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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

#T.B #क्षयरोग का आयुर्वेदिक इलाज, Ayurvedic treatment of #T.B #Tuberculosis

                    ☘ *T.B【क्षय रोग】*☘

क्षय रोग यानी ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी) एक संक्रामक बीमारी है जो कमजोर लोगों होता है या फिर जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनको टी.बी का खतरा सामान्य व्यक्ति से अधिक रहता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्षयरोग क्या है, क्षयरोग का उपचार क्या है, क्षय रोग कितनी तरह का होता है। इतना ही नहीं क्षयरोग के जाखिम क्या हैं। क्या आप जानते हैं जैसे कैंसर और अन्य बीमारियों की अवस्थाएं होती हैं ठीक वैसे ही क्षय रोग के प्रकार यानी ट्यूबरकुलोसिस की भी कई अवस्थाएं होती हैं और टीबी की अवस्थाओं या प्रकार के आधार पर ही टी.बी का इलाज किया जाता हैं। टी.बी के प्रकार कितने होते हैं, क्षयरोग की अवस्थाओं के जोखिम क्या हैं आइए जानें इन्हीं सब बातों को।
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                         *क्षयरोग क्या है*
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क्षयरोग को कई नामों से जाना जाता है जैसे टी.बी. तपेदिक, ट्यूबरकुलासिस, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से जाना जाता है।
टी.बी से ग्रसित व्यक्ति बहुत कमजोर हो जाता है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का डर भी रहता है।
टी.बी. एड्स, मधुमेह और कमजोर लोगों को अधिक होता है।
क्षयरोग सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करते हैं।
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                       *क्षयरोग के प्रकार*
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आमतौर पर तपेदिक तीन तरह का होता है। जो कि पूरे शरीर को संक्रमित करता है।
टी.बी के तीन प्रकार हैं- फुफ्सीय टी.बी, पेट का टी.बी और हड्डी का टी.बी.।
तीनों ही क्षयरोग के प्रकारों के कारण, पहचान और लक्षण अलग-अलग होते हैं। इसके साथ ही इन तीनों का उपचार भी अलग-अलग तरह से किया जाता है।
क्या आप जानते हैं क्षयरोग की अवस्थाएं भी तीन ही तरह की होती हैं और क्षयरोग के प्रकारों की अवस्थाएं भी अलग ही होती हैं।
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          *क्षयरोग के प्रकारों को कैसे पहचानें*
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*फुफ्सीय क्षय रोग-* आमतौर पर टी.बी के इस प्रकार को पहचान पाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि यह अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है और जब स्थिति बहुत अधिक गंभीर हो जाती है तभी फुफ्सीय टी.बी. के लक्षण उभरते हैं। हालांकि यह भी सही है कि फुफ्सीय क्षय रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो लगता है लेकिन हर व्यक्ति और फुफ्सीय टी.बी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग पाएं जाते हैं। इसमें कुछ सामान्य लक्षण जैसे सांस तेज चलना, सिरदर्द होना या नाड़ी तेज चलना इत्यादि समस्याएं होने लगती हैं।
*पेट का क्षय रोग-* पेट में होने वाले क्षय रोग को पहचान पाना और भी मुश्किल होता है क्योंकि पेट का क्षय रोग पेट के अंदर ही तकलीफ देना शुरू करता है और जब तक पेट के टी.बी के बारे में पता चलता है तब तक पेट में गांठें पड़ चुकी होती हैं। दरअसल पेट के टी.बी के दौरान मरीज को सामान्य रूप से होने वाली पेट की समस्याएं ही होती हैं जैसे बार-बार दस्त लगना, पेट में दर्द होना इत्यादि।
*हड्डी क्षय रोग-* हड्डी का क्षय रोग होने पर इसकी पहचान आसानी से की जा सकती हैं क्योंकि हड्डी में होने वाले क्षय रोग के कारण हडि्डयों में घाव पड़ जाते हैं जो कि इलाज के बाद भी आराम से ठीक नहीं होते। शरीर में जगह-जगह फोड़े-फुंसियां होना भी हड्डी क्षय रोग का लक्षण हैं। इसके अलावा हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और मांसपेशियों में भी बहुत प्रभाव पड़ता है
*3 हफ्ते तक होती है ऐसी खांसी तो हो सकता है टीबी*
#T.B #क्षयरोग का  आयुर्वेदिक इलाज, Ayurvedic treatment of #T.B #Tuberculosis

#tb

टीबी । क्षयरोग लक्षणे व उपचार । TUBERCULOSIS IN MARATHI ।

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