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बुधवार, 23 सितंबर 2020

#स्वस्थ रहने के लिए कुछ नियम, Some rules for staying #healthy, #Naturopathy प्राकृतिक चिकित्सा

 

                               स्वस्थ रहने के लिए कुछ नियम

                 प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में कुछ विशेष जानकारियां :


          स्वस्थ रहने के लिए खानपान के कुछ नियमों का पालन करना बहुत ही आवश्यक है। इन नियमों का पालन करके ही व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। जब कोई व्यक्ति खानपान के नियमों के विपरीत भोजन का सेवन करता है तो उसके शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण रोगी का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरने लगता है। अत: सभी व्यक्तियों को भोजन संबन्धी नियमों का पालन करना चाहिए।

भोजन संबन्धी कुछ नियम :-

सभी व्यक्तियों को भोजन अपनी भूख से कम ही करना चाहिए। भोजन को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए और हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। इस प्रकार का भोजन करने से रोगी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।

व्यक्तियों को वही भोजन सेवन करना चाहिए जो औषधि के सामान होता है अर्थात वही भोजन  करना चाहिए जो शुद्ध हो। कभी भी ऐसा भोजन नहीं करना चाहिए जो दूषित हो तथा शरीर को नुकसान पहुंचाने वाला हो।

सभी व्यक्तियों को सुबह तथा शाम के समय में योग तथा व्यायाम करना चाहिए क्योंकि इससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। योग और व्यायाम का लाभ किसी प्रकार की औषधि से कम नहीं होता है। जिस प्रकार औषधि रोगों को ठीक कर देती है, वह भी बिना खर्च किये, ठीक उसी प्रकार योग तथा व्यायाम भी बिना खर्चे कई प्रकार के रोगों को ठीक कर देता है।

सभी मनुष्यों को हमेशा शांत तथा हसंमुख रहना चाहिए क्योंकि इससे स्वास्थ्य सही बना रहता है तथा शरीर निरोगी हो जाता है।

क्रोध, गुस्सा तथा लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर का नाश होता है तथा शरीर का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता है।

व्यक्तियों को अपने जिंदगी में कभी भी निराश  नहीं होना चाहिए तथा हमेशा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए तभी शरीर का स्वास्थ्य बना रह सकता है।

व्यक्तियों को खाना ऐसा खाना चाहिए जिससे शरीर को लाभ मिलता हो तथा पानी वह पीना चाहिए जो शरीर को निरोगी कर दें तथा सभी व्यक्तियों से ऐसी बोली बोलनी चाहिए जो सबको प्यारी लगती हो।

दिन में एक बार भोजन करना योग के समान होता है अर्थात जो व्यक्ति दिन में 1 बार भोजन करता है उससे उसके शरीर का स्वास्थ्य बना रहता है। जो व्यक्ति दिन में 2 बार भोजन करता है वह भोगी के समान होता है अथार्त उस व्यक्ति का स्वास्थ्य सही नहीं बना रहता है। जो व्यक्ति दिन में 3 बार भोजन करता है उसका भोजन रोगी के सामान होता है क्योंकि ऐसा करने से शरीर में कई प्रकार के रोग हो जाते हैं और शरीर का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरने लगता है। जब कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है तो उसका स्वास्थ्य बना रहता है तथा उसके शरीर में कोई रोग भी नहीं होते हैं।

 रोग कारक खाद्यपदार्थ

साफ्ट ड्रिंक-

एक रिर्पोट के अनुसार सॉफ्ट ड्रिंक में 40 से 72 मिली ग्राम नशीले तत्व, ग्लिसरीन, एल्कोहल, ईस्टरगम साईट्रिक एसिड व जानवरों से प्राप्त ग्लिरोल आदि पाए जाते हैं।

शौचालय में किसी भी सॉफ्ट ड्रिंक को एक घंटे के लिए डाल दें तो वह फिनायल की तरह उसे साफ करता है। कहीं पर जंग लगा हो तो सॉफ्ट ड्रिंक में कपड़ा भिगोकर रगड़ने से वह हट जाता है। हड्डी और दांतों को गलाने में मिट्टी को कई साल लग जाते हैं। लेकिन सॉफ्ट ड्रिंक सिर्फ 10 दिनों में पर दांतों और हड्डी को गला देता है।
ऐसे खतरनाक सॉफ्ट ड्रिंक पीकर हम रसायन ही पेट में इकट्ठे कर रहें हैं और अपने आंत, जिगर आदि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

मैदा-

मैदा तैयार करते समय प्राकृतिक नमक, विटामिन, फुजला आदि नष्ट हो जाते हैं और सिर्फ निचले दर्जे के स्टार्च रह जाते हैं।
मैदा आंतों में चिपक जाता है। जिससे कब्ज एवं सड़न होकर रोग पैदा हो जाता है। इससे कई तरह के रोग उत्पन्न होना संभव है।

डिब्बा बंद खाद्य-

इनमें रसायन मिले होते हैं। शरीर को ये रसायन बाहर निकालने पड़ते है जिससे बिना किसी काम के शरीर व गुर्दों पर दबाव पड़ता है।

फास्ट फूड व चाईनीज फूड-

इनमें भी अजीनों मोटो या मोनोसोडियम ग्लुटामेट जैसे रसायन का मिश्रण रहता है जो धीरे धीरे पूरे शरीर में जमा होता जाता है। जिससे पूरा शरीर विषाक्त हो जाता है और कैंसर जैसे घातक रोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

 

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें

भाई राजीव दीक्षित जी के सपने स्वस्थ भारत समृद्ध भारत और स्वदेशी भारत स्वावलंबी भारत स्वाभिमानी भारत के निर्माण में एक पहल आप सब भी अपने जीवन मे भाई राजीव दीक्षित जी को अवश्य सुनें

 

भोजन संबन्धी 12 महीने के नियम

प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में कुछ विशेष जानकारियां :


          भोजन संबन्धी 12 महीने के नियमों को अपनाने से व्यक्ति कभी भी बीमार नहीं पड़ता है क्योंकि 12 महीने में कभी ठंड का मौसम होता है तो कभी गर्मी का तो कभी बरसात का मौसम। जब कोई व्यक्ति ठंड के मौसम में अधिक ठंडी चीजों का सेवन करता है तो उसे कई सारे रोग जैसे-सर्दी तथा जुकाम आदि हो जाते हैं। यदि व्यक्ति गर्मी के मौसम में अधिक गर्म चीजों का उपयोग करता है तो उसे दस्त, उल्टी आदि रोग हो जाते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि मनुष्य 12 महीने में भोजन संबन्धी परहेज करके कई प्रकार के रोगों से बच सकता है।

*भोजन संबन्धी बाहर महीने के नियम :- *

चैत्र (मार्च-अप्रैल)- चैत्र के महीने में गुड़ का सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। नीम की 4-5 कोमल पत्तियों को सुबह के समय में चेत्र के महीने में चबाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है और कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।

वैशाख (अप्रैल-मई)- इस महीने में तेल का बहुत कम उपयोग करना चाहिए क्योंकि इसके प्रयोग से शरीर में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। इस महीने में बेल का सेवन बहुत लाभदायक होता है।

ज्येष्ठ (मई-जून)- इस महीने में बहुत अधिक गर्मी होती है इसलिए दोपहर के समय में कुछ घंटे सोना चाहिए। इस महीने में बासी भोजन का सेवन न करें क्योंकि ऐसा करने से शरीर में बहुत से रोग हो सकते हैं।

आषाढ़ (जून-जुलाई) - इस महीने में सभी व्यक्तियों को व्यायाम तथा खेल-कुछ करना चाहिए जिससे बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस महीने में बेल का सेवन नहीं करना चाहिए।

श्रावण (जुलाई-अगस्त)- इस महीने में हरी साग-सब्जियों तथा दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। हरड़ का सेवन इस महीने में लाभदायक होता है।

भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर)- इस महीने में चीता औषधि का सेवन करना चाहिए।

आश्विन (सितम्बर-अक्तूबर)- इस महीने में गुड़ का सेवन करना लाभदायक होता है लेकिन इस महीने में करेले का सेवन हानिकारक होता है।

कार्तिक (अक्तूबर-नवम्बर)- इस महीने में मटठा पीना हानिकारक होता है। मूली का सेवन इस महीने में लाभदायक होता है।

अगहन:( नवम्बर-दिसम्बर)- इस महीने में व्यायाम करना लाभदायक होता है। इस महीने में अधिक ठंडी तथा गर्म चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

पौष (दिसम्बर-जनवरी)- इस महीने में दूध पीना लाभदायक होता है लेकिन इस महीने में धनिये का सेवन नहीं करना चाहिए।

माघ (जनवरी-फरवरी)- इस महीने में घी का सेवन लाभदयक होता है। मिश्री का सेवन इस महीने में नहीं करना चाहिए।

फाल्गुन (फरवरी-मार्च)- इस महीने में सुबह के समय में स्नान करना लाभदायक होता है। चने का सेवन इस महीने में हानिकारक होता है।

जानकारी-

          सभी व्यक्तियों को अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक महीने में प्रतिदिन सुबह के समय में व्यायाम करना चाहिए तथा दिन में कुछ समय सोना चाहिए। रात के समय में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

"प्लेटलेट्स बढ़ाने के उपाय"

1. डेंगू , चिकेन्गुनिया बुखार में शरीर के प्लेटलेट्स (platelates) तेजी से गिरते हैं, जिन्हें पपीते की पत्तियां तेजी से बढ़ाती हैं। मात्र तीन घंटे में पपीते की पत्तियां शरीर में रक्त के प्लेटलेट्स को बढ़ा देती हैं। उपचार के लिए पपीते की पत्तियों से डंठल को अलग करें और केवल पत्ती को पीसकर उसका जूस निकाल लें। दो चम्मच जूस दिन में तीन बार लें।

2. आधा गिलास ताजा कददू के रस में 1 चम्मच शहद मिलाएं और इसे एक दिन में 2 या 3 बार पियें।

3.ताजे पालक के 4 या 5 पत्तों को कुछ मिनट के लिए 2 कप पानी में उबालें। इसे ठंडा होने दें और आधा गिलास टमाटर के रस में मिक्स करें और इसे दिन में 3 बार पीयें।

4. आंवला में विटामिन सी प्लेटलेट्स के उत्पादन को बढ़ाने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।रोज सुबह खाली पेट 3-4 आंवला खाएं।

5.चुकंदर प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और हेमोस्टेटिक गुणों में संपन्न है l
 प्लेटलेट्स की संख्या वृद्धि के लिए दैनिक रूप से एक स्पून ताजा चुकंदर का रस दिन में 3 बार पीयें। 

आपके पास ही है रोगो को दूर करने के उपाय : अपनाये उपाय  20 उपयोगी , बनाये अपना जीवन निरोगी

डॉ राव पी सिंह

अपने जीवन में खानपान संबंधित कुछ आदतों को आप व्यवस्थित कर निरोगी, आनंददायक और चीर जीवन पा सकते है . थोड़ा आप ध्यान देंगे तो पाएंगे की ये उपाय आपके पास और सर्व सुलभ सस्ते ही है ।

 तो जानते है की ये क्या क्या है

1- केवल सेंधा नमक का प्रयोग करने पर आप थायराइड  और  ब्लडप्रेशर से बचे रह सकते हैं, यही नहीं, आपका पेट भी ठीक रहेगा ।

2- कोई भी रिफाइंड न खाकर तिल, सरसों, मूंगफली या नारियल के तेल का प्रयोग आपके शरीर को कई बीमारियों से बचायेगा, रिफाइंड में कई हानिकारक कैमिकल  होते हैं ।

3- ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य सही रहेगा ।

4- करेले, मेथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएं,  रक्त शुद्ध होता रहेगा ।

5- भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा ।

6- भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण  देगा ।

7- भोजन से पहले पिया गया पानी अमृत, बीच का सामान्य और अंत में पिया गया पानी ज़हर के समान होता है ।

8- बहुत ही आवश्यक हो तो भोजन के साथ गुनगुना पानी ही पियें, यह निरापद होता है ।

9- सवेरे दही का प्रयोग अमृत, दोपहर में सामान्य व रात के खाने के साथ दही का प्रयोग ज़हर के समान होता है ।

10- नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें, पोषण, विटामिन व फाईबर मुफ्त में प्राप्त होते रहेंगे ।

11- चीनी कम-से-कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी । भोजन में गुड़ व देशी शक्कर का प्रयोग बढ़ायें ।

12- बिना कलौंजी वाला अचार न खायें, यह हानिकारक होता है ।

13- छौंक में राई के साथ कलौंजी का प्रयोग भी करें, फायदे इतने कि लिखे नहीं जा सकते ।

14- खाने की ठंडी चीजें ( आइस क्रीम) कम से कम खायें, ये पेट की पाचक अग्नि कम करती हैं,  दांत खराब करती हैं ।

15- सोयाबीन की बड़ी को दो घंटे भिगोकर मसलकर झाग निकालने के बाद ही प्रयोग करें, यह झाग जहरीली होती है ।

16- पानी मटके के पानी से अधिक ठंडा न पियें, पाचन  व दांत ठीक रहेंगे ।

17- पानी का फिल्टर
RO वाला हानिकारक है,  UV वाला ही प्रयोग करें ।सस्ता भी , बढ़िया भी ।

18- एक डस्टबिन रसोई के अंदर और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्टबिन में डालना न भूलें ।

19- रसोई में एग्जास्ट फैन अवश्य लगवायें, इससे प्रदूषित  हवा बाहर निकलती रहेगी ।

20- माइक्रोवेव, ओवन का प्रयोग न करें, यह कैंसर कारक है ।

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