जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं। यह कई तरह का होती है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि।
*गठिया के लक्षण*
✍गठिया के किसी भी रूप में जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है। इस सूजन के चलते जोड़ों में दर्द, जकड़न और फुलाव होने लगता है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। इसका प्रभाव प्राय घुटनों, नितंबों, उंगलियों तथा मेरू की हड्डियों में होता है उसके बाद यह कलाइयों, कोहनियों, कंधों तथा टखनों के जोड़ भी दिखाई पड़ता है।
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*किसको होता है आर्थराइटिस?*
✍गठिया महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है। यह पुरुषों को 75 की उम्र के बाद होता है। महिलाओं में यह मेनोपॉज के बाद होता है। अगर आपके माता-पिता को यह बीमारी है तो आपको भी 20 प्रतिशत चांस होगा कि यह बीमारी हो जाए।
*आर्थराइटिस के जोखिम कारक*
महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी के कारण, शरीर में आयरन व कैल्सियम की अधिकता, पोषण की कमी, मोटापा, ज्यादा शराब पीना, हाई ब्लड प्रेशर और किडनियों को ठीक प्रकार से काम ना करने की वजह से गठिया होता है।
*गठिया*
1. पैरों के अंगूठों में सूजन पैरों में गठिया का असर सबसे पहले देखने को मिलता है। अंगूठे बुरी तरह से सूज जाते हैं और तब तक ठीक नहीं होते जब तक की उनका इलाज ना करवाया जाए।
2. उंगलियों का होता है यह हाल उंगलियों के जोड़ में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा हो जाते हैं। इससे उंगलियों के जोडो़ में बहुत दर्द होता है जिसके लिये डॉक्टर का उपचार लेना पड़ता है।
3. दर्द से भरी कुहनियां गठिया रोग कुहनियां तथा घुटनों में हो सकता है। इसमें कुहनियां बहुत ही तकलीफ देह हो जाती हैं और सूजन से भर उठती हैं।
संतुलित और सुपाच्य आहार लें। चोकर युक्त आटे की रोटी तथा छिलके वाली मूंग की दाल खाएं। हरी सब्जियों में सहिजन, ककड़ी, लौकी, तोरई, पत्ता गोभी, गाजर, आदि का सेवन करें। दूध और उससे बने पदार्थों का सेवन करें। दवाइयों से ठीक करें गठिया अगर दर्द ज्यादा बढ़ गया हो तो डॉक्टर को दिखा कर दवाइयां खाएं। यह सूजन और दर्द को कम करती हैं तथा खून में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करके जोडो़ में इसे जमा होने से बचाती हैं।
☘ *Osteoarthritis* ☘
बढ़ती उम्र के साथ ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या भी बढ़ती जा
रही है। इस प्रकार की अर्थराइटिस में जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और
उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। इस स्थिति को सहज मेडिकल भाषा में ऑस्टियो
अर्थराइटिस कहते हैं। सामान्यत: मिडिल एज यानी 40 से 50 या इससे अधिक उम्र
वाले लोगों में इस बीमारी के होने की आशंकाएं ज्यादा होती हैं। फोर्टिस
हॉस्पिटल जयपुर के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉक्टर अनूप झुरानी बता रहे
हैं ऑस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण, कारण और उपचार का तरीका।
*ऑस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण*
▪जोड़ों में दर्द होना और जोड़ों में तिरछापन आना।
▪चाल में खराबी और चलने-फिरने की क्षमता का कम होना।
▪सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में दिक्कत।
*ऑस्टियो अर्थराइटिस की कराएं जांच*
ऑस्टियो अर्थराइटिस की जांच बहुत आसान है। डॉक्टर द्वारा किए गए चेकअप और जोड़ों के डिजिटल एक्सरे से ही इस रोग का पता चल जाता है, कि आपको ये बीमारी है या नहीं। इसके लिए आप अच्छे डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
*ऑस्टियो अर्थराइटिस बचाव के उपाय*
*एक्सरसाइज करें*
ऑस्टियो अर्थराइटिस के दर्द को दूर करने के लिए एक्सरसाइज करें। यह क्षतिग्रस्त जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। वैसे एक्सरसाइज ऑस्टियो अर्थराइटिस में कई अर्थों में उपयोगी होता है। सबसे पहले, यह जोड़ों के आसपास की पेशी का समर्थन मजबूत करता है। और जोड़ों में सुधार और जोड़ों की गतिशीलता बनाये रखता है। इसके अलावा एक्सरसाइज वजन कम करने में मदद करने के साथ सहनशीलता को भी बढ़ावा देता है। ऑस्टियो अर्थराइटिस होने पर तैरना विशेष रूप से अनुकूल होता है क्योंकि यह जोड़ों के लिए कम से कम तनाव प्रभाव का अभ्यास कराता है।
*थेरेपी*
दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही काफी नहीं होता। इसके अलावा भी कई ऐसी थेरेपी हैं, जो बिना दवा के ही आपको दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। फिजियोथेरेपी ऐसी ही एक थेरेपी है। इसमें इलाज का एक अलग तरीका होता है, जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ मूवमेंट द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। यह थेरेपी एक तरीके से शरीर को तरोताजा करने का काम करती है। ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या में आप टेन्स थेरेपी की मदद ले सकते हैं। इस थेरेपी में ऐसे मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे दर्द को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही थरमोथेरेपी की जा सकती है। इसमें क्षतिग्रस्त जोड़ों पर ठंडे या गर्म पैक को रखा जाता है। इससे बहुत आराम मिलता है।
*मसाज*
मसाज ऑस्टियो अर्थराइटिस के दर्द में कमी लाने में बहुत फायदेमंद होता है। इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है। नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (एनसीसीएम) द्वारा समर्थित एक शोध के अनुसार, स्वीडिश मसाज के एक सप्ताह के साठ मिनट सत्र को करवाने से घुटने के क्रोनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ लोगों की परेशानी में महत्वपूर्ण कमी पाई गई।
*आहार है महत्वपूर्ण*
भारतीय महिलाओं की खुद के प्रति पोषण की उदासीनता उनकी कई समस्याओं की जड़ है। नियमित पौष्टिक भोजन करके वे कई समस्याओं के साथ ऑस्टियोआर्थराइटिस को भी दूर रख सकती हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के लिए अपने आहार में ग्लूकोसमीन और कोन्ड्रायटिन सल्फेट जैसे तत्वों से भरपूर होना चाहिए। ये हड्डियों और कार्टिलेज के अच्छे दोस्त होते हैं।
*ऑस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण*
▪जोड़ों में दर्द होना और जोड़ों में तिरछापन आना।
▪चाल में खराबी और चलने-फिरने की क्षमता का कम होना।
▪सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में दिक्कत।
*ऑस्टियो अर्थराइटिस की कराएं जांच*
ऑस्टियो अर्थराइटिस की जांच बहुत आसान है। डॉक्टर द्वारा किए गए चेकअप और जोड़ों के डिजिटल एक्सरे से ही इस रोग का पता चल जाता है, कि आपको ये बीमारी है या नहीं। इसके लिए आप अच्छे डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
*ऑस्टियो अर्थराइटिस बचाव के उपाय*
*एक्सरसाइज करें*
ऑस्टियो अर्थराइटिस के दर्द को दूर करने के लिए एक्सरसाइज करें। यह क्षतिग्रस्त जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। वैसे एक्सरसाइज ऑस्टियो अर्थराइटिस में कई अर्थों में उपयोगी होता है। सबसे पहले, यह जोड़ों के आसपास की पेशी का समर्थन मजबूत करता है। और जोड़ों में सुधार और जोड़ों की गतिशीलता बनाये रखता है। इसके अलावा एक्सरसाइज वजन कम करने में मदद करने के साथ सहनशीलता को भी बढ़ावा देता है। ऑस्टियो अर्थराइटिस होने पर तैरना विशेष रूप से अनुकूल होता है क्योंकि यह जोड़ों के लिए कम से कम तनाव प्रभाव का अभ्यास कराता है।
*थेरेपी*
दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही काफी नहीं होता। इसके अलावा भी कई ऐसी थेरेपी हैं, जो बिना दवा के ही आपको दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। फिजियोथेरेपी ऐसी ही एक थेरेपी है। इसमें इलाज का एक अलग तरीका होता है, जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ मूवमेंट द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। यह थेरेपी एक तरीके से शरीर को तरोताजा करने का काम करती है। ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या में आप टेन्स थेरेपी की मदद ले सकते हैं। इस थेरेपी में ऐसे मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे दर्द को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही थरमोथेरेपी की जा सकती है। इसमें क्षतिग्रस्त जोड़ों पर ठंडे या गर्म पैक को रखा जाता है। इससे बहुत आराम मिलता है।
*मसाज*
मसाज ऑस्टियो अर्थराइटिस के दर्द में कमी लाने में बहुत फायदेमंद होता है। इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है। नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (एनसीसीएम) द्वारा समर्थित एक शोध के अनुसार, स्वीडिश मसाज के एक सप्ताह के साठ मिनट सत्र को करवाने से घुटने के क्रोनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ लोगों की परेशानी में महत्वपूर्ण कमी पाई गई।
*आहार है महत्वपूर्ण*
भारतीय महिलाओं की खुद के प्रति पोषण की उदासीनता उनकी कई समस्याओं की जड़ है। नियमित पौष्टिक भोजन करके वे कई समस्याओं के साथ ऑस्टियोआर्थराइटिस को भी दूर रख सकती हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के लिए अपने आहार में ग्लूकोसमीन और कोन्ड्रायटिन सल्फेट जैसे तत्वों से भरपूर होना चाहिए। ये हड्डियों और कार्टिलेज के अच्छे दोस्त होते हैं।
#गठिया (#जोड़दर्द) , #Arthritis (#jointpain)