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शनिवार, 26 सितंबर 2020

#गुस्‍साकंट्रोल नहीं हो रहा है करें ये 1 काम #Angrycontrol is not being done.

गुस्‍सा कंट्रोल नहीं हो रहा है करें ये 1 काम, तुरंत मिलेगा आराम
अधिक गुस्‍से से कई समस्‍यायें हो सकती हैंक्रोध से निजी जीवन पर बुरा असर पड़ता हैइससे आपके जीवन की गुणवत्‍ता भी कम हो जाती है

गुस्‍सा मानवीय स्‍वभाव है। जिस प्रकार से इंसान हंसता और रोता है उसी प्रकार से गुस्‍सा भी होता है। ये सारी चीजें स्‍वाभाविक हैं। हंसना सेहत के लिए फायदेमंद होता है तो वहीं गुस्‍सा हानिकारक है। बात-बात पर गुस्‍सा होना सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। एक पल का क्रोध इंसान के जीवन में भूचाल मचा सकता है। अधिक गुस्‍से से कई समस्‍यायें हो सकती हैं। क्रोध से आपके व्‍यावसायिक और निजी जीवन पर बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं इससे आपके जीवन की गुणवत्‍ता भी कम हो जाती है। लेकिन, गुस्‍से पर काबू किया जा सकता है। हम आपको 9 ऐसी बातें बता रहे हैं जिससे गुस्‍से पर काबू पाया जा सकता है। 

गहरी सांस लें
जब भी आप किसी ऐसी परिस्थिति में फंस जाएं, जहां आपको चिढ़ होने लगे, तो सबसे पहले गहरी सांस लें। ऐसा करने के पीछे गहरा वैज्ञानिक आधार मौजूद है। जब आप गहरी सांस लेते हैं, तो मस्तिष्‍क में स्थित वेगस नर्व शरीर को संकेत देती है कि वह मांसपेशियों को ढीला छोड़े और शांत हो जाए। बेहतर परिणाम के लिए आपको चाहिए कि आप कम से कम दो-तीन बार गहरी सांस लें। गहरी सांस लेने के साथ ही आप दस तक गिनती भी गिन सकते हैं।

शारीरिक गतिविधियां
भावनाओं को सही दिशा देने में शारीरिक गतिविधियां काफी कारगर साबित होती हैं। खासतौर पर यदि आपके लिए गुस्‍से को काबू कर पाना मुश्किल हो रहा हो, तो आपके लिए जरूरी है कि आप किसी सकारात्‍मक और सृजनात्‍मक शारीरिक गति‍विधि में जुट जाएं। आप अपने गुस्‍से के उबाल को व्‍यायाम, जॉगिंग, वॉकिंग अथवा अपने पसंदीदा खेल के  जरिये काबू कर सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ होगा और आप बेहतर महसूस करेंगे।

खुद से करें बात
कभी-कभी अपने आप से बात करना चाहिए। खासकर जब आपको गुस्‍सा आ रहा हो तब। जरूरी है कि आप अपने से बात करते समय सकारात्‍मक रुख अपनायें। स्‍वयं को यकीन दिलायें कि धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। खुद से कहें कि बात इतनी बड़ी भी नहीं कि इस पर इतना गुस्‍सा हुआ जाए। स्‍वयं पर यकीन रखें कि आप इन परिस्थितियों से पार पा सकते हैं। सकारात्‍मक विचार, आपको शांत और एकाग्र बनाये रखने में मदद करेंगे।

वजह पहचानें
इस बात का ध्‍यान रखें कि गुस्‍से को स्‍वयं पर हावी होने का मौका देकर आप जीवन में काफी कुछ खो रहे हैं- अपना मान-सम्‍मान, अपने प्रियजन, दोस्‍त और काफी कुछ इस गुस्‍से की अग्नि में स्‍वाह कर रहे हैं। याद रखें गुस्‍से में कही गई सही बात भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाती। यदि कोई बात आपको परेशान कर रही है, तो उसे शांत होकर कहें इससे समस्‍या जल्‍द सुलझेगी और उसका असर भी ज्‍यादा होगा।

ध्‍यान
हकीकत तो यह है कि अधिकतर लोग अपने क्रोध का दमन करते हैं, दहन नहीं। वे अपने गुस्‍से का सामना करने से बचना चाहते हैं। इससे क्रोध समाप्‍त नहीं होता, बल्कि यह अग्नि आपको भीतर ही भीतर जलाने लग जाती है। इससे आपकी सेहत पर दीर्घकालिक विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। इससे अच्‍छा उपाय यह है कि आप ध्‍यान का सहारा लें। ध्‍यान आपको मानसिक रूप से शांति प्रदान कर आपकी भावनाओं के प्रवाह को सृजनात्‍मक रूप देता है। रोजाना सुबह केवल बीस मिनट ध्‍यान करने से आपका सारा दिन अच्‍छा जाता है।

संगीत सुनें
गुस्‍से को दूर करने में संगीत से बड़ा साथी दूसरा कोई नहीं। जब कभी भी आपको बहुत अधिक क्रोध आ रहा हो, तो अपना पसंदीदा संगीत सुनें। संगीत किसी भी प्रकार का हो सकता है, शास्‍त्रीय, गजल, सूफी, रॉक, फिल्‍मी गीत कुछ भी। जो भी आपके मन को भाये उस संगीत को सुनें। इससे आपका ध्‍यान क्रोध दिलाने वाली बातों से हटेगा और आप परि‍स्थितियों का बेहतर आंकलन कर पाएंगे।

माफ करना सीखें
जब तक आप बीती बातों का सिरा थामे रहेंगे, आप मानसिक रूप से शांत नहीं हो सकते। शांति के लिए जरूरी है कि बीती बातों को भुलाकर आज में जिया जाए। अपनी गलती से लिए माफी मांगना सीखें और साथी ही दूसरों की गलती को माफ करना भी सीखें। इससे आपको काफी सुकून मिलेगा और आप पहले से बेहतर महसूस करेंगे।

मन को मजबूत बनाएं
संभव हो तो गुस्सा और तनाव दूर करने के लिए कोई दवाई न लेकर अपने मन को मजबूत बनाएं और गुस्सा न करने का प्रण लें। अपनी नींद पूरी करें क्योंकि कई बार नींद पूरी न होने से भी चिड़चिड़ा पन होता है जिससे तनाव बढ़ना और गुस्सा आना जायज है।

परिवार के साथ समय बिताएं
अपने परिवार, साथी, दोस्तों और कलीग्स के साथ अच्छा संबंध बनाए रखें। इससे आपके आसपास का माहौल हमेशा खुशहाल रहेगा। गुस्सा आने पर बहुत अधिक न खाए               

 

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पब्लिक टॉयलेट का इस्‍तेमाल करने से होता है इन 5 बीमारियों का घर
शौचालय इस्तेमाल करने के बाद हमेशा अपने हाथ धोएंहाथ धोने का सिर्फ ये अर्थ नहीं है कि आपको सिर्फ पानी से हाथ धोना हैफ़्लश के हैंडल को हाथ से ना छुएं। इसके लिए अपने पैरों का इस्तेमाल करें

पब्लिक टॉयलेट यानी सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करना शायद ही किसी को पसंद होता है लेकिन मजबूरी में हम सभी को कभी न कभी इनका इस्तेमाल करना ही पड़ जाता है। कोई पब्लिक टॉयलेट भले ही कितना भी साफ क्यों न दिखे, लेकिन उसमें बहुत अधिक मात्रा में कीटाणु होते हैं। इससे कई प्रकार की संक्रामक बीमारियां भी हो सकती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं इससे होने वाली बीमारियां और इनसे कैसे बचा जाए।

इन बीमारियों का रहता है खतरा
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि शौचालयों में काफी गंदगी होती है और वे कई प्रकार के कीटाणुओं का अड्डा होते हैं। जैसे स्ट्रेप्टोकोकस (जो आपके गले को संक्रमित कर सकते हैं), स्टैफिलोकोकस, ई. कोली (जिससे डायरिया और पेट में मरोड़ हो सकता है), एस. औरियस (जो निमोनिया या त्वचा की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं), शिगेला जीवाणु, हैपेटाइटिस ए विषाणु, सामान्य सर्दी वाले कीटाणु और यहां तक कि यौन संक्रमण फैलाने वाले जीव।

पब्लिक टॉयलेट के इस्‍तेमाल में बरतें सावधानी
शौचालय इस्तेमाल करने के बाद हमेशा अपने हाथ धोएं। यहां हाथ धोने का सिर्फ ये अर्थ नहीं है कि आपको सिर्फ पानी से हाथ धोना है। जी नहीं, बल्कि आपको साबुन से कम से कम 20 सेकंड तक अच्छे से झाग लाकर, उंगलियों के कोने और नाखूनों के भीतर तक उन्हें पहुंचाकर हाथ धोना है। याद रखें कि आपके हाथ अगर अच्छे से धुले हैं तभी उनके ज़रिए आपके चेहरे और मुंह तक संक्रमण नहीं फैलेगा।
हाथ धोने के बाद, नल को टिश्यू पेपर से बंद करें और उसी टिश्यू पेपर का इस्तेमाल शौचालय का दरवाज़ा खोलने के लिए भी करें।
जीवाणुनाशक वाइप अपने साथ रखें और बैठने से पहले शौच की सीट को उस वाइप से पोंछ लें। यही एक तरीका है जिससे आप स्टैफिलोकोकस और वैसे ही त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले दूसरे कीटाणुओं से बच सकते हैं।
फ़्लश के हैंडल को हाथ से ना छुएं। इसके लिए अपने पैरों का इस्तेमाल करें।
फ़्लश होते समय पॉट में से मल संबंधी रोगाणु ऊपर उड़ते हैं। कुछ पॉट में से तो 20 फीट ऊपर तक उड़कर आते हैं। इसलिए फ़्लश करते समय पॉट का ढक्कन बंद कर दें। कुछ सार्वजनिक शौचालयों में पॉट पर ढक्कन नहीं लगे होते, वहां आप फ़्लश करने से पहले दरवाज़ा खोल सकते हैं और फिर वहां से जल्द ही निकल जाएं।
कुछ शौचालयों में स्वचलित फ़्लशिंग व्यवस्था होती है। ऐसे में अगर आपके शौच करने के दौरान ही फ़्लश होता है तो मुमकिन है कि उसके कुछ छींटे उड़कर आप पर आएं। हालांकि, इनसे डरने की तब तक ज़रुरत नहीं जब तक छींटे उड़ने वाली जगह पर कोई चोट या कटा हुआ ना हो। इसलिए संक्रमण होने की संभावना ना के बराबर है।
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अगर आपके पास विकल्प है, तो आप ऐसे शौचालय का इस्तेमाल करें जहां शौच कागज़ों को किसी धातु या प्लास्टिक के आवरण से ढका जाता हो ताकि उन पर शौच का पानी और रोगाणु उड़कर ना जाएं।
हाथों को सुखाने वाली मशीन का इस्तेमाल करते समय, वायु निकासी वाली सतह को ना छुएं क्योंकि इससे संदूषण का खतरा होता है।
कभी भी अपने थैले (सामान) को फ़र्श पर ना रखें। सार्वजनिक शौचालयों में फ़र्श ही वो जगह होती है जहां सबसे ज्यादा रोगाणु पाए जाते हैं।
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 #गुस्‍साकंट्रोल नहीं हो रहा है करें ये 1 काम #Angrycontrol is not being done.

 

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