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शनिवार, 21 नवंबर 2020

#सिंहासन योग : जानिये इस #योग के लाभ #ThroneYoga: know the benefits of this yoga


 सिंहासन योग : जानिये इस योग के लाभ इसकी विधि और सावधानियां

संस्कृंत में ‘सिंह’ का अर्थ होता है ‘शेर’।इस आसन का मतलब होता है शेर आसन या Lion Pose। इस आसन को सिंहासन इसलिए कहते हैं क्योंकि बाहर निकली हुई जीभ के साथ चेहरा दहाड़ते हुए शेर की भयंकर छवि को दर्शाता है। सिंहासन आपके आंखो, चेहरे व गर्दन को स्वस्थ रखने के लिए अहम भूमिका निभाता है।
 
सिंहासन योग के लाभ

1 आवाज को मधुर बनाने के लिए इस आसन का अभ्यास किया जाता है । वाणी से संबंधित विकारों में यह उपयोगी होता है। अपनी आवाज को मधुर बनाने के लिए गायक एवं संगीतकार प्रायः इस आसन का अभ्यास करते हैं। अगर कोई हकलाकर बोलता है तो उसे सिंहासन करनी चाहिए।

2  यह योगाभ्यास विशेष रूप से चेहरे की पेशियों को तानता है और साथ ही साथ खून की प्रभाव को बढ़ाता है। और इस तरह से आपके खूबसूरती को चार चाँद लगाता है। सिंहासन से चेहरे की झुर्रियां दूर होती हैं तभी इसलिए इसे एंटी ऐजिंग आसन भी कहते हैं।

3 एंटीएजिंग योग: यह एक तरह का एंटीएजिंग आसन है, जो चेहरे की एक्सरसाइज करने के साथ ही चमक बढ़ाता है और त्वचा में नयापन बनाएं रखता है।

4 थायरॉयड योग: यह थायरॉयड के लिए एक बेहतरीन योग है। इसका रोजाना अभ्यास करने से आप थायरॉयड से संबंधित परेशानियों से बच सकते हैं।

5 वजन नियंत्रण करने के लिए: थायरॉयड आपके वजन को बढ़ा सकता है। इसको सिंहासन के जरिये आप कण्ट्रोल कर सकते हैं।

6 गले की बीमारी के लिए: सिंहासन करके आप बहुत सारी गले की परेशानी से बच सकते हैं। इसका नियमित अभ्यास से गले में होने वाले संक्रमण को दूर किया जा सकता है।

7 दांत, जीभ, जबड़ा के लिए: इसके नियमित अभ्यास से दांत, जीभ, जबड़ा और गले के रोगों से मुक्ति मिलती है।

8 पेट बीमारी में : पेट की पेशियों के लिए एक अच्छा व्यायाम है। इसके नियमित अभ्यास से आप पेट की बहुत सारी रोगों से अपने आपको निजात दिला सकते हैं।

9 आंखों की बीमारी के लिए: इसके अभ्यास से आप अपने आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं। इससे आंखों की नसों की कमजोरी दूर होती है।

10 खून संचार के लिए: यह रक्तक संचार को सुधारता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन व चेहरे में रक्त का संचार सही ढंग से होता है।

11 अस्थमा के लिए: सिंहासन से आपको अस्थमा में आराम मिलता है।

12 गले, नाक, कान के लिए:  गले, नाक, कान और मुंह की बीमारियों को दूर करने के लिये यह एक श्रेष्ठ आसन है।

13 आंत के सफाई के लिए योग : आमाशय, छोटी आंत , बड़ी आंत और गुर्दे की सफाई के लिए लाभदायक है ।

14 रीढ़ की हड्डी में लाभदायक: इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी पुष्ट होती है और इससे सम्बंधित परेशानियों से बचाने में मदद करता है।

15 मासिक धर्म में फायदा: मासिक धर्म संबंधी विकार को दूर करता है।

सिंहासन योग विधि

सिंहासन करने के लिए सबसे पहले आप एक स्वच्छ आसन बिछाकर अपने पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर उस पर बैठ जाएं।

दोनों एडि़यों को अंडकोष के नीचे इस प्रकार रखें कि दाईं एड़ी बाईं ओर तथा बाईं एड़ी दाईं ओर हो और ऊपर की ओर मोड़ लें।

पिंडली की हड्डी का आगे के भाग जमीन पर टिकाएं।

हाथों को भी जमीन पर रखें।

मुंह खुला रखे औरऔर जितना सम्भव हो सके जीभ को बाहर निकालिये।

आंखों को पूरी तरह खोलकर आसमान में देखिये।

नाक से श्वास लीजिये।

सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से स्पष्ट और स्थिर आवाज निकालिये।

इस प्रकार एक चक्र पूरा हुआ।

इस तरह से इसको आप 10 बार कर सकते हैं।
 
सिंहासन योग हेतु सावधानिया
 
तेज पीठदर्द एवं संतुलन संबंधी समस्यायओं से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

घुटनों की दर्द होने पर इस आसन को नहीं करनी चाहिए।

गले की दर्द में इसको न करें। 

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