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शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

योग कहां और कैसे करें कपालभाति और भस्त्रिका क्रिया, शरीर शुद्धि क्रिया


  योगासन करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए वैसे तो यह जानकारी हम अपने पुराने लेख में दे चुके है फिर भी यहाँ संक्षेप में जान लेते है |

योग कहां और कैसे करें?
•खुली एवं ताजी हवा में योगासन करना सबसे अच्छा माना जाता है। अगर ऐसा न हो, तो किसी भी खाली जगह पर आसन किए जा सकते हैं।

•जहां योगासन करें, वहां का माहौल शांत होना चाहिए। वहां शोर-शराबा न हो। उस स्थान पर मन को शांत करने वाला संगीत भी हल्की आवाज में चलाया जा सकता हैं।

•सीधे फर्श पर बैठकर योगासन न करें। योगा मैट, दरी या कालीन जमीन पर बिछाकर योगासन कर सकते हैं।

•योगासन करते समय सूती के या थोड़े ढीले कपड़े पहनना बेहतर रहता है। टी-शर्ट या ट्रेक पैंट पहनकर भी योगासन कर सकते हैं।

•आसन धीरे या फिर तेजी से-दोनों तरह से करना फायदेमंद होता है। जल्दी करें तो वह दिल के लिए अच्छा रहता है और धीरे करेंगे तो वह मांसपेशियों के लिए बेहतर रहता है तथा इससे शरीर को भी काफी मजबूती मिलती है।

•ध्यान आंखें बंद करके करें। ध्यान शरीर के उस हिस्से पर लगाएं, जहां आसन का असर हो रहा है, जहां दबाव पड़ रहा है। पूरे भाव से करेंगे, तो उसका अच्छा प्रभाव आपके शरीर पर पड़ेगा।

•योग में सांस लेने एवं छोड़ने की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका सीधा-सा मतलब यही होता है कि जब शरीर फैलाएं या पीछे की तरफ जाएं, सांस लें और जब भी शरीर सिकुड़े या फिर आगे की तरफ झुकें तो सांस छोड़ते हुए ही झुकें।

योग आसन कब करना चाहिए ?
•आसन सुबह के समय करना ही सबसे अच्छा होता है। सुबह आपके पास समय नहीं है, तो शाम या रात को खाना खाने से आधा घंटा पहले भी कर सकते हैं।
यह ध्यान रखें कि आपका पेट न भरा हो।
भोजन करने के 3-4 घंटे बाद और हल्का नाश्ता लेने के 1 घंटे बाद योगासन कर सकते हैं। चाय-छाछ आदि पीने के आधे घंटे बाद और पानी पीने के 10-15 मिनट बाद आसन करना बेहतर रहता है।

ये सावधानियां भी बरतें:
•योग में विधि, समय, निरंतरता, एकाग्रता और सावधानी जरूरी है।

•कभी भी आसन झटके से न करें और उतना ही करें, जितना आसानी से कर पाएं। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।

•कमर दर्द हो तो आगे न झुकें, पीछे झुक सकते हैं।

•अगर हार्निया हो तो पीछे न झुकें।

•दिल की बीमारी हो या उच्च रक्तचाप हो तो तेजी के साथ योगासन नहीं करना चाहिए। शरीर कमजोर है, तो फिर योगासन आराम से करें।
3 साल से कम उम्र के बच्चे योगासन न करें।
3 से 7 साल तक के बच्चे हल्के योगासन ही करें।

•7 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे हर तरह के योगासन कर सकते हैं।

•गर्भावस्था के दौरान मुश्किल आसन और कपालभाति बिलकुल भी न करें। महिलाएं मासिक धर्म खत्म होने के बाद, प्रसवोपरांत 3 महीने बाद और सिजेरियन ऑपरेशन के 6 महीने बाद ही योगासन कर सकती हैं।

ये गलतियां बिलकुल न करें:
•किसी भी आसन के फाइनल पॉश्चर (अंतिम बिंदु) तक पहुंचने की जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें, अगर आपका तरीका थोड़ा-सा भी गलत हो गया, तो फिर अंतिम बिंदु तक पहुंचने का कोई भी लाभ नहीं मिलने वाला है।
मसलन, हलासन में पैरों को जमीन पर लगाने के लिए घुटने मोड़ लें, तो बेकार है। जहां तक आपके पैर जाएं, वहीं रुकें, लेकिन घुटने सीधे रखें।

•योगासन करते हैं, तो फिर आपको खाने पर नियंत्रण करना भी जरूरी होता है। अगर आप अत्यधिक कैलोरी और अत्यधिक वसा युक्त वाला खाद्य-पदार्थ या फिर तेज मिर्च-मसाले वाला खाना खाते रहेंगे तो फिर योग का कोई खास असर नहीं होने वाला है।

•जब भी किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए योगासन करें, तो विशेषज्ञ से पूछकर ही करें। योग का असर तुरंत नहीं होता है। ऐसे में दवाएं भी तुरंत बंद न करें। जब बेहतर लगे, जांच भी कराते रहें, फिर उसके बाद ही डॉक्टर की सलाह से दवा बंद करें।

•योगासन का असर होने में थोड़ा वक्त लगता है। फौरन नतीजों की उम्मीद नहीं करें। कम-से-कम खुद को 6 माह का समय दें। फिर देखें-असर हुआ या नहीं।

•लोग बीमारी का इलाज भी योगासन से करते हैं और फिर योगासन छोड़ देते हैं। यह समझ लें-योगासन बीमारियों का इलाज करने के लिए नहीं है इसे लगातार करते रहें, ताकि भविष्य में आपको बीमारियां न हों

आइए जानते है हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से क्या फायदे होते है।
1 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से शरीर का आंतरिक शुद्ध‍िकरण होता है। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और शरीर स्वस्थ होता है।

2 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से अपच, गैस, कब्ज, डायरिया, एसिडिटी, जलन आदि में फायदेमंद है। इस दौरान आप फलों का सेवन जरूर कर सकते हैं।

3 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से शरीर में ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है, जिससे इनसे जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स में लाभ होता है।
4 हफ्ते में एक दिन भूखे रहना दिल के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है जो हार्ट संबंधी परेशानियों का प्रमुख कारण है।

5 आपका पाचन तंत्र बेहतर काम करे इसलिए भी आपको एक दिन का भोजन छोड़ देना चाहिए। सप्ताह में कम से कम 1 दिन भोजन से दूरी बनाने से
पाचन तंत्र को राहत मिलती है और वह बेहतर कार्य करने के लिए तैयार होता है। 

षष्टकर्म प्रक्षालयन क्रिया कपालभाति और भस्त्रिका क्रिया, शरीर शुद्धि क्रिया का पंचम सोपान

पंचम भाग
योग अपनावे सुंदर जीवन पावे
स्वस्थ भारत सबल भारत

शरीर की शुद्धि में पिछले अंको में हमने शरीर के आंतरिक अंगों की शुद्धि अर्थात मुख, नासिका, मुह, ग्रीवा, आहारनाल, उदर, आंतो और मल द्वार की सफाई और शुद्धि तथा पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने के विभिन्न सोपान देखे।

आप इसी कड़ी में हम देखेंगे मस्तिष्क यानी बुद्धि का भी शुद्धिकरण

कपाल भाति और भस्त्रिका क्रियाएं
1. कपाल भाति क्रिया
2. भत्रिका क्रिया

इसका मतलब है कपाल की शुद्धि | इस क्रिया से दिमाग चुस्त रहता है| ज्ञान की वृद्धि होती है | कपालभाति और भस्त्रिका क्रियाए के द्वारा धड़ के ऊपरी भाग यानी मस्तिष्क का शुद्धिकरण कर उसे स्वच्छ तथा निरोगी बनाया जाता है

कपाल भाति और भस्त्रिका क्रियाएं के लाभ
इन क्रियाओं से मन को शांति का अनुभव होता है
ये क्रियाए मस्तिष्क से बुरे विचारों को अलग कर उत्तम विचारों को स्थान प्रदान करती है
ये सभी क्रियाए स्मरणशक्ति बढ़ाकर दिमाग को भी तेज करती है
शरीर की थकावट दूर होती है।
आंतरिक अंगों को मजबूती मिलती है
पाचन क्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है
इससे गैस, कब्ज तथा एसिडिटी और पेट के रोग दूर होते हैं ।
शुध्द हवा लेने की क्षमता बढ़ती है और फेफड़े शुद्ध होते है |

1. कपाल भाति क्रिया विधि

सर्वप्रथम आप एक शांत, समतल और स्वच्छ स्थान पर उचित आसन लगाकर सुखासन या पद्मासन में बैठ जावे।
फिर नाभि तक हवा अंदर ले | उसक बाद अदर की हवा को जोर से झटका देकर बाहर छोड़ दें | इससे बाहर जानेवाली हवा पर दबाव पड़ेगा | शक्ति के अनुसार तीन चार मिनट यह क्रिया करें। करते समय नाक से ध्वनि निकले यह बहुत जरूरी है |

2. भत्रिका क्रिया
भस्त्रिका क्रिया कपाल भाति जैसी ही क्रिया है | भस्त्रिका में पूरक एवं रेचक दोनों को रुके बिना लगातार करते रहना है | इससे गैस, कब्ज तथा एसिडिटी और पेट के रोग दूर होते हैं । फेफड़े शुद्ध होते है |

कपाल भाति और भस्त्रिका दोनों क्रियाओं में रेचक करते समय पेट को जहाँ तक संभव हो अंदर की तरफ पिचकाना आवश्यक है | पूरक करते हुए उदर को फुलाना चाहिए

कपालभाति और भस्त्रिका क्रिया में सावधानिया
गर्भवती स्त्री, ताजा सर्जरी किये रोगी और हृदयघात व उच्चरक्तचाप के रोगी इन योग क्रियाओं को बिना विशेषज्ञ की अनुमति या विशेषज्ञ के सानिध्य के बिना नही करे।


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