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शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2020

#दण्डासन #योग को करने की विधि #Dandasana # Method of doing yoga “स्टाफ पोज़” (Staff Pose)


 योग से बने निरोग : दण्डासन : जानिए योग को करने की विधि इससे लाभ और सावधानियां

 
दण्डासन एक संस्कृत का शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहला शब्द “डंडा” का अर्थ “छड़ी या स्टिक” है और दूसरा शब्द “आसन" का अर्थ “पोज़ या मुद्रा” हैं। इसे अंग्रेजी में “स्टाफ पोज़” (Staff Pose) के नाम से भी जाना जाता हैं। दंडासन एक ऐसा अभ्यास है जो आपके शरीर को उन्नत आसन करने के लिए तैयार करता है। दण्डासन को सामान्य बोलचाल के भाषा में `दण्ड लगाना´ भी कहते हैं। पुराने समय में कुश्ती के अखाड़े में भी इस आसन को किया जाता था। इस आसन को करने का एक और प्रकार भी है जिसमें शरीर को कमर से ऊपर के भाग को तब तक उठाया जाता है जब तक की शरीर व फर्श के बीच त्रिभुज का आकार न बन जाएं। इस आसन का अभ्यास स्व्च्छ वातावरण व हवादार स्थान पर दरी या चटाई बिछाकर करें। सभी की इच्छा होती है कि उनका स्वस्थ और निरोगी शरीर हो और इसके साथ ही मजबूत कद-काठी हो तो क्या कहने। हमेशा से ही सुडोल शरीर बनाने के लिए सभी प्रयत्न करते ही है। योगासन के द्वारा हमारा शरीर आकर्षक और निरोगी बनता है। यदि आप चौड़ी और मजबूत छाती बनाना चाहते हैं तो दण्डासन सबसे अच्छा उपाय है। इससे कम समय में ही लाभ दिखाई देने लगता है।

मूलतः दंडासन बैठकर य़ा उल्टा लेटकर दोनो प्रकार से किया जा सकता है पर हम यहा बैठकर किए जाने वाले आसन की चर्चा कर रहे है।

यह मुद्रा सभी बैठे हुए आसन के लिए आधार है। यदि आप बारीकी से देखते हैं, तो यह ताड़ासन या माउंटेन पोज का बैठे हुए वाला संस्करण है। दंडासन अष्टांग योग श्रृंखला में पहली मुद्रा है जो बैठ के की जाती है। इस तरह सभी अन्य आसनों के लिए दंडासन में बैठना आधार मानते हैं।

दंडासन करने के फायदे
1. कंधों में खिंचाव के लिए लाभदायक : कंप्यूटर पर दिनभर निरंतर काम करने से कंधे और छाती में दर्द का एहसास होने लगता है। यह आसन आपके कंधे में एक खिंचाव पैदा करता है, जो इस दर्द को कम करता है। दैनिक जीवन में शारीरिक तनाव और भावनात्मक चिड़चिड़ाहट कंधे के क्षेत्र में संग्रहित हो जाती है, जो कि कंधे के दर्द का कारण बन जाती हैं। दंडासन शारीरिक और भावनात्मक तनाव दोनों के कारण उत्पन्न कंधे और छाती के दर्द को ठीक करने की एक प्रभावी तकनीक है।

2. रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाने के लिए : रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके बिना ना कोई व्यक्ति बैठ सकता है, ना चल सकता हैं। रीढ़ की हड्डी हमारी पीठ को मजबूत संरचना देने में मदद करती है। दंडासन हमारी रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है। यह लचीलापन आपको लगने वाली चोट को कम करने में मदद करता है।

3. मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए : दंडासन हमारी पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने और उसको स्वस्थ रखने के लिए एक अच्छा आसन है। अधिक समय तक झुक के कार्य करने से और कुर्सी पर अधिक समय तक बैठ के कार्य करने से पीठ की मांसपेशियों में दर्द लंबे समय तक बना रहता है, जिससे वो कमजोर हो जाती है। उनको मजबूत करने के लिए दंडासन अच्छा आसन है।

4. सायटिका दर्द में लाभकारी : शरीर का निचला हिस्सा जैसे – पैर, जांघों, एड़ियों में दर्द और ऊंची एड़ी के जूते पहनने से होने होने वाले दर्द को कम करने के लिए दंडासन एक अच्छा इलाज हैं। यह आसन आतंरिक जांघों में दर्द, टैलबोने (tailbone) और सायटिका दर्द को ठीक करने में मदद करता हैं।

5. मस्तिष्क को शांत करता है : दंडासन भी अन्य योगासन की तरह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। इस मुद्रा का नियमित अभ्यास तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को कम करता है। यह आसन दिमाग पर ध्यान केंद्रित करने और उसे शांत करने में मदद करता है। यह तनाव से राहत देता है और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है।

6. पाचन शक्ति को बढ़ाता है : एक व्यक्ति के समग्र कल्याण के लिए अच्छा पाचन बहुत जरूरी है। कब्ज, एसिड रिफ्लेक्स और ब्लोटिंग आदि पाचन संबंधी समस्या अत्यधिक असहज और अस्वास्थ्यकर होती हैं। इन सभी प्रकार की समस्या को दंडासन के माध्यम से हटाया जा सकता है।

7. अंग-विन्यास सुधारने में लाभ : किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे दुखदाई समय तब होता है, जब वह अपने शरीर के अंगों का सही से उपयोग नहीं कर पाता है। व्यक्ति को बैठे और खड़े होने पर शरीर के अनुचित संरेखण से स्कोलियोसिस, कायफोसिस और लॉर्डोसिस हो सकता है। दंडासन मुद्रा शरीर को संरेखण करने और इन बीमारियों को रोकने में मदद करने वाला एक शानदार तरीका है।

दंडासन करने की विधि
1. दंडासन को करने के लिए आप सबसे पहले साफ आसन दरी य़ा योगा मेट को फर्श पर बिछा के उस पर बैठ जाएं।

2. दोनों पैरों को लंबा कर अपने शरीर के आगे फैलाएं और दोनों को पास-पास रखें।

3. दोनों पैरों की उंगलिया आपकी ओर झुकी और खिचीं रहें।

4. अपने दोनों हाथों को सीधे और हथेलियों को जमीन पर रखें। हाथ दोनों कूल्हों के पास में रहने चाहिएं।

5 अपनी जांघों और एड़ी को फर्श में दबाएं।

6. अपनी रीढ़ की हड्डी और गर्दन को सीधा रखें।

7. अपनी छाती को ऊपर उठाएं और अपने कॉलरबोन (collarbones) को फैलाने के लिए अपने कंधों को थोड़ा सा खींचें।

8. सामने की ओर देखें और अपनी सांस को सामान्य रखें।

9 हथेलियों को फर्श पर रखते हुए सांस लेते हुए अपने शरीर को ऊंचा उठाए

10 आधा मिनट शरीर को ऊपर ही रख सांस छोड़ते हुए वापस फर्श पर टिकाए

11 आप इस दंडासन को 20 सेकेंड से एक मिनट तक करते रहें। आप इस आसन को अपनी क्षमता के अनुसार भी कर सकते हैं, इससे कोई हानि नहीं होती हैं।

दंडासन की सावधानियां

1. यदि आपकी पीठ के निचले हिस्से में और कलाई में दर्द है, तो आप इस आसन को ना करें।

2. वैसे तो यह काफी सरल मुद्रा है, पर योग प्रशिक्षक की देखरेख में करना सर्वोत्तम है।

3. योग आसन को अपनी क्षमता से अधिक करने का प्रयास ना करें, उतना ही करें जितना सहन हो सकता है।

4. दंडासन शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।

5. उच्च रक्तचाप से पीड़ित इस आसन का अभ्यास ना करें।

6. इस आसन का अभ्यास करते वक्त एक बात का ख्याल रखें कि जिस जगह आसन कर रहे हैं, वो जगह फिसलने वाली ना हो।

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