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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

जीवन में #आयुर्वेद के सूत्र, #Ayurveda Best formulas in life आयुर्वेद के सामान्य नियम

 

 

 

आयुर्वेद के सामान्य नियम
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आयुर्वेद एक प्राचीन और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है। कई हज़ार वर्षों से आयुर्वेद का इस्तेमाल स्वास्थ्य के तमाम गंभीर रोगों के उपचार के लिए होता चला आ रहा है। आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य के शरीर में तीन मुख्य तत्व होते हैं- वात, पित्त और कफ। जब शरीर में इन तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है तो व्यक्ति को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां है जिनसे गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इसके साथ ही आयुर्वेद में कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं जिनके अभ्यास से हमारे स्वास्थ्य को विशेष लाभ मिलता है। आयुर्वेद में बताए गए नियमों और परहेजों का पालन करके हम स्वस्थ कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत पा सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको आयुर्वेद में बताए गए नियमों और परहेज के बारे में जानकारी देंगे-
 सुबह जल्दी उठें

आयुर्वेद के अनुसार सुबह सूर्योदय से पहले ही हमें बिस्तर छोड़ देना चाहिए। आयुर्वेद में माना गया है कि सूर्योदय के समय वातावरण अमृत के सामान शुद्ध और निर्मल होता है जिससे हमारे शरीर को ताजगी मिलती है।  

 नित्य क्रिया है जरूरी
आयुर्वेद के मुताबिक सुबह उठते ही सबसे पहले मल-मूत्र त्याग करना चाहिए। सुबह पेट साफ होने से हमारे स्वास्थ्य को बेहतर परिणाम मिलते हैं। इससे शरीर में हल्कापन और स्फूर्ति रहती है और दिनभर के कामों के लिए ऊर्जा बनी रहती है। आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट 2-3 गिलास पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। इससे उच्च रक्तचाप, कब्ज, अपच, नेत्ररोग और मोटापा आदि रोगों में फायदा होता है।
रोजाना योगाभ्यास और प्राणायाम करें
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आयुर्वेद के अनुसार रोजाना कम से कम 30 मिनट के लिए योगाभ्यास या प्राणायाम करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य को लाभ होता है और हम तंदुरुस्त रहते हैं।  
 तेल मालिश करें

आयुर्वेद के मुताबिक प्रतिदिन सरसों, नारियल या किसी अन्य औषधीय तेल से मालिश अवश्य करनी चाहिए। शरीर पर कम से कम 15 मिनट तेल मालिश करें। इससे हड्डियाँ मजबूत बनेंगी और थकावट भी दूर होगी।  
 दिन में कम से कम 3 लीटर पानी पिएँ

आयुर्वेद के अनुसार दिन में कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी से बचाव होता है और दिनभर के कामों के लिए ऊर्जा बनी रहती है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर से हानिकारक तत्व बाहर निकलते हैं और यह किडनी और पाचन क्रिया को भी स्वस्थ रखता है।

 शुद्ध और पौष्टिक आहार लें

आयुर्वेद के अनुसार सुबह की शुरुआत पौष्टिक नाश्ते से करनी चाहिए। आयुर्वेद में बताया गया है कि सुबह उठने के एक-दो घंटे के भीतर नाश्ता कर लेना चाहिए। नाश्ता पौष्टिक व हल्का होना चाहिए। इससे दिन की शुरुआत अच्छी होती है और शरीर को ऊर्जा मिलती है। नाश्ता 7 से 9 बजे के बीच कर लेना चाहिए।
 भोजन के बाद पानी ना पिएँ

आयुर्वेद के मुताबिक भोजन करने के आधे घंटे पहले और आधे घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए। इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है और खाना पचने में मदद मिलती  है।  

 भोजन के बाद स्नान और ज़्यादा श्रम वाला काम न करें

आयुर्वेद में बताया गया है कि खाना खाने के बाद ज्यादा मेहनत वाला काम या स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
 धूप में बैठें

आयुर्वेद के मुताबिक चाहे सर्दी हो या गर्मी, रोजाना कुछ समय धूप में बैठना बहुत जरूरी है। इससे शरीर को विटामिन डी मिलता है और हड्डियां मजबूत होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार गर्मी में कम से कम 10 मिनट और सर्दी में 20 मिनट तक धूप में समय बिताना चाहिए।  

 अच्छी नींद है जरूरी

आयुर्वेद में बताया गया है कि स्वस्थ रहने के लिए अच्छी और पर्याप्त नींद लेना भी बहुत जरूरी है। दिन में कम से कम 8-9 घंटे की नींद लें। इससे शरीर को आराम मिलेगा और आपको ताज़ा और ऊर्जावान महसूस होगा। सोने से पहले ठंडे पानी से हाथ-पैरों को धोना चाहिए, इससे नींद अच्छी आती है।

 आयुर्वेद के परहेज

आयुर्वेद में नियमों के साथ-साथ कुछ परहेज भी बताए गए हैं। आयुर्वेद के अनुसार कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जिनका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है इसलिए ऐसी चीज़ों से परहेज करना चाहिए।
आइए जानते हैं आयुर्वेद के मुताबिक स्वस्थ रहने के लिए किन चीज़ों का परहेज बताया गया है-
आयुर्वेदिक दवाई देने के दौरान मिर्च-मसालेदार और खट्टी चीज़ों से परहेज करना चाहिए।

आयुर्वेद में बताया गया है कि कभी भी फल के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।

आयुर्वेद के मुताबिक फ्रिज का ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए, इससे गैस्ट्रिक जूस का फ्लो बंद हो जाता है। गर्मी में साधारण पानी का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार कभी भी ठंडी और गर्म चीज़ को एक साथ नहीं खाना चाहिए। जैसे गर्म परांठे के साथ ठंडी दही का सेवन नहीं करना चाहिए।

आयुर्वेद में बताया गया है कि दूध के साथ नमक वाली चीज़ का सेवन नहीं करना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार किसी भी चीज़ की अति बुरी है। किसी भी दवा, जड़ी-बूटी या अन्य चीज़ का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए।

आयुर्वेदिक दवाइओं का सेवन करते समय धूम्रपान व शराब से परहेज करना चाहिए।  
आयुर्वेद के मुताबिक चाय-कॉफी के सेवन से परहेज करना चाहिए।

 बीमार पड़ने के पहले , ये काम केवल आयुर्वेद ही कर सकता है. ----
1--केंसर होने का भय लगता हो तो रोज़ाना कढ़ीपत्ते का रस पीते रहें.

2-- हार्टअटेक का भय लगता हो तो रोज़ना अर्जुनासव या अर्जुनारिष्ट पीते रहिए.

3-- बबासीर होने की सम्भावना लगती हो तो पथरचटे के हरे पत्ते रोजाना सबेरे चबा कर खाएँ .

4-- किडनी फेल होने का डर हो तो हरे धनिये का रस प्रात: खाली  पेट पिएँ.

5-- पित्त की शिकायत का भय हो तो रोज़ाना सुबह शाम आंवले का रस पिएँ.

6-- सर्दी - जुकाम की सम्भावना हो तो नियमित कुछ दिन गुनगुने पानी में थोड़ा सा हल्दी चूर्ण डालकर पिएँ.

7-- गंजा होने का भय हो तो बड़ की जटाएँ कुचल कर नारियल के तेल में उबाल कर छान कर,रोज़ाना स्नान के पहले उस तेल की मालिश करें.

8-- दाँत गिरने से बचाने हों तो फ्रिज और कूलर का पानी पीना बंद कर दें .

9-- डायबिटीज से बचाव के लिए तनावमुक्त रहें, व्यायाम करें, रात को जल्दी सो जाएँ, चीनी नहीं खाएँ , गुड़ खाएँ.

10--किसी चिन्ता या डर के कारण नींद नहीं आती हो तो रोज़ाना भोजन के दो घन्टे पूर्व 20 या 25 मि. ली. अश्वगन्धारिष्ट ,200 मि. ली. पानी में मिला कर पिएँ .
          
किसी बीमारी का भय नहीं हो तो भी -- 15 मिनिट अनुलोम - विलोम,  15 मिनिट कपालभाती, 12 बार सूर्य नमस्कार करें.
          

 1- खाना खाने के 1 से 1.30 घंटे बाद पानी पीना है वो भी गुनगुना

2- पानी घूँट घूँट करके पीना है जिस से अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके , पेट में acid बनता है और मुँह में छार ,दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा

3- पानी कभी भी ठंडा ( फ़्रीज़ का  )नहीं पीना  है।

4- सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए 2 ग्लास पानी पीना है ,रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही  चाहिए ।

5- खाना ,जितने आपके मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना  है ।

6 -खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा या उखड़ूँ बैठकर ही भोजन करे ।

7 -खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करे जैसे दूध के साथ दही , प्याज़ के साथ दूध , दही के साथ उड़द दाल

8 -समुद्री नमक की जगह सेंधा नमक या काला नमक खाना चाहिए

 9 -रीफ़ाइन तेल , डालडा ज़हर है इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों , तिल , मूँगफली , नारियल का तेल उपयोग में लाए । सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना ले इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते है , आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते है ।

10- दोपहर के भोजन के बाद कम से कम 30 मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद 500 क़दम पैदल चलना चाहिए

11- घर में चीनी (शुगर )का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में 17 तरह के ज़हर ( केमिकल )मिलाने पड़ते है इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आजकल गुड बनाने में कॉस्टिक सोडा ( ज़हर ) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है इसलिए सफ़ेद गुड ना खाए । प्राकृतिक गुड ही खाये । और प्राकृतिक गुड चोकलेट कलर का होता है। ।

12 - सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए  ।    

13- घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन , कुकर नहीं होना चाहिए । हमारे बर्तन मिट्टी , पीतल लोहा , काँसा के होने चाहिए

14 -दोपहर का भोजन 11 बजे तक एवं शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए   

15 सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंध्या नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर  ) पीना चाहिए ।     

यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए तो आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और देश के 8 लाख करोड़ की बचत होगी । यदि आप बीमार है तो ये नियमों का पालन करने से आपके शरीर के सभी रोग ( BP , शुगर ) अगले 3 माह से लेकर 12 माह में ख़त्म हो जाएँगे।

 

अपच से राहत के घरेलू उपाय
 
अपच से बचाव के लिए सौंफ भी बेहद गुणकारी है। बहुत मसालेदार और वसा वाले खाने से होने वाली अपच को बेहद जल्दी ठीक कर देती है। अपच से बचाव के लिए सौंफ के दानों को तवे पर हल्का सा गर्म करें और उसका पाउडर बना लें। पानी के साथ इस पाउडर को दिन में दो बार लें। सौंफ के दानों से तैयार चाय या सौंफ को यूं ही मुंह में डालकर चबाने से भी अपच से राहत मिलती है। साथ ही यह माउथ फ्रेशनर की तरह काम भी करती है।
 

 अदरक में मौजूद पाचन रस और एंजाइम खाने को पचाने में बेहद लाभकारी हैं। अपच से राहत के लिए अदरक के छोटे छाटे टुकड़ों पर नमक डालकर उन्हें यूं ही चबाया जा सकता है। इसके अलावा दो चम्मच अदरक के रस में नींबू का रस, थोड़ा सा काला और थोड़ा सा सफेद नमक मिलाकर बिना पानी के पीने से बेहद राहत मिलती है। इसके अलावा अदरक के रस और शहद को गुनगुने पानी के साथ भी लिया जा सकता है। अदरक की चाय भी बेहद लाभकारी होती है। इतना ही नहीं खाना बनाने में अदरक का प्रयोग मसाले के तौर पर करने से भी अदरक बेहद लाभ देता है।
 

 पुदीना या कैमोमाइल की हर्बल या ग्रीन टी भी पाचन शक्ति को दुरूस्त रखती है। खाना खाने के बाद एक कप हर्बल टी पीने से खाना जल्दी पचता है और पेट में वसा भी जमा नहीं होती। ऐसे में आपका वजन भी ठीक रहता है। लेकिन खाने के बाद सामान्य चाय या कॉफी से बचना चाहिए।
 

 सेब के सिरके में यूं तो एसिडिक गुण होते हैं लेकिन यह एसिड से राहत देने में भी प्रभावी है। अपच से राहत के लिए एक चम्मच कच्चे और अनफिल्टर्ड सेब के सिरके को एक कप पानी में मिलाएं। इसके बाद इसमें एक चम्मच कच्चा शहद मिलाएं। इस पेय को दिन में दो से तीन बार पीएं। अपच से राहत मिलेगी।


सीखे महार्षि वाग्भट्ट द्वारा लिखित आयुर्वेद के महत्वपूर्ण 54 सूत्र - श्री राजीव दीक्षित जी द्वारा

 

 


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