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शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

Ankylosing# Spondylitis का #आयुर्वेदिकइलाज ,#Ayurvedictreatment #स्पॉन्डिलाइटिस #स्पॉन्डिलोअर्थराइटिस

*Ankylosing Spondylitis का आयुर्वेदिक इलाज*
       ⚕ *Ankylosing Spondylitis* ⚕

*एंकेलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस*, जिसे कभी-कभी "स्पॉन्डिलोअर्थराइटिस" कहा जाता है, गठिया का एक रूप है जो आम तौर पर रीढ़ की हड्डी में होता है, हालांकि यह अन्य जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। वास्तव में, "स्पॉन्डिलाइटिस" शब्द संबंधित बीमारियों के समूह से जुड़ा हुआ है जिनकी प्रगति और लक्षण तो समान हैं, लेकिन ये बीमारियां शरीर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं।
यह कशेरुक (वर्टिब्रे: कई कशेरुक मिल कर रीढ़ की हड्डी बनाती हैं) की गंभीर सूजन का कारण बनती है जो अंततः गंभीर पीड़ा और अक्षमता का कारण बनती है। कई गंभीर मामलों में, सूजन के कारण रीढ़ की हड्डी पर एक नई हड्डी बन सकती है (बोन स्पर)। इससे शारीरिक विकृति भी हो सकती है। इसमें, पीठ में कशेरुक एक साथ फ्यूज हो जाते हैं जिससे कूबड़ होता है और लचीलेपन में कमी आती है। कुछ मामलों में, इससे पसलियां भी प्रभावित होती हैं जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। स्पॉन्डिलाइटिस महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक प्रभावित करता है।
 *Ankylosing Spondylitis के लक्षण*
▪सुबह उठते ही कमर में अकड़न
खराब मुद्रा होना।
▪कंधों का झुका हुआ होना।
▪भूख में कमी, हल्का बुखार, वजन घटना।
▪थकान, एनीमिया ,आयरन की कमी।
▪फेफड़ों के कार्य पर प्रभाव पड़ना।
▪कूल्हों के जोड़ों में दर्द।
▪कंधों के जोड़ों में दर्द।
▪रीढ़ के आधार और श्रोणि (पेल्विस) के बीच के जोड़ में दर्द।
▪कमर के निचले हिस्से के कशेरुक में दर्द।
▪रीढ़ की हड्डी में दर्द।
▪एड़ी के पीछे (जहां नसें और लिगामेंट जुड़ते हैं) दर्द
▪छाती की हड्डी और पसलियों के बीच उपास्थि (कार्टिलेज) में दर्द।
▪ऐसा दर्द जो आराम करते समय या सुबह उठते ही बढ जाता है और शरीरिक क्रियाओं और व्यायाम करने से कम हो जाता है।
▪रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन का लगातार घटते जाना और अकड़न महसूस होना।
▪टेंडनाइटिस
▪हड्डियों का अत्यधिक बढ़ना, जिसे आमतौर पर बोनी फ्यूजन कहा जाता है, जो दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।
▪आंख की सूजन,आंख लाल। होना
▪सूजन।
▪लिगामेंट और टेंडन (Tendon) में दर्द।
▪संपीड़न फ्रैक्चर (कशेरुका का क्षतिग्रस्त होना)
*डॉक्टर को कब दिखाएं?*
अगर आपको निचली पीठ या कूल्हों में दर्द होता है जो सुबह बढ़ जाता है और उससे रात सोने में भी परेशानी रहती है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

 *Ankylosing Spondylitis के कारण*

अधिकांश स्पॉन्डिलाइटिस से ग्रस्त लोगों में एचएलए-बी 27 *(HLA-B27)* नामक जीन पाया जाता है। यद्यपि इस जीन वाले लोगों को स्पॉन्डिलाइटिस होने की आशंका अधिक होती है, लेकिन यह ऐसे में भी पाया जाता है जिनमें ये जीन नहीं होता।
यह विकार अनुवांशिक होता है, इसलिए इसके होने में जेनेटिक्स भी एक भूमिका निभाते हैं। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में इस बीमारी का इतिहास है तो उसे स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित होने की अधिक आशंका रहती है। स्पॉन्डिलाइटिस से जुड़े कुछ कारण निम्नलिखित हो सकते हैं :
▪जोड़ों और ऊतकों में पहले से सूजन, जो स्पॉन्डिलाइटिस से होने वाली समस्याओं को और बढ़ा सकती है
▪व्यायाम न करना ,मोटापे से ग्रस्त होना।
▪धूम्रपान ,अत्यधिक शराब पीना।
▪कमर की पुरानी समस्याएं जैसे डीजेनेरेटिव डिस्क या स्पाइनल स्टेनोसिस।
*जोखिम कारक*
▪ *आयु :* Ankylosing Spondylitis ज्यादातर किशोरों और युवा वयस्कों को होता है।
▪ *आनुवंशिकता :* स्पॉन्डिलाइटिस से ग्रस्त अधिकांश लोगों में *HLA-B27* (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) जीन पाया जाता है। हालांकि, कई मामलों में ये जीन न होने वाले लोगों को भी स्पॉन्डिलिटिस से ग्रस्त पाया गया है।
▪ *लिंग :* महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ये बीमारी होने की अधिक आशंका रहती है।
 *Ankylosing Spondylitis से बचाव*
▪स्वस्थ आहार खाएं।
▪शरीर का वजन सामान्य बनाए रखें।
▪हमेशा चुस्त रहें।
▪व्यायाम करें क्योंकि उससे से लचीलापन बना रहता है।
चूंकि स्पॉन्डिलाइटिस से ग्रस्त लोगों को आसानी से गर्दन या पीठ में चोट लग सकती है, इसलिए झटकों (जैसे कूदने या गिरने) से बचने के लिए विशेष देखभाल की जानी चाहिए।
 *Ankylosing Spondylitis का परीक्षण*
▪पीठ और श्रोणि (पेल्विस) का एक्स-रे
▪एमआरआई स्कैन
▪किसी भी सूजन का पता करने के लिए एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट (erythrocyte sedimentation rate) नामक रक्त परीक्षण भी किया जा सकता है।
▪प्रोटीन *एचएलए-बी 27* का पता करने हेतु रक्त परीक्षण भी किया जा सकता है। हालांकि, एचएलए-बी 27 परीक्षण का मतलब यह नहीं है कि आप स्पॉन्डिलाइटिस से ग्रस्त हैं। यह केवल ये निर्धारित करता है कि आपके शरीर में इस प्रोटीन का उत्पादन करने वाला जीन मौजूद है।

 *Ankylosing Spondylitis के जोखिम और जटिलताएं*

बढ़ा हुआ स्पॉन्डिलाइटिस गुर्दे में एमिलाइड नामक प्रोटीन के जमा होने का कारण बन सकता है और इसके परिणामस्वरूप गुर्दा खराब भी हो सकता है। किडनी रोग अत्यधिक थकान और मतली का कारण बन सकता है और फ़िल्टरिंग मशीन (डायलिसिस) द्वारा रक्त में संचित अपशिष्ट उत्पादों (वेस्ट प्रोडक्ट) को हटाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
यदि स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज नहीं किया जाता है, तो निम्न जटिलताएं हो सकती हैं :
▪गंभीर व अत्यधिक सूजन के कारण कशेरुका एक साथ फ्यूज हो सकती हैं।
▪कूल्हों और कंधों सहित सूजन पास के जोड़ों में फैल सकती है।
▪सूजन लिगमेंट और टेंडन (नसों) में फैल सकती है, जिस से लचीलापन प्रभावित हो सकता है।
▪सांस लेने मे तकलीफ होना।
▪दिल, फेफड़े, या आंत्र को क्षति होना।
▪रीढ़ की हड्डी में संपीड़न फ्रैक्चर भी हो सकता है।
दुर्लभ और गंभीर मामलों में, स्पॉन्डिलाइटिस महाधमनी (aorta), जो हृदय से जुड़ी बड़ी धमनी है, को भी प्रभावित कर सकता है। सूजी हुई महाधमनी दिल को क्षति पहुंचा सकती है।

     *Spondylitis【स्पॉन्डिलाइटिस】*    
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स्पोंडिलोसिस या स्पॉन्डिलाइटिस, आर्थराइटिस का ही एक रूप है। यह समस्या मुख्यत: मेरु दंड (Spine) को प्रभावित करती है।
स्पोंडिलोसिस मेरुदंड की हड्डियों की असामान्य बढ़ोत्तरी और वर्टेब (Vertebrates) के बीच के कुशन (इंटरवर्टेबल डिस्क) में कैल्शियम के डी-जेनरेशन, बहिःक्षेपण और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है।

*स्पॉन्डिलाइटिस के प्रकार*
शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पॉन्डिलाइटिस तीन प्रकार का होता है:

 *सरवाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis):-* गर्दन में दर्द, जो सरवाइकल को प्रभावित करता है, सरवाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहलाता है। यह दर्द गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन और कंधों के जोड़ तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमजोर मांसपेशियों के कारण बांहों को हिलाना भी मुश्किल होता है।

 *लम्बर स्पोंडिलोसिस (Lumbar Spondylosis):-* इसमें स्पाइन के कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है।

 *एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस (Ankylosing Spondylosis):-* यह बीमारी जोड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। रीढ़ की हड्डी के अलावा कंधों और कूल्हों के जोड़ इससे प्रभावित होते हैं। एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस होने पर स्पाइन, घुटने, एड़ियां, कूल्हे, कंधे, गर्दन और जबड़े कड़े हो जाते हैं।

 *Facts of Spondylitis*
आमतौर पर इसके शिकार 40 की उम्र पार कर चुके पुरुष और महिलाएं होती हैं। आज की जीवनशैली में बदलाव के कारण युवावस्था में ही लोग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का सबसे प्रमुख कारण गलत पॉश्चर है, जिससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा शरीर में कैल्शियम की कमी दूसरा महत्वपूर्ण कारण है।
हमारे पास हर सप्ताह स्पॉन्डिलाइटिस के 20 नये मामले आते हैं, जिनमें मरीज की उम्र 30 से कम होती है। एक दशक पहले के आंकड़ों से तुलना करें तो यह संख्या तीन गुनी हुई है। वे युवा ज्यादा परेशान मिलते हैं, जो आईटी इंडस्ट्री या बीपीओ में काम करते हैं या जो लोग कम्प्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं।
एक अनुमान के अनुसार हमारे देश का हर सातवाँ व्यक्ति गर्दन और पीठ दर्द या जोड़ों के दर्द से परेशान है।
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                   *स्पोंडिलोसिस के कारण*
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▪आनुवंशिक कारण(HLA B27)
▪उम्र का बढ़ना
▪भोजन में पोषक तत्वों, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों का कमजोर हो जाना
▪बैठने या खड़े रहने का गलत तरीका
▪लंबे समय तक ड्राइविंग करना
▪शारीरिक श्रम का अभाव
▪मसालेदार ठंडी या बासी चीजों को खाना
▪विलासिता पूर्ण जीवनशैली
▪महिलाओं में लगातार माहवारी का असंतुलन
▪उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों में क्षय या विकार पैदा होना
▪अक्सर फ्रैक्चर के बाद भी हड्डियों में क्षय की स्थिति होने लगती है।
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                 *स्पोंडिलोसिस के लक्षण*
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▪अगर स्पाइनल कोर्ड दब गई है तो ब्लेडर (Bladder) या बाउल (Bowl) पर नियंत्रण खत्म हो सकता है।
▪इस रोग का दर्द हाथ की उंगलियों से सिर तक हो सकता है।
▪उंगलियां सुन्न हो जाती हैं।
▪कंधे, कमर के निचले हिस्से और पैरों के ऊपरी हिस्से में कमजोरी और कड़ापन आ जाता है।
▪कभी-कभी छाती में दर्द हो सकता है।
▪कशेरुकाओं (Vertebra) के बीच की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है।
▪गर्दन से कंधों और वहां से होता हुआ यह दर्द हाथों, सिर के निचले हिस्से और पीठ के ऊपरी हिस्से तक पहुंच सकता है।
▪छींकना, खांसना और गर्दन की दूसरी गतिविधियां इन लक्षणों को और गंभीर बना सकती हैं।
▪दर्द के अलावा संवेदन शून्यता और कमजोरी महसूस हो सकती है।
▪शारीरिक संतुलन गड़बड़ा सकता है।
▪सबसे पहले दिखाई देने वाले लक्षणों में से एक गर्दन या पीठ में दर्द और उनका कड़ा हो जाना है।
▪समय बीतने के साथ दर्द का गंभीर हो जाना।
▪स्पोंडिलोसिस की समस्या होने पर यह सिर्फ जोड़ो तक ही सीमित नहीं रहती। समस्या गंभीर होने पर बुखार, थकान, उल्टी होना, चक्कर आना और भूख की कमी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
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         *स्पोंडिलोसिस का सामान्य उपचार*   
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▪जीवनशैली में बदलाव लाएं।
▪पौष्टिक भोजन खाएं, विशेषकर ऐसा भोजन जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हो।
▪चाय और कैफीन का सेवन कम करें।
▪पैदल चलने की कोशिश करें। इससे बोन मास (Bone Mass) बढ़ता है। शारीरिक रूप से सक्रिय (Active) रहें।
▪नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
▪हमेशा आरामदायक बिस्तर पर सोएं। इस बात का ध्यान रखें कि बिस्तर न तो बहुत सख्त हो और न ही बहुत नर्म।
▪स्पोंडिलोसिस से पीड़ित लोग गर्दन के नीचे बड़ा तकिया न रखें। उन्हें पैरों के नीचे भी तकिया नहीं रखना चाहिए।
▪ऐसी मेज और कुर्सी का प्रयोग करें, जिन पर आपको झुक कर न बैठना पड़े। हमेशा कमर सीधी करके बैठें।
▪धूम्रपान न करें और तंबाकू न चबाएं।

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