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रविवार, 28 अक्तूबर 2018

मिर्गी का प्राथमिक उपचार , First aid of epilepsy

मिर्गी का प्राथमिक उपचार 

प्राकृतिक उपचार की दृष्टि से देखा जाए तो मिर्गी का दौरा तब पड़ता है जब शरीर में खान पान की वजह से विषैला पदार्थ इक्कठा हो जाता है. अगर आपके सामने किसी व्यक्ति को दौरा पड़ जाए तो सबसे पहले उसके आसपास की हवा को ना रुकने दें, फिर उसे दाई या फिर बायीं करवट में लिटा दें, इसके बाद उसके मुहँ पर पानी के छीटें मारते रहें, किसी तरह उसका मुहँ खोलें और उसके दांतों के नीचे कोई कपड़ा या कुछ रख दें, इससे रोगी की जीभ काटने से बचती है. ध्यान रहें कि ना तो उसे कुछ खिलाने का प्रयास करें और ना ही कुछ पिलाने का.

मिर्गी के रोगी के लिए उपचार

तुलसी और सीताफल : मिर्गी का दौरा आने पर रोगी की नाक में तुलसी के रस और सेंधा नमक के मिश्रण को टपकायें. अगर आसपास तुलसी का पौधा ना हो तो उसकी नाक में सीताफल के पत्तों का रस डालें.

करौंदे : मिर्गी से पीड़ित रोगियों को समय समय पर करौंदे के पत्तों से बनी चटनी का सेवन करना चाहियें. अगर वे रोग इसे खा सके तो ये उनके लिए अधिक बेहतर रहेगा.

सफ़ेद प्याज : साथ ही रोगियों को रोजाना 1 चम्मच सफ़ेद प्याज का रस पानी के साथ पीना चाहियें, इससे उनको दौरे आने बंद हो जाते है.

शहतूत : रोगी को होश में आने के बाद शहतूत और सेब का रस निकालकर उसमें थोड़ी हिंग मिलाकर खिलानी चाहियें ताकि दौरे का प्रभाव शीघ्र खत्म हो सके और वो जल्द ही सामान्य हो जाए.

क्या सुंघायें : रोगी को पानी में पीसी हुई राई, कपूर, तुलसी रस, लहसुन रस, आक की जड़ की छाल का रस, नीम्बू रस व हिंग में से किसी भी चीज को सुंघाया जा सकता है.

क्या खाएं : रोगी को मुंग की दाल, भुनी हुई अरहर की दाल, सुपाच्य व सिमित भोजन, चोकर के साथ गेहूँ के आटे की रोटी खाने से लाभ मिलता है.

फल : जहाँ तक फलों की बात है तो उन्हें आम, अनार, संतरा, सेब, नाशपाती, आडू, अनानास और अंजीर का सेवन करना चाहियें.

नाश्ता : इन्हें अपने प्रातःकाल के नाश्ते में दूध व दूध से बने पदार्थों के साथ मुंग और अंकुरित मोंठ खानी चाहियें, वहीं मेवों में ये काजू, बादाम और अखरोट का सेवन कर सकते है,  अगर ये चटनी का सेवन करना चाहते है तो गाजर व पुदीने की चटनी खाएं, जबकि सलाद में इन्हें टमाटर, नीम्बू, प्याज, खीरे, मुली, गाजर को शामिल करना चाहियें.

मिर्गी की प्राथमिक चिकित्सा व्यायाम : नित्य प्रतिदिन घुमने और व्यायाम करने से आपके मन को शान्ति मिलेगी और आपका शरीर भी स्वस्थ व रोगमुक्त रहेगा. आसनों में शीर्षासन और सर्वांगासन आपके लिए सर्वोताम है किन्तु ध्यान रहे कि आसन खाली पेट करने है. हल्के व्यायाम के बाद आपको बाथटब में नहाना चाहियें. नहाने के बाद ढीले और आरामदेह कपड़ों पहने ताकि शरीर में हवा आती जाती रहे और आपको घुटन महसूस ना हो.

इन चीजों से रहें दूर : मिर्गी के रोगियों को मसालेदार, मिर्च वाले, तले हुए और गरिष्ट पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहियें. उड़द और मसूर की दाल, राजमा, गोभी, बैंगन, चावल, मछली, कचालू और मटर का कम से कम सेवन करने की कोशिश करें. चाय, कॉफ़ी, गुटखा, शराब, तम्बाखू, पेपरमेंट और मांस को भी अलविदा कह दें. कहने का तात्पर्य है कि उष्ण पदार्थों से आपको दूर ही रहना है.

दिनचर्या : कहीं भी अकेले ना जाएँ, सीढ़ी भी ना चढ़ें और चढ़ें तो किसी को साथ लेकर चढ़ें, आग और पानी से दूर रहें, साइकिल या गाडी ना चलायें, गुस्सा या झगडा ना करें, अधिक ऊँचे स्थान पर ना जाएँ, अगर मल या मूत्र त्याग के लिए जाना है, तो तुरंत चले जाएँ इन्हें रोकने की कोशिश ना करें, करवट लेकर सोयें, सोते वक़्त ध्यान रखें कि आपका सिर उत्तर दिशा में न हो.

मिर्गी :- शारीरिक तथा मानसिक रुप से कमजोर व्यक्ति को मिर्गी अधिकांश रुप से आती है अत्यधिक शराब पीना अत्यधिक शारीरिक श्रम सिर में चोट लगने से यह रोग लगता है इस रोग में अचानक से दौरा पड़ता है और रोगी गिर पड़ता है हाथ पैर गर्दन अकड़ जाती है पलके एक जगह रुक जाती है रोगी हाथ पैर अटकता है जी पकड़ जाने से बोली नहीं निकलती मुंह से पीला झाग निकलता है दांत किटकिटाना और और शरीर में कपकपी होना सामान्य रूप से देखा जाता है इस तरह पूनम रोगी को जब जोश आता है तब थका हुआ होता है इसके घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं दौरा पड़ने पर रोगी को दाएं करवट ली जाएं जिससे उसके मुंह से सभी झाग आसानी से निकल बल्कि दौरे के समय अमोनिया या चुन्ने की गंध सुघानी चाहिए जिससे उसकी बेहोशी दूर हो एक चम्मच ब्राह्मी बूटी के रस में अलका सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दिन में दो बार पिलाएं 20 ग्राम शंखपुष्पी का रस और 2 ग्राम सोंठ का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर खिलाएं
नीम के कोमल पत्तियां अजवाइन और काला नमक इन सब को पानी में पीसकर पेस्ट बनाकर सेवन करें शरीफा के पत्तों के रस की कुछ बूंदें रोगी के नाक में डालने से जल्दी होश आ जाता है नींबू के रस में हींग मिलाकर चाटने से काफी लाभ होता है आक की जड़ का पाउडर बकरी के दूध में घोलकर रोगी को सुंघाए तुलसी के चार पांच पत्ते कुचलकर उस में कपूर मिलाकर रोगी को सुंघाए प्याज का रस पानी में घोलकर पिलाने से भी काफी आराम मिलता है  मेहंदी के पत्तों का रस दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है पुराना देसी गाय का घी या पंचगव्य नाशिका धृत प्रतिदिन सुबह शाम 2 2 बुंन्द नाक में डालने से यह रोग कुछ ही महीनों में हमेशा के लिए नष्ट हो जाता है देशी गौमुत्र के नियमित सेवन से सर्वरोग नाश होता है देशी गाय के दूध में देशी गाय का घी या दालचीनी पाउडर या अश्वगंधा डालकर पीने से शारिरिक दुर्बलता दूर होती है पथरी की शिकायत न हो तो गेहुँ के दाने के बराबर चुना नियमित सेवन दूध छोड़कर किसी भी तरल पेय के साथ करनी चाहिए इससे वात व कफ के असंतुलन से  होने वाले 70 रोग नष्ट होते हैं भाई राजीवदीक्षित जी के ज्ञानानुसार 

(  स्वदेशी चिकित्सा पुस्तक संग्रह 4 से)

सभी रोगों पर विजय प्राप्त करने हेतु भाई राजीवदीक्षित जी के द्वारा बताये गए आयुर्वेद के यम नियम का पालन अवश्य करे 'परहेज ही सर्वोत्तम इलाज है"
निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-
• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें
• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें
• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)
• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)
• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)
• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें
• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-
• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)
• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)
• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये
• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें
• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये
• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें


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स्वस्थ व समृद्ध भारत निर्माण हेतु

इसमे रोगी अचानक बेहोश हो जाता है। जहाँ और जैसी भी हालत में हो गिर पड़ता है। मुँह से झाग आने लगती है। हाथ - पैर अकड़ जाते हैं और जबड़ा भिंच जाता है। 

● आत्म ग्लानि (प्यार में धोखा), भय, शोक के कारण रोग - (इग्नेशिया 200 या 1M)

● त्वचा रोग दब जाने के कारण। दौरे से पहले छाती व पेट मे तनाव । दौरा पड़ने पर ज़बान कट जाती है। सिर एक तरफ को झुक जाता, पेशाब निकल जाता है। पानी पीने से रोग में आराम - (कॉस्टिकम 30, दिन में 3 बार)

● रोग की लहर घुटनों से उंगलियों व अंगूठो से उठे और फिर पेट के निचले हिस्से तक जाए। रोगी अचानक दौरा पड़ने के कारण चीख के साथ गिर पड़ता है और दौरे के बाद सो जाता है -(क्युप्रम मैट 30, दिन में 3 बार)

● जब दौरे नींद के दौरान आए। रोग की लहर नाभि के आस पास से शुरू हो। पूर्णिमा को या उसके आस पास दौरे आए - (साइलीशिया 1M, 15 - 20 दिन में एक बार)

● मोटे लोगों में भय के कारण दौरे जो कि पूर्णिमा के आस पास आए। रोग की लहर नाभि के आस पास से ऊपर उठे और ऐंठन बढ़ती जाये। पानी पीने से रोग बढ़े। दौरे रात के समय ज्यादा आये - (कैलकेरिया कार्ब 1M, 15-20 दिन में एक बार)

●  हस्त मैथुन या ज्यादा वीर्यह्रास के कारण दौरे। रोग की लहर नाभि के आसपास से शुरू हो, रोगी बेहोश हो जाये - ( ब्यूफो राना 30 या 200, दिन में 2 बार)

● जब दौरा सुबह के समय हर 2-3 सफ्ताह बाद आए - ( सीपिया 200 या 1M, 10-15 दिन में एक बार)

●  बच्चों में जब किसी खास रोग के दब जाने से इस रोग की शुरुआत हो। उत्तेजना से रोग बढ़े - (बेलाडोना 30, दिन में 3 बार)

●  जब दौरे अचानक और जल्दी जल्दी आये। किसी भी मामूली कारण (भय, आतंक, हस्तमैथुन आदि) से दौरे पड़ने लगे - (आर्टिमिसिया वल्गेरिस Q या 6, दिन में 3 बार)

●  जब शरीर अचानक अकड़ जाए और अंग फड़कने लगे और इसके बाद काफी कमजोरी आ जाये, जबड़े अकड़ जाये - (साइक्युटा विरोसा 6 या 30, दिन में 3 बार)

●  चिड़चिड़े, तुनक मिजाज रोगी जो अक्सर कब्ज से पीड़ित हो - (नक्स वोमिका 30, दिन में 3 बार)

Health

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