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गुरुवार, 5 नवंबर 2020

#उष्ट्रासन : जानिये योग विधि #Ustrasana: know #yogamethod



 उष्ट्रासन : जानिये योग विधि, लाभ और सावधानिया

उष्ट्रासन दो शब्द मिलकर बना है।  ‘उष्‍ट्र’ का अर्थ ऊंट होता है। इस मुद्रा में शरीर ऊंट के समान लगता है इसीलिए  इसको इस नाम से पुकारा जाता है।  स्वस्थ लाभ के हिसाब से उष्ट्रासन बैठ कर करने वाले आसन में एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है।  उष्ट्रासन एक ऐसी योग एक्सरसाइज है जो क्रोध एवं शारीरक विकारों को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है।

उष्ट्रासन योग के लाभ
 
1 इसका अभ्यास करके आप डायबिटीज को बहुत हद तक कण्ट्रोल कर सकते हैं क्योंकि यह आपके पैंक्रियास को उत्तेजित करता है और इन्सुलिन के स्राव में मदद करता है।

2 इस योग से पेट की चर्बी को कम होती हैं।

3 फेफड़े के स्वस्थ के लिए यह एक उम्दा आसन है और फेफड़े से सम्बंधित परेशानियों से आप को बचाता है।

4 दृष्टि विकार वाले व्‍यक्तियों के लिए उष्‍ट्रासन अत्‍यधिक उपयोगी होता है।

5 उष्ट्रासन कमर दर्द में: इसको विशेषज्ञ के सामने अभ्यास करने से कमर दर्द में बहुत मदद मिलती है। यह आसन कमर दर्द के लिए रामबाण है।

6 यह योगाभ्यास क्रोध को कम करते हुए आपको शांत करने में मदद करता है।

7 गर्दन के दर्द: गर्दन के दर्द को भी कम करने में मदद करता है।

8 पतली कमर और खूबसूरत चेहरा के लिए उष्ट्रासन का अभ्यास करनी चाहिए।

9 यह स्लिप डिस्क एवं साइटिका को दूर करने में मददगार है।

10 उष्ट्रासन पाचन संबंधी समस्‍याओं में यह लाभकारी होता है।

11 यह आसन महिलाओं में मासिक जैसी परेशानियों को दूर करने में लाभदायक है।

उष्ट्रासन योग करने की विधि

सबसे पहले आप स्वच्छ आसन बिछाकर उस पर घुटनों के बल बैठ जाएं या आप वज्रासन में बैठे।

ध्यान रहे जांघों तथा पैरों को एक साथ रखें, पंजे पीछे की ओर हों तथा फर्श पर जमे हों।

घुटनों तथा पैरों के बीच करीब एक फुट की दूरी रखें।

अब आप अपने घुटनों पर खड़े हो जाएं।

सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और अब दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर तथा बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखें।

ध्‍यान रहे कि पीछे झुकते समय गर्दन को झटका न लगे।

अंतिम मुद्रा में जांघें फर्श से समकोण बनाती हुई होंगी और सिर पीछे की ओर झुका होगा।

शरीर का वजन बांहों तथा पांवों पर समान रूप से होना चाहिए।

धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस  छोड़े।

जहाँ तक हो सके अपने हिसाब से मुद्रा को मेन्टेन करें।

और फिर लंबी गहरी सांस छोड़ते अपनी आरंभिक अवस्था में आएं।

यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप इसको पांच से सात बार कर सकते हैं।

उष्ट्रासन योग के सावधानी

उच्‍च रक्‍तचाप में इसे नहीं करनी चाहिए।

हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति इसे करने से बचें।

हर्निया से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।

अधिक कमर दर्द में इसका अभ्यास न करें।

साइटिका एवं स्लिप डिस्क वाले मरीज इसको किसी विशेषज्ञ के सामने करनी चाहिए।

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उष्ट्रासन योग करने की विधि | #RamdevSwami

 

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