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सोमवार, 21 सितंबर 2020

#अर्द्धमत्स्येन्द्रासन : रीढ़ को लचीला बनाये , #Ardhamatsyandrasana: Make the #spine flexible

 अर्द्धमत्स्येन्द्रासन :

 रीढ़ को लचीला बनाने का प्रमुख आसन, जानिए योग के फायदे और कायदे

ग Yoga Class Day 4 | नौकासन | मेरुदंड मुद्रा | अर्द्धमत्स्येन्द्रासन | 25 days course | Boldsky

  

गुरु मच्छेन्द्रनाथ जिस आसन में समाधि लगाते थे उसे ‘मत्सयेन्द्रासन‘ कहते हैं। मत्स्येन्द्रासन एक दुष्कर आसन है, इसलिये इसे सरल करके इस रूप में परिवर्तित किया गया है। इसलिये इसे “अर्द्धमत्स्येन्द्रासन” कहा जाता है।

अर्द्धमस्येन्द्रासन के लाभ

1 यह आसन मेरुदण्ड को लचीला और मजबूत बनाता है।क्योकि इस आसन में मेरुंदंड को उसकी धुरी के ऊपर ही दायें और बायें मोड़ते हैं।

2  यह कमर, कंधों,बाजुओं, जांघों, पीठ आदि की पेशियों को मजबूत बनाकर उनकी चर्बी दूर करता है और उन्हें सुडौल बनाता है।

3 इस आसन से स्नायुमंडल अधिकाधिक प्रभावित होता है। छाती को खोलता है और फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है।

4 मूत्रदाह व मधुमेह रोग में अर्द्धमत्स्येन्द्रासन विशेष लाभ देता है।

5 हर प्रकार का कमर दर्द दूर होता है। पाचन यंत्र, विशेषकर, क्लोम (पैंक्रियास) और यकृत युष्ट होते हैं। फेफड़ों और हृदय को बल मिलता है।

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन करने का तरीका

सर्वप्रथम आप जमीन पर दरी या स्वच्छ आसन बिछाकर सामने की तरफ टांगों को फैलाकर बैठ जायें।

फिर बैठे हुए, दायीं ओर के घुटने को मोड़कर एड़ी को नितम्ब के साथ लगा दें।

बायां पैर दायें घुटने के ऊपर से ले जाते हुए जमीन पर रखें, पैर का पूरा पंजा घुटने से आगे न जाये और बायां घुटना सीने के बीच रहे।

अब दायें हाथ को बायें घुटने के ऊपर से ले जाते हुए बायें पैर के तलवो को अंगूठे की ओर से पकड़ लें।

बायां पीठ के पीछे रखें। पीठ को सीधा रखते हुए गर्दन को घुमाकर सांस भरते हुए ठोड़ी को बायें कंधे की ओर ले जायें। मेरुदण्ड को अपने अवलम्ब पर पूर्ण रूप से मोड़ दें।

इस स्थिति में 6 सेकेण्ड रुकें। पूर्व स्थिति में आकर आसन दोहराएं।

आपकी शारीरिक क्षमता के अनुसार ये आसन 2 से 6 चक्रों तक किया जा सकता है

विशेष ध्यान देने योग्य बाते
1 इस आसन को उत्तर दिशा की ओर मुख करके लगाना अनुचित है।

2 सम्पूर्ण शरीर पर प्रति रात्रि सरसों के तेल की मालिश करनी अनिवार्य है।
 
3 इस बात का विशेष ध्यान रहे कि आपकी कमर क्रिया करते समय न झुके।

4 यह एक कठिन आसन है। शरीर के अंगों को कई रूप में मोड़ना पड़ता है। अंगों को मोड़ने का अभ्यास शनै-शनैः करना चाहिये

5 यह आसन शुरू-शुरू में प्रतिदिन केवल चार से छः सेकेण्ड तथा बाद में अभ्यास हो जाने पर पैंतालीस सेकेण्ड तक कर सकते हैं।

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन करने में सावधानी

1 गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान महिलाओ को यह आसन नहीं करना चाहिए।

2 यदि रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट या समस्याएं हैं, तो आपको इस आसन से बचना चाहिए।

3 जिन लोगो का दिल, पेट या मस्तिष्क का ऑपरेशन हुआ हो उन्हे इस आसन का अभ्यास बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।

4 स्लिप-डिस्क के मामले में यह आसन लाभदायक हो सकता है लेकिन गंभीर मामलों में इसे बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
 
5 नवसीखियों को ये आसन योग्य गुरु के निर्देशन में ही करना चाहिए

6 आसन को करते समय दर्द का अहसास हो तो आसन नही करें

अपने पैरों के तलवों में तेल लगाने से क्या फायदा होता है?

 1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान...