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रविवार, 24 जनवरी 2021

पेट के कीड़े - उपाय , लिवर की सफाई के लिए घर की रसोई औषधियों

1: 🍃 आरोग्य:-

पेट के कीड़े नष्ट करने के कुछ सरल उपाय:-


1. अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण दिन में तीन बार एक-एक चम्मच लें, इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।


2. टमाटर को काटकर, उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इस प्रयोग से पेट के कीड़े मरकर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं।


3. लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह- शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।


1: किशमिश(द्राक्ष) से  उपचार


1. पेट की गैस: लगभग 30 से 40 ग्राम काली द्राक्ष को रात को ठण्डे पानी में भिगोकर सुबह के समय मसलकर छान लें। थोडे दिनों तक इस पानी को पीने से कब्ज (पेट की गैस) खत्म हो जाती है।


2. मूत्राशय की पथरी : कालीद्राक्ष का काढ़ा बनाकर पीने से मूत्रकृच्छ (पेशाब की जलन) का रोग खत्म होता है। इसका सेवन मूत्राशय की पथरी में लाभकारी होता है।

 

3. खांसी : बीज निकाली हुई द्राक्ष,  शहद को एक साथ चाटने से क्षत कास (फेफड़ों में घाव उत्पन्न होने के कारण होने वाली खांसी) में लाभ होता है।


4. बलवर्द्धक : 20 ग्राम बीज निकाली हुई द्राक्ष को खाकर ऊपर से आधा किलो दूध पीने से भूख बढ़ती है, मल साफ होता है तथा यह बुखार के बाद की कमजोरी को दूर करता है और शरीर में ताकत पैदा करता है।


5. कब्ज : 10-10 ग्राम द्राक्ष, कालीमिर्च, पीपर और सैंधा नमक को लेकर पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 400 ग्राम काली द्राक्ष ( draksh /kishmish)मिला लें और चटनी की तरह पीसकर कांच के बर्तन में भरकर सुरक्षित रख लें। इसकी चटनी `पंचामृतावलेह´ के नाम से प्रसिद्ध है। इसे आधा से 20 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से अरुचि, गैस, कब्जियत, दर्द, मुंह की लार, कफ आदि रोग दूर होते है।


6. तृषा व क्षय रोग : लगभग 1200 मिलीलीटर पानी में लगभर 1 किलो शक्कर डालकर आग पर रखें। उबलने के बाद इसमें 800 ग्राम हरी द्राक्ष डालकर डेढ़ तार की चासनी बनाकर शर्बत तैयार कर लें। यह शर्बत पीने से तृषा रोग, शरीर की गर्मी, क्षय (टी.बी) आदि रोगों में लाभ होता है।


7. खांसी में खून आना : 10 ग्राम धमासा और 10 ग्राम द्राक्ष को लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से उर:शूल के कारण खांसी में खून आना बंद हो जाता है।


8. पेशाब का बार- बार आना :

• अंगूर खाने से भी बहुमूत्रता पेशाब का बार- बार आने के रोग में पूरा लाभ होता है।

• बार-बार पेशाब जाने के रोग में 100 ग्राम अंगूर रोज खाने से आराम आता है।


9. सूतिका ज्वर : द्राक्षा, नागकेशर, काली मिर्च, तमाल पत्र, छोटी इलायची और चव्य का समान भाग चूर्ण बनाकर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शर्करा व पानी के साथ दिन में 2 बार खाने से सूतिका ज्वर ठीक हो जाता है।


10. दिल का रोग : द्राक्षाफल रस, परूषक एवं शहद के समान भार की 15 से 30 मिलीलीटर मात्रा, 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण के साथ दिन में दो बार सेवन करने से दिल के रोग मे लाभ होता है। काल शक्ति 


11. सिर की गर्मी : 20 ग्राम द्राक्ष को गाय के दूध में उबालकर रात को सोने के समय पीने से सिर की गर्मी निकल जाती है।


12. मूर्च्छा (बेहोशी) : द्राक्ष को उबाले हुए आंवले और शहद में मिलाकर रोगी को देने से मूर्च्छा (बेहोशी) के रोग में लाभ मिलता है।


13. सिर चकराना : लगभग 20 ग्राम द्राक्ष पर घी लगाकर रोजाना सुबह इसको सेवन करने से वात प्रकोप दूर हो जाता है। यदि कमजोरी के कारण सिर चकराता हो तो वह भी ठीक हो जाता है।


14. आंखों की गर्मी व जलन : लगभग 10 ग्राम द्राक्ष को रात में पानी में भिगोकर रखे। इसे सुबह के समय मसलकर व छानकर और चीनी मिलाकर पीने से आंखों की गर्मी और जलन में लाभ मिलता है।


15. अम्लपित : 20 ग्राम सौंफ व 20 ग्राम द्राक्ष ( draksh /kishmish)को छानकर और 10 ग्राम चीनी मिलाकर थोड़े दिनों तक सेवन करने से अम्लपित, खट्टी डकारें, खट्टी उल्टी, उबकाई, आमाशय में जलन होना, पेट का भारीपन के रोग में लाभ पहुंचता हैl


🌹तिल के तेल के औषधीय प्रयोग


🌻१] तिल का सेवन १०-१५ मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है |


🌻२] ५० ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है |


🌻३] २०-२५ लहसुन की कलियाँ २५० ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें | इस तेल की बूँदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है |


🌻४] प्रतिदिन सिर में काले तिलों के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते |


🌻५] ५० मि.ली. तिल के तेल में ५० मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय | इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है |


🌻६] तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है |


🌻७] घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं |

अपने पैरों के तलवों में तेल लगाने से क्या फायदा होता है?

 1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान...