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शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

दमा के रोगी ध्यान दे , Patients with asthma should pay attention,

 *दमा के रोगी*                   

दमा का प्रकोप विश्व की जनसंख्या पर बढ़ता जा रहा है. रोज़मर्रा उपयोग होने वाली कीटनाशक दवायें इस रोग में अभिवृद्धि कर रही हैं. आयुर्वेद के अनुसार यह रोग इसकी गंभीरता और लक्षणों के हिसाब से पाँच प्रकार का है जो कि तीन तत्वों (वायु, अग्नि, जल) के असंतुलन के कारण उत्पन्न होता है.

✍वायु तत्व के असंतुलन से शुष्क अथवा ड्राइ-टाइप (dry-type) दमा उत्पन्न होता है.

✍अग्नि-तत्व के असंतुलन से संक्रमण अथवा इन्फेक्षन -टाइप (infection-type) दमा उपार्जित होता है.

✍जल तत्व के असंतुलन से संकुलन अथवा कंजेस्षन-टाइप (congestive-type) दमा उत्पन्न होता है

.✍ड्राइ-टाइप अस्थमा (Dry-type asthma): यह उन व्यक्तियों में पाया जाता जिनमें त्वचा शुष्क हो, जिनका संगठन पतला और जिनमें क़ब्ज़ की शिकायत पाई जाती है.

✍ इन्फेक्षन-टाइप अस्थमा (Infection-type asthma):  यह पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति जिनमें सराइयसिस (psoriasis) और चर्म रोग की संभावना अधिक होती है तथा जो लोग  में ब्रॉंकाइटिस से ग्रस्त हों, उनमें पाया जाता है.

✍कंजेस्षन-टाइप अस्थमा (Congestion-type asthma): यह गठीले शरीर वाले लोगों में पाया जाता है जिनकी हड्डियाँ मज़बूत हों अतएव जो सर्दी-खाँसी जल्दी ही प्रभावित हो जाते है और  जिनके शरीर में जल का अवरोधन (water-retention) होने की प्रवृत्ति अधिक होती है.
                                  ✍ *दमा के लक्षण* :----

अस्थमा के लक्षण व्यक्ति की संरचना पर निर्भर करते हैं. यदि इसका इलाज समय पर ना हो तो यह बढ़ जाता है और रोगी को हस्पताल में दाखिल करने की नौबत आ जाती है. इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को शारीरिक काम करने में दिक्कत अनुभव होती है तथा सामान्य कार्यों को करने में भी असमर्थता का अनुभव होने लगता है. परंतु सामान्यतः दमा में रोगी को साँस लेने में अवरोध महसूस होता है. इस रोग के मुख्य लक्षण हैं की इसमें बार-बार श्वास की क्रिया में दिक्कत उत्पन्न होती है. सीने व अन्य श्वसन तंत्र के अंगों में अचानक जकड़न व संकुलन उत्पन्न हो जाता है. श्वसन तंत्र में यह प्रतिक्रिया प्रायः किसी आलर्जन अथवा ट्रिग्गर (trigger) के कारण होती है. श्वास की नलिकायों के संकुचन से साँस में घरघराहट होती है. सीने में जकड़न एवं खाँसी का होना दमा के लक्षण हैं.

                               ✍ *दमा से बचाव के* *उपाय* :---

श्वास अमृत किट जिसमे वासा,मुलेठी,बहेड़ा,स्वास कुठार रस,कफ केतु रस ,प्रवाल, गिलोय,दमा बुटी, इत्यादि ओषधियों का बेहतरीन मिश्रण 1 तैयार की गई है, ये सभी प्रकार के दमा में अमृत के समान हितकारी है।

                                        ✍ *परहेज* :------
जलीय पदार्थों का सेवन अधिक करें एवं नाक, हाथ, पैर, पीठ को हवा से बचाना चाहिए और ठंडे प्रदेश में इन्हें ढक कर रखना चाहिए. सरसों या तिल के तेल से शरीर पर मालिश करें और गर्म तासीर का स्निघ्द भोजन करना हितकर है. ठंडे और बासी भोजन का सेवन बिल्कुल न करें ।

Patanjali

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