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बुधवार, 5 दिसंबर 2018

खसरा के लक्षण और सावधानी , Measles symptoms and caution


खसरा


    यह बच्चों को होने वाला छूत का रोग है। यह एक बच्चे से दूसरे बच्चे में तेजी से फैलता है। इसका एक कारण एक प्रकार का वायरस भी माना गया है जो सांस लेने की क्रिया के द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिंदी खसरा
अंग्रेजी मीजल्स
बंगाली हम
गुजराती ओडि खसरा

मराठी गोवर
लक्षण :
    इसकी शुरूआत में बच्चे को छींके, नाक बहना, आंखे लाल होना, लगातार खस-खस की आवाज से सूखी खांसी तेज होती है। बच्चा लगातार खांसता रहता है। इस रोग में बुखार 103 से 104 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। बुखार शुरू होने के तीसरे दिन से चेहरे, छाती पर लाल दाने दिखाई देने लगते हैं। दाने निकलने के बाद जैसे-जैसे दाने समाप्त होने लगते हैं, बुखार खांसी भी कम होने लगती है। खसरे में कभी-कभी निमोनिया भी हो जाता है। रोगग्रस्त बच्चे के सम्पर्क में दूसरे बच्चों को नहीं आने देना चाहिए।
कारण :
    खसरा रोग की उत्त्पति बहुत ही छोटे विषाणुओं (वायरसों) के संक्रमण से होती है। खसरा के विषाणु किसी भी स्वस्थ बच्चे के कंठ, नाक और गले की श्लैष्मिक कला पर संक्रमण करते हैं। किसी रोगी बच्चे से बातें करने पर भी स्वस्थ बच्चे इस रोग के शिकार हो जाते हैं। जब कोई रोगी बच्चा खांसता या छींकता है तो रोग के वायरस हवा में उड़कर सांस के द्वारा दूसरे स्वस्थ बच्चों तक पहुंचकर उन्हें रोगी बना देते हैं। घर में एक बच्चे को खसरा होने पर दूसरे बच्चे भी इसके शिकार हो जाते हैं। खसरा संक्रमण के रूप में फैलता है। शीतऋतु में खसरे का अधिक प्रकोप होता है। खसरे के वायरस का संक्रमण होने पर 6 से 10 दिनों में रोगी के शरीर पर खसरे के दाने दिखाई देने लगते हैं। सर्दी लगने से जुकाम होने पर खसरे के वायरस बहुत जल्दी संक्रमण करते हैं। रोगी को पहले बुखार होता है फिर शरीर के अलग-अलग अंगों पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं, नाक से पानी बहने लगता है, गले में काफी दर्द होता है, सर्दी की वजह से शरीर कांपने लगता है, खांसते समय भी बहुत दर्द होता है। कुछ बच्चों को शीतपित्त (छपाकी) की बीमारी भी होती है।
भोजन और परहेज :
पथ्य : दरवाजे की चौखट पर नीम के पत्तों की टहनी लटका दें। खूबकला या मुनक्का रोजाना खायें।
अपथ्य : सब्जी में घी या तेल का तड़का या छोंक ना दे। खाने में ठंडी चीजें नहीं खानी चाहिए।

                                   सावधानी :
     खसरा रोग में औषधियों से ज्यादा रोगी की देखभाल जरूरी होती है। सर्दी का मौसम हो तो सर्दी से बचाना ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि ठंडी हवा से पैदा हुआ निमोनिया बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। रोगी बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम कराना चाहिए। खसरे के असर से रोगी बच्चा इतना कमजोर हो जाता है कि उसका स्तनपान (मां का दूध पीना भी) मुश्किल हो जाता है। बच्चे के जन्म लेने के बाद 6 से 12 महीने के बीच टीका लगवा लेने से खसरे में बहुत सुरक्षा होती है। 6 महीने के बाद जितनी जल्दी हो सके बच्चे को टीका लगवा लेने से खसरा होने की संभावना कम हो जाती है। यदि किसी बच्चे को खसरा हो तो उसे टीका नहीं लगवाना चाहिए।

     खसरा का विभिन्न औषधियों से उपचार:
1.    बड़ी माई: 2.    कुसुम: 3. बनहल्दी:
4. शहद: 5. गोलोचन: 6. आंवला:
7. खस: 8. दमन पापड़ा: 9. लौंग:
10. अडूसा : 11. महुवा : 12. कपूर :
13. तुलसी: 14. करेला: 15. नीम:
16. आंवला : 17. मिश्री : 18. हल्दी :
19. मुलहठी : 20. चंदन : 21. गूलर :
22. गोरोचन: 23. मेथिका: 24. कज्जली:
25. हरिद्राचूर्ण: 26. त्रिफला: 27. हरिद्रा (हल्दी):
28. आंवला: 29. खस (पोस्त के दाना): 30. ब्राह्मी:
31. नागरमोथा:
बड़ी माई:
बड़ी माई का धुआं लगाने से खसरा रोग में आराम आता है।

कुसुम:
कुसुम के सूखे फूल गर्म जल के साथ पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से शरीर का जहर जल्दी बाहर निकल जाता है।
बनहल्दी:
लगभग 1 से 2 ग्राम बनहल्दी को सुबह-शाम सेवन करने से जहर का असर जल्दी बाहर निकल आता है। रोगी जल्दी ठीक हो जाता है। इसे पानी में घोलकर बाह्य लेप भी करें।

शहद:
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम केसर को शहद या नारियल के पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से जहर जल्दी से बाहर आकर रोग से मुक्ति मिलती है।

गोलोचन:
गोलोचन डाभ (नारियल) के पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से खसरा में लाभ होता है

लौंग:
जब खसरे के दाने पूरी तरह बाहर आ जायें तो लौंग को घिसकर शहद के साथ रोजाना 2-3 बार देने पर खसरा ठीक हो जाता है।
खसरा निकलने पर 2 लौंग को घिसकर शहद के साथ प्रयोग कराने से खसरा रोग ठीक होता है।
खसरे के रोग में बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगती है। बार-बार पानी पीने से उसे वमन (उल्टी) होने लगती है। ऐसी हालत में पानी को उबालते समय उसमें दो-तीन लौंग डाल दें। फिर उस पानी को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी बच्चे को पिलाने से प्यास समाप्त हो जाती है।स्नेहा समुह
आंवला:
नागरमोथा, धनिया, गिलोय, खस और आंवला को बराबर मात्रा में पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण को 300 ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बच्चे को पिलाने से बहुत आराम आता है।

खस:
खस (वीरन मूल) को पीसकर खसरे के दानो पर लेप करने से शांति मिलती है तथा खसरे की जलन कम होती है।

दमन पापड़ा:
खसरे के रोगी को 25 से 50 मिलीलीटर दमनपापड़ा का काढ़ा सुबह-शाम देना चाहिए। माता रोमानितका जोकि खसरा के नाम से भी जाना जाता है, के रोग में ``दमन पापड़ा´´ एक बहुत ही अच्छी औषधि मानी गई है
अडूसा :
5-5 ग्राम पाद, पटोल, कुटकी, लाल चन्दन, सफेद चन्दन, खस, आमला, अडूसा और जवासा को बारीक पीसकर 3 पुड़िया बना लें फिर 1 पुड़िया रात को 250 मिलीलीटर पानी में भिगो लें और सुबह उबालने के लिए रख दें जब पानी 1 चौथाई रह जाये तो उसे छानकर उसमें एक चम्मच पिसी हुई मिश्री मिलाकर खाली पेट पियें। इससे खसरा का रोग ठीक हो जाता है।       

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