*गठिया (Gout) या वातरक्त*
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✍शरीर में Uric acid की मात्रा अधिक बढ़ जाने के कारण होता हैं Uric acid यह एक प्रकार का विषैला तत्व है यूरिक एसिड का निर्माण उस समय होता है जब शरीर में प्यूरिन न्यूक्लियटाइड का निर्माण होता है जो कि ग़लत रूप से अपचय(catabolise) होती है‼
✍यह रक्त धातु और वात के कुपित हो जाने के कारण उत्पन्न होता है गठिया को आयुर्वेद में वातरक्त भी कहा जाता है आधुनिक चिकित्सा के अनुसार खून में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा होने से गठिया रोग होता है जैसे जैसे उम्र बढ़ती है गठिया की समस्या भी बढ़ती है भोजन में शामिल खाघ पदार्थों के कारण जब शरीर में यूरिक एसिड अधिक बनता है तब गुर्दे उन्हें खत्म नहीं कर पाते सामान्तः किडनी इस विषैले तत्व को मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकाल देता हैं किसी कारणवश किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाने के कारण रक्त में Uric acid का प्रमाण बढ़ जाता है और शरीर के अलग- अलग जोड़ों में में यूरेट क्रिस्टल जमा हो जाता है इसी वजह से जोडों में दर्द से रोगी का बुरा हाल रहता है इस रोग में रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है जोड़ों में सूजन आने लगती है तथा उस सूजन में दर्द होता है इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं‼
✍यूरिक अम्ल मूत्र की खराबी से उत्पन्न होता है यह प्रायः गुर्दे से बाहर आता है जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आने अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है तो यूरिक अम्ल का रक्त स्तर बढ़ जाता है और यूरिक अम्ल के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों पर जमा हो जाते है रक्षात्मक कोशिकाएं इन क्रिस्टलों को ग्रहण कर लेते हैं जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निर्मुक्त हो जाते हैं इसी से प्रभावित जोड़ खराब होते हैं आजकल हमारी दिनचर्या हमारे खान -पान से गठिया का रोग 35-40 वर्ष के बाद बहुत से लोगो में पाया जाता है‼
1-पैरों में गठिया का असर सबसे पहले देखने को मिलता है❗
2--अंगूठे बुरी तरह से सूज जाते हैं और तब तक ठीक नहीं होते जब तक की उनका इलाज ना करवाया जाए❗
3--जोड़ो में Uric acid के जमा हो जाने के कारण सूजन, दर्द और जकड़न❗
4--रोग के अधिक बढ़ जाने पर चलने-फिरने में परेशानी होती हैं❗
5--जोड़ो को सिर्फ छूने पर भी अत्यधिक पीड़ा होती हैं❗
6--पीड़ित जोड़ की त्वचा लाल रंग की दिखने लगती हैं❗
7--कभी-कभी जोड़ो को आकर भी विकृत हो जाता हैं❗
8--यह रोग ज्यादातर पैर के अंगूठे में अधिक पाया जाता हैं❗
9--कलाई, कोहनी, कंधे और टखने मोड़ने में भी दिक्कत महसूस होती है❗
10--लगातार बुखार और कब्ज की रोग भी हो जाता है❗
11--रोगी को बहुत प्यास लगती है❗
12--इनके हाथों और पाँव में गांठे बनने लगती है ये गठिया की चरम सीमा होती है
निदान (डायग्नोसिस)
1--पुरुषों में रक्त जांच में Uric acid की मात्रा 7.2 mg/dl से अधिक
2--महिलाओ में रक्त जांच में Uric acid की मात्रा 6.1 mg/dl से अधिक
जोड़ो के पानी की जांच और मूत्र जांच में अधिक मात्रा में Uric acid पाया जाता हैं
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