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बुधवार, 5 दिसंबर 2018

Pranayam an atom science , प्राणायाम एक अदभुत् विज्ञान

 *प्राणायाम एक अदभुत् विज्ञान*
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प्राणायाम क्या है ? ‘प्राणायाम’ मित्रो एक प्राणो की साधना है,जो संस्कृत के दो शब्द ‘प्राण + आयाम’ से मिलकर बना है। प्राण का अर्थ ‘जीवनीशक्ति’ अर्थात् जिसके रहते शरीर जीवित बना रहता है और ‘आयाम’ का अर्थ होता है-विकास अथवा नियन्त्रण । अतः ‘प्राणायाम’ शब्द का अर्थ हुआ-‘जीवन शक्ति’ को विकसित अथवा नियन्त्रित करने की क्रिया ।
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स्वाभाविक रूप से जो श्वास ली जाती है वह जीवनीशक्ति को सामान्य तो बनाए रखती है, परन्तु विकसित नहीं कर पाती । अस्वाभाविक रूप में जल्दी-जल्दी अथवा अधूरी ली गई श्वास जीवनीशक्ति को क्षीण करती है। मुँह से अथवा अशुद्ध वायु में ली गई श्वास हानिकारक भी सिद्ध होती है। हालाँकि प्रत्येक जीवधारी सोते-जागते यहाँ तक कि बेहोशी की अवस्था में भी अविराम-गति से श्वास लेता और छोड़ता रहता है, किन्तु श्वास लेने की उचित क्रिया से अधिकांश लोग अपरिचित हैं। किस प्रकार से श्वास लेने पर जीवनीशक्ति में वृद्धि की जा सकती है।
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1- प्राणायाम की श्वसन-क्रिया फेफड़ों को शक्तिशाली बनाकर उनके लचीलेपन को बढ़ाती है जिसके कारण सम्पूर्ण शरीर में प्राणवायु (ऑक्सीजन) का अधिकाधिक संचरण होता है और उससे वृद्धिगत ऊष्मा के कारण अंग-प्रत्यंग पुष्ट तथा निरोग होते हैं।
2-  प्राणायाम से जितनी शुद्ध प्राणवायु शरीर के भीतर पहुँचती है, उतनी ही दूषित वायु (कार्बन-डाई-ऑक्साइड) बाहर भी निकल जाती है जिसके कारण शरीर के भीतर दूषित मल संचित नहीं रह पाते और शरीर स्वच्छ तथा निर्मल बना रहता है ।
3- शारीरिक-श्रम के कारण जिन कोशिकाओ के टूट-फूट होने से जो रासायनिक परिवर्तन होते हैं, प्राणायाम द्वारा अन्दर प्रविष्ट हुई प्राणवायु उन सबकी क्षतिपूर्ति कर देती है।
4- प्राणायाम द्वारा श्वसनयन्त्रों के अतिरिक्त मस्तिष्क के भीतरी स्नायुमण्डल, पीयूष ग्रन्थि, पीनियल ग्रन्थि, आँख, कान, नाक तथा कण्ठ आदि अवयव भी स्वच्छ तथा निर्मल बने रहते हैं। जिसके फलस्वरूप स्मरणशक्ति तीव्र होती है, मस्तिष्क सम्बन्धी विकार दूर होते हैं तथा अन्य सभी अंगों की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है।
5- प्राणायाम से रक्त-परिभ्रमण की गति में तेजी आती है। फलतः मस्तिष्क की सूक्ष्मनाड़ियों तक रक्त आसानी से पहुँच जाता है। इस कारण मस्तिष्क कुछ देर के लिए निश्चेष्ट होकर विश्राम का लाभ भी पा लेता है तथा पुनः तरोताजा होकर अधिक क्रियाशील बन जाता है।
6- प्राणायाम तन्त्रिकातन्त्र पर नियन्त्रण स्थापित कर स्नायुओं को सबल बनाता है, जिसके फलस्वरूप प्राणायाम के अभ्यासी का मुख-मण्डल तेजस्वी तथा प्रसन्न दिखाई देता है और उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व आकर्षक बन जाता है।
7- प्राणायाम अनेक रोगों को दूर कर शरीर को स्वस्थ एवं पुष्ट बनाता है। इसके माध्यम से इन्द्रियाँ अन्तर्मुखी हो जाती हैं, जिसके कारण प्रत्याहार की सिद्धि होकर धारणा (एकाग्रता) की प्राप्ति होती ह।
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*कुछ नियम भी है* 
1-  प्राणायाम की सफलता के लिए प्रत्येक प्रकार के मादक पदार्थ-शराब, भाँग, गाँजा, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन निषेध है । यम नियम के अन्तर्गत उल्लिखित सभी नियमों का निर्देशों का पालन करना चाहिए।
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2-  प्राणायाम किसी भी समय किया जा सकता है, परन्तु इसके लिए प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम माना गया है। शौचादि से निवृत्त होकर ही प्राणायाम करना चाहिए।
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3-  प्राणायाम के नवीन अभ्यासी को अधिक ठण्ड तथा गर्मी से शरीर को बचाना चाहिए। अभ्यास का प्रारम्भ शरद ऋतु से करना अधिक अच्छा रहता है।
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4-  दूध, घी, मक्खन, फल तथा गेहूँ की रोटी-ये सब प्राणायाम के अभ्यासी के लिए उत्तम भोजन है, परन्तु जो लोग प्रतिदिन कम-से-कम 45 मिनट तक प्राणायाम का अभ्यास करें।समय होतो ज्यादा करे।पिछले मेसेज मे मैने लिस्ट भेजी थी।
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5- प्राणायाम करते समय मन में से सभी विकारों तथा चिन्ताओं को निकाल देना चाहिए। कुछ दिनों तक प्राणायाम का अभ्यास करते रहने पर मानसिक विकार स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं।
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6- प्राणायाम को नियमित रूप से करना ही पूर्ण लाभकर रहता है। यदा-कदा करने से उसका यथार्थ लाभ नहीं मिल पाता।
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7- प्राणायाम में श्वास लेते समय मन की गतिविधियों का सूक्ष्म निरीक्षण करना तथा बाहर निकालते समय निर्विकार रहना उचित है।
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8- प्राणायाम के समय अभ्यासी को यदि कब्ज की शिकायत हो तो कुछ दिनों तक नमक-मसालों का सेवन बन्द कर देना चाहिए। यदि पतले दस्त हो जाएँ तो दही एवं चावल का सेवन करना चाहिए।
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9- आसनों के बाद प्राणायाम करना ठीक रहता है।
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10- प्राणायाम के बाद हास्य प्रयोग करना लाभकारी सिद्ध होता है।
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11- प्राणायाम करते समय शरीर को सीधा परन्तु शिथिल रखना चाहिए। मन में किसी प्रकार का तनाव नहीं आना चाहिए।
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12-वैसे तो प्राणायाम करने के कई तरीके है,मगर सामान्यतः बैठकर किये जाने वाले प्राणायाम अभ्यान्तरिक शुद्धि हेतु बेहत्तर है।
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13- प्राणायाम के अनेक प्रकार हैं। उनमें से कुछ प्राणायाम सरल तथा कुछ प्राणायाम कठिन भी हैं। इन प्राणायामों में से आपको जो भी प्राणायाम रुचिकर तथा साध्य प्रतीत हो, उन्हीं का अभ्यास करके लाभान्वित हों।
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14- कुछ प्राणायाम विभिन्न आसनों की स्थिति में भी किए जाते हैं। अतः उन्हें उसी स्थिति में करना चाहिए। प्राणायाम के अभ्यास की विधियों का जहाँ जैसा उल्लेख किया गया है, तदनुरूप ही आचरण करना चाहिए।
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15– प्राणायामों की क्रिया सदैव-एकान्त, शान्त, स्वच्छ, हवादार, शुद्ध एवं चित्ताकर्षक प्रतीत होने वाले स्थान में ही करनी चाहिए। दुर्गन्धयुक्त, सीलनयुक्त अथवा गन्दी जगह में प्राणायाम का अभ्यास करना वर्जित है।प्राणायाम को अब विज्ञान भी मानने लग गया है।कि हाँ वास्तव मे ये भारतीय ऋषि परंपरा अदभुत है आप भी नियमित योग प्राणायाम करे।

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