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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

#धातु (#धात) रोग के लक्षण, Symptoms of #Metallic Disease, Keeling Exercise

                          *धातु (धात, Spermatorrhea) रोग क्या है  
            
धातु रोग का मतलब होता है, वीर्य का अनैच्छिक रूप से निकलना, जो आम तौर पर नींद के दौरान या अन्य परिस्थितियां जैसे पेशाब या मल त्याग के दौरान होता है।

यह एक पुरुषों की यौन समस्या है, जिसमें अनैच्छिक रूप से वीर्यपात (वीर्य रिसना या बहना) होने लगता है, जो आमतौर पर यौन उत्तेजना और संभोग के बिना होता है।

यह समस्या अक्सर रोगी के चिड़चिड़ेपन और उसके यौन अंगों में दुर्बलता से जुड़ी होती है। कुछ प्रकार के मामलों में कब्ज के दौरान मल त्याग करने के लिए लगाए गए ज़ोर से भी मूत्र के साथ वीर्य निकलने लगता है। कुछ मामलों में वीर्य मूत्र से पहले निकल जाता है, या मूत्र से मिलकर भी निकलने लग जाता है।

                             *धातु (धात) रोग के लक्षण*

यदि समस्या अत्यधिक हस्तमैथुन या सेक्स के कारण होती है, तो दीर्घकालिक यौन थकान से संबंधित *निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:-*
▪कमर में दर्द (विशेष रूप से कमर के निचले भाग में)
कमर के निचले भाग में दर्द जिसकी पीड़ा की लहरें टांगों की तरफ जाती हों
अंडकोष या पेरिनियम में दर्द।
▪चक्कर आना, सामान्य कमज़ोरी।
▪अंडकोष क्षेत्र में पसीना आना।
▪गर्म और नम त्वचा, हथेलियां और तलवे।

                                    *धातु (धात) रोग के कारण*

▪पुरूष जननांग टेस्टेस (वृषण) को बाकी शरीर के तापमान से कुछ हद तक ठंडा रखना चाहिए। जब टेस्टेस अधिक गर्मी के प्रभाव में आते हैं, (जैसे गर्म पानी के टब में नहाने के बाद) तो रात को सोने के बाद शुक्राणु जारी होने लगते हैं, क्योकिं शुक्राणु की सप्लाई क्षतिग्रस्त हो जाती है।

▪यौन उत्तेजनाओं को प्रभावित करने वाला दृश्य या ख्याल आदि भी इस समस्या को पैदा कर सकता है।

▪खारब आहार भी इस समस्या का एक कारण है।

▪अत्याधिक हस्तमैथुन या सेक्स करना भी धातु रोग का कारण बन सकता है।

▪तंत्रिका तंत्र की कमजोरी।

▪मूत्र और जननांग अंगों की क्षीणता।

▪अत्याधिक हस्थमैथुन करने की आदत।

▪यौन असंतोष।

▪संकीर्ण (तंग) मूत्र निकास मार्ग।

▪मलाशय के विकार जैसे बवासीर, एनल फिशर, कीड़े और त्वचा में फोड़े फुंसी आदि।

▪टेस्टोस्टेरोन पर आधारित दवाएं।

▪गद्दे या कंबल के साथ संपर्क (घर्षण) के कारण उत्तेजना।

                               *धातु (धात) रोग का इलाज*

▪एक अच्छी तरह से संतुलित, पौष्टिक आहार खाएं।

▪शराब आदि से दूर रहें,

रात के समय कम खाना खाएं,

बिस्तर छोड़ने के बाद मूत्र त्याग करें।

▪थोड़े कठोर गद्दों पर सोने की कोशिश करें।

▪रात को सोते समय तंग अंतर्वस्त्रों का इस्तेमाल ना करें।

▪अलार्म की मदद से सुबह जल्दी उठने की कोशिश करें, यह वीर्यपात की समस्या आम तौर पर सुबह के कुछ घंटो में ही होती है।

▪जननांगों को पूर्ण तरीके से स्वच्छ रखें, ताकी क्षेत्र की जलन और उसके कारण होने वाले अनैच्छिक वीर्यपात की जांच की जा सके।

 *धातु रोग के इलाज के लिए कीगल एक्सरसाइज करें*

▪आधा पेशाब त्याग करने के बाद बाकी के पेशाब को रोकने या धीरे-धीरे करने की कोशिश करें।

▪अपने नितंबों, टांगों या पेट में मांसपेशियों में तनाव उत्पन्न ना करें, और ना ही अपनी सांसों को रोकने का प्रयास करें।

▪जब आप अपने मूत्र के प्रवाह को धीमा या बंद करने में सफल हो जाते हैं, तो आप उस मांसपेशी पर नियंत्रण पा लेते हैं।

*कीगल व्यायाम करने के लिए*

▪5 तक धीरे-धीरे गिनती करें, और अपने इन मांसपेशियों को सिकोड़ें।
और फिर ऐसे ही 5 गिनते हुऐ धीरे-धीरे वापस खोलें।

▪इस प्रक्रिया को 10 बार करें।
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