1। एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान नहीं। एक बार उन्होंने कहना शुरू किया कि उन्हें कलकत्ता में रहने पर एक बूढ़े व्यक्ति ने ,जो कि रेलवे लाइन पर पत्थर बिछाने का काम करता था,सलाह दी कि सोते समय अपने पैरों के तलवों पर तेल लगाये। यह मेरे उपचार और फिटनेस का एकमात्र स्रोत है।
2। एक छात्रा ने कहा कि मेरी मां ने उसी तरह तेल लगाने पर जोर दिया। फिर उसने कहा कि एक बच्चे के रूप में, उसकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। जब उसने इस प्रक्रिया को जारी रखा, तो मेरी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ और स्वस्थ हो गई।
3। एक सज्जन जो एक व्यापारी हैं, ने लिखा है कि मैं अवकाश के लिए चित्राल गया था। मैं वहाँ एक होटल में सोया था। मैं सो नहीं सका। मैं बाहर घूमने लगा। रात में बाहर बैठे पुराने चौकीदार ने मुझसे पूछना शुरू किया, "क्या बात है?" मैंने कहा नींद नहीं आ रही है! वह मुस्कुराया और कहा, "क्या आपके पास कोई तेल है?" मैंने कहा, नहीं, वह गया और तेल लाया और कहा, "कुछ मिनट के लिए अपने पैरों के तलवों की मालिश करें।" फिर वह खर्राटे लेना शुरू कर दिया। अब मैं सामान्य हो गया हूं।
4। मैंने रात में सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर इस तेल की मालिश की कोशिश की। इससे मुझे बेहतर नींद आती है और थकान दूर होती है।
5। मुझे पेट की समस्या थी। अपने तलवों पर तेल से मालिश करने के बाद, 2 दिनों में मेरे पेट की समस्या ठीक हो गई।
6। वास्तव में! इस प्रक्रिया का एक जादुई प्रभाव है। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश की। इस प्रक्रिया ने मुझे बहुत सुकून की नींद दी।
7. मैं इस ट्रिक को पिछले 15 सालों से कर रहा हूं। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद आती है। मैं अपने छोटे बच्चों के पैरों के तलवों की भी तेल से मालिश करता हूं, जिससे वे बहुत खुश और स्वस्थ रहते हैं।
8. मेरे पैरों में दर्द हुआ करता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों को 2 मिनट तक रोजाना जैतून के तेल से मालिश करना शुरू किया। इस प्रक्रिया से मेरे पैरों में दर्द से राहत मिली।
9। मेरे पैरों में हमेशा सूजन रहती थी और जब मैं चलता था, मैं थक जाता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल मालिश की इस प्रक्रिया को शुरू किया। सिर्फ 2 दिनों में, मेरे पैरों की सूजन गायब हो गई।
10 रात में, बिस्तर पर जाने से पहले, मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का एक टिप देखा और उसे करना शुरू कर दिया। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद मिली।
1 1। बड़ी अदभुत बात है। यह टिप आरामदायक नींद के लिए नींद की गोलियों से बेहतर है। मैं अब हर रात अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश करके सोता हूं।
12 मेरे दादाजी के पैरों के तलवों में जलन होती थी और सिरदर्द होता था। जब से उन्होंने अपने तलवों पर कद्दू का तेल लगाना शुरू किया, दर्द दूर हो गया।
13. मुझे थायरॉइड की बीमारी थी। मेरे पैर में हर समय दर्द हो रहा था। पिछले साल किसी ने मुझे रात में बिस्तर पर जाने से पहले पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का यह सुझाव दिया था। मैं इसे स्थायी रूप से कर रहा हूं। अब मैं आम तौर पर शांत हूं।
14। मेरे पैर सुन रहे थे। मैं रात को बिस्तर पर जाने से पहले चार दिनों तक अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश कर रहा हूं। एक बड़ा अंतर है।
15. बारह या तेरह साल पहले मुझे बवासीर हुआ था। मेरा दोस्त मुझे एक ऋषि के पास ले गया जो 90 साल का था। उन्होंने हाथ की हथेलियों पर, उँगलियों के बीच, नाखूनों के बीच और नाखूनों पर तेल रगड़ने का सुझाव दिया और कहा: नाभि में चार-पाँच बूँद तेल डालें और सो जाएँ। मैं हकीम साहब की सलाह मानने लगा। मुझे बहुत राहत मिली। इस टिप ने मेरी कब्ज की समस्या को भी हल कर दिया। मेरे शरीर की थकान भी दूर हो जाती है और मुझे चैन की नींद आती है। खर्राटों को रोकता है।
16। पैरों के तलवों पर तेल की मालिश एक आजमाई हुई और परखी हुई टिप है।
17। तेल से मेरे पैरों के तलवों की मालिश करने से मुझे चैन की नींद मिली।
18. मेरे पैरों और घुटनों में दर्द था। जब से मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की टिप पढ़ी है, अब मैं इसे रोजाना करता हूं, इससे मुझे चैन की नींद आती है।
19. जब से मैंने रात को बिस्तर पर जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश के इस नुस्खे का उपयोग करना शुरू किया है, तब से मुझे कमर दर्द ठीक हो गया है। मेरी पीठ का दर्द कम हो गया है और भगवान का शुक्र है कि मुझे बहुत अच्छी नींद आई है।
रहस्य इस प्रकार है:
रहस्य बहुत ही सरल, बहुत छोटा, हर जगह और हर किसी के लिए बहुत आसान है। किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए। रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं। क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए।
प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं। उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।
#Health is Wealth हेल्थ की बात
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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022
अपने पैरों के तलवों में तेल लगाने से क्या फायदा होता है?
बुधवार, 30 नवंबर 2022
गुड़हल के पेड़ को एक संपूर्ण औषधि माना गया है.!
गुड़हल के पेड़ को एक संपूर्ण औषधि माना गया है.!
गुड़हल के पेड़ को एक संपूर्ण औषधि माना गया है.!
जानिये...
इसकी जड़ से लेकर पुष्प तक हर चीज इसकी जड़ से लेकर पुष्प तक हर चीज किसी न किसी बीमारी का इलाज है, खास तौर पर स्किन तथा बालों से जुड़ी समस्याओं का।
आइए जानते हैं गुड़हल के फूल तथा पत्तियों के कुछ ऐसे ही घरेलू जबरदस्त 15 नुस्खे...
(1) गुडहल के 20 फूल तथा पत्तियों को सुखाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोजाना एक गिलास दूध के साथ पीने से याददाश्त बढ़ती है। खून की कमी भी दूर होती है।
(2) चेहरे से मुंहासे व धब्बे दूर करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके फूल की पत्तियों को पानी में पीसकर उसमें शहद मिलाकर चेहरे पर लगाया जाता है।
(3) डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
(4) मुंह में छाले होने पर गुड़हल के पत्ते चबाएं।
(5) यदि आप बालों को सुंदर और मजबूत बनाना चाहते हैं तो गुड़हल के ताजे फूलों को पीसकर बालों पर लगाएं।
(6). यदि चेहरे पर बहुत मुंहासे हो गए हैं तो लाल गुडहल की पत्तियों को पानी में उबाल कर पीस लें और उसमें शहद मिला कर त्वचा पर लगाने से आराम मिलता है।
(7). गुड़हल के फूलों का उपयोग बालों को सुंदर बनाने के लिए भी किया जाता है। इसे पानी में उबालकर सिर धोने से बालों के झडऩे की समस्या दूर हो जाती है।
(8). मेहंदी और नींबू के रस में 10 ग्राम गुड़हल की पत्तियों को मिलाकर बालों की जड़ों से सिरे तक अच्छे से लगाले, बालों की रूसी खत्म हो जाती है।
(9). इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन में भी किया जाता है। भारत में गुड़हल की पत्तियों और फूलों से हर्बल आईशैडो बनती है।
(10). गुड़हल का फूल शरीर की सूजन के साथ-साथ खुजली तथा जलन जैसी समस्याओं से भी राहत देता है। गुड़हल के फूल की ताजी पत्तियां पीस कर सूजन तथा जलन वाली जगह पर लगाएं, कुछ ही मिनटों में समस्या दूर हो जाएगी।
(11). बच्चों के लिए हर्बल शैम्पू बनाने में भी इसका उपयोग होता है, क्योंकि यह माइल्ड होता है।
(12). गुड़हल के फूल और पत्तों का उपयोग त्वचा से झुर्रियां दूर करने में भी किया जाता है।
(13). गुड़हल की चाय (हिबिस्कस टी) गुडहल की चाय (हिबिस्कस टी) को हर्बल चाय या काढ़े के तौर पर लिया जाता है। इसके फूलों को सुखा कर उसकी हर्बल चाय बनाई जाती है। कॉकटेल के लिए इसमें ठंडा पानी या बर्फ के टुकड़े मिलाए जाते हैं। इस चाय के सेवन से मोटापा कम किया जा सकता है।
(14). इसके अलावा यह एकाग्रता भी बढ़ाता है।
(15) शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही यह दिल के मरीजों के लिए भी अच्छी है।
#सुपारी_पाक
#सुपारी_पाक
यही ठंड की सीजन में शक्ति वर्धक और बलवर्धक एवं पूर्ति वर्धक सुपारी पाक का महत्व
सुपारी पाक के घटक द्रव्य :
✦ कपूर – 4 ग्राम
✦ तज – 3 ग्राम
✦ तेजपात – 3 ग्राम
✦ नागरमोथा – 3 ग्राम
✦ सूखा पुदीना – 3 ग्राम
✦ पीपल – 3 ग्राम
✦ खुरासानी अजवायन – 3 ग्राम
✦ छोटी इलायची के पिसे हुए दाने – 3 ग्राम
✦ तालीस पत्र – 5 ग्राम
✦ वंशलोचन – 5 ग्राम
✦ जावित्री – 5 ग्राम
✦ सफेद चन्दन – 5 ग्राम
✦ काली मिर्च – 5 ग्राम
✦ जायफल – 5 ग्राम
✦ सफ़ेद जीरा – 7 ग्राम,
✦ बिनौले की गिरी – 12 ग्राम
✦ लौंग – 12 ग्राम
✦ सूखा धनिया – 12 ग्राम
✦ पीपलामूल – 12 ग्राम
✦ नीलोफर का फूल -1 ग्राम,
✦ सूखा सिंघाड़ा – 30 ग्राम
✦ शतावर – 30 ग्राम
✦ नागकेशर – 30 ग्राम
✦ खिरनी के बीज – 40 ग्राम,
✦ बादाम – 50 ग्राम
✦ पिस्ता – 50 ग्राम
✦ बीज रहित मुनक्का – 50 ग्राम ,
✦ सुपारी – 1 किलो,
✦ शक्कर – 1 किलो,
✦ गो घृत – आधा किलो।
#सुपारीपाकबनानेकीविधि* :
बीज रहित मुनक्का सिल पर पीस लें। सुपारी को कूट पीस व छान कर खूब महीन चूर्ण कर लें और गो घृत में मन्दी आंच पर अच्छी तरह सेक लें। शक्कर व शहद अलग रख कर सभी द्रव्यों को खूब अच्छी तरह कूट पीस कर छान कर महीन चूर्ण करके मिला लें और गोघृत के साथ मन्दी आंच पर अच्छी तरह सेक लें।
शक्कर की चाशनी बना कर, भुने हुए सभी द्रव्य चाशनी में डाल कर अच्छी तरह मिला कर ठण्डा होने के लिए रख दें। ठण्डा हो जाए तब शहद मिला कर बड़े थाल में फैला कर जमने के लिए रख दें। जम जाने पर बर्फी काट लें।
दूसरी एक सरल विधि भी है कि थाल में न जमा कर इसे कूट कर मसल कर, इसकी बर्फी न बना कर, बूरे के रूप में ही बर्नी में भर लें। बूरे के रूप में सुपारी पाक अधिक दिनों तक खराब नहीं होता और सेवन योग्य बना रहता है।
सुपारी पाक की मात्रा और सेवन विधि :
इसे 10-10 ग्राम सुबह शाम दूध के साथ सेवन करें। अगर दूध गाय का मिल सके तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
#सुपारीपाकके_फायदे*:
1- पुरुषों के लिए सुपारी पाक के फायदे – supari pak benefits for male
यह पाक पुरुषों के लिए वाजी कारक, पुष्टिकारक और वीर्य वर्द्धक होता है ।
2- स्त्रियों के लिए सुपारी पाक के फायदे – supari pak benefits for female
सुपारी पाक स्त्रियों के कई प्रकार के प्रदर रोग को नष्ट करने वाला, उन्हें अच्छा स्वास्थ्य और सौन्दर्य प्रदान करने वाला तथा स्त्रीपुरुष के बन्ध्यत्त्व दोष को दूर करने वाला है। स्त्रियों के लिए तो यह आयुर्वेद का वरदान ही है।
3- सौन्दर्य वृद्धि में सुपारी पाक के लाभ –
इसका सेवन करने से स्त्रियों के स्वास्थ्य व सौन्दर्य की वृद्धि तो होती ही है ।
4- बांझपन को दूर करने वाला –
सुपारी पाक के सेवन से बन्ध्यत्व (बांझपन) दूर होता है, गर्भाशय स्वस्थ, विकार रहित और सशक्त बनता है ।
5- योनि मार्ग की शिथिलता को दूर करने वाला –
सुपारी पाक के सेवन से योनि मार्ग की शिथिलता दूर होती है जिससे वह संकुचित और स्वस्थ होता है, शरीर फुर्तीला और चेहरा ओजस्वी होता है, रंग रूप निखरता है।
6- नवजात शिशु की माता को बल व पुष्टि देनेवाला –
प्रसूति के बाद प्रसूता स्त्री द्वारा इसका सेवन करना अत्यन्त गुणकारी होता है।
इसके सेवन से प्रौढ़ा स्त्री भी युवती की तरह लावण्यमयी हो जाती है ।
7- प्रदर रोग में सुपारी पाक के फायदे –
प्रदर रोग नष्ट होता है जिससे स्त्री, प्रदर रोग के कारण उत्पन्न होने वाली सभी पीड़ाओं और व्याधियों से मुक्त हो जाती ह।
इस तरह सुपारी पाक स्त्रियों के स्वास्थ्य और सौन्दर्य की रक्षा करने वाला तथा शरीर को स्वस्थ तथा निरोग रखने वाला श्रेष्ठ लेडीज़ टॉनिक सिद्ध होता है।
पुरुषों के लिए भी यह अत्यन्त गुणकारी और सेवन योग्य टॉनिक है क्योंकि इसका सेवन करने से पुरुष को यौन शक्ति, बल पुष्टि और चुस्ती फुर्ती की प्राप्ति होती है इसलिए पति-पत्नी दोनों ही इस योग का सेवन कर लाभ उठा सकते हैं।
प्रसव के बाद जननी की मालिश
प्रसव के बाद जननी की मालिश क्यों है ज़रूरी और जानिये क्या हैं इसके फायदे
माँ बनना एक सुखद एहसास है, पर इसके लिए महिलाओं को असहनीय प्रसव पीड़ा झेलनी पड़ती है और फिर जाकर उन्हें वो ख़ुशी की किलकारी सुनने को मिलती है। प्रसव के बाद महिला का शरीर काफ़ी कमज़ोर रहता है और इस कारण उनको ख़ास केयर की ज़रूरत होती है। सिर्फ सही खान-पान ही नहीं बल्कि शारीरिक देखभाल की भी ज़रूरत होती है और इसी कारण नयी माँ को मसाज यानी मालिश की भी ज़रूरत होती है क्यूंकि इससे माँ को बहुत से फायदे होते हैं। नीचे कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में हम बता रहे हैं।
1. प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में काफी दिनों तक दर्द रहता है जो की मालिश करने से दूर होता है क्यूंकि मालिश से मांसपेशियों को पोषण मिलता है और उनको आराम मिलता है।
2. मसाज से शरीर में रक्त संचार तेज़ होता है जिससे माँ का दूध बनने में मदद मिलती है और इससे माँ ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी रिलैक्स रहती है।
3. मालिश के लिए सबसे अच्छे तिल और अरंडी के तेल होते हैं जो त्वचा में ग्लो और कसाव भी लाता है ।
4. इसके आलावा अगर आप सुगन्धित तेल से मसाज करवाती हैं तो आपको और ज़्यादा आराम मिलेगा और आप खुद को तनावमुक्त महसूस करेंगी।
5. मालिश प्रेगनेंसी के बाद बढ़े हुए वज़न को भी घटाता है क्यूंकि मालिश करने से फैट बर्न होता है और इस कारण आप प्रेगनेंसी के बाद अपने पुराने वाले फिगर में वापस आ सकती हैं।
6. आपको जानकर थोड़ा आश्चर्य हो सकता है की मालिश से स्ट्रेच मार्क्स भी कम हो सकते हैं और कोशिश करें मालिश के वक़्त प्राकृतिक तेल का ही इस्तेमाल करने की ।
पर मालिश करवाते वक़्त यह ज़रूर ध्यान रखें की आप ज़ोर से मालिश ना करवाएं क्यूंकि प्रसव के बाद आपका शरीर कमज़ोर होता है और डिपेंड करता है की आपकी नार्मल डिलीवरी हुई है या सी-सेक्शन क्यूंकि सी-सेक्शन में अगर मालिश करवा रहे हैं तो खास सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है, इसलिए मालिश कराएं पर ध्यान से।
*सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस* "--
" *सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस* "
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सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस
जड़ी-बूटी और भस्मों से बनी स्वर्णयुक्त बेजोड़ दवा है जिसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग दूर होते हैं। *शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नामर्दी दूर करने और भरपूर जोश और जवानी लाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है.* तो आईये जानते हैं रसेन्द्र चूड़ामणि रस का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल:-
💠संभोग का नाम लेते ही नामर्दी को दूर करने और जोश बढ़ाने के लिए हमारे मन में आने वाला सबसे पहला नाम है वियाग्रा। वियाग्रा हमें एक बार के लिए चुस्ती फुर्ती और काम शक्ति तो देता है परंतु साथ ही साथ वह हमें कमजोर भी करता है। *वियाग्रा लेने वालों को ऐसी आदत पड़ जाती है कि वह वियाग्रा लेने के अलावा संभोग कर ही नहीं सकते* । उन्हें उन्हें ह्रदय व गुर्दों के रोग हो जाते हैं।
💠 *राजा महाराजाओं की काम शक्ति का राज है सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस।* जो राजा महाराजा अनेक रानियां रखते थे वे सबके साथ संभोग करने के लिए है अपनी शक्ति को रसेंद्र चूड़ामणि रस के माध्यम से बढ़ाते थे।
💠 *जो जोड़े आपस में प्रेम संबंध को बढ़ाना चाहते हैं वे सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस का प्रयोग अवश्य करें।*
💠सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस संभोग की शक्ति को बढ़ाने का प्राकृतिक उपाय है इसलिए वह बहुत ही असरकारक है और सिर्फ *20 दिन के सेवन मात्रा से स्थाई असर देता है।*
💠इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण होने के कारण अफीम से होने वाले नुकसान बहुत कम हो जाते हैं। *लेकिन फिर भी इसका सेवन 20 दिनों से जयादा न करने की सलाह दूँगा।*
💠 *शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह "सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस " वरदान है।* जबकि दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग तुरंत प्रभाव से असर दिखाता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।
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➡ बनाने की विधी :
• पारा भस्म 1 ग्राम।
• स्वर्ण भस्म 2ग्राम।
• नाग भस्म 100 पुटी 3 ग्राम।
• अभ्रक भस्म 100 पुटी 4 ग्राम।
• वंग भस्म 5 ग्राम।
• अतुल शकतिदाता योग (खुद तैयार किया) 6 ग्राम।
• चाँदी भस्म 7 ग्राम।
• स्वर्ण माक्षिक भस्म 8 ग्राम।
सबको मिलाकर धतूरे के पतों के रस और भंग के पतों के रस में तीन दिन खरल करें। फिर मघाँ, गिलोय, भड़िंगी, अंबरबेल, खस, नागरमोथा, शुद बचनाग, मुलठी, शतावर, कौंच के रस जा काड़े की सात- सात भावना देवें। जब सारी दवाई सूख जाये तो इसके कुल वजन की आधी अफीम मिलाकर तुलसी के रस में घोटकर 1-1 रती की गोली बनाकर छाया में सुखा लें।
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➡ मात्रा :
1 या 2 गोली तक दूध से लेवें। तुरंत प्रभाव हेतू संभोग से 2 घंटे पहले गर्म दूध से लेवें।
यह नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग है। ज्यादा औरतों के साथ संभोग करने वाले विलासी पुरूषों के लिये उतम औषधि है।
🌹 *सेक्स समस्याओं के लिए दुनिया का सबसे बेहतरीन फार्मूला* 🌹
*हर तरफ से निराश औरभ परेशान Sex रोगी एक दफा जरूर मिलें*
*नया खुन,नया जौश और नई जवानी दुवार से पाएं।*
*हर तरह की Sex Problem का इलाज है*
*नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग।*
छोटी उम्र में कामोत्तेजना जागने पर मनुष्य जब संभोग, हस्तमैथुन या स्वप्नदोष का शिकार हो जाता है तो काम केंद्र लिंग और वीर्य उतपादक ग्रंथियाँ पूरी तरह ताकत में आने से पहले ही कमजोर हो जाती हैं और वीर्य बिलकुल पतला हो जाता है। जिस कारण स्तंभन शक्ति कमजोर हो जाती है।
मर्द औरत के साथ तसल्ली और मनमौजी तरीके से संभोग रचाने के काबिल नहीं रहता।
कई मर्दों की हालत तो इतनी खराब हो जाती है कि औरत के साथ में उनको स्पर्श करते ही प्यार सिरे से खारिज हो जाता हैं और शर्मिंदगी महसूस करनी पढ़ती है।
ऐसे रोगियों के लिये अमृत समान है।
संभोग करते वक़्त समय इतना बढ़ जाता है कि सारी रात संभोग रचाकर भी आदमी थकता नहीं।
जब तक आप कोई खटाई नही खाते तब तक इसका असर कम नहीं होता।
अगर नियम और संयम रखकर इसका सेवन एक महीना कर लिया जाये तो शीघ्रपतन की समस्या का स्थाई समाधान हो जाता है। जिससे आप फिर से अपने बैडरूम के सुपरमैन बन जायेंगे आर जीवन आनंद ही आनंद होगा।
*क्या आप निम्न सेक्स समस्याओं से परेशान हैं..................?*
💁🏻♂लिंग का आकार आदि सामान्य होने के बावजूद भी सेक्स की इच्छा ही न होना.जिस कारण Wife का बुरा व्यवहार आपके सामने आ रहा है या अचानक पत्नी आपसे लड़ रही है.
💁🏻♂सेक्स करते-करते बीच में ही उत्तेजना Errection समाप्त होकर लिंग penis का बिना वीर्य निकले ही ढीला पड़ जाना और पत्नी का असंतुष्ट रह जाना Orgasm ना मिलना.सेक्स से पूर्व वीर्य ज्यादा गुदगुदी होकर निकल जाता है तो इसका इलाज अति शीघ्र करवाएं.
💁🏻♂सेक्स क्रिया शुरू करते ही वीर्य निकल जाना और पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े.
💁🏻♂एक बार यदि सेक्स कर लिया तो कई-कई दिनों तक लिंग में सेक्स करने लायक उत्तेजना Erection का ही न आना जिस कारण यदि पत्नी कमउम्र है तो अकारण काम का बहाना करना पड़ता है.
💁🏻♂वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य का पानी की तरह पतला होना.
💁🏻♂सेक्स के बाद भयंकर कमजोरी महसूस होना जैसे बरसों से बीमार हों.
💁🏻♂लिंग में सेक्स करने लायक कठोरता Hardness का न आना और इच्छा होने पर भी थोड़ा सा उत्तेजित होकर पिलपिला बना रहना.
💁🏻♂जवानी शुरू होते ही हस्तमैथुन करके वीर्य का सत्यानाश करा और लिंग को भी बीमार बना डाला है.
💁🏻♂सेक्स के दौरान दम फूलने लगना जैसे अस्थमा का दौरा पड़ गया हो.
👨🏻⚕ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन का सत्यानाश होता रहता है और कई बार तो साथी के कदम बहक जाने से परिवार तक टूट जाते हैं। पत्निया तलाक मांगने लगती हैं या उनके कदम बहक जाते हैं.
👨🏻⚕ऐसे में पति बाजारू दवाओं का सेवन करके और नामर्द impotent या शीघ्रपतन का शिकार होजाता है या नीम-हकीमों के चक्कर में अपनी मेहनत का पैसा लुटाते रहते हैं लेकिन ऐसी दवाओं से स्थायी समाधान हाथ नहीं आकर और नुकसान उठा बैठते हैं।
👨🏻⚕बस कुछ देर के लाभ का छलावा महसूस होता है। ऐसे में चाहिये कि शरीर का भली प्रकार पोषण करके शक्ति देने वाली आयुर्वेदिक वाली औषधि (दवाई). आपके पास हों। न कि थोड़ी उत्तेजना Errection देकर heart atek ,B.P problems, आँखों, किडनी व मस्तिष्क यानि दिमाग का नाश करने वाली अंग्रेजी दवाइयां।
👨🏻⚕मैने गहन अध्ययन और अनुभव के बाद ..कीमती जड़ी बूटी और बहूमूल्य जवाहरात की भस्मो(कुश्ता)सोना चांदी भस्मो ईत्यादि से तैयार कि हैं।
👨🏻⚕शीघ्रपतन जैसी नामुराद बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिये आप एक बार इस्तेमाल जरूर करके देखें।
👨🏻⚕ का इस्तेमाल करने वाला मर्द जिस औरत के साथ संभोग कर लेगा वह औरत जीवन भर उसी मर्द की दासी बनकर रह जायेगी।
👨🏻⚕ताकतवर समझकर कभी भी बताई गई मात्रा से जयादा इस्तेमाल न करें कयोंकि जयादा मात्रा में सेवन करने से कामोत्तेजना बहुत बढ जाती है।
👉🏼 इतना प्रभावशाली है कि इसका सेवन करने से रोम- रोम नाचने लगता है।
▪मस्ती से भरा हुआ मर्द जब औरत के साथ सेज साँझी करता है तो दोनों की रूह एक दूसरे में इस तरह समा जाती है जैसे तुम और मैं का भेद समाप्त हो जाता है।
▪इसका उपयोग एक दूसरे से बहुत प्यार करने वाले जोड़ों को जरूर करना चाहिए। वही इसकी सही उपयोग करके एक दूसरे के हो सकते हैं।
*Married peoples इसका इस्तेमाल जरूर करें।*
👨🏻⚕यह औषधि अति विलासी "राजे- महाराजे" इस्तेमाल करते थे। क्योंकि उनके एक से अधिक औरतों के साथ संबंध होते थे।
▪इसके कुछ दिन सेवन करने से वीर्य बहुत गाढा हो जाता है।
▪इसके कुछ दिनों के इसतेमाल से नाड़ीतंत्र को ताकत मिलती है।
🔹इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण हैं।
🔹शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह वरदान है।
🔹दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग 10-15 दिनों में ही असर दिखाना शुरू कर देता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।
सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस जड़ी-बूटी और भस्मों से बनी स्वर्णयुक्त बेजोड़ दवा है जिसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग दूर होते हैं। शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नामर्दी दूर करने और भरपूर जोश और जवानी लाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं रसेन्द्र चूड़ामणि रस का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल:-
💠संभोग का नाम लेते ही नामर्दी को दूर करने और जोश बढ़ाने के लिए हमारे मन में आने वाला सबसे पहला नाम है वियाग्रा। वियाग्रा हमें एक बार के लिए चुस्ती फुर्ती और काम शक्ति तो देता है परंतु साथ ही साथ वह हमें कमजोर भी करता है। वियाग्रा लेने वालों को ऐसी आदत पड़ जाती है कि वह वियाग्रा लेने के अलावा संभोग कर ही नहीं सकते । उन्हें उन्हें ह्रदय व गुर्दों के रोग हो जाते हैं।
💠 राजा महाराजाओं की काम शक्ति का राज है सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस। जो राजा महाराजा अनेक रानियां रखते थे वे सबके साथ संभोग करने के लिए है अपनी शक्ति को रसेंद्र चूड़ामणि रस के माध्यम से बढ़ाते थे।
💠 जो जोड़े आपस में प्रेम संबंध को बढ़ाना चाहते हैं वे सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस का प्रयोग अवश्य करें।
💠सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस संभोग की शक्ति को बढ़ाने का प्राकृतिक उपाय है इसलिए वह बहुत ही असरकारक है और सिर्फ 7 दिन के सेवन मात्रा से स्थाई असर देता है।
💠इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण होने के कारण अफीम से होने वाले नुकसान बहुत कम हो जाते हैं। लेकिन फिर भी इसका सेवन 90 दिनों से जयादा न करने की सलाह दूँगा।
💠 शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह "सुवर्णा रस रसेंद्र चूड़ामणि रस " वरदान है। जबकि दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग तुरंत प्रभाव से असर दिखाता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।
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➡ बनाने की विधी :
• पारा भस्म 1 ग्राम।
• स्वर्ण भस्म 2ग्राम।
• नाग भस्म 100 पुटी 3 ग्राम।
• अभ्रक भस्म 100 पुटी 4 ग्राम।
• वंग भस्म 5 ग्राम।
• अतुल शकतिदाता योग (खुद तैयार किया) 6 ग्राम।
• चाँदी भस्म 7 ग्राम।
• स्वर्ण माक्षिक भस्म 8 ग्राम।
सबको मिलाकर धतूरे के पतों के रस और भंग के पतों के रस में तीन दिन खरल करें। फिर मघाँ, गिलोय, भड़िंगी, अंबरबेल, खस, नागरमोथा, शुद बचनाग, मुलठी, शतावर, कौंच के रस जा काड़े की सात- सात भावना देवें। जब सारी दवाई सूख जाये तो इसके कुल वजन की आधी अफीम मिलाकर तुलसी के रस में घोटकर 1-1 रती की गोली बनाकर छाया में सुखा लें।
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➡ मात्रा :
1 या 2 गोली तक दूध से लेवें। तुरंत प्रभाव हेतू संभोग से 2 घंटे पहले गर्म दूध से लेवें।
यह नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग है। ज्यादा औरतों के साथ संभोग करने वाले विलासी पुरूषों के लिये उतम औषधि है।
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हर तरफ से निराश औरभ परेशान Sex रोगी एक दफा जरूर मिलें
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हर तरह की Sex Problem का इलाज है
नामर्दी, वीर्य की कमजोरी और शीघ्रपतन दूर करने के लिये उतम योग।
छोटी उम्र में कामोत्तेजना जागने पर मनुष्य जब संभोग, हस्तमैथुन या स्वप्नदोष का शिकार हो जाता है तो काम केंद्र लिंग और वीर्य उतपादक ग्रंथियाँ पूरी तरह ताकत में आने से पहले ही कमजोर हो जाती हैं और वीर्य बिलकुल पतला हो जाता है। जिस कारण स्तंभन शक्ति कमजोर हो जाती है।
मर्द औरत के साथ तसल्ली और मनमौजी तरीके से संभोग रचाने के काबिल नहीं रहता।
कई मर्दों की हालत तो इतनी खराब हो जाती है कि औरत के साथ में उनको स्पर्श करते ही प्यार सिरे से खारिज हो जाता हैं और शर्मिंदगी महसूस करनी पढ़ती है।
ऐसे रोगियों के लिये अमृत समान है।
संभोग करते वक़्त समय इतना बढ़ जाता है कि सारी रात संभोग रचाकर भी आदमी थकता नहीं।
जब तक आप कोई खटाई नही खाते तब तक इसका असर कम नहीं होता।
अगर नियम और संयम रखकर इसका सेवन एक महीना कर लिया जाये तो शीघ्रपतन की समस्या का स्थाई समाधान हो जाता है। जिससे आप फिर से अपने बैडरूम के सुपरमैन बन जायेंगे आर जीवन आनंद ही आनंद होगा।
क्या आप निम्न सेक्स समस्याओं से परेशान हैं..................?
💁🏻♂लिंग का आकार आदि सामान्य होने के बावजूद भी सेक्स की इच्छा ही न होना.जिस कारण Wife का बुरा व्यवहार आपके सामने आ रहा है या अचानक पत्नी आपसे लड़ रही है.
💁🏻♂सेक्स करते-करते बीच में ही उत्तेजना Errection समाप्त होकर लिंग penis का बिना वीर्य निकले ही ढीला पड़ जाना और पत्नी का असंतुष्ट रह जाना Orgasm ना मिलना.सेक्स से पूर्व वीर्य ज्यादा गुदगुदी होकर निकल जाता है तो इसका इलाज अति शीघ्र करवाएं.
💁🏻♂सेक्स क्रिया शुरू करते ही वीर्य निकल जाना और पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े.
💁🏻♂एक बार यदि सेक्स कर लिया तो कई-कई दिनों तक लिंग में सेक्स करने लायक उत्तेजना Erection का ही न आना जिस कारण यदि पत्नी कमउम्र है तो अकारण काम का बहाना करना पड़ता है.
💁🏻♂वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य का पानी की तरह पतला होना.
💁🏻♂सेक्स के बाद भयंकर कमजोरी महसूस होना जैसे बरसों से बीमार हों.
💁🏻♂लिंग में सेक्स करने लायक कठोरता Hardness का न आना और इच्छा होने पर भी थोड़ा सा उत्तेजित होकर पिलपिला बना रहना.
💁🏻♂जवानी शुरू होते ही हस्तमैथुन करके वीर्य का सत्यानाश करा और लिंग को भी बीमार बना डाला है.
💁🏻♂सेक्स के दौरान दम फूलने लगना जैसे अस्थमा का दौरा पड़ गया हो.
👨🏻⚕ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन का सत्यानाश होता रहता है और कई बार तो साथी के कदम बहक जाने से परिवार तक टूट जाते हैं। पत्निया तलाक मांगने लगती हैं या उनके कदम बहक जाते हैं.
👨🏻⚕ऐसे में पति बाजारू दवाओं का सेवन करके और नामर्द impotent या शीघ्रपतन का शिकार होजाता है या नीम-हकीमों के चक्कर में अपनी मेहनत का पैसा लुटाते रहते हैं लेकिन ऐसी दवाओं से स्थायी समाधान हाथ नहीं आकर और नुकसान उठा बैठते हैं।
👨🏻⚕बस कुछ देर के लाभ का छलावा महसूस होता है। ऐसे में चाहिये कि शरीर का भली प्रकार पोषण करके शक्ति देने वाली आयुर्वेदिक वाली औषधि (दवाई). आपके पास हों। न कि थोड़ी उत्तेजना Errection देकर heart atek ,B.P problems, आँखों, किडनी व मस्तिष्क यानि दिमाग का नाश करने वाली अंग्रेजी दवाइयां।
👨🏻⚕मैने गहन अध्ययन और अनुभव के बाद ..कीमती जड़ी बूटी और बहूमूल्य जवाहरात की भस्मो(कुश्ता)सोना चांदी भस्मो ईत्यादि से तैयार कि हैं।
👨🏻⚕शीघ्रपतन जैसी नामुराद बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिये आप एक बार इस्तेमाल जरूर करके देखें।
👨🏻⚕ का इस्तेमाल करने वाला मर्द जिस औरत के साथ संभोग कर लेगा वह औरत जीवन भर उसी मर्द की दासी बनकर रह जायेगी।
👨🏻⚕ताकतवर समझकर कभी भी बताई गई मात्रा से जयादा इस्तेमाल न करें कयोंकि जयादा मात्रा में सेवन करने से कामोत्तेजना बहुत बढ जाती है।
👉🏼 इतना प्रभावशाली है कि इसका सेवन करने से रोम- रोम नाचने लगता है।
▪मस्ती से भरा हुआ मर्द जब औरत के साथ सेज साँझी करता है तो दोनों की रूह एक दूसरे में इस तरह समा जाती है जैसे तुम और मैं का भेद समाप्त हो जाता है।
▪इसका उपयोग एक दूसरे से बहुत प्यार करने वाले जोड़ों को जरूर करना चाहिए। वही इसकी सही उपयोग करके एक दूसरे के हो सकते हैं।
Married peoples इसका इस्तेमाल जरूर करें।
👨🏻⚕यह औषधि अति विलासी "राजे- महाराजे" इस्तेमाल करते थे। क्योंकि उनके एक से अधिक औरतों के साथ संबंध होते थे।
▪इसके कुछ दिन सेवन करने से वीर्य बहुत गाढा हो जाता है।
▪इसके कुछ दिनों के इसतेमाल से नाड़ीतंत्र को ताकत मिलती है।
🔹इसमें सोना, चाँदी, सिका (नाग) वंग व अभ्रक आदि वीर्य वर्धक औषधियों का मिश्रण हैं।
🔹शूगर के मरीजों को हमेशा शीघ्रपतन की शिकायत रहती है उनके लिये यह वरदान है।
🔹दूसरी बाजीकरक व वीर्य सतंभक आयुर्वेदिक औषधियाँ 40-45 दिनों बाद अपना असर दिखाना शुरू करती हैं वहीं यह योग 10-15 दिनों में ही असर दिखाना शुरू कर देता है व इसका प्रभाव भी काफी समय तक रहता है।
पद्म पर्वतासन :एक विशेष योगासन कूल्हों क़ी मजबूती और संतुलन के लिए जानिये इसकी विधि और फायदे
पद्म पर्वतासन :एक विशेष योगासन कूल्हों क़ी मजबूती और संतुलन के लिए जानिये इसकी विधि और फायदे
यह आसन दो आसनों का मिलाजुला रूप है। बैठकर किए जाने वाले आसनों में पद्मासन और खड़े होकर किए जाने वाले पर्वतासन दोनो के लाभ इस आसन से प्राप्त होते है इसलिए ये पद्मासन का एडवांस आसन है रीढ़ क़ी हड्डी और शरीर के निचले हिस्से क़ी मजबूती के साथ शारीरिक संतुलन भी इस आसन के प्रमुख लाभो में शामिल है
पद्म पर्वतासन के लाभ
यह आसन संतुलन की भावना और एकाग्र होने की योग्यता में सुधार करता है।
यह श्वास प्रणाली की कार्यक्षमता को प्रोत्साहित करता है।
रीढ़ क़ी हड्डी को सीधा करने और मजबूती प्रदान करने में यह योग कारगर है
इसका अभ्यास पूरे नाड़ी-तंत्र क़ी उद्दिग्नता को शान्त करता है।
निरंतर अभ्यास नितम्ब, पीठ, कंधे और बाजुओं की मांसपेशियों को मजबूती देता है।
सही से आसन कूल्हों की खिसकन में कमी करता है।
पद्म पर्वतासन क़ी विधि
सर्व प्रथम एक साफ शांत और समतल स्थान पर आसन बिछाकर उस पर पद्मासन में बैठें।
अब अपने हाथों की सहायता से सावधानी बरतते हुए घुटनों के बल आ जायें।
इस स्थिति में संतुलन पर ध्यान एकाग्र करें।
अपने हाथों को सिर के ऊपर फैलायें
चाहे तो हाथो को प्रणाम क़ी मुद्रा में कर सकते है
अब हाथो को जितना हो सके ऊपर खींचे जिससे कि सम्पूर्ण ऊपरी शरीर (धड़) लम्बाई में खिंच जाये
एकाग्रता से अपने सामने किसी नियत बिन्दु पर ध्यान दें।
1-2 मिनट तक इसी स्थिति में रहें।
अब धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें।
इस प्रकार आसन का एक चक्र पूरा करें
निरंतर अभ्यास से आप चक्रों क़ी संख्या और आसन क़ी अवधि बढ़ा सकते है
पद्म पर्वतासन के सावधानियां
तीव्र ज्वर य़ा अन्य कोई रोग होने पर यह आसन विशेषज्ञ क़ी सलाह पर ही करें
घुटनों के जोड़ों की समस्या होने पर यह आसन नहीं करना चाहिये।
ताजा ताजा शल्य क्रिया हुई हो तो इस आसन का अभ्यास का करें
#सनातनी और #वैज्ञानिक परम्पराएं
सनातनी और वैज्ञानिक परम्पराएं
पुराने समय से बहुत सी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका पालन आज भी काफी लोग कर रहे हैं। ये परंपराएं धर्म से जुड़ी दिखाई देती हैं, लेकिन इनके वैज्ञानिक कारण भी हैं। जो लोग इन परंपराओं को अपने जीवन में उतारते हैं, वे स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों से बचे रहते हैं। यहां जानिए ऐसी ही चौदह प्रमुख परंपराएं, जिनका पालन अधिकतर परिवारों में किया जाता है…
1. एक ही गोत्र में शादी नहीं करना : - कई शोधों में ये बात सामने आई है कि व्यक्ति को जेनेटिक बीमारी न हो इसके लिए एक इलाज है ‘सेपरेशन ऑफ़ जींस’, यानी अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नहीं करना चाहिए। रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाते हैं और जींस से संबंधित बीमारियां जैसे कलर ब्लाईंडनेस आदि होने की संभावनाएं रहती हैं। संभवत: पुराने समय में ही जींस और डीएनए के बारे खोज कर ली गई थी और इसी कारण एक गोत्र में विवाह न करने की परंपरा बनाई गई।
2. कान छिदवाने की परंपरा : - स्त्री और पुरुषों, दोनों के लिए पुराने समय से ही कान छिदवाने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि, आज पुरुष वर्ग में ये परंपरा मानने वालों की संख्या काफी कम हो गई है। इस परंपरा की वैज्ञानिक मानयता ये है कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है, बोली अच्छी होती है। कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित और व्यवस्थित रहता है। कान छिदवाने से एक्यूपंक्चर से होने वाले स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे छोटे बच्चों को नजर भी नहीं लगती है।
3. माथे पर तिलक लगाना : - स्त्री और पुरुष माथे पर कुमकुम, चंदन का तिलक लगाते हैं। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क यह है कि दोनों आंखों के बीच में आज्ञा चक्र होता है। इसी चक्र स्थान पर तिलक लगाया जाता है। इस चक्र पर तिलक लगाने से हमारी एकाग्रता बढ़ती है। मन बेकार की बातों में उलझता नहीं है। तिलक लगाते समय उंगली या अंगूठे का जो दबाव बनता है, उससे माथे तक जाने वाली नसों का रक्त संचार व्यवस्थित होता है। रक्त कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं।
4. जमीन पर बैठकर भोजन करना : - जमीन पर बैठकर भोजन करना पाचन तंत्र और पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। पालथी मारकर बैठना एक योग आसन है। इस अवस्था में बैठने से मस्तिष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। पालथी मारकर भोजन करते समय दिमाग से एक संकेत पेट तक जाता है कि पेट भोजन ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाए। इस आसन में बैठने से गैस, कब्ज, अपच जैसी समस्याएं दूर रहती हैं।
5. हाथ जोड़कर नमस्ते करना : - हम जब भी किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते या नमस्कार करते हैं। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क यह है नमस्ते करते समय सभी उंगलियों के शीर्ष आपस में एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। हाथों की उंगलियों की नसों का संबंध शरीर के सभी प्रमुख अंगों से होता है। इस कारण उंगलियों पर दबाव पड़ता है तो इस एक्यूप्रेशर (दबाव) का सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है।
साथ ही, नमस्ते करने से सामने वाला व्यक्ति हम लंबे समय तक याद रह पाता है। इस संबंध में एक अन्य तर्क यह है कि जब हम हाथ मिलाकर अभिवादन करते है तो सामने वाले व्यक्ति के कीटाणु हम तक पहुंच सकते हैं। जबकि नमस्ते करने पर एक-दूसरे का शारीरिक रूप से संपर्क नहीं हो पाता है और बीमारी फैलाने वाले वायरस हम तक पहुंच नहीं पाते हैं।
6. भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से : - धार्मिक कार्यक्रमों में भोजन की शुरुआत अक्सर मिर्च-मसाले वाले व्यंजन से होती है और भोजन का अंत मिठाई से होता है। इसका वैज्ञानिक तर्क यह है कि तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।
7. पीपल की पूजा : - आमतौर पर लोगों की मान्यता यह है कि पीपल की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसका एक तर्क यह है कि इसकी पूजा इसलिए की जाती है, ताकि हम वृक्षों की सुरक्षा और देखभाल करें और वृक्षों का सम्मान करें, उन्हें काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा वृक्ष है, जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। इसीलिए अन्य वृक्षों की अपेक्षा इसका महत्व काफी अधिक बताया गया है।
8. दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना : -
दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने पर बुरे सपने आते हैं। इसीलिए उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए। इसका वैज्ञानिक तर्क ये है कि जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर प्रवाहित होने लगता है। इससे दिमाग से संबंधित कोई बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर भी असंतुतित हो सकता है। दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से ये परेशानियां नहीं होती हैं।
9. सूर्य की पूजा करना : - सुबह सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क ये है कि जल चढ़ाते समय पानी से आने वाली सूर्य की किरणें, जब आंखों हमारी में पहुंचती हैं तो आंखों की रोशनी अच्छी होती है। साथ ही, सुबह-सुबह की धूप भी हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद होती है। शास्त्रों की मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है। कुंडली में सूर्य के अशुभ फल खत्म होते हैं।
10. चोटी रखना : - पुराने समय में सभी ऋषि-मुनी सिर पर चोटी रखते थे। आज भी कई लोग रखते हैं। इस संबंध में मान्यता है कि जिस जगह पर चोटी रखी जाती है, उस जगह दिमाग की सारी नसों का केंद्र होता है। यहां चोटी रहती है तो दिमाग स्थिर रहता है। क्रोध नहीं आता है और सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है। मानसिक मजबूती मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है।
11. व्रत रखना : - पूजा-पाठ, त्योहार या एकादशियों पर लोग व्रत रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार व्रत से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी, मधुमेह आदि रोग होने की संभावनाएं भी कम रहती हैं।
12. चरण स्पर्श करना : - किसी बड़े व्यक्ति से मिलते समय उसके चरण स्पर्श करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। यही संस्कार बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे भी बड़ों का आदर करें। इस परंपरा के संबंध में मान्यता है कि मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हमारे हाथों से सामने वाले पैरों तक पहुंचती है और बड़े व्यक्ति के पैरों से होते हुए उसके हाथों तक पहुंचती है। आशीर्वाद देते समय व्यक्ति चरण छूने वाले के सिर पर अपना हाथ रखता है, इससे हाथों से वह ऊर्जा पुन: हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है। इससे ऊर्जा का एक चक्र पूरा होता है।
13. मांग में सिंदूर लगाना : - विवाहित महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर लगाना अनिवार्य परंपरा है। इस संबंध में तर्क यह है कि सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी (पारा- तरल धातु) होता है। इन तीनों का मिश्रण शरीर के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। इससे मानसिक तनाव भी कम होता है।
14. तुलसी की पूजा : - तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। शांति रहती है। इसका तर्क यह है कि तुलसी के संपर्क से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यदि घर में तुलसी होगी तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे कई बीमारियां दूर रहती हैं।
#शहद #Sahad के लाभ, शहद के फायदे, शहद के गुण
#शहद #Sahad के लाभ, शहद के फायदे, शहद के गुण
शहद के लाभ सभी तक पहुंचायें
आप स्वस्थ हों देश स्वस्थ हो और साथ ही अपना व देश का करोड़ों रुपये बचायें
शहद : आयुर्वेदिक नज़रिया
शहद के फायदों के बारे में जितनी बात की जाए वो कम है। गुणों के आधार पर देखा जाए तो शहद जैसा पौष्टिक आहार दूसरा और कोई नहीं है। शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ यह कई तरह की बीमारियों से बचाती है। प्राचीन काल से ही शहद का इस्तेमाल औषधि के रुप में होता रहा है और आज के समय में भी अधिकांश दवाइयों में इसका उपयोग किया जाता है। स्वादिष्ट और मीठा होने के कारण शहद का इस्तेमाल मिठास के लिए भी किया जाता है।
इस लेख में हम आपको शहद के फायदे, नुकसान और खाने के सही तरीके के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :
शहद क्या है
शहद एक गाढ़ा, चिपचिपा, पीलापन और कालापन लिए हुए भूरे रंग का तरल पदार्थ है। यह मधुमखियों द्वारा इकठ्ठा किये गए फूलों के परागों से तैयार किया जाता है। यह शरीर में प्रकुपित हुए तीनों दोषों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
शहद के गुण
आमतौर पर शहद में कफ, विष, रक्तपित्त, प्यास और हिचकी को खत्म करने वाले गुण होते हैं। नया शहद ताकत बढ़ाने वाला और थोड़ी मात्रा में कफ को नष्ट करने वाला होता है। वहीं पुराना शहद कब्ज, चर्बी और मोटापा नष्ट करने वाला होता है।
शहद अच्छा योगवाही है अर्थात इसे जिसके साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है यह उसके गुणों से युक्त हो जाता है। अतः आयुर्वेदीय औषधियों में अनुपान के रूप में सबसे अधिक शहद का प्रचलन है। अधिकांश आयुर्वेदिक दवाइयों को शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है।
शहद के फायदे
शहद के अनगिनत फायदे हैं। पाचन को सुधारने, खांसी से आराम दिलाने के अलावा शहद त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। आइये शहद के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं :
इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक
शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण आपको तमाम तरह की बीमारियों से बचाते हैं। शहद का नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
घाव भरने में उपयोगी
अगर आपका घाव जल्दी ठीक नहीं हो रहा है तो ऐसे में शहद का इस्तेमाल करने से वो जल्दी ठीक हो जाता है। शहद त्वचा को नमी प्रदान कर त्वचा को मुलायम बनाता है और क्षतिग्रस्त त्वचा का पुनः निर्माण करके घावों को भरता है।
कफ दूर करने में सहायक
गले और सीने में कफ जमा हो जाने की वजह से कई दिक्कतें होने लगती है। सांस लेने में तकलीफ होना, खांसी आना या गले में खराश होने जैसी समस्याएं जमे हुए कफ के कारण ही होती है। शहद में ऐसे गुण होते हैं जो जमे हुए कफ को टुकड़े टुकड़े करके बाहर निकालती है और इन समस्याओं से राहत दिलाती है।
शरीर के विषैले पदार्थों को दूर करता है :
हम जो भी खाना खाते हैं उसका अधिकांश हिस्सा तो आसानी से पच जाता है लेकिन कुछ भाग पचते नहीं हैं और ये शरीर में इकठ्ठा होते रहते हैं। ये सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। इन्हें ही आयुर्वेद में ‘अमा’ कहा गया है। शहद इन हानिकारक विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।
पाचक अग्नि को बढ़ाता है
शरीर का पूरा पाचन तंत्र, जठराग्नि या पाचक अग्नि पर ही निर्भर है। इसीलिए आयुर्वेद में पाचक अग्नि के संतुलित होने पर काफी जोर दिया गया है। शहद खाने से पाचक अग्नि बढ़ती है जिससे पेट से जुड़ी तमाम तरह की बीमारियों से बचाव होता है।
भूख बढ़ाने में सहायक
शहद खाने से भूख बढ़ती है। कई लोग को भूख ना लगने की समस्या होती है जिसकी वजह से वे समय पर खाना नहीं खाते हैं। इस कारण शरीर में कमजोरी और अन्य कई बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में शहद का सेवन करना गुणकारी है। विशेषज्ञों के अनुसार शहद खाने से भूख बढ़ती है।
त्वचा में निखार लाता है
शहद सिर्फ आपको बीमारियों से ही नहीं बचाता बल्कि इसका उपयोग आप अपना सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं। शहद में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो चेहरे की चमक बढ़ाते हैं और दाग धब्बों को दूर करते हैं। यही कारण है कि कई ब्यूटी क्रीम में शहद का इस्तेमाल किया जाता है। आप भी चेहरे पर निखार लाने के लिए शहद का उपयोग कर सकते हैं।
अतिसार या दस्त में उपयोगी है शहद
गर्मियों और बरसात के मौसम में दस्त होना एक आम समस्या है। खासतौर पर बच्चे बहुत जल्दी इस बीमारी की चपेट में आते हैं। आयुर्वेद के अनुसार दस्त होने पर शहद का सेवन करना फायदेमंद होता है।
शहद के अन्य फायदे
उपरोक्त बताए गए फायदों के अलावा शहद डायबिटीज, कुष्ठ, उल्टी आदि रोगों में फायदेमंद है। हालांकि इन रोगों के इलाज के लिए शहद का सेवन किसी चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें।
शहद के साथ क्या ना खाएं
इन चीजों का सेवन शहद के साथ ना करें, आयुर्वेद में इन्हें शहद के साथ में खाने से मना किया गया है।
घी (समान मात्रा में पुराना घी)
तेल और वसा
अंगूर
कमल का बीज
मूली
अधिक गर्म पानी
गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ
शहद से जुड़ी कुछ विशेष ध्यान रखने वाली बातें
शहद को कभी भी गर्म करके ना खाएं। इसका मतलब यह है कि किसी भी आहार को पकाते समय उसमें शहद डालकर ना पकाएं। शहद को अधिक तापमान कर गर्म करने से उसमें विषैला प्रभाव आ जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक है। अगर आप खाली पेट सुबह पानी में शहद डालकर पी रहे हैं तो पानी में शहद डालकर उबालें नहीं बल्कि आंच बंद करने के बाद पानी को गिलास में डालकर तब उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पियें।
इसी तरह उबलते हुए दूध में शहद ना डालें बल्कि दूध को उबालकर उसे कुछ देर सामान्य तापमान तक ठंडा कर लें। जब दूध गुनगुना रहे तब उसमें शहद मिलाकर पियें।
हालांकि उल्टी (वमन क्रिया) करने में गर्म शहद का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि उल्टी के दौरान शहद शरीर से बाहर निकल जाता है।
शहद और गाय के घी को कभी भी एक बराबर मात्रा में मिलाकर ना खाएं। एक बराबर मात्रा की बजाय अगर आप शहद और घी की अलग अलग मात्रा को साथ में मिलाकर खाएं तो यह बहुत अधिक लाभदायक होता है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस
*सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं...*
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:
1. बीपी: 120/80
2. पल्स: 70 - 100
3. तापमान: 36.8 - 37
4. सांस : 12-16
5. हीमोग्लोबिन:
नर -13.50-18
मादा - 11.50 - 16
6. कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200
7. पोटेशियम: 3.50 - 5
8. सोडियम: 135 - 145
9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220
10. शरीर में खून की मात्रा :
पीसीवी 30-40%
11. शुगर लेवल:
बच्चों के लिए (70-130)
वयस्क: 70 - 115
12. आयरन: 8-15 मिलीग्राम
13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC:
4000 - 11000
14. प्लेटलेट्स:
1,50,000 - 4,00,000
15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC:
4.50 - 6 मिलियन..
16. कैल्शियम:
8.6 - 10.3 मिलीग्राम/डीएल
17. विटामिन डी3:
20 - 50 एनजी/एमएल
18. विटामिन बी12:
200 - 900 पीजी/एमएल
*वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष वालों के लिए विशेष टिप्स:*
1- *पहला सुझाव:*
प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं... सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं। 2 लीटर न्यूनतम प्रति दिन
2- *दूसरा सुझाव :*
शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर को हिलना चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर...या तैराकी...या किसी भी प्रकार के खेल से।
3- *तीसरा सुझाव:*
खाना कम करो....
अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें... क्योंकि यह कभी अच्छा नहीं लाता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।
5- *चौथा सुझाव*
जितना हो सके वाहन का प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो... आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने... या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें। लिफ्ट, एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।
5- *पांचवां सुझाव*
क्रोध छोड़ो...
चिंता छोड़ो... चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो...
विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें .... वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं। सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें !
6- *छठा सुझाव*
सबसे पहले पैसे का मोह छोड़ दे
अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!
पैसा जीने के लिए बनाया गया था, जीवन पैसे के लिए नहीं।
7- *सातवां सुझाव*
अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते।
इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।
8- *आठवां सुझाव*
पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव ....
ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं....
विनम्रता वह है जो लोगों को प्यार से आपके करीब लाती है।
9- *नौवां सुझाव*
अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है। यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!
10- *दसवां सुझाव*
अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें! चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें !
अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें!
*#विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं ❤️*
शुक्रवार, 13 मई 2022
उल्टी रोकने के कारगर नुस्खे | effective home remedies to stop vomiting | उल्टी रोकने के घरेलू उपाय
शनिवार, 30 अप्रैल 2022
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