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गुरुवार, 28 जून 2018

श्वेत प्रदर Blennenteria

श्वेत प्रदर


*श्वेत प्रदर leucorrhoea में महिला के योनि मार्ग से सफेद , मटमैला या पीलापन लिए हुए चिपचिपा पानी जैसा रिसता रहता है। यह स्राव बिना बदबू वाला भी हो सकता है और बदबू वाला भी।*
आम भाषा में इसे पानी आना या औरतों की धात गिरना Dhat girna भी कहते है। इसे ही ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर shwet pradar के नाम से जाना जाता है।
योनि से हल्का स्राव होना सामान्य बात है। इसमें और श्वेत प्रदर में फर्क होता है। योनि में प्राकृतिक रूप से सफाई करने के लिए पीलापन लिए सफेद रंग का बिना बदबू वाला तरल स्रावित होता है। यह स्राव संक्रमण से भी बचाता है।
लेकिन यदि किसी कारण से इस स्राव में पीलापन या गाढ़ापन अधिक दिखाई दे ,स्राव की मात्रा बढ़ जाये  या बदबू आने लगे तो यह श्वेत प्रदर कहलाता है।
श्वेत प्रदर का वैसे कोई प्रभाव होता नजर नहीं आता। लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसान देह होता है। इसकी वजह से बहुत कमजोरी महसूस होने लगती है। महिलाओं को यह समस्या 15 -30 वर्ष की उम्र में अधिक होती है।इस रोग में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता लेकिन यह किसी बीमारी का लक्षण जरूर हो सकता है।
श्वेत प्रदर के लक्षण –
योनि से होने वाले स्राव में पीलापन , गाढ़ापन या बदबू आना जैसे बदलाव होने के साथ यदि नीचे दिए गए लक्षण भी दिखाई दें या परेशानी महसूस करें तो यह श्वेत प्रदर हो सकता है :
—  योनि में जलन या खुजली होना
—  पेट के  हिस्से में भारीपन
—  जांघों में भारीपन
—  पिंडली या जांघों में दर्द
—  चिड़चिड़ापन
—  कब्ज
—  आँखों के आगे अँधेरा आना
—  सिरदर्द
—  कमर दर्द
—  बार बार पेशाब आना
—  भूख नहीं लगना
—  स्राव की मात्रा कभी कम कभी ज्यादा होना
—  कमजोरी
श्वेत प्रदर के कारण –
गर्भावस्था की शुरुआत में , यौन उत्तेजना के समय , लड़कियों के यौवन काल में प्रवेश करते समय योनि के स्राव में परिवर्तन दिखाई देता है। यह परिवर्तन हार्मोन का स्तर बदलने से होता है और यह बिल्कुल सामान्य है।
लेकिन इन कारणों के ना होने पर भी योनि के स्राव में परिवर्तन हो और गन्दी बदबू आने लगे तो यह किसी बीमारी या संक्रमण के कारण हो सकता है अतः सचेत हो जाना चाहिए। यह इन कारणों से हो सकता है :
—  गर्भाशय के मुँह पर इन्फेक्शन : यह कॉपर टी या योनि में लगाए जाने वाले किसी गर्भ निरोधक के कारण , किसी विशेष प्रकार के कंडोम , क्रीम , जैली आदि से एलर्जी के कारण या किसी यौन संक्रमण के कारण हो सकता है।
इसमें पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।
—  योनि में फंगल इन्फेक्शन : यह ज्यादातर कम प्रतिरोधक क्षमता के कारण होता है। डायबिटीज , गर्भावस्था , गर्भ निरोधक गोली या किसी दवा इसका कारण हो सकते है। इसके अलावा गीले या गंदे अंडर गारमेंट्स पहनने या गंदे पेड , कपड़े आदि लगाने से भी यह हो सकता है। अप्राकृतिक मैथुन, सहवास की अधिकता भी कारण बन सकती है।
—  यौनांग की सफाई नहीं रखना , ।
शारीरिक कमजोरी , खून की कमी , शराब पीना , अनियमित समय पर भोजन करना , देर रात तक जागना , दिन में सोना  , आँतों में सूजन , थाइरॉइड  ,आराम परस्त जीवन के कारण यह हो सकता है।
—   मानसिक तनाव ,  गुस्सा , अधिक मिर्च मसाले युक्त खाना , आदि के कारण भी श्वेत प्रदर हो सकता है।
श्वेत प्रदर से बचाव –
कुछ सावधानियां रखने से इससे एक सीमा तक बचा जा सकता है। इनका  ध्यान रखना चाहिए :
—  पोष्टिक भोजन लें। जौ का दलिया , चोकर सहित आटे की चपाती , हरी सब्जियां , काली मिर्च , फल , मेवे  , गाजर , टमाटर  , चुकंदर आदि खाएं ताकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।
—  अचार , पापड़ , आलू , लाल मिर्च , खटाई , बैगन , बासी भोजन , शराब , प्याज , तला हुआ आदि न खाएँ।
—  चाय , कॉफी कम लें।
—  कामुक विचारों से दूर रहें।
—  सहवास में अधिकता ना करें।
—  अप्राकृतिक मैथुन से दूर रहें।
—  योनि में लगाए जाने वाला गर्भ निरोधक काम में लेने पर समय समय पर योनि और गर्भाशय की जाँच करवाते रहें।
—  कब्ज मत होने दें।
—  श्वेत प्रदर की सम्भावना होने पर  इसके विशेष कारण का पता लगाने के लिए पेशाब , रक्त , योनि के स्राव आदि की चिकित्सक की  सलाह के अनुसार जाँच करवाएँ



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