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शनिवार, 8 सितंबर 2018

उदर तिल्ली रोग चिकित्सा , Abdominal spleen therapy,

Patanjali
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*उदर तिल्ली रोग चिकित्सा*
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यह तिल्ली पेट में होती है ! इसका एक छोटा अवयव जो मांस की एक पोली गुठली के आकार का होता है ! और पसलियों के नीचे पेट में बॉई ओर रहती है ! ज्वर के कुछ अधिक काल तक ठहर जाने पर यह तिल्ली बढ़ जाती है ! और कभी कभी छूने से पीड़ा भी होती है ! इस रोग में मनुष्य दिनो दिन दुबला होता जाता है ! उसका मुख सूख जाता है ! और पेट निकल आता है ! जब यह तिल्ली बढ़ जाती है तब मन्दाग्नि, ज्वर आदि अनेकों उपद्रव होने लगते हैं ! इस रोग की अनेकों चिकित्सा आयुर्वेद शास्त्रों में वर्णित हैं ! जिनमें से हम यहां पर मुख्य मुख्य व सरल और सुगम औषधियों का वर्णन पाठकों के हितार्थ करेंगें ! जिनको हमारे पाठक गण अपना कर अपनी व अपने परिजनों की तिल्ली रोग चिकित्सा बड़ी आसानी से विना किसी वैद्य या डाक्टर के कर सकतें है !!

   *-: उदर तिल्ली रोग की सुगम चिकित्सा :-*

*१ :-* आक के पत्तों के बराबर सेंधा नमक लेकर दोनो को एक हांडी में रख कर कपड़ मिट्टी कर उपलों की आग चारो तरफ लगाकर भस्म बना लें ! जब भस्म बन जावे तब उसे निकाल कर सुरक्षित रख लें ! इस भस्म की २ से ४ रत्ती की मात्रा नित्य मट्ठे के साथ फक्की लेने से तिल्ली नष्ट हो जाती है !!

*२ :-* गाजर का अचार नित्य खाने से तिल्ली मिटती है !!

*३ :-* ग्वारपाठे की गिरी पर सुहागा बुरका कर खाने से तिल्ली मिटती है !!

*४ :-* नौसादर की डेढ़ से दो मासे की मात्रा मूली के रस में मिलाकर 
पिलाने से तिल्ली कटती है !!

*५ :-* करणे का अचार बनाकर खाने से तिल्ली मिटती है !!

*६ :-* एक भाग भुना हुआ सुहागा और तीन भाग राई दोनो को पीस कर प्रात: सायं १/१ मासे की फक्की लेने से तिल्ली कटती है !!

*७ :-* अजवाइन जितनी खा सके सुबह साम खाने से तिल्ली मिटती है !!

*८ :-* चूने को मधु के साथ लेप करने से तिल्ली मिटती है !!

*९ :-* जामुन का डेढ़ तोला रस अथवा सिरका पीने से तिल्ली मिटती है !!

*१० :-* करेला के रस में राई और नमक मिलाकर पीने से बड़ी तिल्ली मिटती है !!

*११ :-* नौसादर, सुहागा, कलमी शोरा, काली मिर्च सबको समान भाग लेकर ग्वारपाठे के रस में मिलाकर पिलावे ! दूसरे दिन ग्वारपाठे का गूदा के साथ और तीसरे दिन और ज्यादा गूदा लें ! इस तरह ७ दिन तक बढा बढ़ा कर लेने से तिल्ली मिट जाती है !! 

*१२ :-* शंख का चूर्ण ४ तोला, सीप का चूर्ण ४ तोला, ऑवला सार गंधक शुद्ध ४ तोला, मण्डूर शुद्ध ४ तोला, भुना सुहागा ४ तोला, नौसादर ४ तोला, सांभर नमक ४ तोला, सोंठ का चूर्ण ४ तोला, पीपल का चूर्ण ४ तोला, चीते का चूर्ण ४ तोला तथा अजवाइन का चूर्ण ४ तोला ! इन सब चीजों को कूट छान कर जम्बीरी नींबू के १ सेर रस में मिलाकर मजबूत कार्कदार बोतल में भर दो और उस बोतल को जमीन में गाड़ दें ! १४ दिन बाद निकाल कर प्रयोग में लें ! इस दवा में से ४/४ मासा दवा भोजन के बाद सुबह दोपहर साम नित्य रोज लें ! इसके सेवन से तिल्ली, गोला, शूल, अजीर्ण, आदि रोग नाश हो जाते है ! यह बहुत ही बड़िहा दवा है ! इसको बनाकर प्रत्येक व्यक्ति को अपने अपने घर में रखना चाहिए !!

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Patanjali

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