फोन पर देर तक बात करने के आदी हैं तो आपको यह नुकसान उठाना पड़ सकता है।

देर तक मोबाइल पर बात करने से कैंसर का खतरा
रिसर्च में पाया गया है कि जब हम देर तक कान के पास मोबाइल लगाकर बातें करते हैं तब फोन से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (electromagnetic radiation) ऊत्तकों द्वारा अवशोषित हो जाता है। जिसके कारण मस्तिष्क के कैंसर (brain cancer) की संभावना बढ़ जाती है। मोबाइल फोन पर अधिक देर तक बात करने के कारण किसी भी उम्र के लोगों को ब्रेन कैंसर हो सकता है। इसलिए हर उम्र के लोगों और विशेषरूप से युवाओं को फोन पर अधिक देर तक बात करने से बचना चाहिए।

(पढ़े – मोबाइल के साथ सोना कैंसर का ख़तरा बढ़ा सकता है…)
मोबाइल फोन पर ज्यादा बात करना स्ट्रेस का कारण –
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मोबाइल पर अधिक देर तक बात करने के कारण मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से नहीं हो पाता है जिसके कारण कार्टिसोल नामक हार्मोन अधिक मात्रा में बनने लगती है और व्यक्ति को अधिक तनाव होना शुरू हो जाता है। मोबाइल पर देर तक बात करने से तनाव होने का दूसरा कारण यह है कि जिस व्यक्ति से आप अधिक देर तक बात कर रहे हैं उसकी नकारात्मक बातें भी आपके लिए तनाव का कारण बन सकती हैं। यही कारण है कि मनोचिकित्सक मस्तिष्क संबंधी समस्याओं जैसे डिप्रेशन, तनाव, माइग्रेन से बचने के लिए मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

मोबाइल पर देर तक बात करने से सड़क दुर्घटना हो सकती है -
        अमेरिकी सरकार की एक वेबसाइट के अनुसार फोन पर बहुत देर तक बात करते हुए इस दौरान लोग अपने काम भी करते रहते हैं। इसमें से एक है मोबाइल पर बात करते हुए सड़क पर वाहन चलाना। फोन पर अधिक बात करने के आदी लोगों को यह ध्यान ही नहीं रहता है कि उन्हें वाहन चलाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिसके कारण वे सड़क दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। अगर आप फोन पर अधिक बात करते हैं तो आपको यह बड़ा नुकसान हो सकता है।

फोन पर अधिक बात करने से मस्तिष्क की क्रियाएं गड़बड़ हो जाती हैं –

मोबाइल फोन चुंबकीय तरंगों पर काम करता है और मस्तिष्क का भी अपना आंतरिक विद्युत आवेग (electric impulses) होता है जो तंत्रिकाओं को फोन पर संचार करने का संकेत देता है। एक रिसर्च में पाया गया है कि फोन पर 2 मिनट से अधिक देर तक बात करने पर तरंगे मस्तिष्क के आंतरिक हिस्सों में प्रवेश कर जाती हैं जिसके कारण मूड पैटर्न और व्यवहार में बदलाव आ जाता है। इसके कारण व्यक्ति अधिक गुस्सा, चिड़चिड़ापन का शिकार हो जाता है। कई मामलों में अधिक देर तक फोन पर बात करने के कारण व्यक्ति को एकाग्र होने और ध्यान केंद्रित करने में भी परेशानी होती है।
         मोबाइल से अधिक बात करने के नुकसान से बैक्टिरिया पनपते हैं – Talking long time on phone A Source of Bacteria in Hindi
मोबाइल से अधिक बात करने के नुकसान से बैक्टिरिया पनपते हैं - एरिजोना यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के अनुसार मोबाइल पर टॉयलेट सीट (toilet seat) से भी अधिक संख्या में बैक्टीरिया जमा होते हैं जो हमें सूक्ष्म आंखों से दिखायी नहीं देते हैं। फोन पर अधिक देर तक बात करने के कारण ये बैक्टीरिया पसीने या अन्य माध्यमों से कान में संक्रमण पैदा करते हैं और चेहरे पर एलर्जी उत्पन्न कर देते हैं जिसके कारण रैशेज आने लगते हैं। इसलिए अगर आप मोबाइल पर अधिक देर तक बात करने के आदी हैं तो कोशिश करें कि मोबाइल चेहरे से न छूए और कान से फोन को थोड़ी दूरी पर रखकर बातें करें।

( बाथरूम में स्मार्टफोन का उपयोग हो सकता है आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक…)
मोबाइल फोन पर ज्यादा बात करने के नुकसान अटेंशन खराब होता है – फोन पर अधिक देर तक बात करने से एक बड़ी हानि यह होती है कि इससे व्यक्ति की मल्टीटास्किंग स्किल खराब होती है। इसका कारण यह है कि मोबाइल पर देर तक बात करने के आदी लोग काम पर कम फोकस कर पाते हैं जिसके कारण उनकी प्रदर्शन क्षमता भी प्रभावित होती है। वास्तव में बात करने के लिए फोन का अधिक इस्तेमाल करना ध्यान भटकाने का एक माध्यम माना जाता है। अगर किसी जरूरी काम या प्रोजेक्ट को आपको तय समय में पूरा करना है तो मोबाइल फोन पर अधिक देर तक बात करने से आपका काम प्रभावित हो सकता है।
       हम सभी अक्सर यह देखते हैं कि मोबाइल फोन पर देर तक बात करने वालों की अपनी ही एक दुनिया होती है। इसका अर्थ यह है कि उन्हें दूसरों से मतलब नहीं होता है और वे समाज से कट जाते हैं। फोन पर घंटों लगे रहने वाले लोग अपने सगे संबंधियों, और परिवार के लोगों को कम समय दे पाते हैं जिसके कारण उनके संबंध कभी बेहतर नहीं हो पाते हैं और ऐसे व्यक्ति लोगों के बीच अक्सर चर्चा का विषय बने रहते हैं। इसलिए मोबाइल फोन पर देर तक बात करने से आपको यह नुकसान हो सकता है कि आप अपने आसपास घटित होने वाली चीजों से बेखबर हो सकते हैं।
       मोबाइल फोन पर अधिक देर तक बात करने से बहरापन हो सकता है –
    आपने अक्सर महसूस किया होगा कि फोन पर घंटों बातें करने से फोन की बैटरी गर्म हो जाती है या कान में ईयरफोन लगाकर देर तक गाने सुनने से कान में हल्की जलन होने लगती है। इसका कारण यह है कि मोबाइल की तरंगों के कारण कान के नाजुक ऊत्तक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और कान का आंतरिक हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित होता है जिसके कारण आप बहरेपन के शिकार हो सकते हें। मोबाइल फोन पर देर तक बातें करने के कारण पसीने की वजह से कान में मैल भी तेजी से इकट्ठी होती है जिसके कारण कान में खुजली हो सकती है।

 मोबाइल से ज़्यादा बात करना ख़तरनाक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सेलफोन का इस्तेमाल करने वालों के लिए चेतावनी दी है। उसका कहना है कि सेलफोन और अन्य वायरलेस उपकरणों के अत्यधिक इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है। डब्ल्यूएचओ से जुड़ी कैंसर पर शोध करने वाली इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आइएआरसी) ने निष्कर्ष पेश किया। उसका कहना है कि मोबाइल फोन जैसे उपकरणों के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले विद्युत चुंबकीय क्षेत्र से कैंसर की आशंका पैदा होती है। विशेषज्ञों ने इस बात पर भी जोर दिया कि सेलफोन आने के बाद मस्तिष्क में होने वाले एक प्रकार के कैंसर ‘ग्लिओमा’ के भी मामले  बढ़े हैं। इस समय दुनिया भर में कुल पांच अरब लोग सेलफोन का इस्तेमाल करते हैं। 2012 में डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की रिपोर्ट के मुताबिक, रोज आधे घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करने पर 8-10 साल में ब्रेन ट्यूमर की आशंका 200-400 फीसदी बढ़ जाती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दिन भर में 24 से 30 मिनट फोन से करना सेहत के लिहाज से मुफीद है।

कैसे फैलता है रेडिएशन?
माइक्रोवेव रेडिएशन उन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के कारण होता है, जिनकी फ्रिक्वेंसी 1000 से 3000 मेगाहर्ट्ज होती है। माइक्रोवेव ओवन, एसी, वायरलेस कंप्यूटर, कॉर्डलेस फोन और दूसरे वायरलेस डिवाइसों से रेडिएशन बढ़ता है। फोन के अधिक इस्तेमाल की वजह से फोन से और मोबाइल टॉवर से रेडिएशन अधिक फैलता है, जो सबसे खतरनाक साबित हो सकता है।

रेिडएशन को लेकर क्या है मानक
जीएसएम टावरों के लिए रेडिएशन लिमिट 4500 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर तय की गई। लेकिन इंटरनैशनल कमिशन ऑन नॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन (आईसीएनआईआरपी) की गाइडलाइंस जो इंडिया में लागू की गईं, वे दरअसल शॉर्ट-टर्म एक्सपोजर के लिए थीं, जबकि मोबाइल टॉवर से तो लगातार रेडिएशन होता है। इसलिए इस लिमिट को कम कर 450 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर करने की बात हो रही है। ये नई गाइडलाइंस 15 सितंबर से लागू होंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह लिमिट भी बहुत ज्यादा है और सिर्फ 1 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर रेडिशन भी नुकसान देता है। यही वजह है कि ऑस्िट्रया में 1 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर और साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया में 0.01 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर लिमिट है।

SAR मोबाइल के मानक देखकर ही खरीदें फोन?
भारत समेत कई देशों में मोबाइल और उनके पार्ट्स निर्यात करने वाली कंपनी यूनिवर्सल एग्जिम के प्रोडक्ट मैनेजर आशुतोष शुक्ला बताते हैं, “रेडिएशन इस पर भी निर्भर करता है कि आपके मोबाइल की SAR (विशिष्ट अवशोषण दर) वैल्यू क्या है? अधिक SAR वैल्यू के फोन पर बात करना अधिक नुकसानदेह है। देश में अधिकतर फोन SAR मानक के ही हैं।” उन्होंने बताया, “बाजार में मोबाइल आने से पहले सभी कंपनियां SAR टेस्ट करवाती हैं। जिसकी वैल्यू हर मोबाइल के पीछे लिखी भी होती है। आशुतोष का कहना है मोबाइल में लगे एंटेना की क्वालिटी ही रेडियो फ्रिक्वेंसी निर्धारित करती है। मोबाइल जितना सस्ता होगा, उसमें निकलने वाला रेडिएशन उतना ही ज्यादा घातक होगा।”

बिना SAR संख्या वाला मोबाइल न खरीदें
आपके मोबाइल के पीछे छपी जानकारी ही SAR कहलाती है। कम SAR संख्या वाला मोबाइल ही खरीदें, क्योंकि इससे रेडिएशन का खतरा कम ही होता है। इसके अलावा आप मोबाइल कंपनी की वेबसाइट पर जाकर यूजर मैनुअल से यह संख्या चेक कर सकते हैं। कुछ भारतीय कंपनियां ऐसी भी हैं, जो SAR संख्या का खुलासा नहीं करतीं। ऐसे में ग्राहकों को बिना एसएआर वाले मोबाइल फोन खरीदने से बचना चाहिए।

भारत में SAR के लिए क्या हैं नियम?
भारत में अभी तक हैंडसेट्स में रेडिएशन के यूरोपीय मानकों का पालन होता है। इनके मुताबिक, हैंडसेट का SAR लेवल 2 वॉट प्रति किलो से अधिक नहीं होना चाहिए। एक्सपर्ट इसे सही नहीं मानते। उनके मुताबिक, यूरोपीय लोगों की तुलना में भारतीयों में कम बॉडी फैट होता है। इसके चलते रेडियो फ्रिक्वेंसी का भारतीयों पर अधिक असर पड़ता है। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित गाइडलाइंस में यह सीमा 1.6 वॉट प्रति किग्रा कर दी गई है, जोकि अमेरिकन स्टैंडर्ड है।

ये भी ध्यान रखें
यदि सिग्नल कम आ रहे हों, तो मोबाइल का इस्तेमाल न करें। इस दौरान रेडिएशन अधिक होता है। पूरे सिग्नल आने पर ही मोबाइल का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही खुले में मोबाइल का इस्तेमाल करना बेहतर है, क्योंकि इससे तरंगों को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाता है।

बात करते समय रेडिएशन से बचें
ब्लैकबेरी फोन में एक मैसेज आता है, जो कहता है कि मोबाइल को शरीर से 25 मिमी (करीब 1 इंच) की दूरी पर रखें। सैमसंग गैलेक्सी एस-3 में भी मोबाइल को शरीर से दूर रखने का मेसेज आता है। ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. रनवीर सिंह बताते हैं, “मोबाइल पर लंबी बात से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा ब्लूटूथ से बात करते समय भी एक फीट की दूरी रखें।”

मोबाइल फोन के टॉवर भी हैं ख़तरनाक
साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन के मुताबिक, “टॉवर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। लोग दिन भर में मोबाइल का कम इस्तेमाल करते हैं, जबकि टॉवर चौबीस घंटे रेडिएशन फैलाते हैं। इसलिए सबसे अधिक परेशानी टॉवर से ही होती है। मोबाइल पर यदि हम घंटे भर बात करते हैं, तो उससे हुए नुकसान की भरपाई के लिए 23 घंटे मिलते हैं, जबकि हम लगातार टॉवर से निकलने वाली तरंगों के संपर्क में रहते हैं। वैज्ञानिक शोधपत्रिका ‘एंटीऑक्सिडेंट्स एंड रिडॉक्स सिग्निलंग’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक कि मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से कोशिकाओं में तनाव पैदा होता है, जो कोशिकीय एवं अनुवांशिक उत्परिवर्तन से संबद्ध है। इसके कारण कैंसर का खतरा होता है। मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से कोशिकाओं में उत्पन्न होने वाला विशेष तनाव (ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस) डीएनए सहित मानव कोशिका के सभी अवयव नष्ट कर देता है। ऐसा विषाक्त पराक्साइड व स्वतंत्र कण विकसित होने के कारण होता है। तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया कि मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल करने वालों के लार में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस की उपस्थिति के संकेत कहीं अधिक हैं। शोध के अनुसार मोबाइल रेडिएशन से लंबे समय के बाद प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और मिस-कैरेज की आशंका भी हो सकती है। हमारे शरीर और दिमाग में मौजूद पानी धीरे-धीरे बॉडी रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है और सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल से कैंसर हो सकता है। हर दिन आधे घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल पर 8-10 साल में ब्रेन ट्यूमर की आशंका 200-400 फीसद तक बढ़ जाती है। मोबाइल रेडिएशन मोबाइल टावर और मोबाइल फोन दोनों वजह से होता है। टावर से सिग्नल, सिग्नल से फोन और फोन से आवाज आने तक की पूरी प्रक्रिया रेडियेशन पर आधारित है।

टॉवर के रेडिएशन से ऐसे बचें
मोबाइल टॉवरों से जितना मुमकिन है, दूर रहें। टावर कंपनी से ऐंटेना की पॉवर कम करने को बोलें। यदि घर के बिल्कुल सामने मोबाइल टावर है, तो घर की खिड़की-दरवाजे बंद रखें।
रेडिएशन डिटेक्टर की मदद से घर में रेडिएशन का लेवल चेक करें। (Detex नाम का रेडिएशन डिटेक्टर करीब 5000-7000 रुपये में मिलता है) घर की खिड़कियों पर खास तरह की फिल्म लगा सकते हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा रेडिएशन ग्लास के जरिए आता है। एंटी-रेडिएशन फिल्म की कीमत एक खिड़की के लिए करीब 4000-500 रुपए पड़ती है। खिड़की दरवाजों पर शिल्डिंग पर्दे लगा सकते हैं। ये पर्दे काफी हद तक रेडिएशन को रोक सकते हैं।

मोबाइल रेडिएशन से ऐसे बचें
मोबाइल को कान से करीब 1 इंच की दूर पर रखकर बात करें।
मोबाइल को हर वक्त साथ लेकर न घूमें।
सोते वक्त फोन को तकिए के नीचे न रखें।
रेडिएशन कम करने के लिए अपने फोन के साथ फेराइट बीड (रेडिएशन सोखने वाला एक यंत्र) भी लगा सकते हैं।
लंबी बात के लिए लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करें।
बचाव के लिए रेडिएशन ब्लॉक एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मोबाइल फोन रेडिएशन शील्ड का इस्तेमाल कर भी इससे बच सकते हैं।
खास एिप्लकेशन के इस्तेमाल से वाईफाई, ब्लू-टूथ, जीपीएस या ऐंटेना को ब्लॉक कर दें।
फोन खरीदते वक्त SAR संख्या जरूर देखें।
आंकड़ों की जुबानी

2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है।
जर्मनी में हुई रिसर्च के मुताबिक, जो लोग ट्रांसमीटर एंटेना के 400 मीटर के एरिया में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई। 400 मीटर एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से 100 गुना ज़्यादा होता है।
केरल में की गई एक रिसर्च के अनुसार सेल फोन टॉवरों से होने वाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की कमर्शल पॉप्युलेशन 60 फीसदी तक गिर गई है।
टावर्स से काफी हल्की फ्रिक्वेंसी (900 से 1800 मेगाहर्ट्ज) की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्ज निकलती हैं। ये भी छोटे चूजों को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
हंगरी में साइंटिस्टों ने पाया कि जो युवक बहुत ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।
ईयरफोन लगाकर ज्यादा देर तक म्यूजिक सुनने के चलते दिनो-दिन लोगों को कम सुनाई कम पड़ने की समस्या बढ़ रही है।
2010 की इंटरफोन स्टडी इस बात की ओर इशारा करती है कि लंबे समय तक मोबाइल के इस्तेमाल से ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है।

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मोबाइल फोन से रहें सावधान || क्या है मोबाइल रेडिएशन? Sawal Aapka Ha

अपने पैरों के तलवों में तेल लगाने से क्या फायदा होता है?

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