शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

अपने पैरों के तलवों में तेल लगाने से क्या फायदा होता है?

 1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान नहीं। एक बार उन्होंने कहना शुरू किया कि उन्हें कलकत्ता में रहने पर एक बूढ़े व्यक्ति ने ,जो कि रेलवे लाइन पर पत्थर बिछाने का काम करता था,सलाह दी कि सोते समय अपने पैरों के तलवों पर तेल लगाये। यह मेरे उपचार और फिटनेस का एकमात्र स्रोत है।

 2।  एक छात्रा ने कहा कि मेरी मां ने उसी तरह तेल लगाने पर जोर दिया। फिर उसने कहा कि एक बच्चे के रूप में, उसकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। जब उसने इस प्रक्रिया को जारी रखा, तो मेरी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ और स्वस्थ हो गई।

 3।  एक सज्जन जो एक व्यापारी हैं, ने लिखा है कि मैं अवकाश के लिए चित्राल गया था। मैं वहाँ एक होटल में सोया था। मैं सो नहीं सका। मैं बाहर घूमने लगा। रात में बाहर बैठे पुराने चौकीदार ने मुझसे पूछना शुरू किया, "क्या बात है?"  मैंने कहा नींद नहीं आ रही है!  वह मुस्कुराया और कहा, "क्या आपके पास कोई तेल है?" मैंने कहा, नहीं, वह गया और तेल लाया और कहा, "कुछ मिनट के लिए अपने पैरों के तलवों की मालिश करें।" फिर वह खर्राटे लेना शुरू कर दिया। अब मैं सामान्य हो गया हूं।

 4।  मैंने रात में सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर इस तेल की मालिश की कोशिश की। इससे मुझे बेहतर नींद आती है और थकान दूर होती है।

 5।  मुझे पेट की समस्या थी। अपने तलवों पर तेल से मालिश करने के बाद, 2 दिनों में मेरे पेट की समस्या ठीक हो गई।

 6।  वास्तव में!  इस प्रक्रिया का एक जादुई प्रभाव है। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश की। इस प्रक्रिया ने मुझे बहुत सुकून की नींद दी।

 7. मैं इस ट्रिक को पिछले 15 सालों से कर रहा हूं। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद आती है। मैं अपने छोटे बच्चों के पैरों के तलवों की भी तेल से मालिश करता हूं, जिससे वे बहुत खुश और स्वस्थ रहते हैं।

 8. मेरे पैरों में दर्द हुआ करता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों को 2 मिनट तक रोजाना जैतून के तेल से मालिश करना शुरू किया। इस प्रक्रिया से मेरे पैरों में दर्द से राहत मिली।

 9।  मेरे पैरों में हमेशा सूजन रहती थी और जब मैं चलता था, मैं थक जाता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल मालिश की इस प्रक्रिया को शुरू किया। सिर्फ 2 दिनों में, मेरे पैरों की सूजन गायब हो गई।

 10  रात में, बिस्तर पर जाने से पहले, मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का एक टिप देखा और उसे करना शुरू कर दिया। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद मिली।

 1 1।  बड़ी अदभुत बात है।  यह टिप आरामदायक नींद के लिए नींद की गोलियों से बेहतर है। मैं अब हर रात अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश करके सोता हूं।

 12  मेरे दादाजी के पैरों के तलवों में जलन होती थी और सिरदर्द होता था। जब से उन्होंने अपने तलवों पर कद्दू का तेल लगाना शुरू किया, दर्द दूर हो गया।

 13. मुझे थायरॉइड की बीमारी थी। मेरे पैर में हर समय दर्द हो रहा था। पिछले साल किसी ने मुझे रात में बिस्तर पर जाने से पहले पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का यह सुझाव दिया था। मैं इसे स्थायी रूप से कर रहा हूं। अब मैं आम तौर पर शांत हूं।

 14।  मेरे पैर सुन रहे थे। मैं रात को बिस्तर पर जाने से पहले चार दिनों तक अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश कर रहा हूं। एक बड़ा अंतर है।

 15. बारह या तेरह साल पहले मुझे बवासीर हुआ था। मेरा दोस्त मुझे एक ऋषि के पास ले गया जो 90 साल का था।  उन्होंने हाथ की हथेलियों पर, उँगलियों के बीच, नाखूनों के बीच और नाखूनों पर तेल रगड़ने का सुझाव दिया और कहा: नाभि में चार-पाँच बूँद तेल डालें और सो जाएँ। मैं हकीम साहब की सलाह मानने लगा।  मुझे बहुत राहत मिली। इस टिप ने मेरी कब्ज की समस्या को भी हल कर दिया। मेरे शरीर की थकान भी दूर हो जाती है और मुझे चैन की नींद आती है।  खर्राटों को रोकता है।

 16।  पैरों के तलवों पर तेल की मालिश एक आजमाई हुई और परखी हुई टिप है।

 17।  तेल से मेरे पैरों के तलवों की मालिश करने से मुझे चैन की नींद मिली।

 18. मेरे पैरों और घुटनों में दर्द था।  जब से मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की टिप पढ़ी है, अब मैं इसे रोजाना करता हूं, इससे मुझे चैन की नींद आती है।

 19. जब से मैंने रात को बिस्तर पर जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश के इस नुस्खे का उपयोग करना शुरू किया है, तब से मुझे कमर दर्द ठीक हो गया है। मेरी पीठ का दर्द कम हो गया है और भगवान का शुक्र है कि मुझे बहुत अच्छी नींद आई है।

 रहस्य इस प्रकार है:

 रहस्य बहुत ही सरल, बहुत छोटा, हर जगह और हर किसी के लिए बहुत आसान है। किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए। रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं।  क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए।

 प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं।  उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।

बुधवार, 30 नवंबर 2022

गुड़हल के पेड़ को एक संपूर्ण औषधि माना गया है.!

 गुड़हल के पेड़ को एक संपूर्ण औषधि माना गया है.!

 गुड़हल के पेड़ को एक संपूर्ण औषधि माना गया है.!
जानिये...
इसकी जड़ से लेकर पुष्प तक हर चीज इसकी जड़ से लेकर पुष्प तक हर चीज किसी न किसी बीमारी का इलाज है, खास तौर पर स्किन तथा बालों से जुड़ी समस्याओं का।

आइए जानते हैं गुड़हल के फूल तथा पत्तियों के कुछ ऐसे ही घरेलू जबरदस्त 15 नुस्खे...
(1) गुडहल के 20 फूल तथा पत्तियों को सुखाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोजाना एक गिलास दूध के साथ पीने से याददाश्त बढ़ती है। खून की कमी भी दूर होती है।

(2) चेहरे से मुंहासे व धब्बे दूर करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके फूल की पत्तियों को पानी में पीसकर उसमें शहद मिलाकर चेहरे पर लगाया जाता है।

(3) डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।

(4) मुंह में छाले होने पर गुड़हल के पत्ते चबाएं।

(5) यदि आप बालों को सुंदर और मजबूत बनाना चाहते हैं तो गुड़हल के ताजे फूलों को पीसकर बालों पर लगाएं।

(6). यदि चेहरे पर बहुत मुंहासे हो गए हैं तो लाल गुडहल की पत्तियों को पानी में उबाल कर पीस लें और उसमें शहद मिला कर त्वचा पर लगाने से आराम मिलता है।

(7). गुड़हल के फूलों का उपयोग बालों को सुंदर बनाने के लिए भी किया जाता है। इसे पानी में उबालकर सिर धोने से बालों के झडऩे की समस्या दूर हो जाती है।

(8). मेहंदी और नींबू के रस में 10 ग्राम गुड़हल की पत्तियों को मिलाकर बालों की जड़ों से सिरे तक अच्छे से लगाले, बालों की रूसी खत्म हो जाती है।

(9). इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन में भी किया जाता है। भारत में गुड़हल की पत्तियों और फूलों से हर्बल आईशैडो बनती है।

(10). गुड़हल का फूल शरीर की सूजन के साथ-साथ खुजली तथा जलन जैसी समस्याओं से भी राहत देता है। गुड़हल के फूल की ताजी पत्तियां पीस कर सूजन तथा जलन वाली जगह पर लगाएं, कुछ ही मिनटों में समस्या दूर हो जाएगी।

(11). बच्चों के लिए हर्बल शैम्पू बनाने में भी इसका उपयोग होता है, क्योंकि यह माइल्ड होता है।

(12). गुड़हल के फूल और पत्तों का उपयोग त्वचा से झुर्रियां दूर करने में भी किया जाता है।

(13). गुड़हल की चाय (हिबिस्कस टी) गुडहल की चाय (हिबिस्कस टी) को हर्बल चाय या काढ़े के तौर पर लिया जाता है। इसके फूलों को सुखा कर उसकी हर्बल चाय बनाई जाती है। कॉकटेल के लिए इसमें ठंडा पानी या बर्फ के टुकड़े मिलाए जाते हैं। इस चाय के सेवन से मोटापा कम किया जा सकता है।

(14). इसके अलावा यह एकाग्रता भी बढ़ाता है।

(15) शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही यह दिल के मरीजों के लिए भी अच्छी है।




#सुपारी_पाक

 #सुपारी_पाक

 यही ठंड की सीजन में शक्ति वर्धक और बलवर्धक एवं पूर्ति वर्धक सुपारी पाक का महत्व

सुपारी पाक के घटक द्रव्य :
✦ कपूर – 4 ग्राम
✦ तज – 3 ग्राम
✦ तेजपात – 3 ग्राम
✦ नागरमोथा – 3 ग्राम
✦ सूखा पुदीना – 3 ग्राम
✦ पीपल – 3 ग्राम
✦ खुरासानी अजवायन – 3 ग्राम
✦ छोटी इलायची के पिसे हुए दाने – 3 ग्राम
✦ तालीस पत्र – 5 ग्राम
✦ वंशलोचन – 5 ग्राम
✦ जावित्री – 5 ग्राम
✦ सफेद चन्दन – 5 ग्राम
✦ काली मिर्च – 5 ग्राम
✦ जायफल – 5 ग्राम
✦ सफ़ेद जीरा – 7 ग्राम,
✦ बिनौले की गिरी – 12 ग्राम
✦ लौंग – 12 ग्राम
✦ सूखा धनिया – 12 ग्राम
✦ पीपलामूल – 12 ग्राम
✦ नीलोफर का फूल -1 ग्राम,
✦ सूखा सिंघाड़ा – 30 ग्राम
✦ शतावर – 30 ग्राम
✦ नागकेशर – 30 ग्राम
✦ खिरनी के बीज – 40 ग्राम,
✦ बादाम – 50 ग्राम
✦ पिस्ता – 50 ग्राम
✦ बीज रहित मुनक्का – 50 ग्राम ,
✦ सुपारी – 1 किलो,
✦ शक्कर – 1 किलो,
✦ गो घृत – आधा किलो।

#सुपारीपाकबनानेकीविधि* :
बीज रहित मुनक्का सिल पर पीस लें। सुपारी को कूट पीस व छान कर खूब महीन चूर्ण कर लें और गो घृत में मन्दी आंच पर अच्छी तरह सेक लें। शक्कर व शहद अलग रख कर सभी द्रव्यों को खूब अच्छी तरह कूट पीस कर छान कर महीन चूर्ण करके मिला लें और गोघृत के साथ मन्दी आंच पर अच्छी तरह सेक लें।

शक्कर की चाशनी बना कर, भुने हुए सभी द्रव्य चाशनी में डाल कर अच्छी तरह मिला कर ठण्डा होने के लिए रख दें। ठण्डा हो जाए तब शहद मिला कर बड़े थाल में फैला कर जमने के लिए रख दें। जम जाने पर बर्फी काट लें।

दूसरी एक सरल विधि भी है कि थाल में न जमा कर इसे कूट कर मसल कर, इसकी बर्फी न बना कर, बूरे के रूप में ही बर्नी में भर लें। बूरे के रूप में सुपारी पाक अधिक दिनों तक खराब नहीं होता और सेवन योग्य बना रहता है।

सुपारी पाक की मात्रा और सेवन विधि :
इसे 10-10 ग्राम सुबह शाम दूध के साथ सेवन करें। अगर दूध गाय का मिल सके तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

#सुपारीपाकके_फायदे*:

1- पुरुषों के लिए सुपारी पाक के फायदे – supari pak benefits for male
यह पाक पुरुषों के लिए वाजी कारक, पुष्टिकारक और वीर्य वर्द्धक होता है ।

2- स्त्रियों के लिए सुपारी पाक के फायदे – supari pak benefits for female
सुपारी पाक स्त्रियों के कई प्रकार के प्रदर रोग को नष्ट करने वाला, उन्हें अच्छा स्वास्थ्य और सौन्दर्य प्रदान करने वाला तथा स्त्रीपुरुष के बन्ध्यत्त्व दोष को दूर करने वाला है। स्त्रियों के लिए तो यह आयुर्वेद का वरदान ही है।

3- सौन्दर्य वृद्धि में सुपारी पाक के लाभ –
इसका सेवन करने से स्त्रियों के स्वास्थ्य व सौन्दर्य की वृद्धि तो होती ही है ।

4- बांझपन को दूर करने वाला –
सुपारी पाक के सेवन से बन्ध्यत्व (बांझपन) दूर होता है, गर्भाशय स्वस्थ, विकार रहित और सशक्त बनता है ।

5- योनि मार्ग की शिथिलता को दूर करने वाला –
सुपारी पाक के सेवन से योनि मार्ग की शिथिलता दूर होती है जिससे वह संकुचित और स्वस्थ होता है, शरीर फुर्तीला और चेहरा ओजस्वी होता है, रंग रूप निखरता है।

6- नवजात शिशु की माता को बल व पुष्टि देनेवाला –
प्रसूति के बाद प्रसूता स्त्री द्वारा इसका सेवन करना अत्यन्त गुणकारी होता है।
इसके सेवन से प्रौढ़ा स्त्री भी युवती की तरह लावण्यमयी हो जाती है ।

7- प्रदर रोग में सुपारी पाक के फायदे –
प्रदर रोग नष्ट होता है जिससे स्त्री, प्रदर रोग के कारण उत्पन्न होने वाली सभी पीड़ाओं और व्याधियों से मुक्त हो जाती ह।

इस तरह सुपारी पाक स्त्रियों के स्वास्थ्य और सौन्दर्य की रक्षा करने वाला तथा शरीर को स्वस्थ तथा निरोग रखने वाला श्रेष्ठ लेडीज़ टॉनिक सिद्ध होता है।

पुरुषों के लिए भी यह अत्यन्त गुणकारी और सेवन योग्य टॉनिक है क्योंकि इसका सेवन करने से पुरुष को यौन शक्ति, बल पुष्टि और चुस्ती फुर्ती की प्राप्ति होती है इसलिए पति-पत्नी दोनों ही इस योग का सेवन कर लाभ उठा सकते हैं।




प्रसव के बाद जननी की मालिश

 प्रसव के बाद जननी की मालिश क्यों है ज़रूरी और जानिये क्या हैं इसके फायदे

 

माँ बनना एक सुखद एहसास है, पर इसके लिए महिलाओं को असहनीय प्रसव पीड़ा झेलनी पड़ती है और फिर जाकर उन्हें वो ख़ुशी की किलकारी सुनने को मिलती है। प्रसव के बाद महिला का शरीर काफ़ी कमज़ोर रहता है और इस कारण उनको ख़ास केयर की ज़रूरत होती है। सिर्फ सही खान-पान ही नहीं बल्कि शारीरिक देखभाल की भी ज़रूरत होती है और इसी कारण नयी माँ को मसाज यानी मालिश की भी ज़रूरत होती है क्यूंकि इससे माँ को बहुत से फायदे होते हैं। नीचे कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में हम बता रहे हैं।

1. प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में काफी दिनों तक दर्द रहता है जो की मालिश करने से दूर होता है क्यूंकि मालिश से मांसपेशियों को पोषण मिलता है और उनको आराम मिलता है।

2. मसाज से शरीर में रक्त संचार तेज़ होता है जिससे माँ का दूध बनने में मदद मिलती है और इससे माँ ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी रिलैक्स रहती है।

3. मालिश के लिए सबसे अच्छे तिल और अरंडी के तेल होते हैं जो त्वचा में ग्लो और कसाव भी लाता है ।

4. इसके आलावा अगर आप सुगन्धित तेल से मसाज करवाती हैं तो आपको और ज़्यादा आराम मिलेगा और आप खुद को तनावमुक्त महसूस करेंगी।

5. मालिश प्रेगनेंसी के बाद बढ़े हुए वज़न को भी घटाता है क्यूंकि मालिश करने से फैट बर्न होता है और इस कारण आप प्रेगनेंसी के बाद अपने पुराने वाले फिगर में वापस आ सकती  हैं।

6. आपको जानकर थोड़ा आश्चर्य हो सकता है की मालिश से स्ट्रेच मार्क्स भी कम हो सकते हैं और कोशिश करें मालिश के वक़्त प्राकृतिक तेल का ही इस्तेमाल करने की ।

पर मालिश करवाते वक़्त यह ज़रूर ध्यान रखें की आप ज़ोर से मालिश ना करवाएं क्यूंकि प्रसव के बाद आपका शरीर कमज़ोर होता है और डिपेंड करता है की आपकी नार्मल डिलीवरी हुई है या सी-सेक्शन क्यूंकि सी-सेक्शन में अगर मालिश करवा रहे हैं तो खास सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है, इसलिए मालिश कराएं पर ध्यान से।
 


 

*सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस* "--

" *सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस* "

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सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस

जड़ी-बूटी और भस्मों से बनी स्वर्णयुक्त बेजोड़ दवा है जिसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग दूर होते हैं। *शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नामर्दी दूर करने और भरपूर जोश और जवानी लाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है.* तो आईये जानते हैं रसेन्द्र चूड़ामणि रस का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल:-


💠संभोग का नाम लेते ही नामर्दी को दूर करने और जोश बढ़ाने के लिए हमारे मन में आने वाला सबसे पहला नाम है वियाग्रा। वियाग्रा हमें एक बार के लिए चुस्ती फुर्ती और काम शक्ति तो देता है परंतु साथ ही साथ वह हमें कमजोर भी करता है। *वियाग्रा लेने वालों को ऐसी आदत पड़ जाती है कि वह वियाग्रा लेने के अलावा संभोग कर ही नहीं सकते* । उन्हें उन्हें ह्रदय व गुर्दों के रोग हो जाते हैं।


💠 *राजा महाराजाओं की काम शक्ति का राज है सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस।* जो राजा महाराजा अनेक रानियां रखते थे वे सबके साथ संभोग करने के लिए है अपनी शक्ति को रसेंद्र चूड़ामणि रस के माध्यम से बढ़ाते थे।


💠 *जो जोड़े आपस में प्रेम संबंध को बढ़ाना चाहते हैं वे सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस का प्रयोग अवश्य करें।* 


💠सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस  संभोग की शक्ति को बढ़ाने का प्राकृतिक उपाय है इसलिए वह बहुत ही असरकारक है और सिर्फ *20 दिन के सेवन मात्रा से स्थाई असर देता है।* 


💠इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण होने के कारण अफीम से होने वाले नुकसान बहुत कम हो जाते हैं। *लेकिन फिर भी इसका सेवन 20 दिनों से जयादा न करने की सलाह दूँगा।* 


💠 *शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह "सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस " वरदान है।* जबकि दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग तुरंत प्रभाव से असर दिखाता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।

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➡ बनाने की विधी :

• पारा भस्म 1 ग्राम।

• स्वर्ण भस्म 2ग्राम।

• नाग भस्म 100 पुटी 3 ग्राम।

• अभ्रक भस्म 100 पुटी 4 ग्राम।

• वंग भस्म 5 ग्राम।

• अतुल शकतिदाता योग (खुद तैयार किया) 6 ग्राम।

• चाँदी भस्म 7 ग्राम।

• स्वर्ण माक्षिक भस्म 8 ग्राम।

सबको मिलाकर धतूरे के पतों के रस और भंग के पतों के रस में तीन दिन खरल करें। फिर मघाँ, गिलोय, भड़िंगी, अंबरबेल, खस, नागरमोथा, शुद बचनाग, मुलठी, शतावर, कौंच के रस जा काड़े की सात- सात भावना देवें। जब सारी दवाई सूख जाये तो इसके कुल वजन की आधी अफीम मिलाकर तुलसी के रस में घोटकर 1-1 रती की गोली बनाकर छाया में सुखा लें।

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➡ मात्रा :

1 या 2 गोली तक दूध से लेवें। तुरंत प्रभाव हेतू संभोग से 2 घंटे पहले गर्म दूध से लेवें।

यह नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग है। ज्यादा औरतों के साथ संभोग करने वाले विलासी पुरूषों के लिये उतम औषधि है।


🌹 *सेक्स समस्याओं के लिए दुनिया का सबसे बेहतरीन फार्मूला* 🌹


*हर तरफ से निराश औरभ परेशान Sex रोगी एक दफा जरूर मिलें*


*नया खुन,नया जौश और नई जवानी दुवार से पाएं।*


*हर तरह की Sex Problem का इलाज है*


*नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग।*



         

छोटी उम्र में कामोत्तेजना जागने पर मनुष्य जब संभोग, हस्तमैथुन या स्वप्नदोष का शिकार हो जाता है तो काम केंद्र लिंग और वीर्य उतपादक ग्रंथियाँ पूरी तरह ताकत में आने से पहले ही कमजोर हो जाती हैं और वीर्य बिलकुल पतला हो जाता है। जिस कारण स्तंभन शक्ति कमजोर हो जाती है।

मर्द औरत के साथ तसल्ली और मनमौजी तरीके से संभोग रचाने के काबिल नहीं रहता।

कई मर्दों की हालत तो इतनी खराब हो जाती है कि औरत के साथ में उनको स्पर्श करते ही प्यार सिरे से खारिज हो जाता हैं और शर्मिंदगी महसूस करनी पढ़ती है।

ऐसे रोगियों के लिये  अमृत समान है।

संभोग करते वक़्त समय इतना बढ़ जाता है कि सारी रात संभोग रचाकर भी आदमी थकता नहीं।

जब तक आप कोई खटाई नही खाते तब तक इसका असर कम नहीं होता।

अगर नियम और संयम रखकर इसका सेवन एक महीना कर लिया जाये तो शीघ्रपतन की समस्या का स्थाई समाधान हो जाता है। जिससे आप फिर से अपने बैडरूम के सुपरमैन बन जायेंगे आर जीवन आनंद ही आनंद होगा।


*क्या आप निम्न सेक्स समस्याओं से परेशान हैं..................?*


💁🏻‍♂लिंग का आकार आदि सामान्य होने के बावजूद भी सेक्स की इच्छा ही न होना.जिस कारण Wife का बुरा व्यवहार आपके सामने आ रहा है या अचानक पत्नी आपसे लड़ रही है.

💁🏻‍♂सेक्स करते-करते बीच में ही उत्तेजना Errection समाप्त होकर लिंग penis का बिना वीर्य निकले ही ढीला पड़ जाना और पत्नी का असंतुष्ट रह जाना Orgasm ना मिलना.सेक्स से पूर्व वीर्य ज्यादा गुदगुदी होकर निकल जाता है तो इसका इलाज अति शीघ्र करवाएं.

💁🏻‍♂सेक्स क्रिया शुरू करते ही वीर्य निकल जाना और पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े.

💁🏻‍♂एक बार यदि सेक्स कर लिया तो कई-कई दिनों तक लिंग में सेक्स करने लायक उत्तेजना Erection का ही न आना जिस कारण यदि पत्नी कमउम्र है तो अकारण काम का बहाना करना पड़ता है.

💁🏻‍♂वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य का पानी की तरह पतला होना.

💁🏻‍♂सेक्स के बाद भयंकर कमजोरी महसूस होना जैसे बरसों से बीमार हों.

💁🏻‍♂लिंग में सेक्स करने लायक कठोरता Hardness का न आना और इच्छा होने पर भी थोड़ा सा उत्तेजित होकर पिलपिला बना रहना.

💁🏻‍♂जवानी शुरू होते ही हस्तमैथुन करके वीर्य का सत्यानाश करा और लिंग को भी बीमार बना डाला है.

💁🏻‍♂सेक्स के दौरान दम फूलने लगना जैसे अस्थमा का दौरा पड़ गया हो.


👨🏻‍⚕ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन का सत्यानाश होता रहता है और कई बार तो साथी के कदम बहक जाने से परिवार तक टूट जाते हैं। पत्निया तलाक मांगने लगती हैं या उनके कदम बहक जाते हैं.


👨🏻‍⚕ऐसे में पति बाजारू दवाओं का सेवन करके और नामर्द impotent या शीघ्रपतन का शिकार होजाता है या नीम-हकीमों के चक्कर में अपनी मेहनत का पैसा लुटाते रहते हैं लेकिन ऐसी दवाओं से स्थायी समाधान हाथ नहीं आकर और नुकसान उठा बैठते हैं।


👨🏻‍⚕बस कुछ देर के लाभ का छलावा महसूस होता है। ऐसे में चाहिये कि शरीर का भली प्रकार पोषण करके शक्ति देने वाली आयुर्वेदिक वाली औषधि (दवाई). आपके पास हों। न कि थोड़ी उत्तेजना Errection देकर heart atek ,B.P problems, आँखों, किडनी व मस्तिष्क यानि दिमाग का नाश करने वाली अंग्रेजी दवाइयां।


👨🏻‍⚕मैने गहन अध्ययन और अनुभव के बाद ..कीमती जड़ी बूटी और बहूमूल्य जवाहरात की भस्मो(कुश्ता)सोना चांदी भस्मो ईत्यादि से तैयार कि हैं।


👨🏻‍⚕शीघ्रपतन जैसी नामुराद बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिये आप एक बार  इस्तेमाल जरूर करके देखें।


👨🏻‍⚕  का इस्तेमाल करने वाला मर्द जिस औरत के साथ संभोग कर लेगा वह औरत जीवन भर उसी मर्द की दासी बनकर रह जायेगी।


👨🏻‍⚕ताकतवर समझकर कभी भी बताई गई मात्रा से जयादा इस्तेमाल न करें कयोंकि जयादा मात्रा में सेवन करने से कामोत्तेजना बहुत बढ जाती है।


👉🏼 इतना प्रभावशाली है कि इसका सेवन करने से रोम- रोम नाचने लगता है।


▪मस्ती से भरा हुआ मर्द जब औरत के साथ सेज साँझी करता है तो दोनों की रूह एक दूसरे में इस तरह समा जाती है जैसे तुम और मैं का भेद समाप्त हो जाता है।

▪इसका उपयोग एक दूसरे से बहुत प्यार करने वाले जोड़ों को जरूर करना चाहिए। वही इसकी सही उपयोग करके एक दूसरे के हो सकते हैं।


*Married peoples इसका इस्तेमाल जरूर करें।*


👨🏻‍⚕यह औषधि अति विलासी "राजे- महाराजे" इस्तेमाल करते थे। क्योंकि उनके एक से अधिक औरतों के साथ संबंध होते थे।

▪इसके कुछ दिन सेवन करने से वीर्य बहुत गाढा हो जाता है।

▪इसके कुछ दिनों के इसतेमाल से नाड़ीतंत्र को ताकत मिलती है।


🔹इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण हैं।


🔹शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह वरदान है।


🔹दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग 10-15 दिनों में ही असर दिखाना शुरू कर देता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।


सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस जड़ी-बूटी और भस्मों से बनी स्वर्णयुक्त बेजोड़ दवा है जिसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग दूर होते हैं। शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नामर्दी दूर करने और भरपूर जोश और जवानी लाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं रसेन्द्र चूड़ामणि रस का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल:-

💠संभोग का नाम लेते ही नामर्दी को दूर करने और जोश बढ़ाने के लिए हमारे मन में आने वाला सबसे पहला नाम है वियाग्रा। वियाग्रा हमें एक बार के लिए चुस्ती फुर्ती और काम शक्ति तो देता है परंतु साथ ही साथ वह हमें कमजोर भी करता है। वियाग्रा लेने वालों को ऐसी आदत पड़ जाती है कि वह वियाग्रा लेने के अलावा संभोग कर ही नहीं सकते । उन्हें उन्हें ह्रदय व गुर्दों के रोग हो जाते हैं।

💠 राजा महाराजाओं की काम शक्ति का राज है सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस। जो राजा महाराजा अनेक रानियां रखते थे वे सबके साथ संभोग करने के लिए है अपनी शक्ति को रसेंद्र चूड़ामणि रस के माध्यम से बढ़ाते थे।

💠 जो जोड़े आपस में प्रेम संबंध को बढ़ाना चाहते हैं वे सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस का प्रयोग अवश्य करें।

💠सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस  संभोग की शक्ति को बढ़ाने का प्राकृतिक उपाय है इसलिए वह बहुत ही असरकारक है और सिर्फ 7 दिन के सेवन मात्रा से स्थाई असर देता है।

💠इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण होने के कारण अफीम से होने वाले नुकसान बहुत कम हो जाते हैं। लेकिन फिर भी इसका सेवन 90 दिनों से जयादा न करने की सलाह दूँगा।

💠 शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह "सुवर्णा रस  रसेंद्र चूड़ामणि रस " वरदान है। जबकि दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग तुरंत प्रभाव से असर दिखाता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।
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➡ बनाने की विधी :
• पारा भस्म 1 ग्राम।
• स्वर्ण भस्म 2ग्राम।
• नाग भस्म 100 पुटी 3 ग्राम।
• अभ्रक भस्म 100 पुटी 4 ग्राम।
• वंग भस्म 5 ग्राम।
• अतुल शकतिदाता योग (खुद तैयार किया) 6 ग्राम।
• चाँदी भस्म 7 ग्राम।
• स्वर्ण माक्षिक भस्म 8 ग्राम।
सबको मिलाकर धतूरे के पतों के रस और भंग के पतों के रस में तीन दिन खरल करें। फिर मघाँ, गिलोय, भड़िंगी, अंबरबेल, खस, नागरमोथा, शुद बचनाग, मुलठी, शतावर, कौंच के रस जा काड़े की सात- सात भावना देवें। जब सारी दवाई सूख जाये तो इसके कुल वजन की आधी अफीम मिलाकर तुलसी के रस में घोटकर 1-1 रती की गोली बनाकर छाया में सुखा लें।
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➡ मात्रा :
1 या 2 गोली तक दूध से लेवें। तुरंत प्रभाव हेतू संभोग से 2 घंटे पहले गर्म दूध से लेवें।
यह नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग है। ज्यादा औरतों के साथ संभोग करने वाले विलासी पुरूषों के लिये उतम औषधि है।

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नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग।


         
छोटी उम्र में कामोत्तेजना जागने पर मनुष्य जब संभोग, हस्तमैथुन या स्वप्नदोष का शिकार हो जाता है तो काम केंद्र लिंग और वीर्य उतपादक ग्रंथियाँ पूरी तरह ताकत में आने से पहले ही कमजोर हो जाती हैं और वीर्य बिलकुल पतला हो जाता है। जिस कारण स्तंभन शक्ति कमजोर हो जाती है।
मर्द औरत के साथ तसल्ली और मनमौजी तरीके से संभोग रचाने के काबिल नहीं रहता।
कई मर्दों की हालत तो इतनी खराब हो जाती है कि औरत के साथ में उनको स्पर्श करते ही प्यार सिरे से खारिज हो जाता हैं और शर्मिंदगी महसूस करनी पढ़ती है।
ऐसे रोगियों के लिये  अमृत समान है।
संभोग करते वक़्त समय इतना बढ़ जाता है कि सारी रात संभोग रचाकर भी आदमी थकता नहीं।
जब तक आप कोई खटाई नही खाते तब तक इसका असर कम नहीं होता।
अगर नियम और संयम रखकर इसका सेवन एक महीना कर लिया जाये तो शीघ्रपतन की समस्या का स्थाई समाधान हो जाता है। जिससे आप फिर से अपने बैडरूम के सुपरमैन बन जायेंगे आर जीवन आनंद ही आनंद होगा।

क्या आप निम्न सेक्स समस्याओं से परेशान हैं..................?

💁🏻‍♂लिंग का आकार आदि सामान्य होने के बावजूद भी सेक्स की इच्छा ही न होना.जिस कारण Wife का बुरा व्यवहार आपके सामने आ रहा है या अचानक पत्नी आपसे लड़ रही है.
💁🏻‍♂सेक्स करते-करते बीच में ही उत्तेजना Errection समाप्त होकर लिंग penis का बिना वीर्य निकले ही ढीला पड़ जाना और पत्नी का असंतुष्ट रह जाना Orgasm ना मिलना.सेक्स से पूर्व वीर्य ज्यादा गुदगुदी होकर निकल जाता है तो इसका इलाज अति शीघ्र करवाएं.
💁🏻‍♂सेक्स क्रिया शुरू करते ही वीर्य निकल जाना और पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े.
💁🏻‍♂एक बार यदि सेक्स कर लिया तो कई-कई दिनों तक लिंग में सेक्स करने लायक उत्तेजना Erection का ही न आना जिस कारण यदि पत्नी कमउम्र है तो अकारण काम का बहाना करना पड़ता है.
💁🏻‍♂वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य का पानी की तरह पतला होना.
💁🏻‍♂सेक्स के बाद भयंकर कमजोरी महसूस होना जैसे बरसों से बीमार हों.
💁🏻‍♂लिंग में सेक्स करने लायक कठोरता Hardness का न आना और इच्छा होने पर भी थोड़ा सा उत्तेजित होकर पिलपिला बना रहना.
💁🏻‍♂जवानी शुरू होते ही हस्तमैथुन करके वीर्य का सत्यानाश करा और लिंग को भी बीमार बना डाला है.
💁🏻‍♂सेक्स के दौरान दम फूलने लगना जैसे अस्थमा का दौरा पड़ गया हो.

👨🏻‍⚕ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन का सत्यानाश होता रहता है और कई बार तो साथी के कदम बहक जाने से परिवार तक टूट जाते हैं। पत्निया तलाक मांगने लगती हैं या उनके कदम बहक जाते हैं.

👨🏻‍⚕ऐसे में पति बाजारू दवाओं का सेवन करके और नामर्द impotent या शीघ्रपतन का शिकार होजाता है या नीम-हकीमों के चक्कर में अपनी मेहनत का पैसा लुटाते रहते हैं लेकिन ऐसी दवाओं से स्थायी समाधान हाथ नहीं आकर और नुकसान उठा बैठते हैं।

👨🏻‍⚕बस कुछ देर के लाभ का छलावा महसूस होता है। ऐसे में चाहिये कि शरीर का भली प्रकार पोषण करके शक्ति देने वाली आयुर्वेदिक वाली औषधि (दवाई). आपके पास हों। न कि थोड़ी उत्तेजना Errection देकर heart atek ,B.P problems, आँखों, किडनी व मस्तिष्क यानि दिमाग का नाश करने वाली अंग्रेजी दवाइयां।

👨🏻‍⚕मैने गहन अध्ययन और अनुभव के बाद ..कीमती जड़ी बूटी और बहूमूल्य जवाहरात की भस्मो(कुश्ता)सोना चांदी भस्मो ईत्यादि से तैयार कि हैं।

👨🏻‍⚕शीघ्रपतन जैसी नामुराद बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिये आप एक बार  इस्तेमाल जरूर करके देखें।

👨🏻‍⚕  का इस्तेमाल करने वाला मर्द जिस औरत के साथ संभोग कर लेगा वह औरत जीवन भर उसी मर्द की दासी बनकर रह जायेगी।

👨🏻‍⚕ताकतवर समझकर कभी भी बताई गई मात्रा से जयादा इस्तेमाल न करें कयोंकि जयादा मात्रा में सेवन करने से कामोत्तेजना बहुत बढ जाती है।

👉🏼 इतना प्रभावशाली है कि इसका सेवन करने से रोम- रोम नाचने लगता है।

▪मस्ती से भरा हुआ मर्द जब औरत के साथ सेज साँझी करता है तो दोनों की रूह एक दूसरे में इस तरह समा जाती है जैसे तुम और मैं का भेद समाप्त हो जाता है।
▪इसका उपयोग एक दूसरे से बहुत प्यार करने वाले जोड़ों को जरूर करना चाहिए। वही इसकी सही उपयोग करके एक दूसरे के हो सकते हैं।

Married peoples इसका इस्तेमाल जरूर करें।

👨🏻‍⚕यह औषधि अति विलासी "राजे- महाराजे" इस्तेमाल करते थे। क्योंकि उनके एक से अधिक औरतों के साथ संबंध होते थे।
▪इसके कुछ दिन सेवन करने से वीर्य बहुत गाढा हो जाता है।
▪इसके कुछ दिनों के इसतेमाल से नाड़ीतंत्र को ताकत मिलती है।

🔹इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण हैं।

🔹शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह वरदान है।

🔹दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग 10-15 दिनों में ही असर दिखाना शुरू कर देता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।

पद्म पर्वतासन :एक विशेष योगासन कूल्हों क़ी मजबूती और संतुलन के लिए जानिये इसकी विधि और फायदे

 पद्म पर्वतासन :एक विशेष योगासन कूल्हों क़ी मजबूती और संतुलन के लिए जानिये इसकी विधि और फायदे

 

यह आसन दो आसनों का मिलाजुला रूप है। बैठकर किए जाने वाले आसनों में पद्मासन और खड़े होकर किए जाने वाले पर्वतासन दोनो के लाभ इस आसन से प्राप्त होते है इसलिए ये पद्मासन का एडवांस आसन है रीढ़ क़ी हड्डी और शरीर के निचले हिस्से क़ी मजबूती के साथ शारीरिक संतुलन भी इस आसन के प्रमुख लाभो में शामिल है

पद्म पर्वतासन के लाभ

यह आसन संतुलन की भावना और एकाग्र होने की योग्यता में सुधार करता है।

यह श्वास प्रणाली की कार्यक्षमता को प्रोत्साहित करता है।

रीढ़ क़ी हड्डी को सीधा करने और मजबूती प्रदान करने में यह योग कारगर है

इसका अभ्यास पूरे नाड़ी-तंत्र क़ी उद्दिग्नता को शान्त करता है।

निरंतर अभ्यास नितम्ब, पीठ, कंधे और बाजुओं की मांसपेशियों को मजबूती देता है।

सही से आसन कूल्हों की खिसकन में कमी करता है।

पद्म पर्वतासन क़ी विधि

सर्व प्रथम एक साफ शांत और समतल स्थान पर आसन बिछाकर उस पर पद्मासन में बैठें।

अब अपने हाथों की सहायता से सावधानी बरतते हुए घुटनों के बल आ जायें।

इस स्थिति में संतुलन पर ध्यान एकाग्र करें।

अपने हाथों को सिर के ऊपर फैलायें

चाहे तो हाथो को प्रणाम क़ी मुद्रा में कर सकते है

अब हाथो को जितना हो सके ऊपर खींचे  जिससे कि सम्पूर्ण ऊपरी शरीर (धड़) लम्बाई में खिंच जाये

एकाग्रता से अपने सामने किसी नियत बिन्दु पर ध्यान दें।

1-2 मिनट तक इसी स्थिति में रहें।

अब धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें।

इस प्रकार आसन का एक चक्र पूरा करें

निरंतर अभ्यास से आप चक्रों क़ी संख्या और आसन क़ी अवधि बढ़ा सकते है

पद्म पर्वतासन के सावधानियां

तीव्र ज्वर य़ा अन्य कोई रोग होने पर यह आसन विशेषज्ञ क़ी सलाह पर ही करें
 
घुटनों के जोड़ों की समस्या होने पर यह आसन नहीं करना चाहिये।

ताजा ताजा शल्य क्रिया हुई हो तो इस आसन का अभ्यास का करें 




#सनातनी और #वैज्ञानिक परम्पराएं

 सनातनी और वैज्ञानिक परम्पराएं

पुराने समय से बहुत सी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका पालन आज भी काफी लोग कर रहे हैं। ये परंपराएं धर्म से जुड़ी दिखाई देती हैं, लेकिन इनके वैज्ञानिक कारण भी हैं। जो लोग इन परंपराओं को अपने जीवन में उतारते हैं, वे स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों से बचे रहते हैं। यहां जानिए ऐसी ही चौदह प्रमुख परंपराएं, जिनका पालन अधिकतर परिवारों में किया जाता है…

1. एक ही गोत्र में शादी नहीं करना : - कई शोधों में ये बात सामने आई है कि व्यक्ति को जेनेटिक बीमारी न हो इसके लिए एक इलाज है ‘सेपरेशन ऑफ़ जींस’, यानी अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नहीं करना चाहिए। रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाते हैं और जींस से संबंधित बीमारियां जैसे कलर ब्लाईंडनेस आदि होने की संभावनाएं रहती हैं। संभवत: पुराने समय में ही जींस और डीएनए के बारे खोज कर ली गई थी और इसी कारण एक गोत्र में विवाह न करने की परंपरा बनाई गई।

2. कान छिदवाने की परंपरा : - स्त्री और पुरुषों, दोनों के लिए पुराने समय से ही कान छिदवाने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि, आज पुरुष वर्ग में ये परंपरा मानने वालों की संख्या काफी कम हो गई है। इस परंपरा की वैज्ञानिक मानयता ये है कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है, बोली अच्छी होती है। कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित और व्यवस्थित रहता है। कान छिदवाने से एक्यूपंक्चर से होने वाले स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे छोटे बच्चों को नजर भी नहीं लगती है।

3. माथे पर तिलक लगाना : - स्त्री और पुरुष माथे पर कुमकुम, चंदन का तिलक लगाते हैं। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क यह है कि दोनों आंखों के बीच में आज्ञा चक्र होता है। इसी चक्र स्थान पर तिलक लगाया जाता है। इस चक्र पर तिलक लगाने से हमारी एकाग्रता बढ़ती है। मन बेकार की बातों में उलझता नहीं है। तिलक लगाते समय उंगली या अंगूठे का जो दबाव बनता है, उससे माथे तक जाने वाली नसों का रक्त संचार व्यवस्थित होता है। रक्त कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं।

4. जमीन पर बैठकर भोजन करना : - जमीन पर बैठकर भोजन करना पाचन तंत्र और पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। पालथी मारकर बैठना एक योग आसन है। इस अवस्था में बैठने से मस्तिष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। पालथी मारकर भोजन करते समय दिमाग से एक संकेत पेट तक जाता है कि पेट भोजन ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाए। इस आसन में बैठने से गैस, कब्ज, अपच जैसी समस्याएं दूर रहती हैं।

5. हाथ जोड़कर नमस्ते करना : - हम जब भी किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते या नमस्कार करते हैं। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क यह है नमस्ते करते समय सभी उंगलियों के शीर्ष आपस में एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। हाथों की उंगलियों की नसों का संबंध शरीर के सभी प्रमुख अंगों से होता है। इस कारण उंगलियों पर दबाव पड़ता है तो इस एक्यूप्रेशर (दबाव) का सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है।

 साथ ही, नमस्ते करने से सामने वाला व्यक्ति हम लंबे समय तक याद रह पाता है। इस संबंध में एक अन्य तर्क यह है कि जब हम हाथ मिलाकर अभिवादन करते है तो सामने वाले व्यक्ति के कीटाणु हम तक पहुंच सकते हैं। जबकि नमस्ते करने पर एक-दूसरे का शारीरिक रूप से संपर्क नहीं हो पाता है और बीमारी फैलाने वाले वायरस हम तक पहुंच नहीं पाते हैं।

6. भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से : -  धार्मिक कार्यक्रमों में भोजन की शुरुआत अक्सर मिर्च-मसाले वाले व्यंजन से होती है और भोजन का अंत मिठाई से होता है। इसका वैज्ञानिक तर्क यह है कि तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।

7. पीपल की पूजा : - आमतौर पर लोगों की मान्यता यह है कि पीपल की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसका एक तर्क यह है कि इसकी पूजा इसलिए की जाती है, ताकि हम वृक्षों की सुरक्षा और देखभाल करें और वृक्षों का सम्मान करें, उन्हें काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा वृक्ष है, जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। इसीलिए अन्य वृक्षों की अपेक्षा इसका महत्व काफी अधिक बताया गया है।

8. दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना : -
दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने पर बुरे सपने आते हैं। इसीलिए उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए। इसका वैज्ञानिक तर्क ये है कि जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर प्रवाहित होने लगता है। इससे दिमाग से संबंधित कोई बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर भी असंतुतित हो सकता है। दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से ये परेशानियां नहीं होती हैं।

9. सूर्य की पूजा करना : - सुबह सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क ये है कि जल चढ़ाते समय पानी से आने वाली सूर्य की किरणें, जब आंखों हमारी में पहुंचती हैं तो आंखों की रोशनी अच्छी होती है। साथ ही, सुबह-सुबह की धूप भी हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद होती है। शास्त्रों की मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है। कुंडली में सूर्य के अशुभ फल खत्म होते हैं।

10. चोटी रखना : - पुराने समय में सभी ऋषि-मुनी सिर पर चोटी रखते थे। आज भी कई लोग रखते हैं। इस संबंध में मान्यता है कि जिस जगह पर चोटी रखी जाती है, उस जगह दिमाग की सारी नसों का केंद्र होता है। यहां चोटी रहती है तो दिमाग स्थिर रहता है। क्रोध नहीं आता है और सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है। मानसिक मजबूती मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है।

11. व्रत रखना : - पूजा-पाठ, त्योहार या एकादशियों पर लोग व्रत रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार व्रत से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी, मधुमेह आदि रोग होने की संभावनाएं भी कम रहती हैं।

12. चरण स्पर्श करना : - किसी बड़े व्यक्ति से मिलते समय उसके चरण स्पर्श करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। यही संस्कार बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे भी बड़ों का आदर करें। इस परंपरा के संबंध में मान्यता है कि मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हमारे हाथों से सामने वाले पैरों तक पहुंचती है और बड़े व्यक्ति के पैरों से होते हुए उसके हाथों तक पहुंचती है। आशीर्वाद देते समय व्यक्ति चरण छूने वाले के सिर पर अपना हाथ रखता है, इससे हाथों से वह ऊर्जा पुन: हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है। इससे ऊर्जा का एक चक्र पूरा होता है।

13. मांग में सिंदूर लगाना : - विवाहित महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर लगाना अनिवार्य परंपरा है। इस संबंध में तर्क यह है कि सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी (पारा- तरल धातु) होता है। इन तीनों का मिश्रण शरीर के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। इससे मानसिक तनाव भी कम होता है।

14. तुलसी की पूजा : - तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। शांति रहती है। इसका तर्क यह है कि तुलसी के संपर्क से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यदि घर में तुलसी होगी तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे कई बीमारियां दूर रहती हैं।

#शहद #Sahad के लाभ, शहद के फायदे, शहद के गुण

#शहद #Sahad के लाभ, शहद के फायदे, शहद के गुण

शहद के लाभ सभी तक पहुंचायें
आप स्वस्थ हों देश स्वस्थ हो और साथ ही अपना व देश का करोड़ों रुपये बचायें
शहद : आयुर्वेदिक नज़रिया
शहद के फायदों के बारे में जितनी बात की जाए वो कम है। गुणों के आधार पर देखा जाए तो शहद जैसा पौष्टिक आहार दूसरा और कोई नहीं है। शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ यह कई तरह की बीमारियों से बचाती है। प्राचीन काल से ही शहद का इस्तेमाल औषधि के रुप में होता रहा है और आज के समय में भी अधिकांश दवाइयों में इसका उपयोग किया जाता है। स्वादिष्ट और मीठा होने के कारण शहद का इस्तेमाल मिठास के लिए भी किया जाता है।

इस लेख में हम आपको शहद के फायदे, नुकसान और खाने के सही तरीके के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :

शहद क्या है
शहद एक गाढ़ा, चिपचिपा, पीलापन और कालापन लिए हुए भूरे रंग का तरल पदार्थ है। यह मधुमखियों द्वारा इकठ्ठा किये गए फूलों के परागों से तैयार किया जाता है। यह शरीर में प्रकुपित हुए तीनों दोषों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

शहद के गुण
आमतौर पर शहद में कफ, विष, रक्तपित्त, प्यास और हिचकी को खत्म करने वाले गुण होते हैं। नया शहद ताकत बढ़ाने वाला और  थोड़ी मात्रा में कफ को नष्ट करने वाला होता है। वहीं पुराना शहद कब्ज, चर्बी और मोटापा नष्ट करने वाला होता है।

शहद अच्छा योगवाही है अर्थात इसे जिसके साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है यह उसके गुणों से युक्त हो जाता है। अतः आयुर्वेदीय औषधियों में अनुपान के रूप में सबसे अधिक शहद का प्रचलन है। अधिकांश आयुर्वेदिक दवाइयों को शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है।

शहद के फायदे
शहद के अनगिनत फायदे हैं। पाचन को सुधारने, खांसी से आराम दिलाने के अलावा शहद त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। आइये शहद के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं :

इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक
शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण आपको तमाम तरह की बीमारियों से बचाते हैं। शहद का नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

घाव भरने में उपयोगी
अगर आपका घाव जल्दी ठीक नहीं हो रहा है तो ऐसे में शहद का इस्तेमाल करने से वो जल्दी ठीक हो जाता है। शहद त्वचा को नमी प्रदान कर त्वचा को मुलायम बनाता है और क्षतिग्रस्त त्वचा का पुनः निर्माण करके घावों को भरता है।

कफ दूर करने में सहायक
गले और सीने में कफ जमा हो जाने की वजह से कई दिक्कतें होने लगती है। सांस लेने में तकलीफ होना, खांसी आना या गले में खराश होने जैसी समस्याएं जमे हुए कफ के कारण ही होती है। शहद में ऐसे गुण होते हैं जो जमे हुए कफ को टुकड़े टुकड़े करके बाहर निकालती है और इन समस्याओं से राहत दिलाती है।

शरीर के विषैले पदार्थों को दूर करता है :
हम जो भी खाना खाते हैं उसका अधिकांश हिस्सा तो आसानी से पच जाता है लेकिन कुछ भाग पचते नहीं हैं और ये शरीर में इकठ्ठा होते रहते हैं। ये सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। इन्हें ही आयुर्वेद में ‘अमा’ कहा गया है। शहद इन हानिकारक विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।

पाचक अग्नि को बढ़ाता है
शरीर का पूरा पाचन तंत्र, जठराग्नि या पाचक अग्नि पर ही निर्भर है। इसीलिए आयुर्वेद में पाचक अग्नि के संतुलित होने पर काफी जोर दिया गया है। शहद खाने से पाचक अग्नि बढ़ती है जिससे पेट से जुड़ी तमाम तरह की बीमारियों से बचाव होता है।

भूख बढ़ाने में सहायक
शहद खाने से भूख बढ़ती है। कई लोग को भूख ना लगने की समस्या होती है जिसकी वजह से वे समय पर खाना नहीं खाते हैं। इस कारण शरीर में कमजोरी और अन्य कई बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में शहद का सेवन करना गुणकारी है। विशेषज्ञों के अनुसार शहद खाने से भूख बढ़ती है।

त्वचा में निखार लाता है
शहद सिर्फ आपको बीमारियों से ही नहीं बचाता बल्कि इसका उपयोग आप अपना सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं। शहद में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो चेहरे की चमक बढ़ाते हैं और दाग धब्बों को दूर करते हैं। यही कारण है कि कई ब्यूटी क्रीम में शहद का इस्तेमाल किया जाता है। आप भी चेहरे पर निखार लाने के लिए शहद का उपयोग कर सकते हैं।

अतिसार या दस्त में उपयोगी है शहद
गर्मियों और बरसात के मौसम में दस्त होना एक आम समस्या है। खासतौर पर बच्चे बहुत जल्दी इस बीमारी की चपेट में आते हैं। आयुर्वेद के अनुसार दस्त होने पर शहद का सेवन करना फायदेमंद होता है।

शहद के अन्य फायदे
उपरोक्त बताए गए फायदों के अलावा शहद डायबिटीज, कुष्ठ, उल्टी आदि रोगों में फायदेमंद है। हालांकि इन रोगों के इलाज के लिए शहद का सेवन किसी चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें।

शहद के साथ क्या ना खाएं
इन चीजों का सेवन शहद के साथ ना करें, आयुर्वेद में इन्हें शहद के साथ में खाने से मना किया गया है।

घी (समान मात्रा में पुराना घी)
तेल और वसा
अंगूर
कमल का बीज
मूली
अधिक गर्म पानी
गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ
शहद से जुड़ी कुछ विशेष ध्यान रखने वाली बातें
शहद को कभी भी गर्म करके ना खाएं। इसका मतलब यह है कि किसी भी आहार को पकाते समय उसमें शहद डालकर ना पकाएं। शहद को अधिक तापमान कर गर्म करने से उसमें विषैला प्रभाव आ जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक है। अगर आप खाली पेट सुबह पानी में शहद डालकर पी रहे हैं तो पानी में शहद डालकर उबालें नहीं बल्कि आंच बंद करने के बाद पानी को गिलास में डालकर तब उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पियें।
इसी तरह उबलते हुए दूध में शहद ना डालें बल्कि दूध को उबालकर उसे कुछ देर सामान्य तापमान तक ठंडा कर लें। जब दूध गुनगुना रहे तब उसमें शहद मिलाकर पियें।
हालांकि उल्टी (वमन क्रिया) करने में गर्म शहद का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि उल्टी के दौरान शहद शरीर से बाहर निकल जाता है।
शहद और गाय के घी को कभी भी एक बराबर मात्रा में मिलाकर ना खाएं। एक बराबर मात्रा की बजाय अगर आप शहद और घी की अलग अलग मात्रा को साथ में मिलाकर खाएं तो यह बहुत अधिक लाभदायक होता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस

*सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं...* 


याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:

 1. बीपी: 120/80


 2. पल्स: 70 - 100


 3. तापमान: 36.8 - 37


 4. सांस : 12-16


 5. हीमोग्लोबिन: 

     नर -13.50-18

     मादा - 11.50 - 16 


 6. कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200


 7. पोटेशियम: 3.50 - 5


 8. सोडियम: 135 - 145


 9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220


 10. शरीर में खून की मात्रा :

       पीसीवी 30-40%


 11. शुगर लेवल: 

      बच्चों के लिए (70-130)

      वयस्क: 70 - 115


 12. आयरन: 8-15 मिलीग्राम


 13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC: 

      4000 - 11000


 14. प्लेटलेट्स: 

      1,50,000 - 4,00,000


 15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC:

      4.50 - 6 मिलियन..


 16. कैल्शियम: 

       8.6 - 10.3 मिलीग्राम/डीएल


 17. विटामिन डी3:

      20 - 50 एनजी/एमएल 


18. विटामिन बी12: 

    200 - 900 पीजी/एमएल


   *वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष  वालों के लिए विशेष टिप्स:*

   


1-  *पहला सुझाव:*

 प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं... सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं।  2 लीटर न्यूनतम प्रति दिन


2-  *दूसरा सुझाव :*

शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर को हिलना चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर...या तैराकी...या किसी भी प्रकार के खेल से। 


  3- *तीसरा सुझाव:*

 खाना कम करो....

अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें... क्योंकि यह कभी अच्छा नहीं लाता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें।  प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।


 5-  *चौथा सुझाव*

 जितना हो सके वाहन का प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो... आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने... या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें।  लिफ्ट, एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।


 5- *पांचवां सुझाव*

 क्रोध छोड़ो...

 चिंता छोड़ो... चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो...

विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें .... वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं।  सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें !


6- *छठा सुझाव*

 सबसे पहले पैसे का मोह छोड़ दे 

अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!

पैसा जीने के लिए बनाया गया था, जीवन पैसे के लिए नहीं। 


7- *सातवां सुझाव*

 अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते।

 इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।


8- *आठवां सुझाव*

पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव ....

ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं....

विनम्रता वह है जो लोगों को प्यार से आपके करीब लाती है। 


9- *नौवां सुझाव*

 अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है।  यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!


10- *दसवां सुझाव*

अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें!  चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें !  

अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें!


  *#विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं ❤️*

शुक्रवार, 13 मई 2022

उल्टी रोकने के कारगर नुस्खे | effective home remedies to stop vomiting | उल्टी रोकने के घरेलू उपाय

☘️ *_उल्टी (वमन) जानिए कारण, परहेज, निदान और उपचार प्राकृतिक रूपो से_*

1️⃣प्रथम भाग : 101 उपाय


रोग एक उपचार अनेक यह तो सिर्फ आयुर्वेद के घरेलू परम्परागत दादी नानी के चिकित्सा पैथी में ही सम्भव है वो भी दुष्प्रभाव रहित

*उल्टी | vomiting*
 
खाने-पीने में गड़बड़ी, पेट में कीड़े होना, खांसी, जहरीले पदार्थों का सेवन करना तथा शराब पीना आदि कारणों से उल्टी आती है। यह कोई बड़ा रोग नहीं है बल्कि पेट की खराबी का ही एक कारण है। जब कभी कोई अनावश्यक पदार्थ पेट में अधिक एकत्रित हो जाता है तो उस अनावश्यक पदार्थ को निकालने के लिए पेट प्रतिक्रिया करती है जिससे पेट में एकत्रित चीजे उल्टी के द्वारा बाहर निकल जाता है। कभी-कभी अधिक उल्टी होने से रोगी के शरीर में पानी की कमी होने के साथ अधिक कमजोरी आ जाती है।

*विभिन्न भाषाओं में नाम :*
हिंदी          वमन (उल्टी)।
अंग्रेजी             वोमिटिंग।
पंजाबी             बमी।
कन्नड़        वान्ति।
मद्रासी        छर्दि।
तेलगु         वान्तुलु।
असमी        वोमिटिंग।
गुजराती       वमी।
मराठी         उल्टी।
उड़िया         उल्टी, वान्ति।

*कारण*
:ज्यादा भोजन करना, भूख न लगना, पेट में गैस बन जाना, स्त्री के यकृत (जिगर) का दर्द होना, गर्भावस्था, जहर या जहर मिली हुई चीजों का पेट में पहुंच जाना, कमजोरी के कारण, जरायु की पीड़ा, कार, रेल, बस आदि में सफर करते समय, पाचन संस्थान की खराबी और उल्टी होना आदि उल्टी की कारण होती है। उल्टी करने से जब सारी चीजे पेट से बाहर आ जाती है तब सूखी उल्टी होने लगती है। सूखी उल्टी होने से रोगी को ज्यादा परेशानी होती है। इस तरह की सूखी उल्टी पाचन संस्थान में खराबी होने के कारण होता है और ऐसी सूखी उल्टी में बाहर कुछ भी नहीं निकलता केवल दर्द होता रहता है।

*लक्षण :-*
 उल्टी दो रूपों में आती है- पहला वह जिसमें उल्टी के साथ खाया-पिया पदार्थ उसी रूप में निकल जाता है और दूसरा वह जिसमें अधपचा खाना उल्टी के साथ निकलता है। उल्टी की दूसरी अवस्था में डकारें आती हैं, जी मिचलाता है, सिर में बहुत तेज दर्द होने लगता है और बेहोशी के दौर पड़ने लगते हैं। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि अंदर से आंतों में जलन पैदा होकर सब कुछ बाहर आने के लिए पलटने लगा है। आंख, कान और नाक में भी दर्द होने लगता है। उल्टी के समय व्यक्ति को लगता है कि वह अब नहीं बचेगा। इलाज के लिए रोगी को उल्टी बंद करने की औषधि तुरंत ही देनी चाहिए। घबराहट अधिक होने पर धनिये का पानी पिलाना चाहिए और धनिये का लेप सिर पर लगाना चाहिए। इससे बेचैनी दूर हो जाती है। प्याज का रस तथा धनिये का रस पानी में मिलाकर देने से उल्टी रुक जाती है।

*लक्षणों के आधार पर उल्टी को 5 भागों में बांटा गया है- 1. वातज 2. कफज 3. पित्तज 4. त्रिदोषज और 5. आगन्तुज।*
 
*गैस के कारण होने वाली उल्टी :*
 इसमें रोगी कम मात्रा में कडुवी, झागवाली और पानी के जैसी उल्टी करता है। इसके साथ ही रोगी में अन्य लक्षण भी होते हैं, जैसे- सिर का दर्द, सीने में जलन, नाभि में जलन, खांसी और आवाज का खराब होना आदि।

 *पित्त की गर्मी के कारण होने वाली उल्टी :*
इस रोग की हालत में पीले, हरे रंग की उल्टी आती है जिसका स्वाद बहुत ज्यादा गंदा होता है और रोगी को जलन महसूस होती है। इसके साथ-साथ रोगी का सिर घूमने लगता है, बेहोशी सी छा जाती है और मुंह का स्वाद भी खराब हो जाता है।

*कफ के कारण होने वाली उल्टी :*
इस तरह की हालत में रोगी को अपने आप ही गाढ़ी और सफेद रंग की उल्टी होती है जिसका स्वाद मीठा होता है। इसके साथ ही मुंह में पानी भरना, शरीर का भारी हो जाना, बार-बार नींद आना

*त्रिदोष (वात, पित और कफ) के कारण होने वाली उल्टी :*
 इस रोग में रोगी गाढ़ी, नीले रंग, स्वाद में नमकीन या खट्टी और खून वाली उल्टी करता है। इसके साथ ही दूसरे लक्षण भी होते है जैसे- पेट में तेज दर्द, भूख न लगना, जलन महसूस होना, सांस लेने में परेशानी और बेहोशी छा जाना।

*आगन्तुज छर्दि :*
 कोई ऐसी जगह जाने का मन न करें या बदबू के कारण, गर्भावस्था, ऐसा भोजन जो अच्छा न लगता हो या पेट में कीड़े होने के कारण पैदा हुए रोग को आगन्तुज छर्दि कहते हैं।

*भोजन और परहेज :*

*पानी को उबालकर उसे ठंडा करके इसमें नींबू निचोड़कर रोगी को पिलाना चाहिए।*

*अगर रोगी को भूख न लग रही हो तो मूंग की दाल की खिचड़ी बनाकर दही या लस्सी के साथ खिलाना चाहिए*

*भोजन को पेट भर न खाकर थोड़ी-थोड़ी देर के बाद थोड़ा-थोड़ा भोजन करते रहना चाहिए।*

*गर्भावस्था के दौरान उल्टी होने पर सूखा आलूबुखारा चूसना चाहिए।*

*मौसमी का रस निकालकर इसमें 1 चुटकी सेंधानमक मिला लें। यह रस थोड़ी-थोड़ी देर बाद 1-1 चम्मच रोगी को पिलाते रहें।*

*नींबू को काटकर उसके ऊपर थोड़ी सी कालीमिर्च और सेंधानमक का चूर्ण चूसने के लिए रोगी को दें।*

*गर्मी के मौसम में हल्के गर्म पानी से रोगी को नहाना चाहिए।*



☘️ *_उल्टी (वमन) जानिए कारण, परहेज, निदान और उपचार प्राकृतिक रूपो से_*

4️⃣ चतुर्थ भाग : 101 उपाय


रोग एक उपचार अनेक यह तो सिर्फ आयुर्वेद के घरेलू परम्परागत दादी नानी के चिकित्सा पैथी में ही सम्भव है वो भी दुष्प्रभाव रहित


*उल्टी vomiting हेतु विभिन्न प्राकृतिक औषधियों से उपचार :*

*31 जामुन :*
 जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर इस राख को शहद के साथ खिलाने से खट्टी उल्टी बंद हो जाती है।

*32 बेल :*
बेल के हरे पत्तों को सोंठ के साथ पानी में उबालकर पीने से उल्टी और दस्त बंद हो जाता है।

*बेल के फूलों का सेवन करने से प्यास, उल्टी और दस्त खत्म हो जाता है।*

3 ग्राम बेल के सूखे फूलों को 100 मिलीलीटर पानी में भिगोकर 2 घंटे बाद फूलों को थोड़ा सा पीसकर पानी में छानकर पानी में 20 ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में कई बार रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी व जी मिचलाना बंद हो जाती है।

*33 फूलगोभी :*
 फूलगोभी में क्षारीय तत्त्व मौजूद होते हैं। यह खून को भी साफ करते है। खून की उल्टी होने पर इसकी सब्जी खाने या फूलगोभी को कच्चा खाने से आराम आ जाता है। इसके अलावा क्षय रोग (टी.बी) के रोगी के लिए भी यह बहुत लाभकारी होता है।

*34 अंगूर :*
 अंगूर का रस चूसने से छाती की जलन और उल्टी आनी बंद हो जाती है।

*35 गाजर :*
गाजर का रस शहद में मिलाकर पीने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।

*36 दालचीनी :*
दालचीनी के 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 3 बराबर-बराबर भाग में बांटकर शहद में मिलाकर दिन में 3 बार लें। इससे उल्टी बंद हो जाती है।*

*गर्मी के कारण अगर उल्टी हो रही हो तो दालचीनी को पीसकर शहद में मिलाकर चाटना चाहिए।*

दालचीनी के तेल की 5 बूंद को ताल मिश्री के चूर्ण या बताशे में डालकर खाने से पेट का दर्द व उल्टी दूर होती है।

*37 एरण्ड :*
 10 ग्राम एरण्ड की जड़ को छाछ के साथ पीसकर उल्टी से पीड़ित रोगी को पिलाने से उल्टी व दस्त में आराम मिलता है।

*38 मुलेठी :*
उल्टी होने पर मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखने से उल्टी बंद हो जाती है।

*39 सौंफ :*
20 ग्राम सौंफ और 10 पोदीने के पत्ते को एक लीटर पानी में उबालकर छान लें और ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी देर पर रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी बार-बार आने में बहुत आराम मिलता है।*

*अगर बार-बार उल्टी हो रही हो तो 20 ग्राम सौंफ और थोड़ी सी पोदीने के पत्ते को 2 कप पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिलाएं। इससे थोड़ी देर में रोगी की उल्टी बंद होकर दर्द व जलन में आराम मिलता है।*

*40 मिश्री :*
दूध में थोड़ा-सा नींबू का रस डालकर फाड़ लें और इसमें मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी आनी बंद हो जाती है।*

*41 चमेली :*
10 ग्राम सफेद चमेली के पत्तों के रस में 2 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रोगी को चाटना चाहिए। इससे उल्टी बंद हो जाती है।*

*42 आंवला :*
हिचकी तथा उल्टी में आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें।

*त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाले उल्टी के रोग में आंवला तथा दाख पीसकर 40 ग्राम चीनी, 40 ग्राम शहद और 160 मिलीलीटर पानी मिलाकर पीएं।*

आंवले के 20 मिलीलीटर रस में एक चम्मच शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पीने से वमन बंद होता है।

*आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी में आराम मिलता है।*

आंवला खाने या आंवला के पेड़ की छाल या पत्तों का काढ़ा बनाकर 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से गर्मी के कारण उल्टी व दस्त आना बंद हो जाता है।

*43 पोदीना :*
10 बूंद पोदीने के रस में पानी व चीनी मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।

*44 सोंठ :*
सोंठ, पीपर, हरड़, दारूहल्दी और कचूर 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। यह 2-2 ग्राम चूर्ण छाछ के साथ सुबह-शाम खाने से जी मिचलाना बंद होता है।

*सोंठ और बेलफल के गूदा का काढ़ा बनाकर सेवन करने से हैजा रोग में होने वाले पेट दर्द, दस्त और उल्टी में लाभ मिलता है।*

सोंठ को पीसकर घृतकुमारी के रस में मिलाकर चाटने से उल्टी रुक जाती है।

*45 ककड़ासिंगी*
ककड़ासिंगी व नागरमोथा बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण आधे से 2 ग्राम की मात्रा में रोगी को चटाएं। इससे कफज मिचली व उल्टी में लाभ मिलता है।



☘️ *_उल्टी (वमन) जानिए कारण, परहेज, निदान और उपचार प्राकृतिक रूपो से_*

3️⃣ तृतीय भाग : 101 उपाय



रोग एक उपचार अनेक यह तो सिर्फ आयुर्वेद के घरेलू परम्परागत दादी नानी के चिकित्सा पैथी में ही सम्भव है वो भी दुष्प्रभाव रहित


*उल्टी | vomiting*
खाने-पीने में गड़बड़ी, पेट में कीड़े होना, खांसी, जहरीले पदार्थों का सेवन करना तथा शराब पीना आदि कारणों से उल्टी आती है। यह कोई बड़ा रोग नहीं है बल्कि पेट की खराबी का ही एक कारण है। जब कभी कोई अनावश्यक पदार्थ पेट में अधिक एकत्रित हो जाता है तो उस अनावश्यक पदार्थ को निकालने के लिए पेट प्रतिक्रिया करती है जिससे पेट में एकत्रित चीजे उल्टी के द्वारा बाहर निकल जाता है। कभी-कभी अधिक उल्टी होने से रोगी के शरीर में पानी की कमी होने के साथ अधिक कमजोरी आ जाती है।

*विभिन्न प्राकृतिक औषधियों से उपचार :*
*16 आंवले का मुरब्बा :*
 यदि गर्भावस्था में उल्टी आती हो तो आंवले का 2-2 ग्राम मुरब्बा दिन में 4 बार खिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।

*17 प्याज :*
 5-5 मिलीलीटर प्याज और नींबू के रस में नमक मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।

*18 इमली :*
इमली को रात में पानी में डालकर रख दें और सुबह इमली को उसी पानी में मसलकर थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाएं। इससे उल्टी आनी बंद हो जाती है।

*इमली को छिलके सहित जलाने के बाद राख को 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर 15 मिलीलीटर पानी में डालकर पिलाएं। इससे उल्टी तुरंत बंद हो जाती है। अम्लपित्त की जलन और उल्टी होने पर यह पानी भोजन के बाद देना चाहिए।*

पकी हुई इमली को पानी में भिगोकर इसके रस को पीने से उल्टी के रोग में लाभ मिलता है।

*19 पीपल :*
यदि उल्टी होती हो और अधिक प्यास लगती हो तो पीपल के पेड़ की छाल को जलाकर पानी में बुझाकर रख लें। उस पानी को छानकर थोड़ा-थोड़ा पीएं। इससे उल्टी आनी बंद हो जाती है।

*20 सुपारी :*
सुपारी और हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। यह 2 ग्राम चूर्ण पानी के साथ लेने से उल्टी बंद हो जाती है।

*सुपारी और हल्दी के चूर्ण को चीनी के साथ मिलाकर फांकी लेनी चाहिए। इससे उल्टी बंद हो जाती है।*

*21 हरड़ :*
 हरड़ का चूर्ण और शहद मिलाकर चाटने से उल्टी व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

*22 जायफल :*
कब्ज या अपच के कारण यदि उल्टी आती हो तो 10 ग्राम जायफल के चूर्ण को 1 किलो पानी में उबालकर थोड़ा-थोड़ा पानी रोगी को पिलाएं। यह उल्टी व कब्ज को दूर करता है।*

*उल्टी के रोग से पीड़ित रोगी को जायफल को पानी के साथ पीसकर पिलाना चाहिए।*

*23 चना :*
रात को एक मुट्ठी चने को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर रोगी को पिलाएं। यदि गर्भवती स्त्री को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भवती की उल्टी बंद हो जाती है।

*कच्चे चने को पानी में भिगोकर रख दें और फिर कुछ समय बाद उसी पानी को छानकर उल्टी से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी आनी बंद हो जाती है।*

*24 नारियल*
नारियल की जटा को जलाकर इसकी राख बना लें और 10 ग्राम राख को 10 ग्राम बड़ी इलायची के चूर्ण को मिलाकर लगभग आधा ग्राम शहद के साथ मिलाकर चाटने से उल्टी बंद हो जाती है।

*नारियल का पानी पीने से उल्टी आना और ज्यादा प्यास लगना कम होता है।*

*25 इलायची :*
इलायची के छाल को तवे पर भूनकर पीस लें और इसे शहद के साथ चाटने से उल्टी बंद हो जाती है।

*चौथाई चम्मच इलायची के चूर्ण को आधे कप अनार के रस में मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।*

पुदीना और इलायची को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से वमन (उल्टी) बंद होती है।

*इलायची का चूर्ण 1-2 ग्राम या इलायची का तेल 5 बूंद अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से जी मिचलाना व उल्टी बंद जाती है।*

*26 बर्फ :*
बार-बार उल्टी होने पर बर्फ चूसने से उल्टी बंद हो जाती है। इससे हैजा में उल्टी अधिक आना बंद होता है।

*27 तरबूज :*
अगर खाना खाने के बाद सीने में जलन हो और फिर पीली-पीली उल्टी आती हो तो रोगी को तरबूज के रस में मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। इसके उपयोग से तेज प्यास भी शान्त होती है।

*28 केला :*
कदली के पेड़ के रस में शहद मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*पका हुआ केला खाने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।*

*29 पिस्तादाना :*
4 पिस्तादाना खाने से जी मिचलाना व उल्टी बंद हो जाती है।*

*3 से 6 ग्राम पिस्ता के बीजों को छिलका सुबह-शाम सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*30 हल्दी :*
3 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे को यदि उल्टी होती हो तो उसे कच्ची हल्दी का रस निकालकर 10 से 15 बूंद रस दिन में 2 से 3 बार पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।।

.... अगले अंक 4 में लगातार

भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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2️⃣ द्वितीय भाग : 101 उपाय



रोग एक उपचार अनेक यह तो सिर्फ आयुर्वेद के घरेलू परम्परागत दादी नानी के चिकित्सा पैथी में ही सम्भव है वो भी दुष्प्रभाव रहित

*उल्टी | vomiting*
खाने-पीने में गड़बड़ी, पेट में कीड़े होना, खांसी, जहरीले पदार्थों का सेवन करना तथा शराब पीना आदि कारणों से उल्टी आती है। यह कोई बड़ा रोग नहीं है बल्कि पेट की खराबी का ही एक कारण है। जब कभी कोई अनावश्यक पदार्थ पेट में अधिक एकत्रित हो जाता है तो उस अनावश्यक पदार्थ को निकालने के लिए पेट प्रतिक्रिया करती है जिससे पेट में एकत्रित चीजे उल्टी के द्वारा बाहर निकल जाता है। कभी-कभी अधिक उल्टी होने से रोगी के शरीर में पानी की कमी होने के साथ अधिक कमजोरी आ जाती है।

*विभिन्न प्राकृतिक औषधियों से उपचार :*

*1 पोदीन हरा :*

 *6 मिलीलीटर पोदीने का रस और लगभग एक चौथाई ग्राम सेंधानमक पीसकर ताजे पानी के साथ थोड़े-थोड़े पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*अगर पेट के खराब होने की वजह से छाती पर भारीपन महसूस हो और बेचैनी के कारण उल्टी हो रही हो तो 1 चम्मच पुदीने के रस को पानी के साथ रोगी को पिलाएं।*

*पोदीने का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में 3-4 बार रोगी को पिलाने से उल्टी का बार-बार आना बंद होता है।*

*आधा कप पोदीना का रस 2-2 घण्टे के अंतर पर पिलाने से उल्टी, दस्त और हैजा ठीक होता है।*

*10-10 मिलीलीटर पोदीना, प्याज और नींबू का रस मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी को पिलाने से हैजे के रोग में उल्टी में बहुत लाभ होता हैं। वमन (उल्टी) भी जल्दी बंद हो जाती है*

*पोदीना, छोटी पीपल और छोटी इलायची 2-2 ग्राम की मात्रा में पीसकर खाने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*4 पोदीने के पत्ते और 2 आम के पत्ते को एक कप पानी में डालकर उबालें और जब पानी आधा कप बाकी रह जाए तो उस पानी में मिश्री डालकर काढ़े की तरह पीने से उल्टी के रोग में लाभकारी होता है।*

*2 कपूर :*

*कपूर के रस की 3-4 बूंदे पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*कपूर, नौसादर और अफीम बराबर की मात्रा में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर शहद के साथ 1-1 गोली दिन में 3 से 4 बार पानी के साथ रोगी को खिलाने से उल्टी रोग में आराम मिलता है।*

*उल्टी के रोग से पीड़ित रोगी को चीनी में थोड़ा सा कपूर मिलाकर खिलाना चाहिए। यह उल्टी का बार-बार आना बंद करता है।*

*कपूर कचरी को पानी के साथ पीसकर मूंग के बराबर की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर 2 से 3 गोली खाने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*3 तुलसी :*

*10 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस में एक ग्राम छोटी इलायची को पीस लें। इसे 10 ग्राम चीनी के साथ खाने से पित्त की गर्मी के कारण होने वाली उल्टी में आराम मिलता है।*

*तुलसी के पत्तों का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोगी को पिलाने से उल्टी बंद होती है।*

*तुलसी के पत्ते का रस पीने से उल्टी बंद होती है। इससे पेट के कीड़े भी मर जाते हैं। शहद और तुलसी का रस मिलाकर चाटने से जी-मिचलाना और उल्टी ठीक होती है।*

*तुलसी का रस, पोदीना और सौंफ का रस मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*तुलसी के रस या ताजे प्याज के रस में शहद मिलाकर पीने से उल्टी का बार-बार आना बंद होता है।*

*4 लौंग :*

 *5 दाने लौंग, लगभग 25 ग्राम खील, 5 छोटी इलायची और 25 ग्राम मिश्री को आधे लीटर पानी के साथ बनाए और जब यह 10-12 बार उबल जाए जो इसे उतारकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी बंद हो जाती है।*

*लौंग और दालचीनी का काढ़ा बनाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।*

*अगर जी मिचलाता हो तो लौंग को मुंह में रखकर चूसते रहने से मिचली दूर होती है।*

*4 लौंग पीसकर 1 कप पानी में डालकर उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर इसमें चीनी मिलाकर उल्टी से पीड़ित रोगी को पिलाएं और करवट लेकर सो जाएं। यह दिन में 4 बार पानी से उल्टियां बंद हो जाती है।*

*अगर उल्टी बंद न हो रही हो तो 2 लौंग और थोड़ी-सी दालचीनी लेकर एक कप पानी में डालकर उबाल लें और जब पानी आधा कप बाकी रह जाए तो छानकर रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी का बार-बार आना बंद हो जाता है।*

*यदि गर्भावस्था में उल्टी आती हो तो 2 लौंग को पीसकर शहद के साथ देने से उल्टी व जी मिचलाना बंद होता है।*

*2 लौंग को आग पर गर्म करके जब भी उल्टी या जी मिचलाने के लक्षण दिखाई दे तब चूसें। इससे उल्टी व मिचली दूर होती है।*

*5 अमृतधारा :*

अमृतधारा 2 बूंद बताशे में डालकर पानी के साथ खिलाने से उल्टी रोग ठीक होता है। अधिक उल्टी के लक्षणों में कई बार अमृतधारा का सेवन कराना चाहिए।*

*6 गन्ना :*

*अगर गर्मी के कारण उल्टी हो रही हो तो एक गिलास गन्ने के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर पर रोगी को पिलाएं। इससे रोगी को आराम मिलता है।*

*गन्ने के रस को ठंडा करके पीने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*गर्मी के कारण उल्टी होने पर 1 गिलास गन्ने के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से जल्दी आराम आ जाता है।*

*पित्त की वजह से उल्टी हो तो गन्ने के रस में शहद मिलाकर पिलने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*7 धनिया :*

*उल्टी होने पर सुखा या हरा धनिया कूटकर पानी में डालकर फिर निचोड़कर 5 चम्मच रस निकाल लें। यह रस बार-बार रोगी को पिलाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है। इस प्रयोग से गर्भवती की उल्टी भी बंद होती है।*

*3 ग्राम धनिया और 3 ग्राम सौंफ को पीसकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर चीनी डालकर दिन में 2-3 बार रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी आनी बंद हो जाती है।*

*आधा चम्मच हरे धनिये का रस, चुटकी भर सेंधानमक और 1 चम्मच कागजी नींबू का रस को मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।*

*धनिया को पानी में उबालकर इसमें मिश्री मिलाकर पीने से उल्टी आनी बंद हो जाती है।*

*हरा धनिया, पोदीने और सेंधानमक मिलाकर चटनी बनाकर नींबू का रस मिलाकर खाने से उल्टी नहीं आती है।*

*8 अदरक :*

*एक चम्मच अदरक का रस, एक चम्मच प्याज का रस और एक चम्मच पानी को मिलाकर पीने से उल्टी आनी बंद हो जाती है।*

*5 ग्राम अदरक के रस में थोड़ा सा सेंधानमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*अदरक, प्याज, लहसुन और नींबू का रस 20-20 ग्राम मिलाकर इनके 2 चम्मच रस को 125 मिलीलीटर पानी में मिलाकर इसके अंदर 1 ग्राम मीठा सोडा डालकर पीने से उल्टी में लाभ मिलता है।*

*अदरक और प्याज का रस 1-1 चम्मच की मात्रा में मिलाकर पीने से उल्टी में आराम मिलता है।*

*अदरक के 10 मिलीलीटर रस और 10 मिलीलीटर प्याज का रस मिलाकर पीने से उल्टी बंद होती है।*

*अदरक का रस, तुलसी का रस, शहद और मोरपंख के चान्द वाला भाग की राख को एक साथ मिलाकर खाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है।*

*9 आलूबुखारा : आलूबुखारे को पीसकर नींबू के रस में मिलाकर और इसमें कालीमिर्च, जीरा, सोंठ, कालानमक, सेंधानमक, धनिया व अजवायन बराबर मात्रा में मिलाकर चटनी की तरह बनाकर खाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है।*

*10 संतरा :*

*अगर ऐसा लगने लगे कि उल्टी आने वाली है तो संतरा खाएं या इसका रस पीएं। इससे उल्टी व जी मिचलाना ठीक होता है।*

 *2 ग्राम संतरे के सूखे छिलके का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी आनी तुरंत बंद हो जाती है।*

*संतरे के सूखे छिलके को पीसकर इसमें 2 गुना चीनी मिलाकर खाने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*11 नींबू :*

*उल्टी से पीड़ित रोगी को 250 मिलीलीटर शर्बत में एक नींबू निचोड़कर 2-3 बार पीने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*नींबू के सूखे छिलके को जलाकर या पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*भोजन के बाद होने वाले वमन को रोकने के लिए ताजे नींबू का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा की मात्रा में पीने से उल्टी में आराम मिलता है।*

*नींबू को काटकर इसमें चीनी और कालीमिर्च भरकर चूसने से उल्टी और जी मिचलाना बंद होता है।*

*लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग नींबू के रस में चीनी और थोड़ा नमक मिलाकर पीने से उल्टी बंद होती है।*

*गर्भावस्था में ज्यादा उल्टी आने के लक्षणों में सुबह नींबू के रस को पानी में मिलाकर थोड़ी सी मिश्री मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीने से उल्टी होनी बंद हो जाती है।*

*पोदीना और नींबू को एक साथ खाने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*अगर बच्चा दूध पीकर वापस निकाल देता हो तो नींबू का रस थोड़ी-थोड़ी पानी में मिलाकर बच्चे को पिलाने से लाभ होता है।*

*नींबू को काटकर इसमें इलायची का चूर्ण भककर चूसने से उल्टी में आराम मिलता है। उल्टी होने पर नींबू को गर्म करके सेवन नहीं करना चाहिए।*

 *नींबू के रस में चीनी, पिप्पली का चूर्ण और खील को मिलाकर खाने से उल्टी बंद होती है।*

*12 नींबू बिजौरा :*

*10-20 ग्राम बिजौरे नींबू की जड़ को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें और पानी एक चौथाई बचने पर छानकर उल्टी से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे उल्टी बंद हो जाती है।*

*बिजौरे नींबू की जड़ और अनार की जड़ को पानी में पीसकर पिलाने से उल्टी और दस्त रोग ठीक होता है।*

*भोजन करने के बाद अगर उल्टी आती हो तो शाम के समय बिजौरे नींबू का ताजा रस 5-10 मिलीलीटर की मात्रा में रोगी को पिलाएं।*

*बिजौरे नींबू की जड़ को पानी में घिसकर शहद के साथ देने से उल्टी में लाभ मिलता है।*

*13 राई :*

*राई को पानी के साथ पीसकर पेट पर लेप करने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*काली राई के आटे को पानी मे घोलकर पीने से उल्टी तुरंत बंद हो जाती है। इसके लेप पेट और छाती पर करने से ज्यादा होने वाले उल्टी भी बंद हो जाती है।*

*14 चावल :*

*चावल के पानी में 3 चम्मच बेलगिरी का रस मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।*

*गर्भावस्था उल्टी होने पर 50 ग्राम चावल को 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। आधे घंटे के बाद इसमें 5 ग्राम सुखा धनिया डालकर 10 मिनट बाद इसे मिलाकर छान लें। इस सारे पानी को पूरे दिन में 4 बार गर्भवती स्त्री को पिलाने से उल्टी बंद होती है।*

*15 कमल : कमल के बीज का रस बनाकर पीने से उल्टी आने का रोग दूर होता है।*


शनिवार, 30 अप्रैल 2022

आंवले के चमत्कारी लाभ जानिए आंवला -उपाय

☘️ *_आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत जानिये आंवला की खूबियां और उपयोग_*
1️⃣
भाग प्रथम 15 उपाय

*आंवला*
आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ भी धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। स्त्रियां इसकी पूजा भी करती हैं। आंवले के पेड़ की ऊचांई लगभग 6 से 8 तक मीटर तक होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं।* 

*आंवले का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊंचा होता है तथा इसका तना टेढ़ा-मेढ़ा और 150 से 300 सेमी तक मोटा होता है। फरवरी-मई में इस पेड़ पर फूल लगने शुरू होते हैं तथा अक्टूबर से अप्रैल तक फल मिलते हैं। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती है। आंवले के फूल पीले रंग के और गुच्छों में लगे होते हैंआंवले का फल गोलाकार आधे से एक इंच व्यास के गूदेदार पीलापन लिए हरे और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इस फल पर छ: रेखाए होती हैं। फल के अंदर षट्कोषीय बीज होता है।आंवला शीतल (ठंडी) प्रकृति का होता है।*

*आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है। आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्रामआंवला युवकों को यौवन और बड़ों को युवा जैसी शक्ति प्रदान करता है। एक टॉनिक के रूप में आंवला शरीर और स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। दिमागी परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। कसैला आंवला खाने के बाद पानी पीने पर मीठा लगता है।*
 
*आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। इसमें आंवले की अधिकता के कारण ही विटामिन `सी´ भरपूर होता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और केश (बालों) के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है। संक्रमण से बचाने, मसूढ़ों को स्वस्थ रखने, घाव भरने और खून बनाने में भी विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।*

विभिन्न रोगों में सहायक :

1. बालों के रोग : आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।

2. पेशाब की जलन :
आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
हरे आंवले का रस 50 मिलीलीटर, शक्कर या शहद 25 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह-शाम पीएं। यह एक खुराक का तोल है। इससे पेशाब खुलकर आयेगा जलन और कब्ज ठीक होगी। इससे शीघ्रपतन दूर भी होता है।

3. हकलाहट, तुतलापन :
बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिये दें। इससे जीभ पतली, आवाज साफ, हकलाना और तुतलापन दूर होता है।
हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को कई बार चूस सकते हैं।

4. खून के बहाव (रक्तस्राव) : स्राव वाले स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाएं, स्राव बंद हो जाएगा।

5. धातुवर्द्धक (वीर्यवृद्धि) : एक चम्मच घी में दो चम्मच आंवले का रस मिलाकर दिन में 3 बार कम-से-कम 7 दिनों तक ले सकते हैं।

6. पेशाब रुकने पर : कच्चे आंवलों को पीसकर बनी लुग्दी पेडू पर लगाएं।

7. आंखों (नेत्र) के रोग में :
लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को अच्छी तरह से पीसकर 2 घंटे तक 500 मिलीलीटर  पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में बहुत लाभ होता है।
वृक्ष पर लगे हुये आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका आंख के बाहर चारों ओर लेप करने से आंख के शुक्ल भाग की सूजन मिटती है।
 
आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है।
लगभग 6 ग्राम आंवले को पीसकर ठंडे पानी में भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरे आंवले भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़ कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखो की फूली मिटती है।
आंवले का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवले के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है।

8. सुन्दर बालों के लिए :
सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लौह चूर्ण 10 ग्राम, रात भर कढाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका रोजाना लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।
आंवले, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लम्बे होते हैं।
आंवले और आम की गुठली की मज्जा को साथ पीसकर सिर में लगाने से मजबूत लंबे केश पैदा होते हैं।

9. आवाज का बैठना :
अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।
एक चम्मच पिसे हुए आंवले को गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।
कच्चे आंवले बार-बार चूस-चूसकर खाएं।

10. हिक्का (हिचकी) :
पिपली, आंवला, सोंठ इनके 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार प्रयोग करने से हिचकी तथा श्वास रोग शांत होते हैं।
आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस और 2-3 ग्राम पीपल का चूर्ण, 2 चम्मच शहद के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
10 मिलीलीटरआंवले के रस में 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकियों से राहत मिलती है।
आंवला, सोंठ, छोटी पीपल और शर्करा के चूर्ण का सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।
आंवले के मुरब्बे की चाशनी के सेवन से हिचकी में बहुत लाभ होता है।

11. वमन (उल्टी) :
हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।
त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 मिलीलीटर जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
आंवले के 20 मिलीलीटर रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।
आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।
आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शक्कर और शहद के साथ चाटने से गर्मी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
आंवले का फल खाने या उसके पेड़ की छाल और पत्तों के काढ़े को 40 मिलीलीटर सुबह और शाम पीने से गर्मी की उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।
आंवले के रस में शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का बुरादा मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।

12. संग्रहणी : मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटरकी मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।

13. मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) :
आंवले की ताजी छाल के 10-20 मिलीलीटर रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
आंवले के 20 मिलीलीटर रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।

14. अर्श (बवासीर) :
आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।

15. शुक्रमेह : धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 मिलीलीटर तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।

भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
 
☘️ *_आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत जानिये आंवला की खूबियां और उपयोग_*
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*-भाग एकादशम 15 उपाय*

*आंवला*
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुण आप भी जानिए।

*151. बच्चों का फोड़ा :*
 आंवलों की राख घी में मिलाकर लेप करने से बच्चों को होने वाला `फोड़ा´ ठीक हो जाता है।

*152. चेहरे की सुंदरता :*
 रोजाना सुबह और शाम चेहरे पर किसी भी तेल की मालिश कर लें। रात को 1 कांच का गिलास पानी से भरकर उसमें दो चम्मच पिसा हुआ आंवला भिगो दें और सुबह उस पानी को छानकर चेहरे को रोजाना इस पानी से धोंयें। इससे चेहरे की झुर्रिया (चेहरे की सिलवटें) और झांइयां दूर हो जाती हैं।

*153. त्वचा का प्रसाधन :*
 आंवले के मुरब्बा का रोजाना दो से तीन बार सेवन करने से त्वचा का रंग निखरता है।

*154. याददास्त कमजोर होना :*
रोजाना सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से याददास्त मजबूत होती है और बढ़ती भी है।
लगभग 30 मिलीलीटर आंवले के रस को भोजन करते समय भोजन के बीच में ही पानी में मिलाकर पीयें, और इसके बाद फिर अपना भोजन पेट भर कर खायें। ऐसा लगभग 21 दिन तक करने से हृदय की कमजोरी के साथ ही साथ दिमाग की कमजोरी भी दूर हो जाती है, और शरीर भी हष्टपुष्ट बना रहता है।

*155. बच्चों के रोग :*
 अगर बच्चे के शरीर पर फुन्सियां हो, तो रेवन्दचीनी की लकड़ी को पानी में घिसकर लेप करें। अगर फोड़ा हो, तो आंवले की राख को घी में मिलाकर लेप करें। अगर फोड़े-फुन्सी बहुत हो तो आंवलों को दही में भिगोकर लगायें या नीम की छाल (खाल) पानी में घिस कर लगायें।

*156. कण्ठमाला के रोग में :* सर्पगन्धा, आंवला, आशकंद और अर्जुन की छाल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम दिन में सुबह और शाम सेवन करने से गलगण्ड (गले की गांठें) ठीक हो जाता है।

*157. शरीर को शक्तिशाली और ताकतवर बनाना :*
लगभग 10 ग्राम की मात्रा में हरे आंवला और लगभग इतनी ही मात्रा में शहद लेकर इनको मिलाकर एक साथ खाने से मनुष्य के वीर्य बल में वृद्धि होती है। आंवलों के मौसम में इसका सेवन रोजाना सुबह के समय करें। इसका सेवन लगभग 1 से 2 महीने तक करना चाहिए।
बराबर मात्रा में आंवले का चूर्ण, गिलोय का रस, सफेद मूसली का चूर्ण, गोखरू का चूर्ण, तालमखाना का चूर्ण, अश्वगंधा का चूर्ण, शतावरी का चूर्ण, कौंच के बीजों का चूर्ण और मिश्री का चूर्ण लेकर इनका मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को रोजाना सुबह और शाम को लगभग 10 से 15 ग्राम की मात्रा में फांककर ऊपर से हल्का गर्म दूध पीने से मनुष्य के संभोग करने की शक्ति का विकास होता है। इसको लगातार 3 या 4 महीने तक फायदा होने तक खाना चाहिए।

*158. श्लेश्मपित्त :*
 लगभग 10 ग्राम आंवला लेकर उसको रात को सोते समय पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उठकर इनको मसलकर छान लें। अब इस जल में मिश्री और जीरे के चूर्ण को मिलाकर पीने से सभी प्रकार के पित्त रोग ठीक हो जाते हैं।

*159. गले के रोग :*
सूखे आंवले के चूर्ण को गाय के दूध में मिलाकर पीने से स्वरभेद (गले का बैठ जाना) ठीक हो जाता है।

आंवले के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले के कई सारे रोग दूर हो जाते हैं।

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*-भाग दशम 15 उपाय*


*आंवला*
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुण आप भी जानिए।

*136. दिल की धड़कन :*
आंवले का चूर्ण आधा चम्मच लेकर उसमें थोड़ी-सी मिश्री का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
आंवले का मुरब्बा या शर्बत दिल की तेज धड़कन को सामान्य बनाता है।

*137. खूबसूरत दिखना :*
आंवले को पीसकर पानी में भिगोकर चेहरे पर उबटन की तरह मलने से चेहरे की खूबसूरती बढ़ती है।

*138. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) :*
आंवले का मुरब्बा खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। एक-एक आंवला सुबह और शाम खाएं।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच, गिलोय का चूर्ण आधा चम्मच तथा दो चुटकी सोंठ। तीनों को मिलाकर गर्म पानी से सेवन करें।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच, सर्पगंधा तीन ग्राम, गिलोय का चूर्ण एक चम्मच। तीनों को मिलाकर दो खुराक करें और सुबह-शाम इसका इस्तेमाल करें।

*139. हृदय की निर्बलता (कमजोरी) :*
आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 ग्राम, आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार 21 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है। 
आंवले का मुरब्बा खाकर प्रतिदिन दूध पीने से शारीरिक शक्ति विकसित होने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
आंवले का 3 ग्राम चूर्ण रात्रि के समय 250 मिलीलीटर दूध के साथ सेवन करने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
सूखा आंवला तथा मिश्री 50-50 ग्राम मिलाकर खूब कूट-पीस लें। छ: ग्राम औषधि प्रतिदिन एक बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में हृदय की धड़कन तथा अन्य रोग सामान्य हो जाते हैं।

*140. घबराहट या बेचैनी :*
 10 ग्राम आंवले के चूर्ण को इतनी ही मात्रा में मिश्री के साथ सुबह और शाम खाने से घबराहट दूर हो जाती है।

*141. त्वचा (चर्म) रोग :*
3 चम्मच पिसे हुए आंवले के रस को रात में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उस पानी को छानकर उसमें 4 चम्मच शहद मिलाकर पीने से चमड़ी के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
आंवले के रस में शहद मिलाकर पीने से सभी तरह के चमड़ी के रोगों में लाभ होता है।
आंवले का रस, कालीमिर्च और गंधक को बराबर की मात्रा में लेकर उसमें दो गुना घी मिला लें और चमड़ी पर लगायें। उसके बाद हल्की धूप में बैठे। इससे खुजली ठीक हो जाती है।

*142. हदय रोग :*
दिल में दर्द शुरू होने पर आंवले के मुरब्बे में तीन-चार बूंद अमृतधारा सेवन करें।
भोजन करने के बाद हरे आंवले का रस 25-30 मिलीलीटर रस ताजे पानी में मिलाकर सेवन करें।
एक चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण फांककर ऊपर से लगभग 250 मिलीलीटर दूध पी लें।
आंवले में विटामिन-सी अधिक है। इसके मुरब्बे में अण्डे से भी अधिक शक्ति है। यह अत्यधिक शक्ति एवं सौन्दर्यवर्द्धक है। आंवले के नियमित सेवन से हृदय की धड़कन, नींद का न आना तथा रक्तचाप आदि रोग ठीक हो जाते हैं। रोज एक मुरब्बा गाय के दूध के साथ लेने से हृदय रोग दूर रहता है। हरे आंवलों का रस शहद के साथ, आंवलों की चटनी, सूखे आंवला की फंकी या मिश्री के साथ लेने से सभी हृदय रोग ठीक होते हैं। 
सूखा आंवला और मिश्री समान भाग पीस लें। इसकी एक चाय की चम्मच की फंकी रोजाना पानी से लेने से हृदय के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
आंवले का मुरब्बा दूध से लेने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है व किसी भी प्रकार के हृदय-विकार नहीं होते हैं।

*143. निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) :*
आंवलों के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मधु मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
आंवले या सेब का मुरब्बा प्रतिदिन खाने से कुछ सप्ताह में लाभ होने लगता है।   
       
*144. क्रोध :*
 एक से दो की संख्या में आंवले का मुरब्बा रोजाना खाने से जलन, चक्कर के साथ साथ क्रोध भी दूर हो जाता है।

*145. पीलिया (पांडु) का रोग :*
10 ग्राम हरे आंवले के रस में थोड़ा-सा गन्ने का रस मिलाकर सेवन करें। जब तक पीलिया का रोग खत्त्म न हो जाए, तब तक उसे बराबर मात्रा में पीते रहें।
हरे आंवले का रस शहद के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है।
छाछ के साथ आंवले का चूर्ण 1 चम्मच दिन में 3 बार रोजाना सेवन करें।
आंवले और गन्ने का ताजा निकाला हुआ रस आधा-आधा कप और 2 चम्मच शहद सुबह-शाम लगातार पीने से 2-3 महीने में पीलिया रोग दूर हो जाता है। इससे जीर्ण ज्वर या अन्य कारणों से उत्पन्न हुआ पांडु रोग (पीलिया) भी समाप्त हो जाता है।
लगभग 3 ग्राम चित्रक के चूर्ण को आंवलो के रस की 3-4 भावना देकर गाय के घी के साथ रात में चाटने से पीलिया रोग दूर होता है।
आंवले का अर्क (रस) पिलाने से कामला रोग में लाभ होता है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म के साथ 1-2 आंवले  का सेवन करने से कामला, पांडु और खून की कमी आदि रोगों में अत्यंत लाभ होता है।

*146. कुष्ठ (कोढ़) :*
10-10 ग्राम कत्था और आंवला को लेकर काढ़ा बना लें। काढ़ा के पक जाने पर उसमें 10 ग्राम बाबची के बीजों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोजाना पीने से सफेद कोढ़ भी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
कत्थे की छाल, आंवला और बावची का काढ़ा बनाकर पीने से सफेद कोढ़ ठीक हो जाता है।
1 चम्मच आंवले के चूर्ण की सुबह, शाम फंकी लें।
आंवला के रस को सनाय के साथ मिलाकर खाने से कोढ़ ठीक हो जाता है।
खैर की छाल और आंवला के काढ़े में बाबची का चूर्ण मिलाकर पीने से `सफेद कोढ़´ ठीक हो जाता है।
आंवले और नीम के पत्ते को समान मात्रा में लेकर महीन चूर्ण कर रख लें, इसे 2 से 6 ग्राम तक या 10 ग्राम तक रोजाना सुबह-सुबह शहद के साथ चाटने से भयंकर गलित कुष्ठ में भी शीघ्र लाभ होता है।

*147. विसर्प (फुंसियों का दल बनना) :*
अनन्नास का गूदा निकालकर फुंसियों पर लगाने से फुंसिया ठीक हो जाती हैं। इसका रस रोजाना पीने से शरीर की बीमार कोशिकाएं ठीक हो जाती हैं।
आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम घी मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से विसर्प में राहत मिलती है।
आंवला, बहेड़ा, हरड़, पद्याख, खस, लाजवन्ती, कनेर की जड़, जवासा, और नरसल की जड़ को पीसकर मिलाकर लेप की तरह से लगाने से कफज के कारण होने वाला विसर्प नाम का रोग ठीक हो जाता है।

*148. खसरा :*
नागरमोथा, धनिया, गिलोय, खस और आंवला को बराबर मात्रा में लेकर और पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण 300 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बच्चे को पिलाने से खसरा में बहुत आराम आता है।
खसरा निकलने के बाद शरीर में जलन या खुजली हो तो सूखे आंवलों को पानी में उबालकर ठंडा होने के बाद इससे शरीर को रोजाना साफ करें। इससे खसरे की खुजली और जलन दूर होती है।

*149. सिर में दर्द :*
लगभग 5 ग्राम आंवला और 10 ग्राम धनिये को मिलाकर कूटकर रात को किसी मिट्टी के बर्तन में 200 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रख दें। सुबह इस मिश्रण को कपड़े द्वारा छानकर पीने से गर्मी के दिनों में धूप में घूमने के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है।
आंवले का शर्बत पीने से गर्मी के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
आंवले के पानी से सिर की मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

*150. सफेद दाग :*
 20-20 ग्राम खादिरसार (कत्था) और आंवला को लेकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में 5 ग्राम बावची का चूर्ण मिलाकर खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) ठीक हो जाता है।

☘️ *_आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत जानिये आंवला की खूबियां और उपयोग_*
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*-भाग नवम 15 उपाय*


*आंवला*
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुण आप भी जानिए।
 
*120. सभी प्रकार के दर्द :*
 आंवला को पीसकर प्राप्त रस में चीनी को मिलाकर चाटने से `पित्तज शूल´, जलन और रक्तपित्त की बीमारियों में लाभ पहुंचाती है।

*121. घाव (व्रण) :*
नीम की छाल, गुर्च, आमला, बाबची, एक भांग (एक पल), सोंठ, वायविडंग, पमार, पीपल, अजवायन, जीरा, कुटकी, खैर, सेंधानमक, जवाक्षार, हल्दी, दारूहल्दी, नागरमोथा, देवदार और कूठ आदि को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर उसे कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को घाव पर लगाने से रोग में आराम मिलता है।

*122. पेट में दर्द :*
आंवले के रस में विदारीकंद का रस 10-10 मिलीलीटर शहद के साथ मिलाकर दें।
आंवला, सनाय, हरड़, बहेड़ा और कालानमक को मिलाकर बारीक पीस लें, फिर नींबू के रस में छोटी-छोटी गोलियां बना लें, सुबह और शाम 1-1 गोली बनाकर खाने से पेट का दर्द कम और भूख बढ़ती है।

*123. वीर्य की कमी :*
एक बड़े आंवले के मुरब्बे को खाने से मर्दाना ताकत आती है।

*124. नकसीर (नाक से खून का आना) :*
50 मिलीलीटर आंवले के रस में 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाता है।
लगभग 200 ग्राम आंवला को पीसकर सिर के ऊपर मोटा-मोटा लेप करने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाती है।
एक चम्मच मुलेठी और एक चम्मच आंवला के चूर्ण को मिलाकर दूध के साथ खाने से नकसीर ठीक हो जाती है।
सूखे आंवले को रात को पानी में भिगोकर रख दें। रोजाना सुबह उस पानी से सिर को धोने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है। नकसीर के रोग में आंवले का मुरब्बा खाने से भी लाभ होता है। अगर नकसीर (नाक से खून बहना) बंद नहीं हो रहा हो तो आंवले के रस को नाक में डाले और इसको पीसकर सिर पर लेप करने से लाभ होता है। अगर किसी कारण से ताजे आंवले न मिले तो सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर उस पानी को सिर पर लेप करने से दिमाग की गर्मी और खुश्की दूर होती है।
जिन लोगों को प्राय: नकसीर होती रहती है वे सूखे आंवलों को रात को भिगोकर उस पानी से सुबह रोज सिर धोयें। आंवले का मुरब्बा खाएं। यदि नकसीर किसी भी प्रकार से बंद न हो तो आंवले का रस नाक में टपकाएं, सुंघाए और आंवले को पीसकर सिर पर लेप करें। यदि ताजा आंवला न मिले तो सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर उस पानी को सिर पर लगाएं। इससे मानसिक गर्मी-खुश्की भी दूर होती है।
जामुन, आम तथा आंवले को कांजी आदि से बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नाक से बहता खून रुक जाता है।
नाक में आंवले का रस टपकाएं। ताजे आंवले नियमित खाएं। चीनी मिला आंवले का शर्बत सुबह-शाम पिलाएं।

*125. अवसाद उदासीनता या सुस्ती :*
 रोजाना आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से मानसिक अवसाद या उदासी दूर हो जाती है।

*126. मूर्च्छा (बेहोशी) :*
 एक चम्मच आंवले का रस और 2 चम्मच घी को मिलाकर रोगी को पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

*127. पेशाब में खून आना :*
लगभग 12 ग्राम आंवला और 12 ग्राम हल्दी को मोटा-मोटा पीसकर रात को पानी में डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर पीने से पेशाब में खून आने का रोग दूर होता है।

*128. योनि संकोचन :*
आंवला की छाल को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर मोटा-मोटा पीसकर लगभग 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें, जब पानी आधा बच जाये तब ठंडा करके योनि पर लगाने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि टाईट हो जाती है।
आंवला को पकाकर काढ़ा बनाकर दही में मिलाकर योनि पर सुबह और शाम लगाने से लाभ मिलता है।

*129. बिस्तर पर पेशाब करना :*
10 ग्राम आंवला और 10 ग्राम काला जीरा लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 10 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। यह 2-2 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ खाने से बच्चे का बिस्तर में पेशाब करना बंद हो जाता है।
आंवले को बहुत अच्छी तरह से बारीक पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। यह 3-3 ग्राम चूर्ण रोजाना शहद में मिलाकर बच्चों को सुबह और शाम चटाने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते हैं।
आंवले का चूर्ण और काला जीरा बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। तैयार चूर्ण की आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर, 1-1 चम्मच दिन में 3 बार, 1 हफ्ते तक नियमित रूप से खिलाएं।

*130. योनिकंद :*
 आंवले की गुठली, बायविंडग, हल्दी, रसौत और कायफल को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर योनि में रख लें, फिर त्रिफले के काढ़े में शहद डालकर योनि को धोने से योनि कंद की बीमारी समाप्त हो जाती है।

*131. भ्रम रोग :*
लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में आंवला, हरड़, बहेड़ा को लेकर बारीक पीसकर और छानकर रात को 3 ग्राम शहद के साथ चाटें और सुबह 3 ग्राम अदरक के रस और 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर खाने से भ्रम रोग खत्म हो जाता है।
लगभग 6 ग्राम आंवले और इतनी ही मात्रा में धनिये को कुचलकर रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसके मैल को छानकर इसमें 20 ग्राम मिश्री मिलाकर रोजाना पीने से पित्त के कारण पैदा होने वाला भ्रम रोग दूर हो जाता है।
आंवले का शर्बत रोजाना सुबह और शाम को रोगी को देने से पित्त द्वारा होने वाला भ्रम का रोग खत्म हो जाता है।

*132. पेशाब का अधिक आना (बहुमूत्र) :*
लगभग 3.5 ग्राम आंवला के फूल या पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का चूर्ण खाने से पेशाब के साथ-साथ ज्यादा पेशाब में ज्यादा मीठा आने का रोग समाप्त हो जाता है।
आंवले के रस में 6 मिलीलीटर शहद मिलाकर पीने से बहुमूत्र रोग (बार-बार पेशाब आना) मिट जाता है

*133. मूत्र (पेशाब) की बीमारी:*
2 चम्मच आंवले का रस और 1 कप पानी, दोनों को मिलाकर एक सप्ताह तक सुबह के समय खायें।
एक चम्मच आंवले का रस और 1 गिलास गन्ने का रस, दोनों को मिलाकर खाने से पेशाब खुल जाता है।

*134. योनि रोग :*
आंवले को निचोड़कर 20 मिलीलीटर रस में खांड मिलाकर खाली पेट सुबह के समय 7 दिनों तक लगातार पीने से योनि में बदबू आना बंद हो जाता है।
आंवले के रस को थोड़ी-सी मात्रा में लेकर प्रतिदिन स्त्री को पिलाने से योनि में होनी वाली जलन समाप्त हो जाती है।
आंवले के रस में खांड को मिलाकर सेवन करने से योनि में होने वाली जलन शांत हो जाती है।
आंवलों के रस में चीनी मिलाकर प्रतिदिन पीने से योनि की जलन और पीड़ा नष्ट हो जाती है।         

*135. अपरस (चर्म) के रोग में :*
4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण और 2 ग्राम हल्दी का चूर्ण थोड़े दिनों तक पानी के दूध के साथ रोजाना दो बार पीने से खून साफ हो जाता है और त्वचा के दूसरे रोग खाज-खुजली आदि दूर होते हैं।

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*-भाग अष्टम 15 उपाय*


*आंवला*
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुण आप भी जानिए।
 
*106. यकृत का बढ़ना :*
 3 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में आंवले का चूर्ण, शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यकृत की क्रिया ठीक हो जाती है।

*107. पथरी :*
आंवला, गोखरू, किरमाला, डाम की जड़, कास की जड़ तथा हरड़ की छाल 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। उस चूर्ण को 2 किलो पानी में डालकर गाढ़ा काढ़ा बना लें। 25 मिलीलीटर काढ़ा शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे सभी प्रकार की पथरी ठीक होती है।
सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर मूली के रस के साथ मिलाकर खाने से मूत्राशय की पथरी ठीक होती है।

*108. कफ (बलगम) :*
 आंवला सूखा और मुलहठी को अलग-अलग बारीक करके चूर्ण बना लें और मिलाकर रख लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण दिन में 2 बार खाली पेट सुबह-शाम 7 दिनों तक ले सकते हैं। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ (बलगम) बाहर आ जायेगा।

*109. प्यास अधिक लगना :*
 आंवला और सफेद कत्था मुंह में रखने से प्यास का अधिक लगना ठीक हो जाता है।

*110. जलोदर :*
आंवले के रस और सनाय को खाने से जलोदर में आराम मिलता है।
आंवले को भूनकर काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब खूब खुलकर आता है और रोगी को जलोदर की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।

*111. लू का लगना :*
उबाले हुए आंवला का पानी पीने से लू नहीं लगती है।
सुबह और शाम को आंवला का मुरब्बा खाने से लू से छुटकारा पाया जा सकता है।
आंवले के मुरब्बे के साथ मुक्तापिष्टी का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक सेवन किया जाये तो धूप से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।

*112. रक्तप्रदर :*
महिलाओं के रक्तप्रदर से पीड़ित होने पर आंवले के बारीक चूर्ण का लेप गर्भाशय के मुंह पर करना चाहिए अथवा आंवले के पानी से रूई या साफ कपड़ा भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर रखना चाहिए। इससे रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
10 मिलीलीटर आंवले के रस को 400 मिलीलीटर पानी में काढ़ा बना लें। इस काढे़ से योनि को साफ करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।
5 ग्राम मात्रा में आंवला को पीसकर 3 ग्राम मधु के साथ मिलाकर दिन में सुबह-शाम सेवन करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।
25 ग्राम आंवले का चूर्ण 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रख लें। सुबह उठकर उसमें जीरे का 1 ग्राम चूर्ण और 10 ग्राम मिसरी मिलाकर पीने से रक्त प्रदर से आराम मिलता है।
आंवले के 20 मिलीलीटर रस में एक ग्राम जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। ताजे आंवलों के उपलब्ध न होने पर सूखे आंवले का 20 ग्राम चूर्ण रात में भिगोकर सुबह सेवन करें और सुबह भिगोकर रात्रि में छानकर सेवन करें। इससे पित्तप्रकोप से होने वाले रक्तप्रदर में विशेष लाभ होता है।

*113. बच्चों का मधुमेह रोग :*
आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से बच्चे के मधुमेह रोग में लाभ होता है।
आंवले और जामुन की गुठलियों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें। रोजाना 2-2 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से शर्करा आने में नियंत्रण होता है।

*114. मधुमेह (डायबिटीज) :*
10 मिलीलीटर आंवले का रस, 1 ग्राम हल्दी, 3 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
5 ग्राम या 4 चम्मच ताजे आंवले के रस में 1 चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोगी को फायदा होता है। 
100 ग्राम सूखा आंवला और 100 ग्राम सौंफ को बारीक पीस लें। इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम खाने से 3-4 माहीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।      
2 चम्मच ताजे आंवले का रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन से मधुमेह में लाभ होता है।
थोड़ा सूखा आंवला लेकर उसमें 100 ग्राम जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण में से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना बिना कुछ खाये पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह मे लाभ होता है।
आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।

*115. शीतपित्त :*
आंवले के थोड़े से पत्ते और नीम की 4-5 कलियां, दोनों को घी में तलकर 4-5 दिन तक सुबह के समय खाने से शीत पित्त का रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता है।
आंवले के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर खाने से शीतपित्त का रोग ठीक हो जाता है। चूर्ण और गुड़ की मात्रा 1 चम्मच और 5 ग्राम होनी चाहिए।

*116. पेट के कीड़े :*
आधा चम्मच आंवले का रस 2 से 3 दिन तक पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
ताजे आंवले के लगभग 60 मिलीलीटर रस को 5 दिन तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

*117. प्लीहा वृद्धि (तिल्ली) :* आंवले के मुरब्बे के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मुक्तापिष्टी को मक्खन या मलाई के साथ सुबह और शाम को सेवन करने से तिल्ली के बढ़ने के कारण होने वाली पित्त की जलन तथा आन्तरिक जलन में राहत प्राप्त होती है। 

*118. प्लेग रोग :*
 प्लेग के रोग को दूर करने के लिए सोना गेरू, खटाई, देशी कपूर, जहर मोहरा और आंवला इन सबको 25-25 ग्राम तथा पपीता के बीज 10 ग्राम लेकर इन सबको मिलाकर कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को कागजी नींबू के रस में 3 घंटों तक घोटने के बाद मटर के बराबर गोलियां बना लें। उन गोलियों में से 1 गोली 7 दिनों में एक बार खायें। इससे रोग में लाभ होता है।

*119. नाक के रोग :*
सूखे आंवलों को घी में मिलाकर तल लें। फिर इसे पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से नाक में से खून आना रुक जाता है।
सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर रख दें। थोड़े मुलायम होने पर इनको पीसकर टिकिया सी बना लें। इस टिकिया को सिर के तालु पर बांधने से नाक में से खून आना रुक जाता है।

*120. सभी प्रकार के दर्द :* आंवला को पीसकर प्राप्त रस में चीनी को मिलाकर चाटने से `पित्तज शूल´, जलन और रक्तपित्त की बीमारियों में लाभ पहुंचाती है। 
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*-भाग सप्तम 15 उपाय*


*आंवला*
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुण आप भी जानिए।
 
*91. नपुंसकता (नामर्दी) :*
 आंवले का रस निकालकर एक चम्मच आंवले के चूर्ण में मिलाकर लें। उसमें थोड़ी-सी शक्कर (चीनी) और शहद मिलाकर घी के साथ सुबह-शाम खायें।

*92. गर्भवती की उल्टी और जी का मिचलना :*
 आंवले के रस में चंदन घिसकर 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है। इसे प्रतिदिन दो से तीन बार देना चाहिए।

*93. कालाज्वर :*
लगभग एक चम्मच आंवले के चूर्ण को दिन में दो बार शहद के साथ मिलाकर रोगी को देने से शरीर का खून बढ़ता है।

*94. बहरापन :*
 एक-एक चम्मच आंवले के पत्तों का रस, जामुन के पत्तों का रस और महुए के पत्तों के रस को लेकर 100 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जाये तो उस तेल को शीशी में भरकर रख लें। इस तेल की 2-3 बूंदे रोजाना कान में डालने से बहरेपन का रोग जाता रहता है।

*95. आमातिसार :*
 लगभग 40 से 80 मिलीलीटर भुईआंवले के कोमल तने के फांट (घोल) का सेवन करने से आमातिसार के रोगी का रोग ठीक होता है।

*96. रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म समाप्ति) के बाद के शारीरिक व मानसिक कष्ट :*
 शारीरिक जलन, ब्रहमतालु में गर्मी आदि के लिए आंवले का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में मिश्री के साथ या सूखे आंवले का चूर्ण समान मात्रा में मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।

*97. मासिक-धर्म संबन्धी परेशानियां:*
 एक चम्मच आंवले का रस पके हुए केले के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें। इसके सेवन से मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव नहीं होता है।

*98. चोट लगना :*
 कटने से रक्त-स्राव होने पर कटे हुए स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाने से खून का बहना बंद हो जाता है।

*99. आंव रक्त (पेचिश) :*
कच्चा और भुना आंवला बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम चूर्ण दही में मिलाकर खाने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
10 मिलीलीटरआंवले का रस, 5 ग्राम घी और शहद मिलाकर सेवन करें और ऊपर से बकरी का दूध पीयें। इससे पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

*100. भगन्दर :*
 आंवले का रस, हल्दी और दन्ती की जड़ 5-5 ग्राम की मात्रा में लें और इसको अच्छी तरह से पीसकर इसे भगन्दर पर लगाने से घाव नष्ट होते हैं।

*101. प्रदर :*
आंवले के बीज के चूर्ण को शर्करा और शहद के साथ सेवन करने से पीत (पीला स्राव) प्रदर में आराम मिलता है।
आंवले के बीजों को पानी के साथ पीसकर उसमें पानी, शहद और मिश्री मिलाकर पीने से 3 दिन में श्वेतप्रदर मिट जाता है।
दो चम्मच आंवले का रस और एक चम्मच शहद को एक साथ मिलाकर 1 महीने तक पीने से सफेद प्रदर मिट जाता है।
आंवले को सूखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक सुबह और शाम पीने से श्वेत प्रदर समाप्त होता है।

*102. जिगर का रोग :*
4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण, या 25 मिलीलीटरआंवले का रस 150 मिलीलीटरपानी में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 4 बार सेवन करने से फायदा होता है।
25 मिलीलीटरआंवलों का रस या 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण पानी के साथ, दिन में 3 बार सेवन करने से 15-20 दिन में यकृत के सभी बीमारी से लाभ मिलता है।
ताजे आंवले का रस निकालकर 10 मिलीलीटर शहद डालकर ज्यादा दिनों तक सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग मिट जाते हैं।
आंवले के बीजों का मिश्रण शहद के पानी के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।

*103. अग्निमान्द्यता (अपच)*
 : ताजे हरे आंवलों का रस और अनार का रस 4-4 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोजाना सुबह और खाना खाने बाद लेने से लाभ होता है।

*104. अल्सर :*
एक चम्मच आंवले का चूर्ण, आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ, आधा चम्मच पिसा हुआ जीरा, एक चम्मच पिसी हुई मिश्री, सबको मिलाकर एक खुराक सुबह और एक खुराक शाम को लें।
एक चम्मच आंवले का रस और 1 चम्मच शहद दोनों को मिलाकर पीना चाहिए।

*105. अम्लपित्त (एसिडिटीज) :*
2 चाय के चम्मच आंवले के रस में इतनी ही मिश्री मिलाकर पीएं या बारीक सूखा पिसा हुआ आंवला और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर पानी से फंकी लेने से लाभ मिलता है।
आंवले के फल के बीच के भाग को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर चूर्ण 3 से 6 ग्राम को 100 मिलीलीटर से 250 मिली लीटर दूध के साथ दिन में सुबह और शाम लेने से अम्लता से छुटकारा मिल सकता है।
आंवले का रस एक चम्मच, चौथाई चम्मच भुना हुआ जीरा का चूर्ण, मिश्री और आधा चम्मच धनिए का चूर्ण मिलाकर लेने से अम्लपित्त में कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।
आंवला, सफेद चंदन का चूर्ण, चूक, नागरमोथा, कमल के फूल, मुलेठी, छुहारा, मुनक्का तथा खस को बराबर मात्रा में कूटकर चूर्ण बना लें। फिर सुबह और शाम के दौरान 2-2 चुटकी शहद के साथ सेवन करें।
आंवला, हरड़, बहेडा़, ब्राह्मी और मुण्डी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें मिश्री मिलाकर 6-6 ग्राम चूर्ण की मात्रा को बकरी के दूध के साथ पीने से लाभ होता है।
आंवले के चूर्ण को दही या छाछ के साथ सेवन करें।
आंवला का रस शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त शांत करता है।
आंवलों को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसके 2 ग्राम चूर्ण को नारियल के पानी के साथ, दिन में 2 बार सुबह और शाम पीने से अम्लपित्त से छुटकारा मिलता है।

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सर्वे भवन्तु सुखिनः 
☘️ *_आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत जानिये आंवला की खूबियां और उपयोग_*
6️⃣
*-भाग षष्टम 15 उपाय*


*आंवला*
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुन आप भी जानिए।

76. रतौंधी (रात में दिखाई न देना) :
8 ग्राम आंवले के रस में 1 ग्राम सेंधानमक बहुत बारीक पीसकर शहद में मिलाकर रोजाना आंखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाती है।
आंवले का चूर्ण और मिश्री का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना 10 ग्राम पानी के साथ खाने से आंखों से धुंधला दिखाई देने का रोग ठीक हो जाता है।

77. कांच का निकलना (गुदाभ्रंश) :
 आंवले या हरड़ का मुरब्बा बनाकर दूध के साथ बच्चे को खिलाने से कब्ज खत्म होता है और गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद होता है।

78. जीभ और मुंह का सूखापन : 
आंवले का मुरब्बा 10 से 20 ग्राम प्रतिदिन 2 से 3 बार खायें। इससे पित्तदोष से होने वाले मुंह का सूखापन खत्म होता है।

79. गैस्ट्रिक अल्सर : 
आंवले के रस को शहद के साथ चाटने से गैस्ट्रिक अल्सर की बीमारी में लाभ मिलता है। इसे खाने में चटनी के रूप में भी इस्तेमाल करें।

80. रोशनी से डरना : 
125 ग्राम सूखा आंवला, 125 ग्राम सौंफ और 125 ग्राम चीनी या मिश्री को एक साथ मिलाकर अच्छी तरह पीसकर मिला लें। इस चूर्ण को 1 से 2 चम्मच रोजाना गाय के दूध के साथ पीने से आंखों के रोग दूर होते हैं और आंखों की रोशनी तेज होती है।

81. कब्ज :
सूखे आंवले का चूर्ण रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से लाभ होता है।
आंवले का मुरब्बा खाकर ऊपर से दूध पीने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
आंवला, हरड़ और बहेड़ा का चूर्ण गर्म पानी के साथ लें।
ताजे आंवले का रस शहद के साथ लेने से पेट की गैस खाली होता है।
कब्ज व गैस की शिकायत में आंवले की चटनी खायें।
रात को 1 चम्मच पिसा हुआ आंवला पानी या दूध से लेने से सुबह दस्त साफ आता है, कब्ज नहीं रहती। आंतें तथा पेट साफ होता है।
आंवले के फल का चूर्ण यकृत बढ़ने, सिर दर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग में त्रिफला चूर्ण के रूप में प्रयोग किया जाता है। सुबह, दोपहर और शाम 6 ग्राम की मात्रा में त्रिफला के चूर्ण की फंकी को गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से कब्ज मिटता है।

82. जननांगों की खुजली :
आंवले के रस में चीनी मिलाकर प्रतिदिन 2-3 बार पिलाएं अथवा सूखे आंवले का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम मिश्री के शर्बत के साथ सेवन करने से योनि की जलन और खुजली में लाभ मिलता है।

83. सिर की रूसी : 
एक गिलास पानी में आंवले को रख दें। उसके बाद उसी पानी से सिर को अच्छी तरह मल-मल कर साफ करें। इससे रूसी मिट जाती है।

84. अतिक्षुधा भस्मक (अधिक भूख की लगने की शिकायत) : 
सूखे आंवले का चूर्ण 3 ग्राम से लेकर 10 ग्राम तक शहद के साथ सुबह और शाम सेवन से लीवर अपनी सामान्य गति से काम करने लगता है और अधिक भूख लगने की शिकायत दूर होती है।

85. मसूढ़ों से खून आना : 
मसूढ़ों से खून निकलने पर आंवले के पत्तों एवं पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम कुल्ला करने से रोग में लाभ होता है।

86. मुंह आना (मुंह के छाले) :
आंवले के पत्तों का काढ़ा बनाकर मुंह में कुछ देर रखकर गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
आंवला 25 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, सफेद इलायची 5 ग्राम तथा मिश्री 25 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें। 2 चुटकी चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले मिटते हैं।
आंवले के चूर्ण में लहसुन की 1 जबा (दाना) भूनकर चूर्ण बनाकर मिला लें। यह मिश्रण 2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे पेट का कब्ज मिटाकर छाले समाप्त होते हैं।

87. पेट की गैस बनना : 
एक चम्मच आंवले के रस में थोड़ा-सा देशी घी और खांड को मिलाकर सेवन करें। इससे पेट की गैस के साथ-साथ गठिया की बीमारी भी दूर हो जाती है।

88. गर्भाशय व योनि के रोग :
 आंवले के रस में 20 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से योनि और गर्भाशय की जलन ठीक हो जाती है।

89. जुकाम :
2 चम्मच आंवले के रस को 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम चाटने से जुकाम ठीक हो जाता है।
जिन लोगों को अक्सर हर मौसम में जुकाम रहता है उन लोगों को आंवले का सेवन रोजाना करने से लाभ होता है।

90. दस्त:
आंवले को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर 3 ग्राम की मात्रा में लेकर सेंधानमक मिलाकर दिन में कई बार पानी के साथ पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
सूखे आंवले को नमक और थोड़ा पानी डालकर 4 ग्राम के रूप में दिन में 4 बार खाने से लाभ मिलता है।
सूखे आंवले को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण में कालानमक डालकर पानी के साथ इस्तेमाल करने से पुराने दस्त में लाभ मिलता है।
आंवले को सुखाकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीसकर नाभि के चारों तरफ लगा दें, नाभि में अदरक का रस लगाकर और थोड़ा-सा पिलाने से आतिसार मिटता है।
आंवले की पत्ती, बबूल की पत्ती और आम की पत्ती को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर कपड़े से छानकर प्राप्त रस को निकाल कर रख दें, फिर इसी रस को 2-2 ग्राम की मात्रा में 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर प्रयोग करने से सभी प्रकार के दस्त आना रुक जाते हैं।
सूखा आंवला, धनिया, मस्तंगी और छोटी इलायची को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में बेल की मीठी शर्बत के साथ प्रयोग करने से गर्भवती स्त्री को होने वाले दस्त में आराम मिलता है।
आंवले और धनियां को सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर जल के साथ लगभग 2 ग्राम की मात्रा में 1 दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से दस्त से पीड़ित रोगी को छुटकारा मिल जाता है।
आंवले का सूखा हुआ 10 ग्राम चूर्ण और 5 ग्राम काली हरड़ को अच्छी तरह से पीसकर रख लें, 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ फंकी के रूप में 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है और मेदा यानी आमाशय को बल देता है।
सूखे आंवले, धनिया, जीरा और सेंधानमक को मिलाकर चटनी बनाकर खाने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
आंवले को पीसकर उसका लेप बनाकर अदरक के रस में मिलाकर पेट की नाभि के चारों ओर लगाने से मरीज के दस्त में लगभग आधे घंटे में आराम मिलता है।
सूखे आंवले को पीसकर चूर्ण बनाकर आधा चम्मच में एक चुटकी की मात्रा में नमक मिलाकर फंकी के रूप में खाकर ताजा पानी को ऊपर से पी जायें।
आंवले के कोमल पत्तों को पीसकर चूर्ण बनाकर छाछ के साथ रोजाना दिन में 3 बार 10 ग्राम चूर्ण को पीने से अतिसार यानी दस्त में लाभ मिलता है।
आंवले का पिसा हुआ चूर्ण शहद के साथ खाने से खूनी दस्त और आंव का आना समाप्त हो जाता है।
आंवले के पत्तों और मेथी के दानों को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अतिसार में लाभ पहुंचता है।
करंज के पत्तों को पीसकर या घोटकर पिलाने से पेट में गैस,  पेट के दर्द और दस्त में लाभ होता है।

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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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*-भाग पंचम 15 उपाय*


*आंवला*
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुन आप भी जानिए।

61. आंख आना : 
आंवले का रस निकालकर उसे किसी कपडे़ में छानकर बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से आंख आने का रोग ठीक होता है साथ ही आंख का लालपन और जलन भी दूर होती है।

62. दांतों का दर्द :
आंवले के छाल और पत्तों को पानी के साथ उबाल लें। इसके पानी से प्रतिदिन दो बार कुल्ला करने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।
सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर मंजन बना लें। इससे दांतों पर रोजाना मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं तथा दर्द में आराम रहता है।
आंवले के रस में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दांत पर लगायें। इससे कीड़े लगे हुए दांत का दर्द दूर हो जायेगा।
आंवले के रस में कपूर मिलाकर पीड़ित दांत में लगाएं।

63. दमा या श्वास का रोग : 
ताजे आंवले की गुठली को अलग करके गूदे को महीन पीसकर कपडे़ से निचोड़ लें। 10 मिलीलीटर रस इकट्ठा करके लोहे की कड़ाही में हल्की आंच पर हलुवे जैसा काढ़ा होने तक पकाएं, फिर उसमें दो किलो घी डालकर हल्का लाल होने तक भून लेते हैं। अब एक अन्य बर्तन में 5 लीटर दूध औटाकर उसमें इच्छानुसार शक्कर और बादाम (गिरी को महीन काटकर) डालें। इसे आंवले के रस में मिलाकर पुन: इस मिश्रण को इतना भून लेते हैं कि यह मिश्रण खाने लायक हो जाए। इसे सर्दी के दिनों में गर्म दूध के साथ 10-12 ग्राम मात्रा में लेना चाहिए और गर्मी के दिनों में इसे ठंडे दूध के साथ लेना चाहिए। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। असमय सफेद हुए बाल काले हो जाते हैं। त्वचा में चमक आ जाती है और शरीर पुष्ट हो जाता है। वीर्य संबन्धी दोष भी इसके सेवन से दूर हो जाते हैं।

64. बालों का सफेद होना :
आंवले के चूर्ण का लेप बनाएं। उसे रोजाना सुबह सिर के बालों में अच्छी तरह लगा लें। साबुन का प्रयोग न करें। इस प्रयोग से सफेद बाल काले हो जायेंगे।
बालों के सफेद होने और चेहरे की रौनक नष्ट हो जाने पर 1 चम्मच आंवले के चूर्ण को दो घूंट पानी के साथ सोते समय प्रयोग करें। इससें पूर्ण लाभ होता है और साथ ही आवाज मधुर और शुद्ध होती है।
सूखे आंवले के चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर सिर पर लगाने के बाद बाल को अच्छी तरह धोने से सफेद बाल गिरना बंद हो जायेंगे। सप्ताह में 2 बार नहाने से पहले इसका प्रयोग करें। अपनी आवश्यकतानुसार करीब 3 महीने तक इसका प्रयोग कर सकते हैं।
25 ग्राम सूखे आंवले को यवकूट (मोटा-मोटा कूटकर) कर उसके टुकड़े को 250 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह फूले आंवले को कड़े हाथ से मसलकर सारा जल पतले स्वच्छ कपड़े से छान लें। अब इस छाने हुए पानी को बालों की जड़ों में हल्के-हल्के अच्छी तरह से लगाएं और 10-20 मिनट बाद बालों की जड़ को अच्छी तरह धो लें। रूखे बालों को 1 बार और चिकने बालों को सप्ताह में दो बार धोना चाहिए। आवश्यकता हो तो और भी धोया जा सकता है। जिस दिन बाल धोने हो, उसके एक दिन पहले रात में आंवले के तेल का अच्छी तरह से बालों पर मालिश करें।
हरे आंवलों को पीसकर साफ कपड़े में निचोड़कर 500 मिलीलीटर रस निकालें। कड़ाही में 500 मिलीलीटर आंवले का रस डालकर उसमें 500 मिलीलीटर साफ किया हुआ काले तिल का तेल मिला लें और बर्तन को हल्की आग पर गर्म करें। पकाने पर जब आंवले का रस जलीय वाश्प बनकर उड़ जाए और केवल तेल ही बाकी रह जाये तब बर्तन को आग से नीचे उतारकर ठंडा कर लें। ठंडा हो जाने पर इसे फिल्टर बेग (पानी साफ करने की मशीन) की सहायता से छान लें। इसके बाद इस तेल को बोतल में भरकर रोजाना के प्रयोग में ला सकते हैं। इस तेल को बालों की जड़ों में अंगुलियों की पोरों से हल्की मालिश करने से बाल लम्बे और काले बनते हैं।

65. बुखार :
आंवला 50 ग्राम और अंगूर (द्राक्षा) 50 ग्राम को लेकर पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को कई बार चाटने से बुखार की प्यास और बेचैनी समाप्त होती है।
आंवले का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम को पीने से वृद्धावस्था में जीर्ण-ज्वर और खांसी में राहत मिलती है।
आंवला 6 ग्राम, चित्रक 6 ग्राम, छोटी हरड़ 6 ग्राम और पीपल 6 ग्राम आदि को लेकर पीसकर रख लें। 300 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें, एक-चौथाई पानी रह जाने पर पीने से बुखार उतर जाता है।

66. आंखों का दर्द :
आंवले के बीज के काढ़े से आंखों को धोने से आंख का दर्द दूर हो जाता है। आंवले का चूर्ण रातभर जिस पानी में भिगोया गया हो उससे आंखों को धोने से भी लाभ होता है।
भिगोये हुए आंवले के पानी से आंखों को धोयें और आंवले की गिरी के काढ़े की 2 से 3 बूंद रोजाना 3 से 4 बार आंखों में डालने से आंखों का दर्द दूर हो जाता है।

67. काली खांसी : 
10-10 ग्राम आंवला, छोटी पीपल, सेंधानमक, बहेड़े का छिलका, बबूल के गोंद को पानी के साथ पीसकर और छानकर आधा ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 3 बार प्रयोग करने से गले की खराबी से उठने वाली खांसी ठीक हो जाती है।

68. खांसी :
एक चम्मच पिसे हुए आंवले को शहद में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम चाटने से खांसी में लाभ होता है।
सूखी खांसी में ताजे या सूखे आंवले को हरे धनिए के साथ पीसकर सेवन करने से खांसी में काफी आराम मिलता है। तथा कफ बाहर निकला आता है।
आंवले के चूर्ण में मिश्री को मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से पुरानी सूखी खांसी में लाभ होता है।

69. दांत निकलना :
धाय का फूल, पीपल का चूर्ण तथा आंवले के रस को मिलाकर बारीक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बच्चों के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
कच्चे आंवले अथवा कच्ची हल्दी का रस निकालकर बच्चों के मसूढ़ों पर मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं।

70. बालों को काला करना :
सूखे आंवले का चूर्ण नींबू के रस के साथ पीसकर बालों में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं।
आंवला और लोहे का चूर्ण पानी के साथ पीसकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
500 ग्राम सूखा आंवला, 200 ग्राम शहद, 200 ग्राम मिश्री और 2 लीटर पानी। आंवले को कूटकर रात को भिगो दें। इसे सुबह मसलकर छान लें। इस छाने पानी में शहद और मिश्री मिलाकर बोतल में भरकर रख दें। इसे सुबह-शाम 20-20 ग्राम खाने के साथ लें। इसके सेवन से पेट की गर्मी, कब्ज मिट जाती है और दिमागी चेतना बढ़ती है, उम्र से पहले आये सफेद बाल काले होने लगते हैं।

71. पायरिया (मसूढ़ों में पीव का आना) :
 आंवले को आग में जलाकर उसके राख में थोडा-सा सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इसके पॉउडर को सरसों के तेल में मिलाकर रोजाना मंजन करने से पायरिया ठीक होता है तथा मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।

72. एलर्जिक बुखार : 
10 ग्राम आंवले का चूर्ण 10 ग्राम गुड़ के साथ सुबह और शाम लेने से लाभ पहुंचता है।

73. निमोनिया : 
10-10 ग्राम आंवला, जीरा, पीपल, कौंच के बीज तथा हरड़ को लेकर कूट-पीसकर छान लें फिर इस चूर्ण में थोड़ा सा चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसको खाने से निमोनिया का रोग दूर हो जाता है।

74. पुरानी खांसी : 
आंवलों का बारीक चूर्ण पीसकर मिश्री मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से पुरानी खांसी नष्ट हो जाती है।

75. बालों का झड़ना :  
सूखे आंवले को रात को पानी में भिगो दें और सुबह इस पानी से बाल धोयें। इससे बालों की जड़े मजबूत होती हैं, बालों की प्राकृतिक सुंदरता बढ़ती है। फरास का जमना ठीक हो जाता है। आंखों और मस्तिष्क को लाभ पहुंचता है। मेंहदी और सूखा आंवला पीसकर पानी में गूंथकर, लगाने से बाल काले हो जाते हैं।

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*-भाग चतुर्थ 15 उपाय*


*आंवला*
आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है।  आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुन आप भी जानिए।

46. शक्तिवर्धक : 
पिसा हुआ आंवला 1 चम्मच, 2 चम्मच शहद में मिला कर चाटें, ऊपर से दूध पीएं। इससे सदा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। दिनभर प्रसन्नता का अनुभव होता है। जब ताजे आंवले मिलते हो तो सुबह आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद आधा कप पानी मिला कर पीएं। ऊपर से दूध पीएं। इससे थके हुए ज्ञान-तंतुओं को उत्तम पोषण मिलता है। कुछ ही दिन नित्य पीने पर शरीर में नई शक्ति और चेतना आयेगी जीवन में यौवन की बहार आयेगी। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते है, उन्हें इस प्रकार आंवले का रस नित्य पीना चाहिए।

47. स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए : 
प्रतिदिन सुबह आंवले का मुरब्बा खाएं।

48. नेत्र-शक्ति बढ़ाने के लिए : 
आंवले के सेवन से आंखों की दृष्टि बढ़ती है। 250 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम सूखे आंवले को रात को भिगो दें। प्रात: इस पानी को छानकर आंखें धोयें। इससे आंखों के सब रोग दूर होते हैं और आंखों की दृष्टि बढ़ती है। सूखे आंवले के चूर्ण की 1 चाय की चम्मच की फंकी रात को पानी से लें।

49. कटने से खून निकलने पर : 
कटे हुए स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाने से खून निकलना बंद हो जाता है।

50. हृदय एवं मस्तिष्क की निर्बलता :
 आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 मिलीलीटर पानी मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार लगभग 20-25 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है।

51. गर्भवती स्त्री को उल्टी होने पर : 
यदि गर्भावस्था में उल्टी होती हो तो आंवले के मुरब्बे प्रतिदिन 4 बार खिलाने से उल्टी बंद हो जायेगी।

52. त्वचा सौन्दर्यवर्धक : 
पिसा हुआ आंवला उबटन (बॉडी लोशन) की तरह मलने से त्वचा साफ और मुलायम रहती है तथा चर्म रोग नहीं होते हैं।

53. आंखों के आगे अंधेरा छाना : 
आंवलों का रस पानी में मिलाकर सुबह-शाम 4 दिन पीने से लाभ होता है।

54. चक्कर आना :
गर्मियों में चक्कर आते हो, जी घबराता हो तो आंवले का शर्बत पीयें।
आंवले के मुरब्बे को चांदी के एक बर्क में लपेटकर सुबह के समय खाली पेट खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।
लगभग 6-6 ग्राम सूखा आंवला और सूखे धनिये को मोटा-मोटा कूटकर रात को सोते समय 100 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह मसल-छानकर इसमें खांड मिलाकर रोगी को पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

55. आंखों को निरोग रखना : 
त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) रात को पानी में मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह छानकर इस पानी से आंखें धोने से आंखें निरोग रहती हैं।

56. झुर्रियां व झांई : 
रोजाना सुबह-शाम चेहरे पर किसी भी तेल की धीरे-धीरे मालिश करें। रात को 1 कांच का गिलास पानी से भर कर इसमें 2 चम्मच पिसा हुआ आंवला भिगो दें और सुबह पानी छानकर चेहरा रोज इस पानी से धोयें। ऐसा करते रहने से चेहरे की झुर्रियां व झांई दूर हो जायेगी।

57. जवानी बनाएं रखना : 
सूखा आंवला पीस लें। इसे 2 चम्मच भरकर रोटी के साथ रोजाना खाने से जवानी बनी रहेगी और बुढ़ापा देर से आयेगा।

58. बाल को लंबे और मुलायम करना :
 सूखे आंवले और मेंहदी दोनों समान मात्रा में आधा कप भिगो दें। प्रात: इससे बाल धोयें तो बाल मुलायम और लम्बे हो जायेंगे।

59. हस्त-मैथुन : 
हस्त-मैथुन से धातु (वीर्य) पतला हो गया हो तो सबसे पहले इस हस्त-मैथुन की आदत छोड़ दें। आंवलों तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर घी डालकर भूनें। सिंकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पिसी हुई मिश्री मिला लें। 1 चाय के चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध से इसकी फंकी लेनी चाहिए।

60. अजीर्ण ज्वर : 
आंवला, चित्रक, छोटी हरड़, छोटी पीपल तथा सेंधानमक को बारीक कर चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से बुखार समाप्त हो जाता है।

भारत माता की जय 🇮🇳
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☘️ *_आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत जानिये आंवला की खूबियां और उपयोग_*

*-भाग तृतीय 15 उपाय*



*आंवला*
आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है।  आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुन आप भी जानिए।

31. रक्तपित्त (पित्त के कारण उत्पन्न रक्तविकार) :

आंवले का प्रयोग वात, पित्त और कफ के दोषों से उत्पन्न विशेषकर पैत्तिक विकारों में, रक्तपित्त, प्रमेह आदि में किया जाता है। इसके लिए आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 2 ग्राम हल्दी और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार पिलाएं।
रक्तपित्त में खून की उल्टी होने के कारण यदि आमाशय में व्रण (घाव) हो तो आंवले के चूर्ण की 5 से 10 ग्राम की मात्रा को दही के साथ अथवा 10-20 मिलीलीटर काढ़े को गुड़ के साथ भी दिया जाता है।
नाक से खून बहने पर आंवलों को घी में भूनकर और कांजी को पीसकर माथे पर लगाना चाहिए।
पहले सिर के बाल मुड़वा लें या बिलकुल छोटे करा लें। फिर आंवले को पानी के साथ पीसकर पूरे सिर पर लेप लगा लें इससे नाक से बहने वाला खून बंद हो जाता है।         

32. बुखार होने के मूल दोष : आंवला, चमेली की पत्ती, नागरमोथा, ज्वासा को समान भाग में लेकर काढ़ा बना लें। इसके बाद इसमें गुड़ मिलाकर सेवन करने से बुखार के रोगी के शरीर के भीतर के दोष शीघ्र ही बाहर निकल आते हैं।

33. पित्तज्वर : पके हुए आंवलों का रस निकालकर उसको खरल में डालकर घोटना चाहिए, जब गाढ़ा हो जाए तब उसमें और रस डालकर घोटना चाहिए। इस प्रकार घोटते-घोटते सब को गाढ़ा करके उसका गोला बनाकर चूर्ण कर लेना चाहिए। यह चूर्ण अत्यंत पित्तशामक है। इसको 2-5 ग्राम की मात्रा में रोजाना दिन में सुबह और शाम सेवन करने से पित्त की घबराहट, प्यास और पित्त का ज्वर दूर होता है।

34. खाज-खुजली :
आंवले की गुठली को जलाकर उसकी राख बना लें और फिर उस राख में नारियल का तेल मिलाकर शरीर के जिस भाग में खुजली हो वहां पर इसको लगाने से खुजली जल्दी दूर हो जाती है।
100 मिलीलीटर चमेली के तेल में 25 मिलीलीटर आंवले का रस मिलाकर शीशी में भरकर रख लें और फिर इसे दिन में 4-5 बार खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।

35. फोड़े :
आंवले के दूध को लगाने से बहुत दु:ख देने वाले फोडे़ मिटते हैं।
सूखे आंवलों को जलाकर इनको पीसकर इनका चूर्ण बना लें, और शुद्ध घी में मिला लें। इस मिश्रण को फोड़े और फुन्सियों पर लगाने से ये ठीक हो जाते हैं।
गर्मी के मौसम में आंवले का शर्बत या रस पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती है और गर्मी से होने वाले रोग भी दूर होते हैं।

36. थकान : आंवले के 100 मिलीलीटर काढ़े में 10 ग्राम गुड़ डालकर थोड़ा-थोड़ा पीने से थकान, दर्द, रक्तपित्त (खूनी पित्त) या मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट होना) आदि रोग ठीक होते हैं।

37. पित्तरोग : ताजे फलों का मुरब्बा विशेष रूप से आंवले का मुरब्बा 1-2 पीस सुबह खाली पेट खाने से पित्त के रोग मिटते हैं।

38. चाकू का घाव : चाकू आदि से कोई अंग कट जाय और खून का बहाव तेज हो तो तत्काल आंवले का ताजा रस निकालकर लगा देने से लाभ होता है।

39. दीर्घायु (लम्बी आयु के लिए) :
केवल आंवले के चूर्ण को ही रात के समय में घी या शहद अथवा पानी के साथ सेवन करने से आंख, कान, नाक आदि इन्द्रियों का बल बढ़ता है, जठराग्नि (भोजन को पचाने की क्रिया) तीव्र होती है तथा यौवन प्राप्त होता है।
आंवले का चूर्ण 3 से 6 ग्राम को आंवले के ही रस में उबालें, इसे 2 चम्मच शहद और एक चम्मच घी के साथ दिन में सुबह और शाम चाटें तथा ऊपर से दूध पीएं इससे 80 साल का बूढ़ा भी स्वयं को युवा महसूस करने लगता है।

40. गर्मी से बचाव : गर्मी में आंवले का शर्बत पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती तथा गर्मी के रोगों से बचाव होता है।

41. स्वप्नदोष :
एक मुरब्बे का आंवला नित्य खाने से लाभ होता है।
एक कांच के गिलास में सूखे आंवले 20 ग्राम पीसकर डालें। इसमें 60 मिलीलीटर पानी भरें और फिर 12 घंटे भीगने दें। फिर छानकर इस पानी में 1 ग्राम पिसी हुई हल्दी डालकर पीएं। यह युवकों के स्वप्नदोष (नाइटफाल) के लिए बहुत ही उपयोगी है।

42. पुराना बुखार : मूंग की दाल में सूखा आंवला डालकर पकाकर खाएं।

43. खूनी बवासीर : सूखे आंवले को बारीक पीसकर एक चाय का चम्मच सुबह-शाम 2 बार छाछ या गाय के दूध से लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

44. खून की कमी :
आंवले का चूर्ण 3 से 6 ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ लेने से खून में वृद्धि होती है।
खून की कमी के रोगी को एक चम्मच आंवले का चूर्ण और 2 चम्मच तिल के चूर्ण लेकर शहद के साथ मिलाकर खिलाने से एक महीने में ही रोग में लाभ होता है।

45. पाचन-शक्तिवर्धक : खाने के बाद 1 चम्मच सूखे आंवले के चूर्ण की फंकी लेने से पाचन-शक्ति बढ़ती है, मल बंधकर आता है।

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☘️ *_आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत जानिये आंवला की खूबियां और उपयोग_*
2️⃣
*-भाग द्वितिय 15 उपाय*

*आंवला*
आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ भी धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। स्त्रियां इसकी पूजा भी करती हैं। आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुन आप भी जानिए।

16. खूनी अतिसार (रक्तातिसार) : यदि दस्त के साथ अधिक खून निकलता हो तो आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर रोगी को पिलायें और ऊपर से बकरी का दूध 100 मिलीलीटर तक दिन में 3 बार पिलाएं।

17. रक्तगुल्म (खून की गांठे) : आंवले के रस में कालीमिर्च डालकर पीने से रक्तगुल्म खत्म हो जाता है।

18. प्रमेह (वीर्य विकार) :
आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।
आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।

19. पित्तदोष : आंवले का रस, शहद, गाय का घी इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर आपस में घोटकर लेने से पित्त दोष तथा रक्त विकार के कारण नेत्र रोग ठीक होते हैं।

20. मूत्रातिसार (सोमरोग) : एक पका हुआ केला, आंवले का रस 10 मिलीलीटर, शहद 5 ग्राम, दूध 250 मिलीलीटर, इन्हें एकत्र करके सेवन करने से सोमरोग नष्ट होता है।

21. श्वेतप्रदर :
आंवले के 20-30 ग्राम बीजों को पानी के साथ पीसकर उस पानी को छानकर, उसमें 2 चम्मच शहद और पिसी हुई मिश्री मिलाकर पिलाने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
3 ग्राम पिसा हुआ (चूर्ण) आंवला, 6 ग्राम शहद में मिलाकर रोज एक बार 1 महीने तक लेने से श्वेत-प्रदर में लाभ होता है। परहेज खटाई का रखें।
आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक प्रतिदिन सुबह और शाम को पीने से स्त्रियों को होने वाला श्वेतप्रदर नष्ट हो जाता है।

22. पाचन सम्बंधी विकार : पकाये हुए आंवलों को घियाकस कर लें, उसमें उचित मात्रा में कालीमिर्च, सोंठ, सेंधानमक, भुना जीरा और हींग मिलाकर छाया में सुखाकर सेवन करें। इससे अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना), अग्निमान्द्य (अपच) व मलावरोध दूर हो जाता है तथा भूख में वृद्धि होती है।

23. तेज अतिसार (तेज दस्त) : 5-6 आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास उनकी थाल बचाकर लेप कर दें और थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यंत भयंकर नदी के वेग के समान दुर्जय, अतिसार का भी नाश होता है।

24. मूत्राघात (पेशाब में धातु का आना) : 5-6 आंवलों को पीसकर वीर्य नलिकाओं पर लेप करने से मूत्राघात की बीमारी समाप्त होती है।

25. योनि की जलन, सूजन और खुजली :
आंवले का रस 20 मिलीलीटर, 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी को पीने से योनि की जलन समाप्त हो जाती है।
आंवले के रस में चीनी को डालकर 1 दिन में सुबह और शाम प्रयोग करने से योनि की जलन मिट जाती है।
आंवले को पीसकर उसका चूर्ण 10 ग्राम और 10 ग्राम मिश्री को मिलाकर 1 दिन में सुबह और शाम खुराक के रूप में सेवन करने से योनि में होने वाली जलन मिट जाती है।
जिस स्त्री के गुप्तांग (योनि) में जलन और खुजली हो, उसे आंवले का रस, शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।

26. सुजाक : आंवले के 2 से 5 ग्राम चूर्ण को एक गिलास जल में मिलाकर पीने से और उसी जल से मूत्रेन्दिय में पिचकारी देने से सूजन व जलन शांत होती है और धीरे-धीरे घाव भरकर पीव आना बंद हो जाता है।

27. वातरक्त : आंवला, हल्दी तथा मोथा के 50-60 मिलीलीटर काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से वातरक्त शांत हो जाता है।

28. पित्तशूल : आंवले के 2-5 ग्राम चूर्ण को 1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट पित्तशूल की शांति के लिए चाटना चाहिए।

29. जोड़ों के दर्द :
20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 250 मिलीलीटर शेष तो इसे छानकर सुबह-शाम पिलाने से गठिया में लाभ होता है परन्तु इलाज के दौरान नमक छोड़ देना चाहिए।
सूखे आंवले को कूट-पीस लें और उसके चूर्ण से 2 गुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। 3 गोलियां रोजाना लेने से जोड़ों का खत्म होता है।
आंवला और हरड़ 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण गर्म जल के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों (गठिया) का दर्द खत्म हो जाता है।
एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ डालकर उबालें। चौथाई पानी रहने पर इसे छानकर 2 बार रोज पिलाएं। इस अवधि में बिना नमक की रोटी तथा मूंग की दाल में सेंधानमक, कालीमिर्च डालकर खाएं। इस प्रयोग के समय ठंडी हवा से बचें।

30. कफज्वर : मोथा, इन्द्रजौ, हरड़, बहेड़ा, आंवला, कुटकी तथा फालसे का काढ़ा कफ ज्वर को नष्ट करता है।

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1️⃣
भाग प्रथम 15 उपाय


*आंवला*
आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ भी धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। स्त्रियां इसकी पूजा भी करती हैं। आंवले के पेड़ की ऊचांई लगभग 6 से 8 तक मीटर तक होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं।* 

*आंवले का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊंचा होता है तथा इसका तना टेढ़ा-मेढ़ा और 150 से 300 सेमी तक मोटा होता है। फरवरी-मई में इस पेड़ पर फूल लगने शुरू होते हैं तथा अक्टूबर से अप्रैल तक फल मिलते हैं। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती है। आंवले के फूल पीले रंग के और गुच्छों में लगे होते हैंआंवले का फल गोलाकार आधे से एक इंच व्यास के गूदेदार पीलापन लिए हरे और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इस फल पर छ: रेखाए होती हैं। फल के अंदर षट्कोषीय बीज होता है।आंवला शीतल (ठंडी) प्रकृति का होता है।*

*आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है। आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्रामआंवला युवकों को यौवन और बड़ों को युवा जैसी शक्ति प्रदान करता है। एक टॉनिक के रूप में आंवला शरीर और स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। दिमागी परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। कसैला आंवला खाने के बाद पानी पीने पर मीठा लगता है।*
*आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। इसमें आंवले की अधिकता के कारण ही विटामिन `सी´ भरपूर होता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और केश (बालों) के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है। संक्रमण से बचाने, मसूढ़ों को स्वस्थ रखने, घाव भरने और खून बनाने में भी विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।*

विभिन्न रोगों में सहायक :

1. बालों के रोग : आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।

2. पेशाब की जलन :
आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
हरे आंवले का रस 50 मिलीलीटर, शक्कर या शहद 25 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह-शाम पीएं। यह एक खुराक का तोल है। इससे पेशाब खुलकर आयेगा जलन और कब्ज ठीक होगी। इससे शीघ्रपतन दूर भी होता है।

3. हकलाहट, तुतलापन :
बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिये दें। इससे जीभ पतली, आवाज साफ, हकलाना और तुतलापन दूर होता है।
हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को कई बार चूस सकते हैं।

4. खून के बहाव (रक्तस्राव) : स्राव वाले स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाएं, स्राव बंद हो जाएगा।

5. धातुवर्द्धक (वीर्यवृद्धि) : एक चम्मच घी में दो चम्मच आंवले का रस मिलाकर दिन में 3 बार कम-से-कम 7 दिनों तक ले सकते हैं।

6. पेशाब रुकने पर : कच्चे आंवलों को पीसकर बनी लुग्दी पेडू पर लगाएं।

7. आंखों (नेत्र) के रोग में :
लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को अच्छी तरह से पीसकर 2 घंटे तक 500 मिलीलीटर  पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में बहुत लाभ होता है।
वृक्ष पर लगे हुये आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका आंख के बाहर चारों ओर लेप करने से आंख के शुक्ल भाग की सूजन मिटती है।
आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है।
लगभग 6 ग्राम आंवले को पीसकर ठंडे पानी में भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरे आंवले भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़ कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखो की फूली मिटती है।
आंवले का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवले के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है।

8. सुन्दर बालों के लिए :
सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लौह चूर्ण 10 ग्राम, रात भर कढाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका रोजाना लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।
आंवले, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लम्बे होते हैं।
आंवले और आम की गुठली की मज्जा को साथ पीसकर सिर में लगाने से मजबूत लंबे केश पैदा होते हैं।

9. आवाज का बैठना :
अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।
एक चम्मच पिसे हुए आंवले को गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।
कच्चे आंवले बार-बार चूस-चूसकर खाएं।

10. हिक्का (हिचकी) :
पिपली, आंवला, सोंठ इनके 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार प्रयोग करने से हिचकी तथा श्वास रोग शांत होते हैं।
आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस और 2-3 ग्राम पीपल का चूर्ण, 2 चम्मच शहद के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
10 मिलीलीटरआंवले के रस में 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकियों से राहत मिलती है।
आंवला, सोंठ, छोटी पीपल और शर्करा के चूर्ण का सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।
आंवले के मुरब्बे की चाशनी के सेवन से हिचकी में बहुत लाभ होता है।

11. वमन (उल्टी) :
हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।
त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 मिलीलीटर जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
आंवले के 20 मिलीलीटर रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।
आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।
आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शक्कर और शहद के साथ चाटने से गर्मी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
आंवले का फल खाने या उसके पेड़ की छाल और पत्तों के काढ़े को 40 मिलीलीटर सुबह और शाम पीने से गर्मी की उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।
आंवले के रस में शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का बुरादा मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।

12. संग्रहणी : मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटरकी मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।

13. मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) :
आंवले की ताजी छाल के 10-20 मिलीलीटर रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
आंवले के 20 मिलीलीटर रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।

14. अर्श (बवासीर) :
आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।

15. शुक्रमेह : धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 मिलीलीटर तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।

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अपने पैरों के तलवों में तेल लगाने से क्या फायदा होता है?

 1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान...