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शनिवार, 8 सितंबर 2018

स्तंभन दोष【Erectile dysfunction】#सेक्स, #Sex सेक्स समस्या संभोगशक्ति बढ़ाना

      ‍♂ * स्तंभन दोष【Erectile dysfunction】* ‍♂

इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष पुरुषों द्वारा यौन संबंध बनाने के लिए लिंग में उत्तेजना पाने या उत्तेजना बनाएं रखने में असमर्थता होने की समस्या है। यह समस्या कपल्स (जोड़ों) के लिए एक महत्वपूर्ण संकट पैदा कर सकती है।
कभी-कभी लिंग में उत्तेजना न आना असामान्य नहीं है। स्तंभन होने या उसे बनाएं रखने में अगर कभी-कभी विफलता हो जाए उसके बारे में चिंता ना करें, यह सामान्य समस्या होती है। कई पुरुष तनाव के दौरान ऐसा अनुभव करते हैं। बार-बार होने वाला स्तंभन दोष स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है, जिनके इलाज की आवश्यकता होती है। यह भावनात्मक या रिलेशनशिप संबंधी कठिनाइयों का संकेत भी हो सकता है, जिन्हें डॉक्टर को दिखाना पड़ सकता है। इसके कुछ कारणों में बहुत अधिक शराब पीना, चिंता और थकावट आदि शामिल हैं। अगर यह जारी नहीं रहता को चिंता करने की कोई बात नहीं है। हालांकि नपुंसकता की समस्या अगर जारी रहती है, तो इसकी जांच एक डॉक्टर द्वारा करवानी चाहिए। जिन पुरूषों को अपने यौन प्रदर्शन से संबंधित समस्याएं हैं, उनको डॉक्टर से इस बारे में बात करने में हिचक हो सकती है। क्योंकि उनको लगता है कि यह एक शर्मनाक मसला हो सकता है। अगर आपको स्तंभन दोष या नपुंसकता से संबंधी समस्या है, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात करें, भले ही आपको शर्म आ रही हो। कई बार इस समस्या के अंतर्निहित कारण का इलाज करना ही नपुंसकता को ठीक करने के लिए काफी होता है। 

*नपुंसकता के दो प्रकार होते हैं:-*

*Primary Erectile dysfunction –* इस में वे पुरुष आते हैं, जो कभी भी स्तंभन प्राप्त या उसे बनाए नहीं रख पाते।

*Secondary Erectile dysfunction–* जो व्यक्ति स्तंभन प्राप्त करने में शुरू में सक्षम होते हैं, लेकिन बाद में अक्षम हो जाते हैं। उस स्थिति को द्वितीय नपुंसकता के नाम से जाना जाता है। द्वितीय स्तंभन दोष अधिक सामान्य स्थिति है।

                                    ⚜ *स्तंभन दोष के लक्षण* ⚜

▪लिंग में उत्तेजना लाने में परेशानी।
▪यौन गतिविधियों के दौरान उत्तेजना को बनाए रखने में कठिनाई।
▪सेक्स करने की इच्छा में कमी।
▪समय से पहले स्खलन।
▪स्खलन में देरी।
▪प्रयाप्त उत्तेजना होने के बाद भी संभोग सुख प्राप्त करने में असमर्थता
कुछ अन्य भावनात्मक लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे शर्म, लज्जा या चिंता महसूस होना और शारीरिक संभोग में रूचि कम होना।
अगर किसी व्यक्ति को ये लक्षण नियमित रूप से हो रहे हैं, तो उसमें नपुंसकता से ग्रस्त मान लिया जाता है।

                          *स्तंभन दोष  या नामर्दी के कारण* 

नपुंसकता के कई संभावित कारण हैं। इसमें भावनात्मक और शारीरिक दोनों विकारों को शामिल कर सकते हैं। अधिकांश स्तंभन दोष वाहिकाओं, न्यूरोलॉजिक, साइकोलॉजिक और हार्मोन संबंधी विकारों से संबंधित होते है। ड्रग आदि का इस्तेमाल करना भी इसका एक कारण हो सकता है। कुछ सामान्य कारण हैं:

 *परिसंचरण संबंधी समस्याएं –* स्तंभन तब होता है जब लिंग में खून भर जाता है। खून भरने के बाद लिंग के आधार में लगी वाल्व बंद हो जाती है जिससे खून अंदर ही रुक जाता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल और एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का अकड़ना) आदि ये रोग लिंग स्तंभन की इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकते हैं।

 *सर्जरी –* पेल्विस की सर्जरी और विशेष रूप से प्रोस्टेट कैंसर के लिए प्रोस्टेट की सर्जरी करने से वे नसें क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिनकी स्तंभन प्राप्त करने और बनाए रखने में आवश्यकता पड़ती है।

 *रीढ़ की हड्डी या पेल्विक में चोट लगना–* इनमें चोट लगने से स्तंभन को उत्तेजित करने वाली नस कट सकती है।

 *हार्मोनल विकार–* टेस्टिक्युलर फेलियर, पिट्यूटरी ग्रंथि संबंधी समस्याएं या अन्य कुछ प्रकार की दवाओं के सेवन से टेस्टोस्टेरोन (पुरुष सेक्स हार्मोन) में कमी हो सकती है।

 *डिप्रेशन (Depression)–* यह नपुंसकता का एक सामान्य कारण है। डिप्रेशन एक शारीरिक डिसऑर्डर है और साथ ही साथ एक मनोरोग (मानसिक रोग) भी है। डिप्रेशन के शारीरिक प्रभाव भी हो सकते हैं। अगर आप यौन स्थितियों में असहज महसूस करते हैं, तो इसके शारीरिक प्रभाव हो सकते हैं।

 *शराब की लत*

 *पेरोनी रोग–* लिंग के अंदर निशान वाले ऊतक (Scar tissue) विकसित होना।

 *प्रदर्शन की चिंता-* संभोग के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने आदि को लेकर चिंतित होने के कारण अधिकांश पुरुषों में कुछ बिंदुओं पर स्तंभन दोष की समस्या हो सकती हैं।

 *कैंसर –* कैंसर उन नसों व वाहिकाओं के कार्यों में हस्तक्षेप कर सकता है, जो स्तंभन प्रक्रिया के लिए जरूरी होती हैं।

 *दवाएं –* नीचे कुछ ऐसे प्रकार के ड्रग्स के बारे में बताया गया है, जो नपुंसकता का कारण बन सकते हैं।

▪एंटी कैंसर मेडिकेशन (कैंसर-विरोधी दवाएं)

▪एंटीडिप्रैसेंट्स (जैसे साइटेलोप्राम, पैरोक्सेटीन, सर्टेलीन, एमीट्रिप्टिलीन)

▪कोकीन, हेरोइन, गांजा

▪नशीले पदार्थ (opioids)

▪डाइयुरेटिक्स (स्पायरोनोलैक्टोन, क्लोरथैलीडॉन)

              ✒ *स्तंभन दोष से बचाव* ✒

स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करे।
धूम्रपान बंद करे।
शराब की मात्रा में कमी करे।
वजन कम करे।
तनाव का स्तर कम करना।

        *स्तंभन दोष या नामर्दी का इलाज* 

*1) प्रोस्टेटिक मालिश -* कुछ पुरुष प्रोस्टेटिक मालिश नामक मालिश चिकित्सा के एक तरीके का उपयोग करते हैं। डॉक्टर आपके लिंग में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए आपके ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का भाग) में और आसपास के ऊतकों को मालिश करते हैं।

*2) पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों की एक्सरसाइज –*
सबसे पहले पेल्विक की मांसपेशियों की पहचान करें। इनको पहचानने के लिए पेशाब करने के दौरान प्रवाह को बीच में ही रोकने की कोशिश करें। जब आप पेशाब की धारा को बीच में ही रोकने की कोशिश करते हैं, तो रोकने के लिए इस्तेमाल की गई मांसपेशियां पेल्विक फ्लोर की ही होती हैं। इन मांसपेशियों को 5 से 20 सेकंड संकुचित (सिकोड़ना) करें और उसके बात सामान्य स्थिति में छोड़ दें।
इस इस प्रक्रिया को लगातार 10 से 20 बार अवश्य करें। इस व्यायाम को पूरे दिन में कम से कम तीन से चार बार अवश्य करें।

*3) टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट –* कुछ पुरूषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का निम्न स्तर होने के कारण स्तंभन दोष और जटिल हो सकता है। ऐसी स्थिति के लिए अक्सर टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट थेरेपी का सुझाव दिया जाता है। इस थेरेपी को पहली थेरेपी के रूप में या किसी अन्य थेरेपी के साथ संयोजन के रूप में किया जा सकता है।

*4) अपनी दवाएं बदलें -* कुछ मामलों में, अन्य बिमारियों का इलाज करने वाली दवाएं इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण हो सकती हैं। उन दवाइयों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें जो आप ले रहे हैं। इनके बदले कोई अन्य दवाएं हो सकती हैं जिन्हें आप ले सकते हैं।

*स्तंभन दोष के जोखिम और जटिलताएं*
▪असंतोषजनक सेक्स जीवन।
▪तनाव या चिंता।
▪आत्मसम्मान में कमी या शर्मिंदगी महसूस होना।
▪रिलेशनशिप सबंधी समस्याएं।
▪साथी को गर्भवती बनाने में असमर्थता।
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कामशक्ति को बढ़ाने वाले उपाय  (संभोगशक्ति बढ़ाना) 

परिचय - कोई भी स्त्री या पुरुष जब दूसरे लिंग के प्रति आर्कषण महसूस करने लगता है तो उसी समय से सेक्स उनके लिए एक बहुत ही खास विषय बन जाता है। उनके मन में सेक्स के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है और शादी से पहले यह लोग सेक्स करने से भी पीछे नहीं हटते। सेक्स करने में जितना आनंद मिलता है उतनी ही उसके प्रति संवेदनशीलता बनी रहती है। इसी वजह से चाहे स्त्री हो या पुरुष दोनों में ही सेक्स के प्रति हमेशा एक भूख सी रहती है वह ज्यादा से ज्यादा सेक्स का मजा लेना चाहता है।
            ऐसे बहुत से लोग हैं जो सेक्स का मजा लेना चाहते हैं लेकिन सेक्स करते समय वह कुछ ही देर में ठंडे हो जाते हैं। ऐसे मामलों में उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि उन्हें शीघ्रपतन का रोग है। ऐसे लोग वैसे तो पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं लेकिन दिमागी रूप से बीमार हो जाते हैं। उनके मन में यह विचार भी आने लगते हैं कि अगर मैं संभोगक्रिया के समय अपने पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाता तो वह मुझसे नफरत करने लग सकता है या मुझे छोड़कर जा सकता है।
            यह एक ऐसी दिमागी समस्या है जिसके कारण आज लगभग हर वर्ग का व्यक्ति परेशान है। संभोगक्रिया के समय जब पुरुष का वीर्य निकल जाता है तभी उसकी संभोगक्रिया और संतुष्टि का चक्र पूरा हो गया मान लिया जाता है क्योंकि चरम आनंद के साथ ही वीर्य के निकलने का संबंध भी जुड़ा है लेकिन इसके बाद भी पुरुष की अंदर की प्यास नहीं बुझती। इसी वजह से वह अंदर ही अंदर शर्मिंदगी से घुटता रहता है।
            यह कोई रोग नहीं है इसमें अगर पुरुष सही तरह से और सही तरीके से संभोग करे तो वह इस क्रिया को इच्छा के अनुसार बढ़ा सकता है। इसके लिए उसे किसी तरह की दवा आदि न खाकर और उल्टे-सीधे नीम हकीमों के चक्कर में न पड़कर सिर्फ कुछ खास बातों की ओर ध्यान देने की जरुरत है।

संभोग करते समय जल्दबाजी न करें-
            संभोग करते समय किसी भी तरह की जल्दी करना या हड़बड़ाहट मचाना जल्दी वीर्यपात का कारण बनता है। किसी भी पति और पत्नी के बीच सेक्स संबंध सिर्फ खानापूर्ति के लिए या किसी भी काम को जल्दी से निपटाने के मकसद से नहीं होने चाहिए। ऐसे बहुत से व्यक्ति होते हैं जो संभोग करते समय तुरंत ही पूरे जोश में आ जाते हैं। उनकी उत्तेजना समय से पहले ही चरम सीमा तक पंहुच जाती है और जल्दी ही उनका वीर्यपात हो जाता है। कुछ समय में ही पुरुषों की ऐसी आदत से उनकी पत्नियां भी परेशान रहने लगती हैं क्योंकि उनको भी अपने पति की आदत से सेक्स में पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिल पाती है। इसलिए पुरुषों को संभोग करते समय किसी तरह की जल्दबाजी न करके धैर्यपूर्वक इस क्रिया को करनी चाहिए। इससे न सिर्फ पुरुष इस क्रिया को लंबा और संतुष्टि के साथ कर सकता है बल्कि स्त्री को पूरी तरह से यौन संतुष्टि मिलती है।

उत्तेजना पर ध्यान-
            पुरुष को अगर अपनी संभोगक्रिया को काफी देर तक करना  चाहता है तो उसे अपनी उत्तेजना का खासतौर पर ध्यान रखना जरूरी है। संभोगक्रिया के समय उत्तेजना का बढ़ना और काफी समय तक रहना पुरुष की शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर करता है। जैसे ही महसूस हो कि शरीर में उत्तेजना बढ़ रही है, लिंग सख्त होता जा रहा है तो उसी समय अपनी शारीरिक क्रियाएं बंद कर देनी चाहिए, एकदम से शांत हो जाए। इससे बढ़ी हुई उत्तेजना सामान्य होने लगती है। अगर उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती है और शारीरिक आघात जारी रहते हैं तो वीर्य को निकलने से रोक पाना संभव नहीं हो पाता। इसलिए उत्तेजना को ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहिए।

वातावरण का ध्यान-
            संभोगक्रिया करते समय वातावरण का भी खासतौर पर ध्यान देना पड़ता है। संभोगक्रिया में पूरी तरह आनंद और संतुष्टि तब तक नहीं मिल पाती जब तक इस क्रिया को बिना किसी डर के और निश्चिंत होकर न किया जाए। शादी के बाद सोने के लिए पति और पत्नी के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था कर दी जाती है फिर भी कई बार इस व्यवस्था में अचानक किसी तरह की रुकावट आ जाती है तो ऐसे में उन्हें सेक्स संबंध नहीं बनाने चाहिए। कई बार पति-पत्नी अपने कमरे में आकर संभोगक्रिया करने लगते हैं तभी उन्हें अगर कोई आवाज दे देता है तो उस समय उनकी सेक्स संबंधों के दौरान बनी मानसिकता को तेज आघात पहुंचता है और यही जल्दी वीर्यपात का कारण बनता है। अगर पति और पत्नी अपने कमरे में आते हैं तो उन्हें तुरंत ही संभोगक्रिया में नहीं लग जाना चाहिए। कमरे में आते ही सबसे पहले आपस में किसी भी टाँपिक को लेकर बातें आदि करने लग जाएं। जैसे ही लगे कि अब घर में सब लोग सो गए हैं तब संभोगक्रिया करने के लिए तैयार हो जाए। कमरे में हरे रंग या आसमानी रंग का बल्ब जलाकर संभोगक्रिया करने से आनंद मिलता है।

संभोगक्रिया के समय विभिन्न आसनों का प्रयोग हानिकारक है-
            संभोगक्रिया के समय बहुत से पुरुष अपनी बीवियों को सेक्स के अलग-अलग आसनों को प्रयोग करने की प्रयोगशाला बना देते हैं। पुरुष अक्सर किताबों या फिल्मों में सेक्स करने के अलग-अलग तरीकों को देखकर अपनी पत्नी के साथ भी उसी तरह सेक्स करने के लिए जोर डालते हैं। लेकिन सेक्स करने के यह तरीके या आसन जो दिखाए जाते हैं उनको करना लगभग नामुनकिन होता है। इन अलग-अलग आसनों को करते समय या संबंध बनाते समय पुरुष इस कदर उत्तेजित हो जाते हैं कि उसके लिए संबंध बनाए रखना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से वे शीघ्र स्खलित हो जाते हैं। पत्नी को भी ऐसा महसूस होता है कि उसका पति तो उसे किसी खिलौने की तरह प्रयोग कर रहा है जिसके कारण वह शारीरिक और दिमागी रूप से पीड़ित रहने लगती है। वैसे भी सेक्स संबंधों का जितना आनंद सामान्य आसन से मिलता है उतना अलग-अलग आसनों का प्रयोग करने से नहीं मिलता। बहुत से विद्वानों का कहना है कि जो व्यक्ति सामान्य आसनों का प्रयोग करके सेक्स संबंधों का आनंद उठा रहा है उन्हें भूलकर भी अलग-अलग आसनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा आसन है कि संभोगक्रिया के समय पत्नी को नीचे और पति को उसके ऊपर लेटना चाहिए। इस आसन को करते समय पुरुष का लिंग बहुत ही आसानी के स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाता है और पुरुष संभोग के समय स्त्री के चेहरे के भावों को पढ़ सकता है। विराम के समय स्त्री के शरीर पर निश्चल लेटने से एक अनोखा सुख प्राप्त होता है। 
इसके बाद सिर्फ विपरीत रति वाले आसन को ही अच्छा माना गया है। इस आसन में पति नीचे लेटता है और पत्नी उसके ऊपर लेटती है। इसमें शरीर संचालन स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर कर सकते हैं। इस आसन में भी सारी स्थितियां पहले आसन के ही जैसी होती हैं लेकिन विराम के समय आराम का सुख स्त्री को ही मिलता है। इन दोनों आसनों की खासियत यह है कि इसमें जब तक संभोगक्रिया चलती है तब तक बिना किसी परेशानी के चलती है। दूसरे किसी आसन में यह सुविधा नजर नहीं आती है। बाकी सारे आसनों में जो कमी नजर आती है वह यह है कि उनमें संभोग और विराम काल में स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के सीने से लगकर आनंद नहीं उठा पाते। दूसरे आसनों में लिंग योनि में इतनी आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता जितनी आसानी से पहले वाले आसन में हो जाता है। कई बार लिंग को योनि में प्रवेश कराने से पुरुष की उत्तेजना इतनी बढ़ जाती है कि योनि में प्रवेश के साथ ही पुरुष का वीर्य निकल जाता है। इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि जो व्यक्ति शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त होता है उन्हें पहले वाले आसन में ही संभोग करना चाहिए।

संभोगक्रिया में अपने आप पर काबू रखें-
            सेक्स और संयम का आपस में बहुत ही गहरा संबंध है। बिना संयम के  संभोगक्रिया चल ही नहीं सकती। वैसे भी कहते है कि संयम ही सेक्स की धुरी है और संयम हर क्रिया में बहुत जरूरी है। युवा वर्ग के लिए संयम रखना बहुत जरूरी है। बहुत से व्यक्ति जब देखते हैं कि घर में कोई नहीं है तो वह तुरंत ही मौके का फायदा उठाकर अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाना चाहते हैं और तुरंत ही जल्दबाजी में संबंध लेते हैं। पत्नी भी इस चीज का विरोध नहीं कर पाती। इस प्रकार संबंध बनाते समय पुरुष की उत्तेजना शुरुआती दौर में ही चरम की स्थिति तक पंहुच जाती है। फिर किसी के आ जाने का डर उसे सबकुछ जल्दी-जल्दी करने पर मजबूर कर देती है। ऐसे समय में पुरुष का नाता संयम से बिल्कुल टूट जाता है और वीर्य जल्दी ही निकल जाता है। इसके अलावा और भी कई मौके आते हैं जब पति अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने का मौका छोड़ना नहीं चाहता जिसके कारण व्यक्ति शीघ्र स्खलन का शिकार हो जाता है। इसलिए थोड़े से मजे के चक्कर में अपने आपको शीघ्र स्खलन का रोगी न बनने दें। अगर इस स्थिति को संभाला नहीं जाता तो संभोग के नाम पर पुरुष सिर्फ स्खलन की क्रिया ही पूरी करेगा। इसमें स्त्री को संतुष्टि सिर्फ नाम के लिए ही मिल पाती है। इसलिए सेक्स के समय संयम के महत्व को समझना बहुत जरूरी है।
सांसों को सयंमित रखें-
            संभोग करते समय सांसों की गति को सयंमित रखकर चरम की तरफ तेजी से बढ़ती हुई उत्तेजना को कम किया जा सकता है। उत्तेजना के बढ़ने पर जब आपको महसूस हो कि आपके न चाहते हुए भी आपका वीर्यपात होने को है तो उसी समय अपनी शारीरिक गतिविधियों को बंद कर देना चाहिए। शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें और आंखे बंद करके लंबी सांस भरें। सांस को एकदम से बाहर नहीं छोड़ना चाहिए। जितना समय सांस को लेने में लगे उससे दुगने समय तक सांस को रोककर रखना चाहिए। सांस को छोड़कर फिर थोड़ी देर तक रुकना चाहिए। इसके बाद दुबारा जितनी लंबी सांस ले सकते हैं लें। सांस लेकर कुछ देर तक रुकें और फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़े। 2-3 बार ऐसा करने से बढ़ी हुई उत्तेजना धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसा करने में अगर व्यक्ति सफल हो जाता हो तो उसके सेक्स संबंधों के समय में बढ़ोत्तरी होती जाती हैं।     


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