*पक्षाघात के लक्षण*
पक्षाघात के लक्षण आसानी से पहचान में आ जाते हैं: आकस्मिक स्तब्धता या कमज़ोरी ख़ासतौर से शरीर के एक हिस्से में; आकस्मिक उलझन या बोलने, किसी की कही बात समझने, एक या दोनों आंखों से देखने में आकस्मिक तकलीफ़, अचानक या सामंजस्य का अभाव, बिना किसी ज्ञात कारण के अचानक सरदर्द या चक्कर आना। चक्कर आने या सरदर्द होने के दूसरे कारणों की पड़ताल के क्रम में भी पक्षाघात का निदान हो सकता। ये लक्षण संकेत देते हैं कि पक्षाघात हो गया है और तत्काल चिकित्सकीय देखभाल की ज़रूरत है। जोख़िम के कारक उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, डाइबिटीज़ और धूम्रपान पक्षाघात का जोख़िम पैदा करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं। इनके अलावा अल्कोहल का अत्यधिक सेवन, उच्च रक्त कॉलेस्टेराल स्तर, नशीली दवाइयों का सेवन, आनुवांशिक या जन्मजात परिस्थितियां, विशेषकर रक्त परिसंचारी तंत्र के विकार।
इस बात की स्पष्ट जानकारी नहीं थी कि मस्तिष्क पक्षाघात या मस्तिष्क के दौरे से होने वाली क्षति की भरपाई कर लेता है। मस्तिष्क की कुछ कोशिकाएं मरी नहीं होती बल्कि क्षतिग्रस्त हुई रहती हैं और फिर से काम करना शुरू कर सकती हैं। कुछ मामलों में मस्तिष्क खुद ही अपने काम-काज का पुनर्संयोजन कर सकता है। कभी-कभार मस्तिष्क का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हिस्से का काम संभाल लेता है। पक्षाघात के पर्यवेक्षक कई बार उल्लेखनीय और अनपेक्षित स्वास्थ्य लाभ होते देखते हैं जिसकी व्याख्या नहीं की जा सकती।
*क्या है पक्षाघात*
अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुकना या मस्तिष्क की कोई
रक्त वाहिका फट जाना और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आसपास खून भर जाने से
स्ट्रोक यानी पक्षाघात होता है।
मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम होने, अचानक रक्तस्राव होने से मस्तिष्क का दौरा पड़ जाता है।
स्ट्रोक को सेरिब्रोवैस्कुलर दुर्घटना या सीवीए के नाम से भी जाना जाता है।
*पक्षाघात के प्रभाव*
पक्षाघात के कारण दीर्घकालीन विकलांगता हो सकती है। या फिर हाथ-पांव काम करना बंद कर सकते है।
15 से 59 आयुवर्ग में मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है।
रोगी को देखने, बात करने या बातों को समझने यहां तक की खाना निगलने में भी परेशानी होने लगती हैं।
यदि रोगी की पक्षाघात के दौरान ब्रेन का बहुत बड़ा भाग प्रभावित हुआ है तो श्वास संबंधी समस्याएं भी आ सकती है।
पक्षाघात के कारण अंधता होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
*क्यों होता है पक्षाघात*
उच्च-रक्तचाप के 30 से 50 आयुवर्ग के रोगियों को स्ट्रोक का जोखिम रहता है।
मधुमेह के रोगियों में स्ट्रोक का जोखिम 2-3 गुना अधिक रहता है।
स्मोंकिग, जंक फूड, ज्यादा तैलीय भोजन का आदी होना।
मस्तिष्क की किसी धमनी के संकीर्ण या अवरुद्ध होने के कारण।
कॉलेस्टॉ्ल या उच्च रक्त कॉलेस्ट्रोल स्तर।
पौष्टिक आहार न लेना। अधिक मोटापा।
शराब, सिगरेट और तंबाकु का एवं नशीली दवाइयों का सेवन।
शारीरिक सक्रियता न होना।
आनुवांशिक या जन्मजात परिस्थितियां।
*लकवा से बचाव के उपाय*
फास्ट फूड एवं जंक फूड का सेवन ना करें
व्यायाम करना ना भूलें
गिरने या दुर्घटनाओं से बचें
सहायक उपकरणों का उपयोग करें
धूम्रपान एवं मदिरा सेवन ना करें
नोक्टुरिया अर्थात रात के समय पेशाब आना, मूत्राशय की नहीं, ह्रदय की कमजोरी का लक्षण नोक्टुरिया वस्तुतः हृदय और मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में अवरोध का लक्षण है।
प्रौढ़ और बुजुर्ग लोगों को सबसे अधिक परेशानीदेह होता है रात को पेशाब करने के लिए बार बार उठना । नींद खराब होने के डर से बुजुर्ग रात को सोने से पहले पानी पीने से कतराते हैं। वे सोचते हैं कि पानी पियेंगे तो पेशाब के लिए बार बार उठना पड़ेगा। वे नहीं जानते कि सोने से पहले या रात को पेशाब करने के बाद पानी नहीं पीना, प्रौढ़ और बुजुर्ग लोगों में अक्सर होने वाले प्रातःकालीन हृदयाघात या पक्षाघात का एक महत्वपूर्ण कारण है। वास्तव में, नोक्टुरिया अर्थात बार बार पेशाब आना मूत्राशय की शिथिलता की समस्या नहीं है, यह बुजुर्गों में आयु के साथ घटने वाली दिल की कार्य क्षमता के कारण होता है, क्योंकि दिल शरीर के निचले भाग से रक्त चूसने में पर्याप्त समर्थ नहीं रहता ।
ऐसी स्थिति में दिन में जब हम खडी स्थिति में होते हैं, रक्त का प्रवाह नीचे की ओर अधिक होता है । यदि दिल कमजोर है, तो हृदय में रक्त की मात्रा अपर्याप्त हो जाती है और शरीर के निचले भाग पर दबाव बढ़ जाता है, इसीलिए प्रौढ़ और बुजुर्ग लोगों को दिन के समय शरीर के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है । जब वे रात में लेटते हैं, तो शरीर के निचले भाग को दबाव से राहत मिलती है और ऊतकों में बहुत सारा पानी जमा हो जाता है। यह पानी खून में वापस आ जाता है। यदि बहुत अधिक पानी है, तो गुर्दे पानी को अलग करने और मूत्राशय से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे, यही नोक्टुरिया का कारण है ।
इसलिए आमतौर पर सोने के लिए लेटने के बाद और पहली बार टॉयलेट जाने के बीच में लगभग तीन या चार घंटे लगते हैं। उसके बाद, रक्त में पानी की मात्रा फिर बढ़ने लगती है, तो तीन घंटे बाद फिर से टॉयलेट जाना पड़ता है।
अब सवाल उठता है कि यह ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट अटेक का एक महत्वपूर्ण कारण क्यों है? इसका जबाब यह है कि दो या तीन बार पेशाब के बाद, रक्त में पानी बहुत कम हो जाता है। सांस लेने से भी शरीर का पानी कम होता है। इसके चलते रक्त गाढ़ा और चिपचिपा होने लगता है और नींद के दौरान हृदय गति धीमी हो जाती है। गाढे रक्त और धीमे रक्त प्रवाह के कारण संकुचित रक्त वाहिका आसानी से अवरुद्ध हो जाती है ...
यही कारण है कि प्रौढ़ और बुजुर्ग लोगों को हमेशा सुबह 5 या 6 बजे के आसपास हृदयाघात या पक्षाघात होता पाया जाता है। इस स्थिति में सोते समय ही मृत्यु हो जाती है।
हर किसी को बताने के लिए पहली बात यह है कि नोक्टुरिया मूत्राशय की खराबी नहीं है, यह उम्र बढ़ने की समस्या है। हर किसी को बताने के लिए दूसरी बात यह है कि बिस्तर पर जाने से पहले आपको गुनगुना पानी पीना चाहिए, और रात को पेशाब करने के लिए उठने के बाद भी फिर गुनगुना पानी पीना चाहिए। नोक्टुरिया से डरो मत, जबकि पानी न पीना आपकी जान ले सकता है। तीसरी बात यह है कि दिल की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए आपको सामान्य समय में अधिक व्यायाम करना चाहिए।
मानव शरीर एक ऐसी मशीन नहीं है, जो ज्यादा इस्तेमाल होने पर खराब हो जाएगी, उलटे यह जितना अधिक इस्तेमाल होगा, उतना ही ज्यादा मजबूत होगा।
अस्वास्थ्यकर भोजन, विशेष रूप से ज्यादा स्टार्च वाले और तले हुए खाद्य पदार्थ न खाएं।
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