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शनिवार, 26 सितंबर 2020

महिलाओं और पुरुषों में #बांझपन, कारण, लक्षण और उपचार #Infertility, Causes, #Symptoms and Treatment in Women and Men


            *पुरुष एवं महिला बांझपन* 

अगर आप गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, तो आप अकेली नहीं हैं. आज हर 7 में से 1 दंपती के साथ यह समस्या है. एक सामान्य धारणा है कि बांझपन महिलाओं की समस्या है, लेकिन बांझपन के हर 3 केस में से 1 का कारण पुरुष होता है. बांझपन के बारे में पता केवल तब नहीं चलता जब कोई दंपती काफी प्रयासों के बाद भी संतान सुख प्राप्त नहीं कर पाते, बल्कि कई लक्षण हैं जो बहुत पहले ही इस बारे में संकेत दे देते हैं.
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               *पुरुषों में बांझपन के लक्षण*
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अधिकतर पुरुष जो बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं वे पिता बनने की अक्षमता के अलावा बांझपन के लक्षणों को पहचान नहीं पाते. पुरुष बांझपन से ये संकेत और लक्षण जुड़े हुए हैं: टेस्टिकल की असामान्यता मुख्य है. टेस्टिकल्स अर्थात वर्षण में ही स्पर्म का निर्माण और संग्रह होता है. अगर इन का आकार छोटा है या सही स्थान पर नहीं हैं अथवा किसी बीमारी या दुर्घटना के कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं, तो इस से सीमन की गुणवत्ता प्रभावित होगी, जो प्रजनन क्षमता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. अगर मेल सैक्स हारमोन टेस्टोस्टेरौन जो स्पर्म के निर्माण में सम्मिलित होता है का स्तर असामान्य रूप से कम होता है तो यह सीधे तौर पर प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है. इस असंतुलन से छोटे कड़े टेस्टिकल्स हो जाते हैं व हेयर ग्रोथ में परिवर्तन आ जाता है. आमतौर पर सैक्स करने की इच्छा में भी परिवर्तन आ जाता है. टेस्टिकल्स में सूजन आ जाती या दर्र्द होता है. इरैक्शन और इजेक्युलेशन में समस्या पैदा हो जाती है.

उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में स्पर्म की संख्या कम होने लगती है. कम स्पर्म का अर्थ है गर्भधारण की संभावना का कम होना. 40 साल पार के पुरुषों की प्रजनन क्षमता युवा पुरुषों की तुलना में लगभग 40-50% कम होती है. जिन पुरुषों को इम्यून तंत्र से संबंधित समस्याएं होती हैं उन्हें बांझपन का खतरा अधिक होता है. कमजोर इम्यून तंत्र के कारण स्पर्म की गति प्रभावित होती है, जिस से स्पर्म एग तक नहीं पहुंच पाते और उसे पेनिट्रेट नहीं कर पाते. वजन समान्य से बहुत अधिक या बहुत कम होने से शुक्राणुओं की संख्या, उन का स्वास्थ्य औैर टेस्टोस्टेरौन का स्तर प्रभावित होता है, जो अंतत: बांझपन का कारण बन जाता है. कई सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज जैसे क्लेमाइडिया, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन स्पर्म के स्वास्थ्य, उन के उत्पादन और गति को प्रभावित करते हैं, जो बांझपन का कारण बन सकता है.

✒ *इरैक्टाइल डिसफंक्शन*
इरैक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) वह स्थिति है जिस में पुरुष संभोग के दौरान इरैक्शन प्राप्त नहीं कर पाते या उसे बनाए नहीं रख पाते हैं. कभीकभी ईडी की समस्या होना कोई चिंता का कारण नहीं, लेकिन अगर यह समस्या लंबे समय से चल रही है तो जरूर यह चिंता का विषय है.
*ईडी के लक्षणों में निम्न लक्षण सम्मिलित हो सकते हैं:-*
– इरैक्शन प्राप्त करने में समस्या आना.
– इरैक्शन को बनाए रखने में समस्या आना।
– सैक्स की इच्छा कम होना.
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               *महिलाओं में बांझपन के लक्षण*
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महिलाओं में बांझपन के  लक्षण मासिकधर्म प्रारंभ होने के साथ ही दिखने लगते हैं. इन में से कईर् लक्षण ऐसे होते हैं, जिन्हें तुरंत पहचान कर उन का उपचार करा लिया जाए तो बहुत संभव है कि भविष्य में होने वाली बांझपन की आशंका से बचा जाए.

✒ *अनियमित मासिकधर्म*
महिलाओं में मासिकधर्म की अनियमितता बांझपन का सब से प्रमुख कारण है. कईर् महिलाओं में संतुलित व पोषक भोजन के सेवन और नियमित ऐक्सरसाइज के द्वारा यह समस्या दूर हो जाती है, लेकिन कई महिलाओं को उपचार की आवश्यकता पड़ती है.
*मासिकचक्र से संबंधित निम्न अनियमितताएं हो सकती हैं:-*
– 21 दिन से कम समय के अंतराल में पीरियड्स आना।
– पीरियड्स के दौरान 2 दिन से भी कम समय तक ब्लीडिंग होना।
– 2 पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग होना जिसे इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग कहते हैं. इसे स्पौटिंग भी कहते हैं.
– 3 मासिकचक्र में पीरियड्स न आना.
– पीरियड्स 35 दिन के अंतराल से अधिक समय में आना.
– मासिकचक्र के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग होना.

✒ *मासिकधर्म न आना*
कई महिलाओं में कभी कभी मासिकधर्म आता ही नहीं. इस का कारण अंडाशय या गर्भाशय की अनुपस्थिति होती है. यह समस्या जन्मजात हाती है, लेकिन इस के बारे में पता यौवनावस्था प्रारंभ होने पर लगता है. ऐसी महिलाएं कभी मां नहीं बन पाती हैं.

✒ *हारमोन असंतुलन*
कभीकभी महिलाओं में बांझपन हारमोन समस्याओं से भी संबंधित होता है.
*इस मामले में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:-*
– त्वचा में परिवर्तन आ जाना, जिस में अत्यधिक मुंहासे होना सम्मिलित है.
– सैक्स करने की इच्छा में परिवर्तन आ जाना.
– होंठों, छाती और ठुड्डी पर बालों का विकास.
– बालों का झड़ना या पतला होना.
– वजन बढ़ना.
– निप्पल से दूध जैसा सफेद डिस्चार्ज निकलना, जो स्तनपान से संबंधित नहीं होता है.
– सैक्स के दौरान दर्द होना.
– असामान्य मासिकचक्र.

✒ *गंभीर ऐंडोमैट्रिओसिस*
ऐंडोमैट्रिओसिस गर्भाशय से जुड़ी एक समस्या है. यह समस्या महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सर्वाधिक प्रभावित करती है, क्योंकि गर्भधारण करने और बच्चे को जन्म देने में गर्भाशय की सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐंडोमैट्रिओसिस गर्भाशय की अंदरूनी परत की कोशिकाओं का असामान्य विकास होता है. यह समस्या तब होती जब कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर विकसित हो जाती हैं. इसे ऐंडोमैट्रिओसिस इंप्लांट कहते हैं.

जिन महिलाओं को ऐंडोमैट्रिओसिस है, उन में से 35-50% को गर्भधारण करने में समस्या होती है. इस के कारण फैलोपियन ट्यूब्स बंद हो जाती हैं जिस से अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन नहीं हो पाता है. कभीकभी अंडे या शुक्राणु को भी नुकसान पहुंचता है. इस से भी गर्भधारण नहीं हो पाता. जिन महिलाओं में यह समस्या गंभीर नहीं होती उन्हें गर्भधारण करने में अधिक समस्या नहीं होती है.

✒ *प्रीमेनोपौज*
इस में ओवरी काम करना बंद कर देती है और मासिकधर्म 40 साल की उम्र के पहले बंद हो जाता है. मेनोपौज की स्थिति इस बात का प्रत्यक्ष लक्षण है कि आप अब कभी मां नहीं बन पाएंगी.

✒ *पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम*
इस में गर्भाशय में छोटेछोटे सिस्ट बन जाते हैं, जिस से गर्भधारण करने में समस्या होती है. यह बांझपन का कारण बन सकता है.

30 साल से अधिक उम्र 30 के बाद गर्भधारण करने की संभावना घटने लगती है, क्योंकि एग्स जितने पुराने होंगे उन का निषेचन उतना ही कठिन हो जाता है.

अगर 35 साल की आयु के बाद लगातार 6 महीनों तक असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद कोई महिला गर्भवती नहीं होती है, तो यह बांझपन का संकेत हो सकता है.

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   यद्यपि इसे (पोस्ट) तैयार करने में पूरी सावधानी रखने की कोशिश रही है। फिर भी किसी घटनाएतिथि या अन्य त्रुटि के लिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है । अतः अपने विवेक से काम लें या विश्वास करें।

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यह पोस्ट में दी गयी जानकारी Whtsapp धार्मिक विश्वास एवं आस्था एवं ग्रन्थों से पर आधारित है जो पूर्णता वैज्ञानिक नहीं है

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