मंगलवार, 22 सितंबर 2020

गुर्दे की #पथरी / मूतखड़ा Kidney #stone, #अनिद्रा #Insomnia, #इलाज #treatment

 गुर्दे की पथरी / मूतखड़ा -    पानी की मात्रा कम होने के कारण मूतखड़ा होता है। शरीर में कैल्सियम जब हजम नहीं होता है और वह छोटे-छोटे टुकड़े में इकट्‌ठा होता है तो वही मूतखड़ा हो जाता है। मिर्ची ज्यादा खाने से भी मूतखड़ा होता है। जिन लोगों के मूत्र में कैल्शियम अधिक मात्रा में बनता है उनको पथरी जल्दी होती है। यह भिन्न-भिन्न प्रकार के छोटे-छोटे क्षारीय तत्व होते हैं जो किन्ही कारणों से मूत्राशय तथा मूत्रनली से नहीं निकल पाते और धीरे-धीरे एकत्र होकर पथरी का रूप ले लेते हैं। स्टोन की (पथरी) स्थिति में किडनी के पास बहुत अधिक दर्द करेगा। पथरी होने के बाद जब व्यक्ति मूत्र त्याग करता है तब उसे दर्द का अनुभव होता है। ऐसे में मूत्र धीरे-धीरे और रूककर बाहर आता है। इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं :- -    चौलाई अथवा बथुआ के साग को अच्छी तरह धोकर पानी में उबालें और यह उबला हुआ पानी कपड़े से छान लें तथा इसमें कालीमिर्च, जीरा तथा जरा सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में कई बार पीयें। कुछ ही सप्ताह में लाभ अवश्य मिलेगा।
-    चुकन्दर को बारीक टुकड़ों में काटकर पानी में उबालें और वह पानी हल्का गुनगुना होने के बाद पियें तथा भोजन के साथ खीरा अवश्य खायें।
 -    सफेद प्याज को कूटकर कपड़े से उसका रस निकालें। सुबह खाली पेट पियें इससे पथरी जल्दी टूट-टूटकर खत्म हो जायेगी।
-    जीरे के पाउडर को शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
-    प्रातःकाल खाली पेट कच्ची गाजर चबा-चबाकर खाने से पथरी में काफी आराम मिलता है।
-    सूखे आँवले का पाउडर बनायें और प्रातःकाल खाली पेट मूली पर लगाकर चबा-चबाकर खायें।
-    दो चम्मच करेले के रस में सेंधा नमक और जरा सा शहद मिलाकर चाटें।
 -    केले के तने का रस पथरी, कान दर्द और अधिक पेशाब को नियंत्रित करता है।
-    पत्थर चट्‌ट/पाखाड़ वेद का काढ़ा बनाकर पियें काढ़ा 15-20 दिन में पथरी बाहर कर देगा।
-    पथरी जिसको भी है वह चूना कभी न खाएं। पाखाड़वेद/पथरचट्‌ट के पत्ते का काढ़ा पियें इसी की होम्योपैथी दवा है Berberis-Vulgaris-Q मदर टिंचर 10-15 बूंद 1/2 कप पानी में डालकर दिन में 3-4 बार पीलाएं 1 से डेढ़ महिने में सारी पथरी टूट-टूटकर बाहर निकल जायेगी। पाखाड़वेद/पत्थरचट्‌ट का काढ़ा 15-20 दिन में पथरी को तोड़-तोड़कर बाहर कर देता है। बच्चों के केस में 10 बूँद का 5 बूँद कर देना, लगातार डेढ़ से दो महीने तक। कभी-कभी तीन महीने देनी पड़ सकती है।
 -    इसके बाद सोनोग्राफी करवा कर निश्चित हो जाय कि पथरी नहीं है तो एक दूसरी दवा लें ताकि भविष्य में कभी पथरी न बनें उसके लिए दवा है – China-1M (1000) 2-2 बूँद, सुबह-दोपहर-शाम सिर्फ एक दिन।
-  टमाटर, गाजर, पालक, मेथी, दूध ऐसी ही कैल्सियम की कोई भी चीज नहीं खाना चाहिए।


अनिद्रा
अनिद्रा मानसिक अशान्ति के कारण होती है। बहुत अधिक थकान, गलत ढंग से खाने पीने से, कब्ज रहने से, मानसिक तनाव और चिन्ता रहने से, या शरीर के किसी भी भाग के रोगग्रस्त हो जाने से यह बीमारी होती है। अत्यधिक धूम्रपान और मदिरापान करने से भी यह बीमारी होती है। इसमें रोगी को नींद नहीं आती। नींद आने पर जरा सी आहट से नींद खुल जाती है। इसलिये शरीर में थकान और आलस्य हमेशा रहता है। इसके घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं :-
-    रात्रि में सोने से पूर्व अच्छे ढंग से गर्म पानी से हाथ पैर धोकर तलवों पर सरसों के तेल का मालिश करें।
-    सरसों के तेल में कपूर अथवा आँवले के तेल में कपूर मिलाकर सिर पर मालिश करने से अच्छी नींद आती है।
-    2 चम्मच शहद में 1 चम्मच प्याज का रस मिलाकर चाटें।
-    रात्रि भोजन के पश्चात पत्ता गोभी का सलाद चबा-चबाकर खाने से तथा सेब का मुरब्बा लेने से नींद अच्छी आती है।
 -    पपीते की सब्जी या पका पपीता खाने से अनिद्रा का रोग कम होता जाता है।
-    मेहंदी के पत्तों को पीसकर तलवों में लगाने से अनिद्रा दूर होती है।
-    गाय का घी 1-1 बूँद थोड़ा गर्म करके रात में सोते समय नाक में डाल दें।
-    मेथी दाना दोनों हाथों के अंगूठे के नाखून के नीचे बाँध लें और सो जायें।


पंचकर्म चिकित्सीय उपचारों की एक अनोखी, प्राकृतिक, समग्र, स्वास्थ्य-प्रदान करने वाली श्रृंखला है जो शरीर के विषाक्त पदार्थों के गहरे ऊतकों को साफ़ करती है, सूक्ष्म चैनल खोलती है, जीवन-शक्ति को बढ़ाती है जिससे जीवन शक्ति, आंतरिक शांति, आत्मविश्वास और कल्याण में वृद्धि होती है।

👉चयापचय अग्नि को बहाल करने में मदद करता है (AGNI) एएमए
👉 (विषाक्त पदार्थों) को खत्म करता है ऊतक कार्यों को मजबूत करता है।
👉तीनों दोषों को संतुलित करता है।
👉एक स्वस्थ आहार और जीवन शैली को लागू करने में मदद करता है।
👉 तनाव को कम करता है, विश्राम और सहनशीलता में सुधार करता है।
👉 उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
👉शरीर की प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ाता है।


सिरदर्द पेट की खराबी बदहजमी या पेट में गैस बनने से सिरदर्द हो सकता है। दर्द के कारण नींद नहीं आती तथा सिर फटता हुआ सा महसूस होने लगता है। सिर दर्द में कई बार उल्टियां भी होती हैं। ऐसी स्थिति में रोगी कुछ भी काम नहीं कर सकता। इसके घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं :- -    बेल पत्ते का रस माथे पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है। -    चन्दन को घिसकर और उसमें कपूर मिलाकर माथे पर लेप करें। - लौकी का गुदा बारीक मसलकर माथे पर लेप करें। -    तुलसी के पत्तों के रस में जरा सी सौंठ मिलाकर माथे पर लेप करें। -    हरा धनिया पीसकर माथे पर लगाने से भी आराम मिलता है। -    गैस के कारण सिरदर्द होने पर गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पियें। -    नींबू के रस की दो बूंदें कान में डालने से सिरदर्द में आराम मिलता है। -    देशी गाय का पुराना घी हल्का गर्म करके 1-1 बूँद नाक में डालना है। -    सोंठ (पाउडर) + गुड़/मिश्री + नमक गरम पानी में मिलाकर दीजिए, खराब से खराब सिरदर्द ठीक कर देता है। -    सोंठ को गरम पानी में उबालना है। उसमें थोड़ी नमक और थोड़ा गुड़ मिलाकर पीना है। एक गिलास पानी में 1/2 चम्मच सोंठ। -    नक्स ओमिका-200 एक-एक बूँद हर दस मिनट पर 3 बार देना है।


याद्‌दाश्त कम होना कमजोर स्मरण शक्ति आजकल प्रायः युवा लोगों में देखी जाती है। बुढ़ापे में भी इसकी आम शिकायत रहती है। अत्यधिक चिन्ता या भय से ग्रस्त होने पर अथवा क्रोध या शोक से प्रभावित होने पर या अत्यधिक पढ़ने से स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। इसको ठीक करने के घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं :- -    शंखपुष्पी को पीसकर चूर्ण बनायें और 250 ग्राम दूध में आधा चम्मच शंखपुष्पी और 1 चम्मच शहद मिलाकर प्रातःकाल लें। -    प्रतिदिन सुबह गाय के दूध के साथ 1 आँवलें का मुरब्बा लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। -    गाय के दूध में 8-10 खजूर उबालकर पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। -    गाय के दूध में मुलहठी का 1 चम्मच चूर्ण डालकर पियें। -    पीपल के पेड़ की छाल का चूर्ण शहद के साथ चाटें। -    आम का रस, अदरक का रस, और तुलसी के पत्तों का रस बराबर मात्रा में लेकर शहद के साथ उपयोग करें।


आधा सीसी (मायग्रेन) आधा सीसी का दर्द अधिकाशंतः दिन में ही होता है। यह अत्यधिक मानसिक श्रम, पेट में वायु के बने रहने से, शरीर में धातु दोष होने से होता है। यह पुरूषों की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक होता है। आधा सीसी का रोग सिर के आधे हिस्से में ही होता है और काफी तेज दर्द होता है और रोगी बैचेन हो जाता है। इसके घरेलू उपचार निम्नलिखित हैः- - मेहंदी की पत्तियों को पीसकर माथे पर लेप लगायें। -    दर्द के समय नाक में सरसों का तेल डालकर ऊपर की ओर खीचने से दर्द में काफी राहत मिलती है। - देशी गाय का घी नाक के नथुनों में डालें। -    एक चुटकी नौसादर और आधा चम्मच अदरक का रस शहद में मिलाकर रोगी को चटायें।


त्रिफला का महत्व -    वात, पित्त और कफ तीनों का नाश करने वाली चीजें वैसे तो बहुत कम हैं, लेकिन इनमें जो सबसे अच्छी चीजें हैं, वो हैं- हरड़े, बहेड़ा व आँवला। तीनों मिलाकर बनता है त्रिफला। त्रिफला 1:2:3 के अनुपात में सबसे अच्छा होता है। त्रिफला में सबसे अच्छा होता है-आँवला, बहेड़ा, इसके बाद हरड़े। -    हरड़े:बहेड़:आँवला – 1:2:3 अनुपात में बनाया गया त्रिफला वात, पित्त और कफ तीनों का नाश करता है। त्रिफला सुबह में गुड़ या शहद के साथ खाएं। रात में त्रिफला दूध के साथ या गरम पानी के साथ खायें। -    रात को खाया हुआ त्रिफला पेट को साफ करने वाला होता है। कब्जियत मिटा देगा। सुबह खाया हुआ त्रिफला शरीर के लिए पोषक है अर्थात शरीर के सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति करता है। अतः स्वस्थ व्यक्ति को त्रिफला सुबह ही खाना चाहिए। -    रेडियेशन का दुनिया में इलाज नहीं है, लेकिन इसका इलाज त्रिफला सम से सम्भव है। आँवला मतलब विटामिन सी का भण्डार और कैल्सियम का भण्डार है। अर्थात रेडियेशन के केस में शरीर में विटामिन सी की मात्रा बढ़ जाती है, इसी कारण रेडियेशन के केस में आँवला को कम करके 1:1:1 अनुपात में त्रिफला देना चाहिए। आँवला, हरड़े और बहेड़ा अलग-अलग भी तीनों दोषों को दूर करते हैं। आयुर्वेद में इन्हें फलों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। -    जिनका भी मेंद (मांस) बढ़ा हुआ है उन्हे रोज सुबह त्रिफला गुड़ के साथ खाना चाहिए और यदि त्रिफला न खा सकें तो सुबह-सुबह खाली पेट 3-4 आँवला या आँवलें की बनी वस्तुओं का सेवन अधिक करना चाहिए। -    त्रिफला को एन्टी आक्सिडेन्टल माना जाता है। यह शरीर में होने वाली आक्सिडेसन की क्रिया को कम करता है। आँक्सिडेसन की क्रिया शरीर की वह क्रिया है, जिसमें उम्र कम होती है। इसमें शरीर के हर अंग का क्षय होता है। आँवला इसमें सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। -    सालों भर आँवला लगातार खाया जा सकता है लेकिन त्रिफला हर 3 महीने के बाद 15-20 दिन तक छोड़ देना चाहिए। त्रिफला लगातार खाते रहने से शरीर में कमजोरी या अन्य कोई दुष्परिणाम हो सकते हैं। -    आँवला कच्चा खाना सबसे अच्छा है, आँवले की चटनी बनाकर खाना, आँवले का मुरब्बा बनाकर खाना, आँवले की कैंडी बनाकर खाना, आँवले का अचार खाना आदि। -    रात में आँवला 3-4 या त्रिफला 1 चम्मच लेकिन चम्मच छोटी हो। सुबह में त्रिफला 1 चम्मच लेकिन बड़ी चम्मच। सुबह गुड़ के साथ त्रिफला खाने के बाद दूध भी पी सकते हैं। त्रिफला दिन भर में एक बार ही खा सकते हैं। - डायबिटीज वात का रोग है, अतः त्रिफला इसमें लाभ पहुँचाएगा। -    बवासीर मूढ़व्याघ, पाइल्स, भगन्दर अर्थात पेट से जुड़ी बीमारियाँ ठीक करने के लिए त्रिफला रात में ही लें, खाना खाने के बाद या रात को सोते समय। सुबह में त्रिफला खाली पेट लेना है खाना या नास्ते के 40 मिनट पहले। -    त्रिफला सम कैंसर जैसी बीमारियों में भी प्रयोग किया जा सकता है। -    जितने लोग मोटे होते हैं उनमें कैल्सियम और विटामिन सी की मात्रा कम होती है इसलिए त्रिफला 1:2:3 का ज्यादा लाभकारी होता है। -    त्रिफला जैसी ही एक वस्तु और है वह है त्रिकटू (सोंठ + काली मिर्च + पिपर) और ऐसी ही 108 वस्तुएं हमारे आस-पास उपलब्ध हैं। -    3-4 वर्ष से छोटे बच्चों को त्रिफला के स्थान पर आँवला खिलाएं और 3-4 साल बाद भी और 14 साल तक आँवला ही दें तो सबसे अच्छा है। अतः त्रिफला 14 वर्ष से अधिक के बच्चों को ही दें।


आरोग्यं :-
मधुमेह के लिये कुछ प्राकृतिक उपचार :-
 
१) आवला व ध्रत्कुमारी का रस २-२ चम्मच  पानी के साथ लें |
२) मेथी के दाने एक चम्मच रात को पानी में भिगोकर रखें, सुबह सबेरे उठकर पानी पीकर दाना खा लें |
३) १ ककड़ी, १ टमाटर, १ करेला, ५ कोमल नीम के पत्ते, ५ सदाबहार के फूल का रस पियें |आधा घंटे तक कुछ  भी नहीं खाएं |
४) जामुन की गुठली का पावडर सुबह नाश्ते से पहले लें.
५) सुबह हर्बल टी या काली चाय (जिसमे दूध, नीबू या शक्कर न हो) पियें |


गैस की समस्या का इलाज
 
- गैस की समस्या को दूर करने के लिए आप एक अदरक के टुकडे को देसी घी में पक लें. और फिर उस पर काला नमक डालकर खाएं इसके अलावा अदरक की चाय पीने से भी आपको एसिडिटी की प्रॉब्लम से राहत मिलती है.
 - पका हुआ पाइनएप्पल खाएं या फिर आप इसका जूस पी एम इसकी एल्कलाइन प्रॉपर्टी गैस से तुरंत राहत दिलाने में बहुत मदद करती है.
 - ठंडे पानी में 1 चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर घोलकर पीने से भी आपका डाइजेशन सुधर जाता है और गैस की प्रॉब्लम दूर हो जाती है.
 - गैस की प्रॉब्लम को तुरंत दूर करने के लिए एक गिलास पानी में आधा चम्मच पुदीने का रस डालकर पिए इसके अलावा आप पुदीने की चाय भी पी सकते हैं.
 - गैस की समस्या को दूर करने के लिए नारियल पानी एक बहुत बढ़िया उपाय है क्योंकि नारियल पानी पीने से आपका डाइजेशन सुधरता है और आपके पेट की तमाम तरह की प्रॉब्लम दूर हो जाती हैं और अगर गैस बन रही हो तो आप नारियल पानी पी लें इससे तुरंत गैस में आराम मिलेगा.


» क्या आप जानते हैं, काले अंगूर के 5 लाभ

1 काले अंगूर अल्जाइमर के मरीजों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद रेसवेराट्रोल नामक तत्व अल्जाइमर से लड़ने में बेहद प्रभावकार है, साथ ही यह न्यूरो डि-जनरेटिव डिसीज में भी काफी फायदेमंद होता है।

2 इसमें फ्लेवेनॉइड्स के अलावा ऐसे कई तत्व मौजूद हैं जो हृदय रोगों से लड़ने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हार्ट अटैक, रक्त का थक्का जमना और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से लड़ने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
 
3 अगर आप वजन बढ़ने की समस्या से परेशान हैं, तो काले अंगूर का सेवन आपकी यह समस्या हल कर सकता है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण को रोकता है और मोटापे के अलावा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाता है।

4 शरीर में यूरि‍क एसिड का स्तर अधि‍क होने पर काले अंगूर का सेवन फायदेमंद होगा। यह शरीर में यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर को कम करता है जिससे किडनी पर भार नहीं बढ़ता और किडनी भी स्वस्थ रहती है।
 
5 कैंसर से बचाव के लिए काले अंगूर फायदेमंद है। खास तौर से  त्वचा के कैंसर से बचने के लिए इसका सेवन बेहद प्रभावी तरीका है।



kidney stone home treatment in hindi | kidney stone dietary precautions

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