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सात भागों में समाया कामसूत्र का
सात भागों में समाया कामसूत्र का
कामसूत्र का नाम आते ही लोगों के जेहन में जो पहला शब्द आता है, सेक्स। लेकिन, शायद इस महान ग्रंथ को केवल सेक्स के संदर्भ में लेना गलत होगा। कामसूत्र न केवल सेक्स संबंधों के बारे में व्यावहारिक व उचित जानकारी देता है, बल्कि यह दाम्पत्य जीवन के समस्त पहलुओं पर भी विस्तृत और गहन जानकारी देता है।
महर्षि वात्सायन के लिखे गए इस ग्रंथ में काम और सूत्र शब्द को बाकायदा भली प्रकार वर्णित किया गया है। इसमें बताया गया है कि काम का अर्थ है इच्छा। और इच्छा कैसी भी हो सकती है, खासतौर पर सेक्सुअल इच्छा। और सूत्र से अर्थ जीवन के समस्त पहलुओं को एक सूत्र में पूरे करीने से पिरोने की बात कही गयी है।
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कामसूत्र के बारे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह व्यक्ति के सामाजिक और निजी जीवन के हर भाग को समाहित करता है। यह वहां पहुंचता है जहां आमतौर पर व्यक्ति की दृष्टि नहीं पहुंचती। यह न केवल काम की बात करता है, बल्कि प्रेम की प्रवृत्ति, परिवार की भूमिका और परिवार की महत्ता आदि के बारे में भी विस्तृत चर्चा करता है। जीवन में आनंद कैसे पाया जाए, सेक्स लाइफ को बेहतर और सुखद कैसे बनाया जाए आदि बातों पर भी कामसूत्र में विस्तार से चर्चा की गयी है।
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आज जबकि सेक्स को लेकर समाज में स्वच्छंदता का वातावरण है, इससे सेक्स संबंधी रोगों में भी इजाफा हो रहा है। ऐसे में कामसूत्र की महत्ता और भी बढ़ जाती है। कामसूत्र में सेक्सुअल समस्याओं को दूर करने और उनसे बचने के उपायों के विषय में भी वर्णन है।
किताब है पुरानी लेकिन आज भी है उपयोगी
हालांकि यह रचना 1500 से 2000 वर्ष पुरानी है, लेकिन मौजूदा दौर में भी इसकी उपयोगिता में कोई कमी नहीं आई है।
कामसूत्र में सात भागों को 36 अध्यायों में बांटा गया है। इनमें कुल 1250 श्लोक हैं। सात भाग में से एक भाग में प्रेम कला को 8 श्रेणियों में बांटा गया है जिनमें 8-8 भेद हैं। यानी सेक्स के लिए 64 पोजीशंस की बात की गई है।
कामसूत्र के 7 भाग इस प्रकार हैं, जिसमें पूरे ग्रंथ का समावेश है।
भाग 1
पहले भाग में, जीवन के लक्ष्य की बात कही गई है। इसमें जीवन की प्राथमिकताएं और ज्ञान के बारे में बातें की गई हैं। सुखी-संपन्न कैसे बनें इन सबके साथ कैसे आप प्रेम की दुनिया में प्रवेश करें इत्यादि बातों के बारे में बताया गया है।
भाग 2
इस भाग में मनुष्य की इच्छाओं का वर्णन किया गया है। इसमें संभोग के आयामों जैसे आलिंगन, चुंबन, नाखूनों का इस्तेमाल, दांतों का इस्तेमाल, संभोग काल, ओरल सेक्स, इंटरकोर्स, विपरीत लिंग रति इत्यादि चीजों का वर्णन हैं। इन इच्छाओं को कैसे 64 पोजीशंन के जरिए पूरा किया जा सकता है। ये सब इस भाग में वर्णित है जिसके कारण कामसूत्र ग्रंथ इतना मशहूर हुआ।
भाग 3
कितने प्रकार की होती है शादी, अच्छी लड़की कैसे पाएं, लड़की आरामदायक स्थिति में कब होती है, अकेले कैसे रहें, शादी कैसे दो लोगों का मिलन है इत्यादि विषयों पर इस भाग में चर्चा की गई है।
भाग 4
एक पत्नी का आचरण कैसा होना चाहिए। यदि एक से ज्यादा पत्नी हैं तो मुख्य पत्नी का आचरण कैसा हो और बाकी का आचरण कैसा हो, इन सब बातों के बारे में इस भाग में चर्चा की गई है।
भाग 5
इस भाग में पुरुष और महिला के आपसी व्यवहार के बारे में इस भाग में चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि स्त्री-पुरुष एक दूसरे को कैसे जानें, किस प्रकार एक दूसरे की भावनाओं का मूल्यांकन करें, इसके साथ ही महिलाओं के व्यवहार के संदर्भ में भी इस भाग में चर्चा की गई है।
भाग 6
इस भाग में महिलाओं के लिए जानकारी दी गई है। इसमें महिलाओं को बताया गया है कि प्रेमी के चयन में किन बातों का ध्यान रखा जाए। अच्छा प्रेमी कैसे चुना जाए। पूर्व प्रेमी से निपटने के तरीके, दोस्ती को रिचार्ज करने के जरिए आदि पर इस भाग में विस्तार से चर्चा की गई है।
भाग 7
शारीरिक आकर्षण कैसे बढ़ाएं, सेक्सुअल क्षमता की कमी को दूर करने के तरीके, इन सबके बारे में कामसूत्र के अंतिम भाग में चर्चा की गई है।
कामसूत्र इन सात चरणों में लिखा गया है। इन चरणों को पढ़ने से ही अंदाजा लग जाता है कि कामसूत्र केवल सेक्स ही नहीं है, इसमें काफी कुछ है। इसमें मनुष्य की रोजमर्रा की चिंताओं, परेशानियों और खुशी के बारे में बताया गया है। इसमें समझाया गया है कि अपनी इच्छाओं को कैसे नियंत्रित अथवा पूरा करें। इसमें महज स्त्री-पुरुष संबंधों पर ही नहीं, बल्कि दोस्त, परिवार और सहयोगियों आदि अन्य संबंधों पर भी खुलकर चर्चा की गई है। कामसूत्र इस नियम पर काम करता है कि सेक्स पर दैनिक कार्यकलापों का गहरा असर पड़ता है। इसलिए अगर व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं प्रसन्न नहीं है, तो वह सेक्स के वास्तविक आनंद नही ले सकते।